Shribharat Vijaya
Author:
Acharya Sohanlal RamrangPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Mythology0 Reviews
Price: ₹ 560
₹
700
Available
श्री भरत विजय महर्षि वाल्मीकि के अनुसार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम राघवेंद्र के लौकिक जीवनकाल की अंतिम घटना है। कथानक वर्णन में केकय देश आततायी गंधर्वों के कारण अनेक संकटों से ग्रस्त हो गया। इनसे मुक्ति पाने के लिए अयोध्या नरेश श्रीराम से प्रार्थना की गई।
केकय देश को गंधर्वों के आतंक से मुक्त करने के लिए श्री भरत के सेनापतित्व में अयोध्या से विशाल चतुरंगिणी सेना चली। इस सैन्याभियान में उनके दोनों पुत्र तक्ष एवं पुष्कल भी साथ थे। सिंधु नद के पार गंधर्वों से भयंकर युद्ध छिड़ गया, निरंतर सात दिनों तक लोक विलयंक युद्ध होता रहा। किंतु किसी प्रकार विजय-प्राप्ति की स्थिति न आती देखकर श्री भरत ने मृत्युदेव के प्रलयंकारी सेवर्कास्त्र का प्रयोग कर तीन करोड़ गंधर्वों का संहार कर डाला। पाँच वर्ष पश्चात् श्री भरत अयोध्या लौटे। ये पाँच क्यों लगे? इसी का उत्तर अन्यान्य शास्त्रों के आधार पर देने का जो प्रयत्न किया गया, वही ‘श्री भरत विजय’ है।
श्रीरामकथा के इस अल्पज्ञान प्रसंग की प्रस्तुति ही श्री भरत विजय के रूप में यह कृति है।
__________________________________________
विषय सूची
अनुच्छेद—पृष्ट
समर्पण—5
प्रणामांजलि—7
श्रीरामकालीन भूगोल——9
श्रीराम कथा का एक विलुप्तप्राय अध्याय : श्रीभरत विजय—11
श्रीभरत विजय के पात्र—43
मार्गदर्शक ग्रंथ एवं कृतियाँ—47
आशीर्वचन—51
ISBN: 9789352665181
Pages: 368
Avg Reading Time: 12 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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