Academics And References

Academics And References

Bharat Evam Vishwa Ka Bhoogol

  • Author Name:

    Chandramani Singh

  • Book Type:
  • Description: यह पुस्तक भूगोल की मूल अवधारणाओं को ध्यान में रखकर लिखी गई है और धरती की संरचना, वायुमंडल, महासागर, मौसम, वनस्पति जैसे विषयों की जानकारी उपलब्ध कराती है । पुस्तक में भारत के भूगोल से सम्बंधित उन सभी पहलुओं को तथ्यात्मक और विश्लेषणात्मक तौर पर प्रस्तुत किया गया है जो सिविल सेवा, विश्वविद्यालय एवं प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्त्वपूर्ण हैं ।
Bharat Evam Vishwa Ka Bhoogol

Bharat Evam Vishwa Ka Bhoogol

Chandramani Singh

275

₹ 220

Police Aur Samaj

  • Author Name:

    S. Akhilesh

  • Book Type:
  • Description: डॉ. एस. अखिलेश द्वारा लिखी गई यह पुस्तक ‘पुलिस और समाज’ एक अनूठी पुस्तक है। यह पुस्तक पुलिस अनुसन्‍धान एवं विकास ब्यूरो, गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा समस्त देश की पुलिस प्रशिक्षण-शालाओं के लिए अनुशंसित पाठ्‌यक्रम के अनुरूप है। इस पुस्तक की रचना के सम्बन्ध में लेखक की विषय पर पकड़, मौलिक विचार और वैज्ञानिक विश्लेषण प्रशंसनीय है। पुस्तक के सत्रह अध्याय इस प्रकार हैं : ‘राष्ट्रीय स्वतंत्रता-आन्दोलन’, ‘प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं का योगदान’, ‘संविधान की प्रमुख विशेषताएँ’, ‘मौलिक अधिकार : कर्तव्य एवं नीति-निर्देशक सिद्धान्त’, ‘स्वाधीन भारत में राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक परिवर्तन और उनका पुलिस पर प्रभाव’, ‘समाज के दुर्बल वर्ग के लोगों का उत्थान’, ‘राजनीतिक दलों का संगठन एवं उनकी विचारधाराएँ’, ‘राष्ट्रीय एकीकरण’, ‘प्रमुख सामाजिक समस्याएँ’, ‘प्रमुख तात्कालिक घटनाएँ’, ‘मानव व्‍यवहार’, ‘पुलिस की छवि’, ‘लोक-सम्‍पर्क एवं लोक-सम्‍पर्क अधिकारी’, ‘पुलिस-आचरण के सिद्धान्‍त एवं दृष्टिकोण’, ‘पुलिस का व्‍यवहार’, ‘नीति और नैतिकता’, ‘शिष्‍टाचार’, ‘नागरिक अधिकार एवं स्‍वतंत्रताएँ’। निस्‍सन्‍देह, अपने विषय उद्देश्य में एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण कृति।
Police Aur Samaj

Police Aur Samaj

S. Akhilesh

250

₹ 200

Sakshatkar : Kaise Hon Taiyar

  • Author Name:

    Shahroz

  • Book Type:
  • Description: फ़्रायड ने कहा है कि जब किरण फूटती है तो सवेरा होता है। वही महत्त्व संवाद का भी है कि जब कोई व्यक्ति बोलता है तो वह खुलता है। साक्षात्कार दरअसल नियोक्ता द्वारा उम्मीदवार को खोलने का ही प्रयास है जिससे वह पता लगाता है कि उम्मीदवार उनके संस्थान के लिए कितना समर्थ और योग्य है। यह पुस्तक साक्षात्कार की तकनीक पर केन्द्रित है, लेकिन इसका मूल स्वर आपके आत्मविश्वास को बढ़ाना है। साक्षात्कार के दौरान क्या कहना है, इसकी तैयारी महत्त्वपूर्ण है, लेकिन कैसे कहना है, यह उससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण है। यह पुस्तक युवा साथियों के सामने आनेवाली ऐसी कई दिक़्क़तों का हल बताती है। याद रखें—सफलता उन्हीं को मिलती है जिन्हें अपना लक्ष्य और उस तक पहुँचने का सही रास्ता मालूम होता है। इस रास्ते को सफलतापूर्वक तय कर लेना, बहुत बड़ा रहस्य या तिलिस्म नहीं है। अच्छी क्षमता होने के बावजूद अक्सर कुछ लोगों के क़दम डगमगा जाते हैं। इस पुस्तक का ध्येय यही है कि आप बिलकुल न डगमगाएँ।
Sakshatkar : Kaise Hon Taiyar

Sakshatkar : Kaise Hon Taiyar

Shahroz

125

₹ 100

Kamayani-Lochan : Vols. 1-2

  • Author Name:

    Uday Bhanu Singh

  • Book Type:
  • Description: डॉ. उदयभानु सिंह भारतीय दर्शन और संस्कृत काव्यशास्त्र के गहन अध्येता थे। तुलसीदास पर उनके ग्रन्थ अपने प्रकाशन-काल से ही निरन्तर तुलसी काव्य के रसग्राही पाठकों और शोधार्थियों के लिए प्रामाणिक स्रोत-सामग्री की भूमिका निबाह रहे हैं। ‘कामायनी-लोचन’ उसी परम्परा को आगे बढ़ानेवाली रचना है। विद्वान लेखक ने प्राक्कथन में इस तथ्य का उल्लेख किया है कि कामायनी आधुनिक काव्य का “ऐसा गौरवग्रन्थ है जिस पर सबसे अधिक आलोचनात्मक पुस्तकें तथा लेख लिखे गए हैं; सबसे अधिक टीकाएँ लिखी गई हैं, सबसे अधिक शोधपरक निबन्ध एवं प्रबन्ध प्रणीत हुए हैं, और सर्वाधिक विवाद भी हुआ है।” यह कथन इस सामग्री से उनके बाख़बर होने का प्रमाण है। इस सामग्री की ख़ूबियों या ख़ामियों पर उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की। विनम्रतापूर्वक बस इतना जोड़ा कि “ ‘कामायनी’ के विषय में बहुत-कुछ कहा जा चुका है, परन्तु बहुत-कुछ अनकहा भी रह गया है। अतएव उनके अध्ययन की शृंखला को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। ‘कामायनी-लोचन’ उसी शृंखला की एक कड़ी है।’’ कहना न होगा कि ‘कामायनी-लोचन’ हिन्दी में कामायनी की टीका-व्याख्याओं की किसी चली आती अधूरी परम्परा की पूरक कड़ी-भर नहीं है। उसमें जो कहने से रह गया उसे कहकर रिक्त स्थान की पूर्ति का दायित्व निर्वाह भर करने का प्रयास नहीं है। उसका आदर्श तो संस्कृत-आचार्यों की वह समृद्ध टीका-व्याख्या परम्परा है जिसके आधार पर लेखक ने इसका नामकरण किया है। दो खंडों में विभाजित इस ग्रन्थ में ‘कामायनी’ के सर्गों की व्याख्या-समीक्षा के साथ इसकी शब्द-सूची प्रस्तुत की गई है। प्रस्तुति की एक निश्चित प्रविधि है। ऐसा ढाँचाबद्ध पैटर्न जिससे एकरूपता और एकरसता एक साथ पैदा होती है। एक ऐसा अकादमिक अनुशासन जिसका पालन वे शिक्षक के रूप में अपनी कक्षाओं में भी करते थे। वे पहले सर्ग-वार कथा-सूत्र प्रस्तुत करते हैं, उसके बाद एक संक्षिप्त समीक्षात्मक टिप्पणी जोड़कर अन्त में शब्दार्थ देते हैं—जिसे उन्होंने शब्द-सूची कहा है। इस प्रकार ‘लोचन’ कामायनी का शब्दकोश भी है। अकादमिक अनुशासन के विरोधियों को इसकी विधिबद्धता से रसज्ञता और सर्जनात्मकता की कमी की शिकायत हो सकती है। भूलना नहीं चाहिए कि इसका रचयिता दर्शन, व्याकरण और काव्यशास्त्र का अध्येता विद्वान तो था, अभिनवगुप्त की तरह कवि नहीं। उनकी यह कृति भले ही पाठकों को गहरी रसमग्नता का संतोष न दे पर ‘कामायनी’ की समझ में अनेक भ्रान्तियों का निवारण करेगी और उसकी गहन अर्थ-व्यंजनाओं के उद्घाटन में मददगार होगी—व्युत्पत्यर्थ और दार्शनिक अनुषंगों की दृष्टि से। —निर्मला जैन
Kamayani-Lochan : Vols. 1-2

Kamayani-Lochan : Vols. 1-2

Uday Bhanu Singh

1200

₹ 960

Bharat Ka Rashtriya Pushp Aur Rajyo Ke Rajya Pushp

  • Author Name:

    Parashuram Shukla

  • Book Type:
  • Description: ‘भारत का राष्ट्रीय पुष्प और राज्यों के राज्य पुष्प’ एक अनूठी पुस्तक है। इसका उद्देश्य है पाठकों को अपने पर्यावरण के प्रति सचेत व सहृदय बनानाइस पुस्तक में भारत के राष्ट्रीय पुष्प सहित 22 राज्यों के राज्य पुष्पों का परिचय दिया गया है। शेष राज्यों और सभी केन्द्रशासित प्रदेशों ने अभी तक अपने राज्य पुष्प घोषित नहीं किए हैं। भारत में राष्ट्रीय पुष्प कमल सहित 17 ऐसे फूल हैं, जिन्हें राजकीय सम्मान प्राप्त है। कमल को राष्ट्रीय पुष्प होने के साथ ही ओड़िसा, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा का राज्य पुष्प होने का भी गौरव प्राप्त है। इसके साथ तीन ऐसे फूल हैं, जिन्हें दो-दो राज्यों ने अपना राज्य पुष्प माना है। ये पुष्प हैं—लेडी स्लिपर आर्किड, ब्रह्मकमल और बुरांश। लेडी स्लिपर आर्किड अरुणाचल प्रदेश और मेघालय का, ब्रह्मकमल उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का तथा बुरांश नागालैंड और हिमाचल प्रदेश का राज्य पुष्प है। इनमें उत्तर प्रदेश का राज्य पुष्प ब्रह्मकमल एवं उत्तराखंड का राज्य पुष्प ब्रह्मकमल दोनों एक ही फूल हैं। इसी प्रकार नागालैंड का राज्य पुष्प बुरांश तथा हिमाचल प्रदेश का राज्य पुष्प बुरांश दोनों एक ही हैं। किन्तु अरुणाचल प्रदेश का राज्य पुष्प लेडी स्लिपर आर्किड और मेघालय का राज्य पुष्प लेडी स्लिपर आर्किड दोनों अलग-अलग फूल हैं। अरुणाचल प्रदेश के राज्य पुष्प लेडी स्लिपर आर्किड’ का वैज्ञानिक नाम पैफिओपैडिलम फैरिएनम है एवं मेघालय के राज्य पुष्प लेडी स्लिपर आर्किड का वैज्ञानिक नाम पैफिओपैडिलम इन्सिग्ने है। ये दोनों फूल एक ही वंश के हैं, किन्तु दोनों में बहुत-सी असमानताएँ पाई जाती हैं। इस पुस्तक में इन दोनों फूलों का परिचय ‘अरुणाचल प्रदेश और मेघालय का राज्य पुष्प : लेडी स्लिपर आर्किड’ अध्याय के अन्तर्गत दिया गया है। पुस्तक के अन्त में प्रत्येक फूल का हिन्दी नाम, अंग्रेज़ी नाम और वैज्ञानिक नाम दिया गया है। समाजशास्त्री और पर्यावरणविद् डॉ. परशुराम शुक्ल ने इस पुस्तक में पुष्पों के बारे में विस्तार से जानकारियाँ दी हैं। ये रोचक और ज्ञानवर्द्धक हैं। हिन्दी में अपने विषय पर यह अकेली पुस्तक है।
Bharat Ka Rashtriya Pushp Aur Rajyo Ke Rajya Pushp

Bharat Ka Rashtriya Pushp Aur Rajyo Ke Rajya Pushp

Parashuram Shukla

500

₹ 400

Bharat Ka Rashtriya Pashu Aur Rajyon Ke Rajya Pashu

  • Author Name:

    Parashuram Shukla

  • Book Type:
  • Description: ‘भारत का राष्ट्रीय पशु और राज्यों के राज्य पशु’ एक उपयोगी पुस्तक है। इसका उद्देश्य है पाठकों को अपने पर्यावरण के प्रति सचेत व सहृदय बनाना। किसी पशु को राष्ट्रीय पशु या राज्य पशु घोषित करने से भले ही वन्यजीवों पर कोई प्रत्यक्ष प्रभाव पड़े न पड़े लेकिन देश के नागरिकों में प्रकृति, पर्यावरण तथा जीव-जन्तुओं के प्रति सजगता और संवेदनशीलता का विस्तार तो होता ही है। हमारे देश की विडम्बना यह है कि इन पशुओं के बारे में मुकम्मिल जानकारी भी व्यापक स्तर पर उपलब्ध नहीं है। बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है। इस पर अनेक आलेख और पुस्तकें प्रकाशित हैं। इस तथ्य से लोग अवगत भी हैं, पर कितनों को पता है कि 9 जुलाई, 1969 के पहले तक हमारा राष्ट्रीय पशु सिंह था? इसी तरह दिल्ली को छोड़कर सभी राज्यों ने किसी न किसी वन्यजीव को अपना राज्य-पशु घोषित कर रखा है, इसकी जानकारी भी बहुत कम लोगों को है। राष्ट्रीय पशु सहित राज्य पशुओं की कुल संख्या 21 है। सामान्यतया एक वन्यजीव को एक राज्य ने अपना राज्य पशु घोषित किया है, किन्तु कुछ वन्यजीव ऐसे भी हैं, जिन्हें दो-दो राज्यों ने अपना राज्य पशु घोषित कर रखा है। गौर, मिथुन, बारहसिंगा और कस्तूरी मृग ऐसे ही वन्यजीव हैं। हाथी एक ऐसा वन्यजीव है जिसे चार राज्यों ने अपना राज्य पशु घोषित कर रखा है। समाजशास्त्री और पर्यावरणविद् डॉ. परशुराम शुक्ल ने इस पुस्तक में इन पशुओं के बारे में विस्तार से जानकारियाँ दी हैं जो रोचक और ज्ञानवर्द्धक हैं। हिन्दी में अपने विषय पर यह अकेली पुस्तक है।
Bharat Ka Rashtriya Pashu Aur Rajyon Ke Rajya Pashu

Bharat Ka Rashtriya Pashu Aur Rajyon Ke Rajya Pashu

Parashuram Shukla

500

₹ 400

Manovigyan

  • Author Name:

    Bainjamin Khan

  • Book Type:
  • Description: मनोविज्ञान वह विज्ञान है जो मनुष्य तथा अन्य प्राणियों के व्यवहार का अध्ययन करता है। व्यवहार से अभिप्राय व्यक्ति के मानसिक एवं शारीरिक व्यवहार दोनों से है, जिसको दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि मनोविज्ञान वह है जो वैज्ञानिक विधियों द्वारा जैव-रचनाओं के व्यवहार का अध्ययन करता है, उन्हें समझता है, उन्हें नियंत्रित करता है, और व्यक्तियों के व्यवहार की पूर्व-सूचना देता है। पाठकों की इस विषय में रुचि बढ़ाने के उद्देश्य से इसमें पहले मनोविज्ञान के सामान्य सिद्धान्तों, मतों एवं उसके उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बाद के अध्यायों में पूरे विषय की विवेचना की गई है और इसके हर क्षेत्र की व्याख्या की गई है।
Manovigyan

Manovigyan

Bainjamin Khan

600

₹ 480

Hindi Gadya Vinyas Aur Vikas

  • Author Name:

    Ramswaroop Chaturvedi

  • Book Type:
  • Description: Hindi Gadya Vinyas Aur Vikas
Hindi Gadya Vinyas Aur Vikas

Hindi Gadya Vinyas Aur Vikas

Ramswaroop Chaturvedi

300

₹ 240

Mulayam Singh Yadav

  • Author Name:

    Abhay Kumar Dubey

  • Book Type:
  • Description: Reference Book
Mulayam Singh Yadav

Mulayam Singh Yadav

Abhay Kumar Dubey

299

₹ 239.2

Adhunik Vividh Kala Shabdsagar

  • Author Name:

    Roop Narayan Batham

  • Book Type:
  • Description: ‘आधुनिक विविध कला शब्दसागर’ तेईस आधुनिक सर्जनात्मक और व्यावसायिक कलाओं के सामान्य प्रचलित और महत्त्वपूर्ण शब्दों का संग्रह है। इसमें चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, नृत्य, नाटक, काव्य, फैशन, पाककला, गृहसज्जा, फोटोग्राफी, विज्ञान, फिल्म, टेलीविजन, संग्रहालय विज्ञान, पुरातत्त्व, अभिलेख, डिजाइन, शिल्प, सौन्दर्यशास्त्र, कला-समीक्षा, छापाकला आदि कलाओं से सम्बन्धित शब्द शामिल हैं। कोश के आरम्भिक पृष्ठों में सभी कला विषयों के शब्दों को अंग्रेजी के वर्णक्रमानुसार प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसका वर्गीकरण, उच्चारण, हिन्दी पर्याय तथा साधारण शब्दों में उसकी सामान्य व्याख्या प्रस्तुत की गई है। अनेक कम प्रचलित किन्तु महत्त्वपूर्ण शब्दों के साथ कई अन्य तत्सम्बन्धित शब्दों के भी अंग्रेजी समानार्थी शब्द दिये गए हैं ताकि पाठक सहजता से कोश में प्रयुक्त शब्दों के भाव समझ सकें। शब्दों के शुद्ध उच्चारण के सम्बन्ध में सदैव मतभेद रहा है, मुख्यतः विदेशी भाषाओं के सन्दर्भ में। इस समस्या के निदान के लिए इसमें विदेशी शब्दों के शुद्ध उच्चारण में एक व्यावहारिक समझौता किया गया है, जैसे— Colour के वास्तविक उच्चारण ‘कलअॅ’ के स्थान पर ‘कलर’ ही रखा है, इस प्रकार ‘अ’, (R) ‘र’ की ध्वनि से समझौता किया गया है। उसी तरह Art के शुद्ध उच्चारण में ‘आट’ के स्थान पर ‘आर्ट’ स्वीकारा है। नाटक के एक शब्द ‘Daddy’ के लिए ‘पितातुल्य’ प्रतिष्ठित ‘नाट्यकर्मी’ के साथ उर्दू के शब्द ‘उम्रदराज फनकार’ को भी लिया गया है। अंग्रेजी शब्दों के हिन्दी सुबोध पर्यायों के लिए विभिन्न भारतीय भाषाओं के बोलचाल से जुड़े अनेक शब्दों को स्वीकार किया गया है। जैसे—‘Dedicated Artist’ के लिए ‘जुझारू कलाकार’, ‘व्रती कलाकार’ आदि। शब्दों के अधिकाधिक पर्याय देने के प्रयास में उनके भावार्थ से जुड़े भाव को प्राथमिकता दी गई है। जैसे Design शब्द के 18 तो Aesthetics के 9 पर्याय दिये गए हैं। यह कोश कभी-कभार कला के किसी शब्द की जानकारी मात्र देने वाला कोश नहीं है, कला के विद्यार्थियों, कला प्रेमियों और जिज्ञासुओं के लिए महत्त्वपूर्ण पाठ है। भारत में बहुउपयोगी कलाओं के समग्र कोश की रचना का यह सम्भवतः पहला प्रयास है, अतः इसमें अनेक त्रुटियों और कमियाँ रह गई होंगी। मुझे आशा है कि सुधी-पाठक इसे और समृद्ध करने के लिए अपने बहुमूल्य सुझावों से हमें अवगत करायेंगे।
Adhunik Vividh Kala Shabdsagar

Adhunik Vividh Kala Shabdsagar

Roop Narayan Batham

1500

₹ 1200

Vishva Kala Gyan Kosh

  • Author Name:

    Roop Narayan Batham

  • Book Type:
  • Description: ‘विश्व कला ज्ञान कोश’ भारत की किसी भी भाषा में कला और कलाकार विषयक पहला सन्दर्भ ज्ञान कोश है, जिसमें विद्यार्थियों, अध्यापकों तथा सामान्य कला प्रेमियों के लिए विश्व की कला और कलाकारों से जुड़ी हजारों सामान्य ज्ञान की जानकारियाँ एक ही स्थान पर जुटाई गई हैं। कला और कलाकारों की समग्रता की संक्षिप्त, सरल और रोचक ढंग से जानकारी देना इस कोश का मुख्य उद्देश्य है। कला के तकनीकी शब्दों की पारिभाषिक जानकारी, देशी तथा विदेशी कलाकारों के नाम तथा उच्चारण, जीवन-काल, योगदान, प्रेरक संस्मरण, कालानुक्रमिक विश्व कला का विकास, विश्व के कलातीर्थ, शैक्षणिक व शोध-संस्थान, कला के क्षेत्र में छात्रवृत्ति देने वाले विश्वविद्यालय तथा फाउण्डेशन आदि से सम्बन्धित जानकारियाँ भी इसमें संग्रहित हैं। छात्रों और प्राध्यापकों के लिए मार्गदर्शक और संग्रहणीय कोश।
Vishva Kala Gyan Kosh

Vishva Kala Gyan Kosh

Roop Narayan Batham

2500

₹ 2000

Vaigyanik Kosh

  • Author Name:

    Shanti Gunakar Muley

  • Book Type:
  • Description: विज्ञान और वैज्ञानिकों का मनुष्य-जीवन और सभ्यता के लिए अतुल्य योगदान रहा है। विकास के रथ को तीव्र गति से आगे बढ़ाने में उन्होंने बहुधा अपने जीवन और जीवन की सुख-सुविधाओं तक को महत्त्व नहीं दिया। यह ‘वैज्ञानिक कोश’ संसार के ऐसे ही वैज्ञानिकों से हमारा परिचय कराता है जिनके आविष्कारों और खोजों ने दुनिया को इतना उन्नत और सुविधाजनक बनाया है जिसमें रहते हुए हम मानव-जाति के भविष्य के बारे में सोच सकते हैं। इनमें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित वैज्ञानिक भी शामिल हैं जिनका परिचय अलग से दिया गया है। हिन्दी में अभी तक ऐसी और इतनी विस्तृत पुस्तक उपलब्ध नहीं थी। यह हिन्दी के प्रमुख विज्ञान-लेखक गुणाकर मुळे के बरसों के श्रम का नतीजा है, ‌जिसे अन्तिम रूप उनकी पत्नी और सुपुत्र ने सावधानी और यत्नपूर्वक दिया है। हर पाठक के लिए उपयोगी यह कोश न सिर्फ़ विश्व के महान वैज्ञानिकों के जीवन, उनके आविष्कारों और उपल‌ब्धियों के विषय में आवश्यक जानकारी देता है, बल्कि हमें वैज्ञानिक ढंग से सोचने को भी प्रेरित करता है। परि‌शिष्ट में प्रस्तुत की गई सामग्री इस अध्ययन को और भी उपयोगी बनाती है जिसमें भौतिकी, रसायन और चिकित्सा विज्ञान आदि विषयों की संक्षिप्त एवं सारगर्भित जानकारी दी गई है।
Vaigyanik Kosh

Vaigyanik Kosh

Shanti Gunakar Muley

699

₹ 559.2

Natya Prastuti : Siddhant, Shilp Aur Vidhan

  • Author Name:

    Ramesh Rajhans

  • Book Type:
  • Description: ‘नाट्य प्रस्तुति : सिद्धान्त, शिल्प और विधान’ रंगकर्म में रुचि रखनेवाले उन सभी व्यक्तियों के लिए एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक है, जो नाटक के क्षेत्र में नये हैं और नाट्य-विधा के सम्बन्ध में अधिक विस्तृत व गहन जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। गाँव-कस्बे अथवा छोटे और पिछड़े इलाकों में रहनेवाले वे तमाम प्रतिभाशाली नाट्य-प्रेमी इस कृति से लाभान्वित होंगे जिनके लिए किसी नाट्य-विद्यालय अथवा नाट्य-संस्था में सम्मिलित होना सम्भव नहीं है लेकिन जो छोटी-छोटी रंग-मंडलियाँ बनाकर नाट्य-क्षेत्र में सक्रिय हैं। इस पुस्तक के माध्यम से वे नाट्य-विधा से विधिवत परिचित होंगे और अपनी प्रस्तुतियों को अधिक सम्प्रेषणीय तथा अधिक अर्थवत्तापूर्ण बना सकेंगे। पुस्तक में भारतीय रंग-पद्धति के साथ-साथ पश्चिमी निर्देशकों और प्रस्तोताओं के विचारों और तकनीक का भी वर्णन है। चूँकि आज के नाट्य-मंच का स्वरूप बहुत कुछ ‘प्रोसीन्यम’ है और यह प्रोसीन्यम थियेटर दरअसल पश्चिमी रंग-पद्धति है, इसलिए पश्चिमी रंग-पद्धति और रंग-परम्परा की चर्चा भी इस पुस्तक के दायरे में है। दोनों ही रंग-पद्धतियों के बुनियादी तत्त्व एक हैं और किसी एक रंग-पद्धति को गम्भीरतापूर्वक समझ लेने से दूसरी को समझना काफी सरल है।
Natya Prastuti : Siddhant, Shilp Aur Vidhan

Natya Prastuti : Siddhant, Shilp Aur Vidhan

Ramesh Rajhans

250

₹ 200

Samachar Sampadan

  • Author Name:

    Kamal Dikshit

  • Book Type:
  • Description: हर युवा पत्रकार अपने मन में यथाशीघ्र सम्पादक बनने का सपना सँजोए रहता है। सम्पादन के कार्य की कई सीढ़ियाँ होती हैं। पहली सीढ़ी पर पहुँचने के बाद उसे अपने पहले काम से गुणात्मक रूप से भिन्न काम करना होता है। एक संवाददाता अपने आसपास की घटनाओं में से समाचार लायक़ घटनाओं को चुनकर उसे पाठक की दिलचस्पी के अनुरूप बनाता है। विशिष्ट घटना पर केन्द्रित करने की प्रतिभा इसका एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। सम्पादन के लिए इससे अलग दृष्टि और कौशल की ज़रूरत होती है। इसमें समग्रता से देखने की प्रतिभा के साथ समग्र को एक पैटर्न में रखने और उसमें न आ पानेवाले समाचारों को अलग कर सकने के लिए ज़रूरी दृष्टि और कौशल काम आते हैं। समग्रता के साथ देखने के लिए जिस तरह की मनोवृत्ति की ज़रूरत है और काट-छाँट करने के लिए जिस तरह कठोर और बेरहम दिल की ज़रूरत है, वे किसी सीमा तक विरोधाभासी हैं। फिर भी इन दोनों के संयोग से ही अच्छा सम्पादन सम्भव है। मूलत: पत्रकार कमल दीक्षित ने पत्रकारिता के शिक्षक के रूप में भी प्रतिष्ठा अर्जित की है। सम्पादन का उन्हें लम्बा अनुभव है। अपनी परिपक्व दृष्टि से उन्होंने समाचार सम्पादन के दुरूह कार्य को सरल करने के लिए बड़े ही सहज ढंग से प्रभावी गुर इस पुस्तक में बताए हैं। लेखक एवं पत्रकार महेश दर्पण ने ‘ऑन लाइन एडिटिंग’ की आवश्यकता को प्रभावशाली ढंग से रेखांकित किया है। इससे इस पुस्तक की उपादेयता और बढ़ी है। विश्वास है कि सम्पादक बनने के सपने को मूर्त रूप देने में बहुत सारे लोगों के लिए यह पुस्तक पाथेय सिद्ध होगी।  
Samachar Sampadan

Samachar Sampadan

Kamal Dikshit

60

₹ 48

Navshati Hindi Vyakaran

  • Author Name:

    Badrinath Kapoor

  • Book Type:
  • Description: हमारी भाषा की सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि इसमें भाषा को निर्मित और विकसित करनेवाले देशज तत्त्वों की घोर उपेक्षा की जाती है। रचनात्मक साहित्य का एक हिस्सा भले ही ऐसा नहीं हो, लेकिन शेष लेखन पर तो अंग्रेज़ी भाषा का प्रभाव साफ़ दिखलाई पड़ता है। कहन और शैली ही नहीं, भाषा के स्वरूप का ज्ञान करानेवाला हमारा व्याकरण भी अंग्रेज़ी भाषा के व्याकरणिक ढाँचे से आवश्यकता से अधिक जकड़ा हुआ है। हालाँकि, पिछले कुछ दशकों से हिन्दी की प्रकृति और प्रवृत्ति के अनुरूप व्याकरण प्रस्तुत करने के प्रयास होने लगे हैं। लेखक की इस पुस्तक को इसी प्रयास के क्रम में देखा जाना चाहिए।

    भाषाविद् तथा कोशकार के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुके बदरीनाथ कपूर ने हिन्दी की स्वाभाविक प्रकृति के अनुरूप व्याकरण की रचना करके यह प्रमाणित किया है कि हिन्दी दुनिया की अन्य विकसित भाषाओं की तुलना में अधिक व्यवस्थित होने के साथ-साथ सरल और लचीली भी है। यह एक मात्र ऐसी भाषा है जिसके अधिकतर नियम अपवादविहीन हैं।

    इस पुस्तक से गुज़रते हुए सहज ही यह एहसास होता है कि व्याकरण नियमों का पुलिन्‍दा-भर नहीं होता, वह भाषा-भाषियों की ज्ञान-गरिमा, बुद्धि-वैभव, रचना-कौशल, सन्‍दर्भबोध और सर्जनक्षमता का भी परिचायक होता है।

    हिन्दी का यह सर्वथा नवीन व्याकरण सिर्फ़ छात्रों के लिए ही उपयोगी नहीं होगा, यह उन जिज्ञासुओं को भी राह दिखाएगा जो भाषा की आत्मा तक पहुँचना चाहते हैं।

Navshati Hindi Vyakaran

Navshati Hindi Vyakaran

Badrinath Kapoor

695

₹ 556

Abhinav Hindi Vyakaran

  • Author Name:

    Meenakshi Agrawal

  • Book Type:
  • Description: यह पुस्तक केवल पुस्तक ही नहीं है, बल्कि एक ऐसी व्याकरण अभ्यास-पुस्तिका है जिसे पढ़ने के बाद आप बख़ूबी समझ जाएँगे कि इसे आप तक पहुँचाने की आवश्यकता क्यों पड़ी। शिरोरेखा किसे कहते हैं; यह क्यों आवश्यक है; नुक्ता क्या है; बिन्दु-चन्द्रबिन्दु का प्रयोग कब-कब किया जाता है; श को कैसे-कब लिखा जाता है; ड/ड़ और ढ/ढ़; में क्या अन्तर है; वर्णमाला कैसे याद की जाए; बारहखड़ी से मात्राएँ किस प्रकार सीखी जा सकती हैं; संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया किसे कहते हैं; सन्धि क्या है; समास किसे कहते हैं?—आदि छोटे-छोटे बिन्दुओं की जानकारी के साथ पत्र लिखने की कला पर भी प्रकाश डाला गया है। व्याकरण को गणित के माध्यम से समझने और पढ़ने का तरीक़ा बताया गया है। जैसे—(1) संज्ञा के भेद—3; (2) सर्वनाम के—6 (3X2=6) (3) विशेषण के—4 (6-2=4) आदि। संविधान द्वारा स्वीकृत 18 भाषाओं को वर्ण वर्ग के हिसाब से 3,4,3,5,3 (=18) में बाँटा गया है। पुस्तक में सर्वत्र मानक वर्तनी का प्रयोग किया गया है।
Abhinav Hindi Vyakaran

Abhinav Hindi Vyakaran

Meenakshi Agrawal

200

₹ 160

Persian Hindi Dictionary : Vols. 1-2

  • Author Name:

    Chandrashekhar

  • Book Type:
  • Description: फ़ारसी भाषा, हिन्दी की ही तरह, भारतीय आर्य भाषा उपकुल का एक भाग है। ईरान एवं भारत, दोनों कृषि–प्रधान देश रहे हैं। दोनों की संस्कृतियों में अनेक समानताएँ आज भी विद्यमान हैं। मुग़ल–पूर्व, मुग़ल और मुग़लोत्तर शासन के दौरान हिन्दुस्तान में फ़ारसी भाषा का प्रसार एवं प्रचार अपनी चरम सीमा पर था। कबीरदास, सूरदास, मलिक मुहम्मद जायसी जैसे हिन्दी के कालजयी महान कवियों ने फ़ारसी भाषा के अनेक शब्दों को अपनी भावाभिव्यक्ति का साधन बनाया और उनका रचनात्मक प्रयोग किया। इस प्रकार कहा जा सकता है कि फ़ारसी ने हिन्दी साहित्य की रचनाधर्मिता पर भी अपनी अमिट छाप छोड़ी है। फ़ारसी के अनेक शब्द ऐसे भी हैं, जिनका चलन आज ईरान में लगभग समाप्त हो चला है, लेकिन हिन्दी में वे अब भी जीवित हैं और साहित्य में ही नहीं, आम बोलचाल की भाषा में प्रयोग किए जा रहे हैं। फ़ारसी के अनेक मुहावरे अनूदित होकर हिन्दी की निधि बन चुके हैं। प्रस्तुत ‘फ़ारसी–हिन्दी शब्दकोश’ हज़ारों वर्षों में फैले भारत–ईरान के सांस्कृतिक सम्बन्धों को रेखांकित करनेवाला प्रथम शब्दकोश है। विभिन्न विषयों एवं अलग–अलग परिप्रेक्ष्यों से सम्बन्धित लगभग 25,000 शब्द–प्रविष्टियों से सम्पन्न यह शब्दकोश, जिसमें पुरातन और नवीन दोनों प्रकार की अर्थ–परम्पराओं का समावेश है, प्राचीन और अर्वाचीन शब्दों का सुन्दर मिश्रण है। आशा है, यह शब्दकोश विभिन्न प्रकार के अध्ययनकर्ताओं तथा सामान्य पाठकों के लिए समान रूप से उपयोगी सिद्ध होगा।
Persian Hindi Dictionary : Vols. 1-2

Persian Hindi Dictionary : Vols. 1-2

Chandrashekhar

1500

₹ 1200

Route to Oral Literature

  • Author Name:

    Anvita Abbi

  • Book Type:
  • Description: The 13 scholarly papers included in this volume testify to the management of various genres of oral literature and culture, reflecting the initial points of interaction with the environment and geographic space occupied by the speakers. The presentations address issues related to history, identity, indigeneity, ideology, belief, and nativism, focusing on the myths, legends, tales, songs, birds, lullabies, proverbs, riddles, and games of Northeast India. The exploration of oral literature reveals the deep connection between these forms and the region's natural habitat, a bond that surpasses political divisions and artificial barriers.
Route to Oral Literature

Route to Oral Literature

Anvita Abbi

225

₹ 186.75

Lottery Ticket Evam Anya Kahaniyan Stories Book

  • Author Name:

    Arun Rohankar

  • Book Type:
  • Description: कहानियों के माध्यम से जीवन के अनेक अनोखे पहलुओं को नाटकीय और रोचक ढंग से प्रस्तुत करना लेखक के लिए एक सुखद अनुभव होता है। ये कहानियाँ न केवल पाठकों का मनोरंजन करती हैं, बल्कि उन्हें सोचने-समझने के लिए प्रेरित भी करती हैं। इस संग्रह की कई कहानियाँ विशिष्ट अनुभूतियाँ प्रदान करती हैं। वे कभी मानव जीवन के विविध रूपों को उजागर करती हैं तो कभी हमारे आसपास की दुनिया के रहस्यों की झलक दिखाती हैं। हर कहानी अपने आप में विशिष्ट है- चाहे वह किसी अप्रत्याशित मोड़ की बात हो, किसी गहरी व्यक्तिगत अंतर्दृष्टि का खुलासा हो या फिर ऐसी दुनिया की झलक हो, जिसकी हमने कल्पना तक न की हो। जैसे-जैसे आप 'लॉटरी टिकट एवं अन्य कहानियाँ' के इस संग्रह में यात्रा करेंगे, जीवन के आपको विविध रंगों का दिग्दर्शन होगा। आशा है, ये कहानियाँ आपके हृदय से संवाद करेंगी और अंतिम पृष्ठ पलटने के बाद भी आपके मन पर गहरी छाप छोड़ेंगी। संभव है कि इनमें आपको ऐसे पात्र मिलें, जो आपको स्वयं की या किसी ऐसे व्यक्ति की याद दिलाएँ, जिन्हें आप जानते हैं।
Lottery Ticket Evam Anya Kahaniyan Stories Book

Lottery Ticket Evam Anya Kahaniyan Stories Book

Arun Rohankar

300

₹ 240

Bhartiya Jyotish Vigyan

  • Author Name:

    Ravindra Kumar Dubey

  • Book Type:
  • Description: प्रत्येक काल में मनुष्य के ज्ञान की एक सीमा रही है । अज्ञात क्षेत्र का ज्ञान प्राप्‍त करने के प्रयास सदैव जारी रहे हैं । प्राचीन भारत में ज्योतिष विज्ञान एक प्रमुख विज्ञान था । लेकिन किसी भी विषय का सामान्य ज्ञान जनसाधारण को न होने की दशा में उस विषय के प्रति जनसामान्य में अनेक भ्रांतियाँ पैदा हो जाती हैं । वैसा ही कुछ ज्योतिष के बारे में भी है । लेकिन ज्योतिष एक पूर्ण विज्ञान है । जनसामान्य को ज्योतिष की विज्ञान-सम्मत जानकारी हासिल कराना, वह ज्योतिष के अर्द्धज्ञानी व्यक्‍त‌ियों की ' पैसा खींचू मानसिकता ' का शिकार न बने तथा ज्योतिष विज्ञान के वास्तविक लाभ अपने परिवार एवं समाज हेतु प्राप्‍त हों—ये ही इस पुस्तक के उद‍्देश्य हैं ।
Bhartiya Jyotish Vigyan

Bhartiya Jyotish Vigyan

Ravindra Kumar Dubey

400

₹ 320

Academics and References on Rachnaye is where students, researchers, UPSC/State PSC aspirants, teachers, and lifelong learners find reliable learning material across Indian languages. You’ll see textbooks, guides, solved papers, competitive exam prep, language reference books, dictionaries, grammar titles, academic essays, and subject-wise companions spanning Science, Humanities, Commerce, Law, and Social Sciences.

1) What is included in academic and reference books?

Academic and reference books include textbooks, exam guides, solved papers, dictionaries, grammar books, encyclopedias, and subject companions for students and adult learners.

2) Which academic books are best for beginners?

Beginners should start with basic concept textbooks, foundation-level guides, and simplified reference books that explain ideas in clear language.

3) What are the most useful reference books for Indian students?

Dictionaries, grammar guides, general knowledge yearbooks, exam preparatory manuals, and subject-wise notes are the most commonly used reference resources.

4) Are reference books helpful for competitive exams?

Yes. Reference books help clarify core concepts and provide revision tools for UPSC, SSC, State PSC, Banking, Railways, and teaching exams.

5) Where can I buy academic books online in Indian languages?

You can buy Hindi, Marathi, Tamil, Bengali, Urdu, and English academic books on Rachnaye directly from publishers to ensure accuracy and authenticity.

6) What is the difference between a textbook and a reference book?

A textbook teaches a full syllabus from start to finish, while a reference book explains topics, definitions, and concepts in a structured, consult-as-needed format.

7) Which reference books help improve grammar and vocabulary?

Language dictionaries, grammar guides, usage manuals, and thesauruses are ideal for improving grammar and vocabulary in any Indian language.

8) How do I choose the right academic book for my subject?

Check the latest edition, syllabus alignment, language preference, publisher reputation, and user reviews before purchasing.

9) Are academic books available in Hindi and regional languages?

Yes. Academic and reference books in Hindi, Marathi, Tamil, Bengali, Odia, and Urdu are widely available, especially for school and competitive exam categories.

10) How often should academic reference books be updated?

Reference books should ideally be updated every 1–2 years to reflect syllabus changes, new exam patterns, and updated general knowledge.

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