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Dakhinn Bharat Ki Hindi Patrakarita
- Author Name:
Ravindra Katyayan
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Book Type:

- Description: Dakhinn Bharat Ki Hindi Patrakarita
Dakhinn Bharat Ki Hindi Patrakarita
Ravindra Katyayan
Samachar Evam Praroop Lekhan
- Author Name:
Dinesh Kumar Gupta +1
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Book Type:

- Description: इस पुस्तक के उद्देश्य और स्वरूप को लेकर लेखकीय टिप्पणी इस प्रकार है—“प्रशासनिक, व्यावसायिक एवं कार्यालयी स्तर पर हिन्दी प्रयोग के प्रयास विभिन्न स्तरों पर किए जा रहे हैं, किन्तु उनमें विभिन्न कारणों से एकरूपता और एकसूत्रता का अभाव है। प्रस्तुत पुस्तक में इन अभावों के आधारभूत कारणों को तलाशते हुए, प्रायोगिक स्तर पर हिन्दी के व्यावहारिक स्वरूप का एक सुस्पष्ट प्रतिमान सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है।” निश्चय ही लेखक–द्वय के इस प्रयास को यहाँ सार्थक हुआ देखा जा सकता है। उन्होंने इस पुस्तक को तीन अध्यायों में विभाजित कर विषय–विवेचन को एक सुसंगति प्रदान की है, ख़ासकर ‘समाचार–लेखन’ और ‘प्रारूप– लेखन’ नामक अध्यायों में। इनके अतिरिक्त तीसरे अध्याय ‘अशुद्धि–शोधन’ में अशुद्धि के विभिन्न स्तरों का गम्भीरतापूर्वक विवेचन किया है। कहने की आवश्यकता नहीं कि अपने संक्षिप्त कलेवर में भी अपने विषय की यह एक संग्रहणीय पुस्तक है।
Samachar Evam Praroop Lekhan
Dinesh Kumar Gupta
Patrakarita Mein Anuwad
- Author Name:
Priyadarshan
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Book Type:

- Description: अनुवाद की बात आते ही हमें दो भाषाओं का परिदृश्य ध्यान में आता है। अनुवाद की ज़रूरत केवल दो भाषाओं के सन्दर्भ में ही हो ऐसा ज़रूरी नहीं है। अनुवाद के कई ऐसे आयाम होते हैं जिन पर हम आम तौर पर ग़ौर नहीं करते। दो विरोधी दर्शन और विचार रखनेवालों के बीच संवाद के लिए भी अनुवाद की ज़रूरत होती है। अनुवाद के ऐसे ग़ैर-पारम्परिक अर्थ और प्रसंग को छोड़ भी दें तो भी पत्रकारिता के क्षेत्र में अनुवाद का अहम स्थान है।हिन्दी के प्रति प्रेम राष्ट्र-गौरव की भावना आत्म-सम्मान जैसे सराहनीय और वांछनीय आदर्शों के सशक्त हिमायती होने के बावजूद इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अख़बारों द्वारा अन्तरराष्ट्रीय परिदृश्य के निरन्तर अद्यतन और सही ढंग से अंकन के लिए अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद की ज़रूरत अभी भी बरकरार है। अनुवाद की कला कठिन है क्योंकि दो भिन्न भाषाओं की अभिव्यक्ति शैली भी भिन्न होती है। हर भाषा का एक अपना चरित्र होता है और उस चरित्र के कारण भाषा की शैली की विशिष्टता होती है। विद्वान लेखकों द्वारा तैयार इस पुस्तक के ज़रिए इस कला को विस्तार देने और सँवारने की कोशिश की गई है। पत्रकारिता से जुड़े हर व्यक्ति के लिए यह उपयोगी पुस्तक है।
Patrakarita Mein Anuwad
Priyadarshan
Rajneeti Meri Jaan
- Author Name:
Punya Prasun Bajpai
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Book Type:

- Description: Book related to media politics and society.
Rajneeti Meri Jaan
Punya Prasun Bajpai
Yaksha Prashna Barkarar
- Author Name:
Manikant Bajpai
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Book Type:

- Description: Media
Yaksha Prashna Barkarar
Manikant Bajpai
Yahan Mukhoute Bikate Hain
- Author Name:
Prabhat Shunglu
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Book Type:

- Description: Media, Thought Provoking Article
Yahan Mukhoute Bikate Hain
Prabhat Shunglu
Dizaster : Media And Politics
- Author Name:
Punya Prasun Bajpai
-
Book Type:

- Description: based on print and electronic media by punya prasun bajpai
Dizaster : Media And Politics
Punya Prasun Bajpai
Photo Patrakarita
- Author Name:
Dhananjai Chopra
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Book Type:

- Description: हमारा समय विजुअल कम्युनिकेशन यानी दृश्य संचार का समय है। वास्तविक दुनिया हो या आभासी दुनिया, हर तरफ छवियां ही छवियां हैं। कास्टिंग के लगभग सारे उपक्रम यानी प्रिंटकास्ट, ब्रॉडकास्ट, टेलीकास्ट, वेबकास्ट और ह्यूमनकास्ट अनायास ही छवियों के अधिकाधिक प्रयोग की होड़ में शामिल हो गए हैं। संचार के क्षेत्र में छवियों यानी दृश्यों के इस तरह प्रयोग से जन-संप्रेषण की दुनिया में बड़ा बदलाव आया है। इस बदलाव का कारण बना, हमारे मोबाइल फोन में कैमरे का आ जाना। इक्वींसवीं सदी के प्रारंभ से ही लोगों ने अपने आसपास के दृश्यों को सहेजना शुरू कर दिया था। दृश्यों के माध्यम से जन इतिहास का लिखा जाना यह बता रहा था कि आने वाले समय में शब्दों से कहीं अधिक दृश्य पढ़े जाएंगे। हुआ भी यही, हमने एक ऐसे समाज की रचना कर ली है, जिसमें दृश्य संचार के बिना रह पाना मुश्किल हो रहा है। टेक्नोलॉजी के बलबूते बदलती दुनिया और बदलते समय में दृश्य संस्कृति विकसित हो रही है। दृश्य गढ़े जा रहे हैं, रचे जा रहे हैं, प्रस्तुत किए जा रहे हैं और पढ़े जा रहे हैं। अब से पहले इतने अधिक दृश्यों का आदान-प्रदान कभी नहीं हुआ था। दरअसल यह दृश्य विस्फोट यानी विजुअल एक्सप्लोजन का समय है। यह फोटोग्राफी और फोटो पत्रकारिता को सीखने, समझने, सहेजने और संचरित करने का अप्रतिम समय है।
Photo Patrakarita
Dhananjai Chopra
Hindi-patrakarita Ke Pratiman
- Author Name:
Satish Kumar Roy
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Book Type:

- Description: पुस्तक हिन्दी के चौदह उन सम्पादकों पर केन्द्रित है जिन्होंने हिन्दी-पत्रकारिता को दिशाबोध दिया है, उसकी विरासत को अग्रेषित किया है और सही अर्थों में प्रतिमान के रूप में मान्य हुए हैं। ऐसा नहीं है कि यह सूची इन्हीं तक सीमित है। वस्तुतः यह एक श्रृंखला की पहली कड़ी है। ये चौदह सम्पादक बिहार के विश्वविद्यालयों के एम.ए. के पाठ्यक्रमों में सम्मिलित किए गए हैं इसलिए सर्वप्रथम इन्हीं को केन्द्र में रखकर पुस्तक का पहला खंड प्रस्तुत किया जा रहा है। उच्च कक्षाओं के विद्यार्थियों और शोधार्थियों को इसमें अपेक्षित सूचनाएँ मिल पायेंगी, ऐसा विश्वास है।
Hindi-patrakarita Ke Pratiman
Satish Kumar Roy
Apne Gireban Mein
- Author Name:
Yashwant Vyas
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Book Type:

- Description:
कोई जमाना था जब दिल्ली से निकलने वाले अखबार राष्ट्रीय और लखनऊ-लुधियाना से निकलने वाले अखबार क्षेत्रीय कहे जाते थे। हिंदी अखबारों की दुनिया इस बीच बहुत बदल चुकी है। सैटेलाइट संस्करणों ने जो महादृश्य उपस्थित किया है उसने हिंदी अखबारों की बाजार शक्ति की नए सिरे से पहचान कराई है। पारंपरिक अर्थ में गढ़ कहे जाने वाले, ध्वस्त हो रहे हैं। संपादक और स्वामी के पारस्परिक रिश्तों ने नई शक्ल ले ली है। जबर्दस्त पूँजी निवेश, आक्रामक बाजार नीति तथा पत्रकारिक फैशन परेड का नया पैकेज सामने आ रहा है। प्रसार की उछाल में पाठक के लिए नए विकल्प खुले हैं। लेकिन क्या यह नई दुनिया सचमुच एक अद्भुत दुनिया है?
एक रचनाकार होने के साथ-साथ, पत्रकारिता की उसी बदलती हुई दुनिया के अनुभव का हिस्सा होते हुए यशवंत व्यास जब क्षेत्रीय पत्रकारिता में बदलाव को आँकते हैं तो उनकी दृष्टि गहरी संवेदना से युक्त होती है। वे निरंतर हो रहे परिवर्तनों को गहन अनुभूतियों तथा स्पष्ट तथ्यों के बीच दर्ज करते हैं। इसके लिए वे न सिर्फ भाषा के स्तर पर बल्कि प्रस्तुति पर भी शोध को नया, ताज़गी-भरा आकार देते हैं। अंतर्विरोधों की पहचान के प्रति पैनी दृष्टि तथा क्षेत्रीय पत्रकारिता में सफलता असफलता की गंभीर पड़ताल करने की कोशिशों जैसी खूबियों के चलते ‘अपने गिरेबान’ में समकालीन क्षेत्रीय हिंदी पत्रकारिता पर एक विशिष्ट और महत्त्वपूर्ण दस्तावेज है।
Apne Gireban Mein
Yashwant Vyas
Vigyapan Aur Jansampark
- Author Name:
Mukti Nath Jha
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Book Type:

- Description:
यह पुस्तक विज्ञापन और जनसम्पर्क संचार की विधा को रेखांकित करती है। इस पुस्तक में विज्ञापन के विविध स्वरूपों की विस्तार से चर्चा की गई है। विज्ञापन को परिभाषित करते हुए इसके विविध प्रकार, माध्यमों एवं लाभ की विस्तृत विवेचना की गई है। जनसम्पर्क की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए जनसम्पर्क की विविध विधाओं पर विस्तार से चर्चा की है। कारपोरेट जनसम्पर्क की आवश्यकता और उपयोगिता की विस्तृत विवेचना इस पुस्तक को और भी उपयोगी बनाती है।
भारत सरकार की नई शिक्षा नीति के पाठ्यक्रमानुसार लिखित यह पुस्तक जहाँ एक ओर पत्रकारिता एवं जनसंचार के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी वहीं दूसरी ओर विज्ञापन एवं जनसम्पर्क के क्षेत्र में कार्यरत लोगों के लिए भी मार्गदर्शक के रूप में लाभप्रद होगी।
Vigyapan Aur Jansampark
Mukti Nath Jha
Jansanchar Madhyam Aur Vishesh Lekhan (Swaroop Aur Prakar)
- Author Name:
Niranjan Sahay
-
Book Type:

- Description:
आज हम ऐसे दौर में हैं जब पलक झपकते हम हजारों मील दूर बैठे परिचित से चेहरा देखते हुए बात कर सकते हैं, जिसे सम्भव किया है इंटरनेट और सूचना क्रान्ति के नूतन आविष्कार 'वीडियो कॉल' ने, जिसमें डाटा एक सेकेंड से भी कम समय में वह दूरी तय कर लेता है।
संचार के इतिहास में कई महत्त्वपूर्ण पड़ाव आए हैं। हमने बोलने के साथ-साथ गाना सीखा, विभिन्न वाद्य यंत्र बनाए एवं संगीत की रचना की। पहले पत्तों पर लिखना सीखा और फिर काग़ज़ का निर्माण हुआ, जिससे लिखे गए को संरक्षित रखना सम्भव हुआ। पन्द्रहवीं सदी में छापेखाने के आविष्कार ने वह रास्ता दिखाया, जिससे अखबार और किताब लाखों-करोड़ों लोगों तक पहुँच सकें। टेलीग्राफ की तारों से कोई भी लिखित सन्देश चन्द मिनटों में अपनी मंजिल तक पहुँचने लगा। टेलीफोन से हम एक-दूसरे से एक ही समय पर दूर बैठकर बात करने में सक्षम हुए।
हजारों वर्षों के इस तकनीकी कालक्रम में जो एक चीज समान रही है वह है—अपनी बात दूसरों तक पहुँचाने की आवश्यकता। आदि मानव इशारों से एक-दूजे को खतरे की चेतावनी देते थे, तो हम आज विभिन्न प्रयोजनों के लिए लिखित से लेकर वीडियो सन्देश और कॉन्फ्रेंसिंग तक कर लेते हैं। संचार अपने विचारों और जरूरतों को इसी तरह दूसरों तक पहुँचाने का काम है।
संचारशास्त्र के जाने-माने प्रणेता हैरॉल्ड लैसवेल के अनुसार, संचार प्रक्रिया का सार है कि किसने किससे किस माध्यम द्वारा क्या कहा और उसका (यानी कहे गए का) क्या प्रभाव पड़ा? यह पुस्तक संचार, जनसंचार और उनके विभिन्न पहलुओं की विस्तृत व्याख्या प्रस्तुत करती है।
Jansanchar Madhyam Aur Vishesh Lekhan (Swaroop Aur Prakar)
Niranjan Sahay
Patrakarita : Mission se Media tak
- Author Name:
Akhilesh Mishra
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Book Type:

- Description:
यह पुस्तक अपने पेशे के सहकर्मियों और पाठकों के साथ एक ऐसे व्यक्ति की बहस, नोक-झोंक है जो चीजों को उनके सही नाम से पुकारता है, धुँधलके में रहना और किसी को रखना पसंद नहीं करता। वह व्यक्ति थेµ अखिलेश मिश्र, जिनकी धर्म-संस्कृति विषयक पुस्तक ‘धर्म का मर्म’ पाठक पढ़ चुके हैं।
इस पुस्तक में अखिलेश जी के वे लेख संकलित हैं जिनमें उन्होंने पत्रकारिता के विविध आयामों, उसकी समस्याओं, संकटों, उसके विचलनों, उसकी ताकत और कमजोरियों की चर्चा की है। पुस्तक चार खंडों में है। पहले खंड में वे लेख हैं जिनमें पत्रकारिता सम्बन्धी विविध विषयों, समस्याओं का गहन विश्लेषण है। द्वितीय खंड में ‘वर्कर्स हेरल्ड’ में लिखे उनके वे संपादकीय हैं जिनका विषय पत्रकार अथवा पत्रकारिता है। इस खंड का पहला आलेख ‘स्वतंत्र भारत’ में लगभग सत्रह वर्ष तक अनवरत चले उनके पाक्षिक स्तम्भ ‘दिल्ली का रंगमंच’ से लिया गया है। इसमें श्री मिश्र ने लोकतान्त्रिाक मूल्यों में गहरी आस्था के लिए जाने जानेवाले नेहरू जैसे प्रधानमंत्राी की भी अखबारों की उस आजादी के प्रति नाराजगी को पकड़ा है जो सत्ता के लिए परेशानी पैदा कर दे।
खंड तीन में ‘वर्कर्स हेरल्ड’ में ही संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित वे लेख लिये गए हैं जिनमें पत्रकारिता के सरोकारों की चर्चा है। इस खंड में अन्य अनेक समस्याएँ उठाने के अतिरिक्त लेखक ‘श्रम नीति का दुरंगापन’ बेपर्दा करते हुए ‘पत्रकारों की सुरक्षा’ के सवाल से जुड़ी पेचीदगियों से दो-चार होता है। खंड चार में दो लेख शामिल हैं, जिनमें समाचार क्या है, कैसे लिखे जाते हैं, आदि व्यावहारिक पहलुओं पर उनके विचार हैं।
पत्रकारिता इस समय एक संकट के दौर में है। पुराने दबावों (मालिक और सत्ता) तथा अपनी कमजोरियों के अतिरिक्त भूमंडलीकरण के इस दौर में अब एक नया खतरा उसके सामने हैµअखबारी उद्योग में विदेशी पूँजी निवेश जिसके निहितार्थ बहुत गहरे हैं। हमारा विश्वास है कि अखिलेश जी की यह पुस्तक न केवल धुँधलका छाँटकर परिदृश्य स्पष्ट करेगी बल्कि अपनी स्पष्ट दृष्टि से आगामी पत्रकारिता का मार्गदर्शन भी करेगी।
Patrakarita : Mission se Media tak
Akhilesh Mishra
Patrakarita Ke Naye Ayam
- Author Name:
S. K. Dubey
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Book Type:

- Description:
पत्रकारिता एक बौद्धिक कर्म है। पत्रकारिता अतीत का मन्थन करती है, वर्तमान को सँवारती है और भविष्य को सुधारने का ताना-बाना बुनती है। युग-चेतना से समृद्ध पत्रकारिता ही विषम परिस्थितियों का सम्यक् विवेचन करके जनमानस को आम सहमति के बिन्दु तक ले जाने का मंच प्रदान करती है। युगीन समस्याओं, जन-आकांक्षाओं, अपेक्षाओं और सम्भावनाओं पर मनन करके एक रचनात्मक चिन्तन का कैनवस तैयार करती है।
चेतना का प्रवाह करना पत्रकारिता है। परस्पर विरोधी विचारों को समर्थन-विरोध प्रणाली से तौलते हुए तत्त्व की बातें तथ्य सहित पाठकों के सामने लाना पत्रकार कर्म की सफलता है। पत्रकारिता जन-जन को जोड़ने का काम करती है। इसका प्रमुख कार्य मेल-जोल की संस्कृति का विकास करना है। 21वीं सदी की पत्रकारिता महज़ सैद्धान्तिक या वैचारिक ही नहीं रह गई है, उस पर व्यावसायिकता निरन्तर हावी होती जा रही है। विश्वविद्यालयों के अध्यापक पहले से तथा कार्यरत पत्रकार दूसरे से सम्बन्ध रखते हैं। पत्र-पत्रिका आख़िर व्यावसायिक उत्पाद भी हैं।
पत्रकारिता के परिप्रेक्ष्य में अपने समय के विभिन्न आयामों से गुज़रती एक महत्त्वपूर्ण और संग्रणीय पुस्तक।
Patrakarita Ke Naye Ayam
S. K. Dubey
Chand : Phansi Ank
- Author Name:
Nareshchandra Chaturvedi
-
Book Type:

- Description: Awating description for this book
Chand : Phansi Ank
Nareshchandra Chaturvedi
Naye Jan-Sanchar Madhyam Aur Hindi
- Author Name:
Sudhish Pachauri
-
Book Type:

- Description:
नए जन-संचार माध्यमों में हिन्दी का प्रयोग बढ़ रहा है। हर प्रक्रिया में माध्यम बदल रहे हैं, हिन्दी भी बदल रही है। नए रूप बन रहे हैं। माध्यमों में भाषा ने स्वयं एक संचार किया है।
बदलती भाषा संचार की अनन्त अन्तर्क्रियाओं को जन्म दे रही है। हिन्दी के सामने नई चुनौतियाँ उपस्थित हैं और उतनी ही चुनौतियाँ माध्यमकर्मियों के सामने हैं।
बी.बी.सी. ने नए जन-संचार माध्यमों में हिन्दी के स्वरूप को लेकर इसीलिए एक राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया। सेमिनार की सामग्री इस किताब में पाठकों के लिए उपलब्ध है।
यहाँ पाठकों को पहली बार बी.बी.सी. वेबसाइट की ‘स्टाइल बुक’ का परिचय मिलेगा। मीडिया का हिन्दी शब्दकोश होना चाहिए; एक पदावली कोश भी—इस तरफ़ कुछ इशारे यहाँ दिए गए हैं।
उम्मीद है कि यह किताब नए जन-संचार माध्यमों के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
Naye Jan-Sanchar Madhyam Aur Hindi
Sudhish Pachauri
Electronic Patrakarita
- Author Name:
Dr. Ajay Kumar Singh
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Book Type:

- Description:
सूचना क्रान्ति के इस युग में, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र जैसे रेडियो, एफएम. चैनल, टेलीविज़न, फ़ोटोग्राफ़ी तथा टेलीविज़न प्रोडक्शन के क्षेत्र में, रोज़गार के अवसर निरन्तर बढ़ते जा रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता के तकनीकी एवं प्रायोगिक पक्ष को समझने के लिए हिन्दी की ऐसी पुस्तकें उपलब्ध नहीं हैं, जो भावी पत्रकारों को इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता का आधुनिक एवं प्रायोगिक ज्ञान उपलब्ध करा सकें।
यह पुस्तक विशेष रूप से टेलीविज़न, रेडियो, फ़ोटोग्राफ़ी, फ़िल्म एवं इंटरनेट के क्षेत्र में क़दम रखनेवाले युवा पत्रकारों को ध्यान में रखकर लिखी गई है।
इस पुस्तक में इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता के फ़ोटोग्राफ़ी, रेडियो तथा टेलीविज़न चैनलों की कार्यप्रणाली, प्रयोग होनेवाले उपकरण, प्रोडक्शन टीम की भूमिका, स्क्रिप्ट राइटिंग, कैमरे एवं लाइटिंग का प्रयोग तथा वीडियो एडिटिंग को सरल-सहज तरीक़े से समझाया गया है। पुस्तक में इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रयोग होनेवाले शब्दों एवं उपकरणों का शब्दकोश भी दिया गया है जिससे कि टेलीविज़न, फ़ोटोग्राफ़ी तथा रेडियो के क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त करनेवाले छात्रों के साथ जनमानस भी इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता की दुनिया को भली-भाँति समझ सकें।
Electronic Patrakarita
Dr. Ajay Kumar Singh
Sirf Patrakarita
- Author Name:
Dr. Ajay Kumar Singh
-
Book Type:

- Description:
नई सदी की पत्रकारिता के समक्ष विभिन्न चुनौतियाँ हैं। मिशन पत्रकारिता का स्थान पेशेवर पत्रकारिता ने लिया है। ऐसे में वही समाचार-पत्र, मीडिया हाउस और संवाददाता अपने को स्थापित कर पाएगा, जो प्रशिक्षण के साथ-साथ अत्याधुनिक तकनीकों में दक्ष होगा। पत्रकारिता के क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन के कारण प्रशिक्षण की आवश्यकता अनिवार्य हो चुकी है। वर्तमान में युवा पीढ़ी काफ़ी संख्या में पत्रकारिता का प्रशिक्षण ले रही है। यह पुस्तक पत्रकारिता के क्षेत्र में युवा समुदाय की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर लिखी गई है।
इस पुस्तक में पत्रकारिता के स्वरूप, संचार प्रक्रिया तथा मॉडल, समाचार एवं उसके तत्त्व, तथा प्रिंट पत्रकारिता में समाचार सम्पादन, मुद्रण एवं पृष्ठ सज्जा, फ़ोटो पत्रकारिता, प्रेस सम्बन्धी क़ानून समेत पत्रकारिता के विविध आयामों को अत्यन्त सहज तरीक़े से समझाने का प्रयास किया गया है। पुस्तक में प्रिंट पत्रकारिता को भली-भाँति समझने के लिए पारिभाषिक शब्दावली भी दी गई है जो कि इसकी उपादेयता बढ़ाती है। यह पुस्तक विभिन्न विश्वविद्यालयों में पत्रकारिता में स्नातक (बी.जे.एम.सी.), स्नातकोत्तर (एम.जे.एम.सी.) कर रहे विद्यार्थियों के लिए समान रूप से उपयोगी सिद्ध हो, ऐसा प्रयास किया गया है।
Sirf Patrakarita
Dr. Ajay Kumar Singh
Chainalon Ke Chehre
- Author Name:
Shyam Kashyap +1
-
Book Type:

- Description: न्यूज़ चैनलों की जब भी बात होती है तो उनके एंकर की चर्चा ज़रूर की जाती है। और कैसे न हो। एंकर किसी भी चैनल की पहचान होते हैं। वे चैनलों के चेहरे होते हैं। किसी भी चैनल के एंकर जिस तरह के होते हैं, उसके आधार पर ही यह राय बनाई जाती है कि वह चैनल कैसा है। अगर एंकर ख़ूबसूरत, समझदार, चौकन्ने हैं तो उस चैनल को भी लोग उसी नज़र से देखेंगे। इसलिए कोई भी चैनल एंकर के चयन को सबसे ज़्यादा महत्त्व देता है। वह ऐसे चेहरों की तलाश में रहता है जो दर्शकों को बाँध सकें। ज़ाहिर है कि टेलीविज़न एंकरिंग एक आकर्षक एवं प्रभावशाली विधा है, पेशा है और यह बहुत स्वाभाविक है कि छात्र ही नहीं, टेलीविज़न में वर्षों से काम कर रहे पत्रकार भी यह सपना पाले रहते हैं कि उन्हें भी स्क्रीन पर आने का मौक़ा मिले। इसलिए सबसे ज़्यादा प्रतिस्पर्धा भी एंकरिंग के लिए होती है। चैनल चलानेवाले भी एंकर के चयन के मामले में बेहद कठोर होते हैं। कोई भी चैनल एंकर को लेकर समझौता नहीं करना चाहता। इसलिए एंकर बनने के इच्छुक लोगों को यह ज़रूर पता होना चाहिए कि उनकी राह बहुत आसान नहीं है और यह सपना कैसे पूरा हो सकता है या उसे पूरा करने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए, इस पर सोचना ज़रूरी है। आजकल सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि एंकरिंग के बारे में विस्तार से जानने और फिर उसे सीखने का कोई इन्तज़ाम नहीं है। दिल्ली, मुम्बई जैसे कुछ बड़े शहरों को छोड़ दें तो कहीं ढंग के प्रशिक्षण संस्थान नहीं हैं। जहाँ हैं, वहाँ सिखानेवाले ख़ुद ही प्रशिक्षित नहीं हैं। बड़े शहरों में भी अधिकांश प्रशिक्षण संस्थान मोटी रक़म वसूलने के लिए ज़्यादा कुख्यात हैं। ऐसे में कमज़ोर हैसियत और छोटे तथा मझोले शहरों में रहनेवाले लोग क्या करें, कहाँ जाएँ? उन्हें तो किताबों की ही मदद से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना होगा। लेकिन मुश्किल यह है कि टेलीविज़न एंकरिंग पर ढंग की किताबें भी नहीं हैं। जो हैं वे दशकों पुरानी एंकरिंग को ध्यान में रखकर लिखी गई हैं जबकि अब उसमें आमूलचूल परिवर्तन आ चुका है। टेलीविज़न पत्रकरिता माला के तहत ‘चैनलों के चेहरे’ शीर्षक से एंकरिंग पर किताब लिखने का मक़सद इस कमी को पूरा करना ही है। कोशिश रही है कि यह किताब एंकरिंग की एक परिपक्व गाइड की भूमिका अदा करे। इसलिए टेलीविज़न के मौजूदा दौर को ध्यान में रखकर और एंकरिंग के बारे में विस्तार से जानकारी जुटाकर इसे तैयार किया गया है। यह पुस्तक एंकरिंग के सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराती है, जिससे वे ख़ुद अपनी तैयारी को आगे बढ़ा सकें।
Chainalon Ke Chehre
Shyam Kashyap
Mitata Bharat Banta India
- Author Name:
Shashi Shekhar Tiwari
-
Book Type:

- Description:
20वीं सदी के अन्तिम दशक में भारत की राजसत्ता द्वारा अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में उदारीकरण की नीति अपनाई गई। धीरे-धीरे बाज़ार मुक्त किया जाने लगा तथा अनेक महत्त्वपूर्ण सरकारी क्षेत्रों के निजीकरण होने लगे। इस पहल का भारतीय समाज की संरचना पर गहरा असर हुआ। उसके आधार पर ऊपरी ढाँचे में अनेक निर्णायक परिवर्तन घटित होने लगे। उसका प्रभाव राजनीति, समाज, शिक्षा, जीवन-शैली तथा अन्तरराष्ट्रीय मामलों पर सीधे दिखाई देने लगा। 21वीं सदी के पहले दशक में इस परिवर्तन को जिन लोगों ने सबसे पहले पहचानने की कोशिश की, उनमें शशि शेखर पहली क़तार में हैं।
उदारीकरण की आँधी में मिटते भारत और बनते इंडिया की गूँज अगर सुननी हो तो शशि शेखर की इस पुस्तक के इन लेखों को पढ़ जाइए। 2001 से 2010 के बीच उन्होंने लगभग हर हफ़्ते अपने कॉलम ‘आजकल’ में अपने समय का साप्ताहिक इतिहास दर्ज किया है। यह पुस्तक इस कॉलम के उन्हीं लेखों का संकलन है। इन लेखों के द्वारा आप शशि शेखर के नज़रिए से 21वीं सदी के पहले दशक की धड़कनों की समग्रता में महसूस कर सकेंगे। इन लेखों में समय पर बहस है। समय से शिकायत है। समय की प्रशंसा है। समय की कठोरता को जीत लेने का दम-खम है। समय के वास्तविक स्वरूप को पहचानने का तीक्ष्ण विवेक भी है।
Mitata Bharat Banta India
Shashi Shekhar Tiwari
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