Topi Shukla
Author:
Suhas Paranjape, Rahi Masoom Raza, Swatija ManoramaPublisher:
Manovikas Prakashan LLPLanguage:
MarathiCategory:
Mythology0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
‘मी लेखकांच्या अशा जमातीचा आहे ज्यांच्या मते लेखकाचं काम
विश्वभरात शांती पसरवण्याचं आहे. त्याचं काम आहे अशा प्रेमकथा
लिहिणं की ज्या वाचल्यावर माणसं आपापसातल्या भिंती विसरून
जातील. सीमारेषा पुसून टाकणं हेच तर लेखकाचं काम आहे.'
राही मासूम रझा
राही मासूम रझा यांच्या ‘टोपी शुक्ला' या कादंबरीचा माझ्या मनावर
मोठाच प्रभाव पडला. एकीकडे तिने अंतर्मुख केलं, तर दुसरीकडे
लढ्याची नवी दृष्टी दिली. या कादंबरीची भाषा लढ्याची प्रेरणा देणारी
तसेच मानवी करुणेचीही आहे. यातील भाषाशैलीने मनाची पकड
घेतली आणि युवकांशी संवाद साधण्याची नवी दृष्टी दिली. तिने धर्म,
जाती, प्रांतीयता, भाषा, लिपी, संस्कृती, राष्ट्र्रीयता, देशप्रेम या संकल्पना
सर्वसामान्य माणसांच्या जीवनात कशा उतरतात ते दाखवून दिलं.
धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक भारतीयतेशी त्यांचा असलेला अतूट धागा
समोर आणला.
त्याबरोबरच या भारतीयतेचा एकेक चिरा कसा ढासळत चालला आहे,
यावरील भाष्यही या कादंबरीत येतं. टोपीला त्या काळात पडलेले प्रश्न
आजचे आपलेच प्रश्न आहेत. भारतात, भारतीय समाजात तरुणांना
सांप्रदायिकतेचं आणि केवळ सत्ताप्राप्तीचं साधन मानलं गेलं, तर
भारताला, भारतीयतेला काय भवितव्य उरतं? यापेक्षा वेगळं भवितव्य
घडवायला आपण उभं राहायला नको का?
ही संपूर्ण कादंबरी इशारा देते की धर्मवादी लोकशाहीविरोधी
शक्तींशी तडजोड केली तर ती भारताची, भारतीयतेची आत्महत्या
ठरेल, त्यामुळे पडेल ती किंमत देऊन धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक
मूल्यांसाठी लढणं, ती जगणं अटळ आहे.
रझिया पटेल
ISBN: 9789363748514
Pages: 148
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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