Rajkamal Prakashan Samuh

Rajkamal Prakashan Samuh

5110 Books

Joothi Gali

  • Author Name:

    Hrishikesh Sulabh

  • Book Type:
  • Description: ‘जूठी गली’ जीवनानुभव का एक ऐसा लोक है जिसके भीतर वर्तमान की आँधी में इतिहास की धूल और राख उड़ती रहती है। जब अठारहवीं सदी के आरम्भ में पटना का नाम अज़ीमाबाद हुआ, उन्हीं दिनों जूठी गली की नींव पड़ी थी। उन दिनों से अब तक यह गली ज़िन्दा है। लोग जनमते और विदा होते रहे, मकान बिकते-ढहते-बनते रहे, जूठी गली अपना रूप बदलती रही और किसी ज़िन्दा इनसान की तरह धड़कती रही। इसके बाशिन्दे ख़बरों के रसिया हैं। ख़बरें इस गली में हवा के पर लगाकर उड़ती हैं। जन्म और मृत्यु दोनों के लिए यहाँ समान भाव से सुख-दुःख उपजता है। प्रेम और नफ़रत एक ही बटुए में रखकर लोग आपस में मिलते-जुलते हैं। जो ज़ुबान प्रशंसा करते नहीं थकती वह पीठ फेरते ही निन्दा रस उड़ेलने लगती है। इस गली में मध्यवर्गीय प्रपंचों के कीचड़ में लिथड़कर जीती स्त्रियों के साथ ऐसी स्त्रियाँ भी हैं जो पुरुषों के वर्चस्व को चुनौती देती हैं और परिदृश्य बदल जाता है। राजनीति ने अपने नाख़ूनों के खरोचों से जूठी गली को जो घाव दिए हैं, लोग उन्हें सहलाते हुए जीते हैं। इस गली में जाति-दंश की ज़हरीली हवा बहती है। प्रेम करनेवाले यहाँ सम्मान नहीं, हँसी के पात्र हैं। हृषीकेश सुलभ अपनी रचनाओं में स्वयं नहीं बोलते बल्कि उनके पात्रों का जीवन-व्यापार और परिवेश कथ्य को सघनता से प्रकट करता है। अपनी सहज भाषा की मार्मिकता और आत्मीय कहन के हुनर के सहारे वे कथा के बीहड़ में उतरते हैं और जीवन के ऐसे क्षणों को रचते हैं जो मानवीय गरिमा की रक्षा करते हैं। जूठी गली हमारे समय का जीवन्त दस्तावेज़ है।
Joothi Gali

Joothi Gali

Hrishikesh Sulabh

399

₹ 319.2

Bharat : Ek Vichar-Parampara

  • Author Name:

    Prem Kumar Mani

  • Book Type:
  • Description: भारत क्या है—आज इस सवाल को पूछना, इसके उत्तर तलाश करना और एक राष्ट्र के रूप में भारत की संरचना को समझना बहुत ज़रूरी हो गया है। समय है कि अकादमिक बहसों-विमर्शों से आगे बढ़कर इस सवाल पर आम जन की आम भाषा में बात हो। ‘भारत : एक विचार-परम्परा’ इसी दिशा में एक बड़ा क़दम है। इसका उद्देश्य भारतखंड की हज़ारों वर्षों की सामाजिक-सांस्कृतिक यात्रा पर दृष्टिपात करते हुए यह जानना है कि वह क्या चीज़ है कि ‘हस्ती मिटती नहीं हमारी’? वह क्या तत्व है जो आरम्भ से अब तक इस इतने लम्बे सफ़र की प्रेरणा-पूँजी रहा है। सिन्धु नदी के किनारे उगी-उभरी सभ्यता कैसे आगे बढ़ी; वेदों का, उपनिषदों का समय आया, हड़प्पा और मुअन-जो-दड़ो विकसित हुए, तक्षशिला जैसे ज्ञान के महान केन्द्र अस्तित्व में आए, मगध में विचारों और विचारकों का इतना जमावड़ा हुआ; बौद्ध दर्शन, जहाँ उद्भूत हुआ, मध्यकाल में जिसने विदेशी आक्रान्ताओं का सामना किया, ब्रिटिश शासन का लम्बा औपनिवेशिक दौर देखा, और लम्बे संघर्ष के उपरान्त विभाजन जैसी विभीषिका के साथ स्वतंत्रता प्राप्त की। लेकिन एक विचार के रूप में भारत भारत ही बना रहा; समय से सीखता ख़ुद को बदलता, आगे बढ़ता। यह पुस्तक इस पूरी यात्रा पर दृष्टिपात करती है और हमें अपनी सुदीर्घ वैचारिक परम्परा के मद्देनज़र एक मत स्थिर करने में मदद करती है।
Bharat : Ek Vichar-Parampara

Bharat : Ek Vichar-Parampara

Prem Kumar Mani

699

₹ 559.2

Mini Aur Anya Kahaniyan

  • Author Name:

    Avadhesh Preet

  • Book Type:
  • Description: मिनी और अन्य कहानियाँ अवधेश प्रीत की नई कहानियों का संग्रह है। एक कथाकार के रूप में उन्होंने समाज, राजनीति और निरन्तर बदलते भारतीय यथार्थ को व्यावहारिक भाषा और शिल्प के साथ अंकित किया है। इस संग्रह में शामिल कहानियाँ मौजूदा समय के कई सवालों से रू-ब-रू होते हुए उन्हें हमारे विचार के दायरे में लाती हैं। संग्रह की शीर्षक कथा ‘मिनी’ का फलक इतना व्यापक है जिसमें नए रूप में ढलती स्त्री-चेतना से लेकर समकालीन पत्रकारिता तक कई मुद्दों की तरफ़ हमारा ध्यान जाता है। इसी प्रकार दूसरी कहानी ‘नग्न’ में पुलिस तंत्र में व्याप्त ग़ैर-ज़िम्मेदारी को बहुत कौशल के साथ रेखांकित किया गया है। यह कहानी बताती है कि न्याय की प्रक्रिया में पुलिस की अरुचि के चलते कैसे एक युवती को न सिर्फ़ इंसाफ नहीं मिलता, बल्कि वह अपने जीवन से भी हाथ धो बैठती है। भाषा में स्थानीय लहजे और शब्दों का प्रयोग अवधेश प्रीत की कहानियों को उसी तरह बेहद पठनीय और यथार्थवादी बनाता है, जैसे कहानी से सम्बन्धित सामाजिक, प्रशासनिक और राजनीतिक मुद्दों का ज्ञान उन्हें प्रामाणिक बनाता है। ‘मिनी और अन्य कहानियाँ’ संग्रह में उनकी बारह कहानियाँ संकलित हैं जिनमें व्यापक सामाजिक सरोकारों को चिन्हित करने वाली कहानियों के साथ-साथ ‘कॉफ़ी’ जैसी कहानियाँ भी हैं जहाँ दो बुज़ुर्ग पति-पत्नी पुराने दिनों की याद करते हुए एक भाव-भीगी शाम बिता रहे हैं।
Mini Aur Anya Kahaniyan

Mini Aur Anya Kahaniyan

Avadhesh Preet

299

₹ 239.2

Aadhi Pankti

  • Author Name:

    Anchit

  • Book Type:
  • Description: Aadhi Pankti Poetry
Aadhi Pankti

Aadhi Pankti

Anchit

250

₹ 200

Baghin Ki Sawari

  • Author Name:

    Chandrakishore Jaiswal

  • Book Type:
  • Description: ‘बाघिन की सवारी’ संग्रह की कहानियाँ जीवन और समाज का एक वृहद ‘स्पेक्ट्रम’ पाठक के सामने रखती हैं। एक के बाद एक कहानी से गुजरते हुए हम कहीं गहन करुणा से आप्लावित होते हैं तो कहीं अपनी दुनिया की विसंगतियों से क्षुब्ध। कहीं किसी पात्र की असहायता हमें भिगो देती है तो कहीं किसी का संकल्प हमें आजादी की एक दिशा दे जाता है। ‘सहेलियाँ’ शीर्षक कहानी में दो सखियों की तरह प्रेम और विवाह जैसे विषयों पर खुलकर बतियातीं माँ वत्सला और बेटी गुंजन ऐसे ही पात्र हैं जो धीरे-धीरे बदलते हमारे समय को परम्परा की धारा से एकदम नहीं तोड़ना चाहते और नई सम्भावनाओं—परिवर्तनों से मुँह भी नहीं फेरते। वहीं ‘बेटा का घर’ कहानी के हताश माँ-पिता अपने परिवार में मगन बेटे के व्यवहार और अपनी विवशताओं को सोच आँख गीली कर लेते हैं, और पाठक को मौजूदा समय के प्रति सचेत कर जाते हैं। वृद्धावस्था और उससे जुड़े दुखों पर ये कहानियाँ बार-बार दृष्टिपात करती हैं। यह ऐसा विषय है जिस पर चन्द्र‌किशोर जायसवाल अकसर लौटे हैं। इस संग्रह में ‘रोवनहार’ शीर्षक कहानी पूरी तरह इसी विषय पर के‌न्द्रित है जहाँ चार बेटों और बहुओं-पोतों से भरे घर में रामजनम चौधरी को वास्तविक लगाव अपने किराएदार की बच्ची से मिलता है, उन्हें लगता है कि उनके मरने पर और भले कोई न रोए वह जरूर रोएगी। संग्रह की शीर्षक कथा ‘बाघिन की सवारी’ सत्ता और सुख से मोहभंग और लगाव की लम्बी कहानी है जिसमें हमारी मुलाकात जवानी में साधु बने एक ऐसे व्यक्ति से होती है जो बीस साल बाद वापस, कदम-दर-कदम चलते हुए समाज और उसके सत्ता-व्यूह में दाखिल होता है।
Baghin Ki Sawari

Baghin Ki Sawari

Chandrakishore Jaiswal

299

₹ 239.2

Calcutta Cosmopoliyan : Dil Aur Dararein

  • Author Name:

    Alka Saraogi

  • Book Type:
  • Description: अलका सरावगी अपने उपन्यासों में कॉस्मोपॉलिटन कलकत्ता की नई-नई गाथाएँ लेकर आती रही हैं। कलकत्ता के अलग-अलग काल-खंडों का, एक ही काल में रह रही अलग-अलग जीवन-स्थितियों का, अलग-अलग धर्मों और संस्कृतियों के टकराव और सामंजस्य का, उसके नए-नए कोणों और रहस्यों का, उसके दिल की दरारों का उत्खनन ‘कलकत्ता कॉस्मोपॉलिटन : दिल और दरारें’ में भी जारी है।

    यह ‘सुनील बोस’ की गाथा है जो एक मुस्लिम लड़की ‘दीबा’ से निकाह के लिए धर्मान्तरण करके ‘मोहम्मद दानियाल’ बन गया है। एक निम्नवर्गीय जीवन-स्थिति में बहुत सारे भीतरी और बाहरी संघर्षों के बीच नौकरियाँ और मकान बदलते हुए अपनी पहचान छुपाते या दूसरी पहचान ओढ़ते हुए उनका जीवन आगे बढ़ रहा है। इसी जीवन में ‘सुनील बोस’ और ‘मोहम्मद दानियाल’ के द्वन्द्व और द्वैत के रास्ते उपन्यास में सच और झूठ के बीच का फ़रेब भी मारक और मार्मिक होता जाता है।

    उपन्यास में इस मुख्य कथा के समानान्तर कलकत्ता की अँधेरी और उमस-भरी गलियों में रहनेवाले लड़ते-जूझते लोगों की कथाएँ भी चलती रहती हैं, जिनके जीवन में ग़लत और सही का हिसाब कब जीवन के अभावों और सपनों, यथार्थ और लालसाओं के बीच के तनाव का हिसाब बन जाता है, यह पता ही नहीं चलता। इसके बीच तमाम चरित्रों के ओढ़े हुए व्यक्तित्व जहाँ तार-तार होते हैं और हम उनके भीतर का ग़लीज़ देख पाते हैं वहीं अनेक चरित्रों में इनसानी गरिमा और ऊँचाई भी बारम्बार प्रकट होती है।

Calcutta Cosmopoliyan : Dil Aur Dararein

Calcutta Cosmopoliyan : Dil Aur Dararein

Alka Saraogi

399

₹ 319.2

Patkatha Lekhan : Vyavaharik Nirdeshika

  • Author Name:

    Asghar Wajahat

  • Book Type:
  • Description: फ़िल्मों और टी.वी. के सर्वाधिक लोकप्रिय कार्यक्रम, धारावाहिक के लिए पटकथा अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त डाक्यूड्रामा और डाक्यूमेंट्री फ़िल्मों के लिए भी दृश्य-श्रव्य केन्द्रित लेखन आवश्यक है। फ़िल्म और टेलीविज़न के व्यापक होते क्षेत्र में शिक्षापरक/ज्ञानपरक मल्टीमीडिया कार्यक्रम भी आकर जुड़ गए हैं। ज्ञान और शिक्षा के अपार भंडार को दृश्य-श्रव्य माध्यम से उपलब्ध कराने की चुनौती भारत सरकार के मानव-संसाधन मंत्रालय के अतिरिक्त अनेक अन्य संगठनों ने ली है। प्रोग्राम प्रोडक्शन के क्षेत्र में यदि अभाव है तो पटकथा लेखकों का है। इसके कई कारण हैं। प्रोग्राम प्रोडक्शन सम्बन्धी तकनीकी प्रशिक्षण देने की तुलना में पटकथा-लेखन के पाठ्यक्रम बहुत कम हैं। जिन संस्थानों में पटकथा-लेखन के कार्यक्रम चलाए जाते हैं, वहाँ प्रायः अच्छे शिक्षकों की कमी बनी रहती है और यह भी ज़रूरी नहीं है कि अच्छा पटकथा लेखक अच्छा शिक्षक भी हो। प्रस्तुत पुस्तक में सिनेमा के इतिहास, सैद्धान्तिकी और समीक्षा इत्यादि पर कोई चर्चा नहीं की गई है, क्योंकि पुस्तक का उद्देश्य पटकथा के व्यावहारिक पक्ष को सामने लाना है। यह पुस्तक पटकथा-लेखन में रुचि लेनेवाले विद्यार्थियों तथा अन्य सभी पाठकों के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकती है। इस व्यावहारिक निर्देशिका में पटकथा के एक-एक बिन्दु की चर्चा की गई है। पुस्तक का उद्देश्य है कि इसके माध्यम से पटकथा-लेखन की तकनीक सीखी जा सके।
Patkatha Lekhan : Vyavaharik Nirdeshika

Patkatha Lekhan : Vyavaharik Nirdeshika

Asghar Wajahat

495

₹ 396

Daryaganj Via Bazaar Fatte Khan

  • Author Name:

    Sujata

  • Book Type:
  • Description: नीनो फ़त्ते ख़ाँ बाज़ार, बहावलपुर ही रह गई होती, तो शायद वैसी ही होती जैसी अब भी वहाँ रह रही हज़ारों औरते हैं। एक हवेली से दूसरी हवेली में दुल्हन बन कर जाती और ढेर सारे पोते-पोतियों की विरासत छोड़ कर दुनिया को विदा कहती। लेकिन 1947 में नीनो दरयागंज पहुँच गई। बसना चाहा। बिखर गई। एक औरत की यह उजड़न सिर्फ़ उसकी कहानी न रह सकी, राजनीति और इतिहास की अनुगूँजों से भरी हुई वह उसकी सन्तानों में, पोते-पोतियों में रिसती चली गई—तीन पीढ़ियाँ एक अन्तहीन अजनबियत के सिलसिले में बँधी हुईं। दिल्ली वाले मुल्तानी मिट्टी तो जानते हैं। मुल्तान के लोग भी थे, उनकी ज़बान भी थी, उनकी तहज़ीब भी थी—यह कोई नहीं जानता। वह सब दिल्लीवाला बनने की जल्दबाज़ी में, पाकिस्तान से आए पंजाबी न कहलाने के डर में धीरे-धीरे खोता जा रहा है। तीन पीढ़ियों का यह आख्यान विभाजन की उस महात्रासदी से आगे बढ़ता है जिसे हम सब जानते हैं। यह उस अनकही दास्तान को खोलता है जिसमें रिफ़्यूजी दिल्ली में बसे और दिल्ली ख़ुद रिफ़्यूजियों से बसी। दोनों ने एक-दूसरे को नया चेहरा दिया—धीरे-धीरे, दर्द के साथ। मुल्तान की खोई गलियों से दिल्ली के ज़ख़्मी दिल तक, कश्मीर की ख़ामोश, बेचैन वादियों से बॉम्बे की धड़कन तक—यह एक विस्तृत और मार्मिक गाथा है ज़बान की, भूगोल की, और कभी न थमने वाली भटकन की। यह कहानी बताती है कि जब वह सब कुछ जो घर कहलाता है, राख हो जाए, तब भी क्या है जो बचा रह जाता है। एक बड़े जमाने और उसे जीने वाले बड़ी कद-काठी के लोगों और इत‌िहास की शक्ल बदलने वाली बड़ी घटनाओं का आख्यान है यह उपन्यास जो एक तरफ अगर क़िस्सागोई की नई उठान को संभव करता है, तो दूसरी ओर भाषा के संयम और सामर्थ्य को एक नई ऊँचाई देता है।
Daryaganj Via Bazaar Fatte Khan

Daryaganj Via Bazaar Fatte Khan

Sujata

550

₹ 440

Is Shahar Mein Ik Shahar Tha

  • Author Name:

    Jaya Jadwani

  • Book Type:
  • Description: विभाजन भारतीय उपमहाद्वीप का ऐसा दारुण जख़्म है जो न जाने कितने दिलों के भीतर मुसलसल टीस रहा है। जया जादवानी का उपन्यास ‘इस शहर में इक शहर था’ विभाजित सिन्ध और उसके लोगों की कसक और पीड़ा का आख्यान है। यह एक जगह से उजड़ और बिखर कर दूसरी जगहों पर जड़ें जमाने की संघर्ष भरी दास्तान भी है जहाँ ऊपरी तौर पर भले ही सब‌ कुछ सहज लगता हो पर उनकी रूह का एक हिस्सा कहीं बहुत पीछे के शहर में फंसा रह गया है। अपनी रूह के इसी गुम हिस्से की तलाश में उपन्यास का वाचक ‘नन्द’ कराची पहुँचता है जहाँ से उसे शिकारपुर जाना है, जहाँ जाने की उसे अनुमति नहीं है। जहाँ उसे अपने ही जैसे बिखरे हुए लोगों से मिलना है, जिन्हें उसकी तलाश में इस तरह से मद‌द‌गार होना है जैसे वे अपनी ही मदद कर रहे हों। शिकारपुर—जहाँ उसका बचपन बीता है, जहाँ से निकलकर वह बम्बई में रहते हुए दुनिया भर में भटक रहा है। यह स्मृति में धँसी हुई एक ऐसी विलक्षण यात्रा है जहाँ एक बूढ़ा आईने के सामने अपने आपसे सिन्धी में बतिया रहा है; कोई बरसों बाद मिली एक बूढ़ी औरत के साथ रोटी खाते हुए उसकी गोद में रो रहा है, वह श्मशान जहाँ नन्द के लोग जलाए गए, वह गलियाँ जहाँ वे चले, उनमें ठहरते और चलते हुए नन्द अपने पुरखों के तलवों का दुख-दर्द जी रहा है। जहाँ से अपने बचपन के प्यार की एक झलक भर देखकर बिना कुछ कहे वह वापस चला आता है कि बार-बार आने की एक वजह यह भी बनी रहे।
Is Shahar Mein Ik Shahar Tha

Is Shahar Mein Ik Shahar Tha

Jaya Jadwani

250

₹ 200

Door Desh Ke Parinde

  • Author Name:

    Anamika

  • Book Type:
  • Description: यह आवश्यक नहीं कि स्त्री-पुरुष का सम्बन्ध नर-मादा का ही हो; एक स्तर ऊपर उठकर वह दो व्यक्तियों, दो मनुष्यों, दो सखाओं का भी हो सकता है। सार्वजनिक स्पेस में एक स्वस्थ सन्तुलन भी तभी साधा जा सकता है जब सम्बन्धों में एक अहैतुक सजगता मौजूद रहे, और स्त्री की सहज सकारात्मकता इसमें निर्णायक भूमिका निभा सकती है। ‘दूर देश के परिन्दे’ उपन्यास बीसवीं सदी में, स्वतंत्रता-प्राप्ति के आसपास के वर्षों में दीप्तिमान ऐसे विश्व-प्रसिद्ध लोगों के जीवन में आईं स्त्रियों की कथा कहता है जो अपने समय की स्त्रियों के विशेष प्रिय रहे; कुछ था उनमें जिसके चलते स्त्री-मन उन्हें उम्मीद से देखता था कि उनकी अगुवाई में जो समाज बनेगा उसमें धैर्य, ममता, सहिष्णुता और त्याग जैसे गुण स्त्री और पुरुष दोनों में बराबर बँटेगे; दोनों साहचर्य का एक अधिक सृजनात्मक मॉडल विकसित करेंगे। टैगोर, निराला, गांधी, रोमां रोलां आदि इनमें से कुछ थे। कई स्त्रियाँ इनके जीवन में आयीं, विवाद भी उठे। इनका ज्यादा त्रास तो स्त्रियों ने ही अनुभव किया जिसके विवरण इस उपन्यास के दृश्यबन्धों और संवादों में अनुस्यूत हैं। उपन्यास का पहला खंड निराला पर केन्द्रित है जहाँ नायिका उनकी अपनी ही बेटी सरोज है; दूसरे खंड की नायिका है ज्याँ क्रिस्तोफ की माँ डोरोथी जिनके विषय में कल्पना की गई है कि वे रोमां रोलां की केयरटेकर टाइपिस्ट थीं, तीसरे खंड की नायिकाएँ गांधी के ब्रह्मचर्य-विषयक प्रयोगों की साक्षी और सहचर रहीं मीरा बेन और कस्तूरबा हैं। चौथे खंड के केन्द्र में है भारत में ग्रामोफ़ोन की प्रथम गायिका गौहर जान और पाँचवाँ खंड समर्पित है टैगोर की प्रेरणा कही जाने वाली रानू को। यहाँ वे सब अपनी कथा कहती हैं और दोस्त-समाज की इस संकल्पना को बल देती हैं कि जिस आत्म-परिवर्तन की उम्मीद स्त्रियाँ पुरुषों से करती रही हैं, संसार के सुदीर्घ, स्थायी और ऊर्ध्वमुखी बदलाव के लिए भी वह एक आधारभूत शर्त है।
Door Desh Ke Parinde

Door Desh Ke Parinde

Anamika

499

₹ 399.2

Sarakfanda

  • Author Name:

    Vandana Rag

  • Book Type:
  • Description: बिट्टो अपनी माँ लाजो के जीवन और समय को समझने की यात्रा पर निकली है, जिनकी पत्थर मारकर हत्या कर दी गई है। बिट्टो के स्कूली दोस्तों का एक समूह है जहाँ भिन्न धार्मिक पहचान रखनेवाले ‘दोस्त’ समूह से बाहर खदेड़ दिए गए हैं; और बिट्टो जो इस बँटवारे के ख़िलाफ़ है, उससे पूछा जा रहा है कि “सू, हमेशा गुस्से में क्यों रहती है आजकल तू?” यह रोमान के ख़त्म होने और उसके कॉम्प्लिकेटेड होते जाने का भी आख्यान है। ‘सरकफंदा’ विभाजन की डरावनी निरन्तरता के बारे में है, जहाँ लोग देश से प्यार का दम तो भरते हैं लेकिन आपसी बन्धुत्व की भावना को ख़त्म करने में लगे हैं। ‘सरकफंदा’ का एक सिरा गुलाम भारत में खुलता है दूसरा निपट वर्तमान में। दोनों के बीच वह भविष्य है जिस पर यह कसता ही जा रहा है। इस उपन्यास में बिल्ला उर्फ़ लाइब्रेरियन एक अद्भुत रूपक और रिलीफ़ की तरह उपस्थित है जो अतीत और वर्तमान, भ्रम और ज्ञान के सरकफंदे के बीच निर्लिप्त आवाजाही रखता है और वर्तमान पर क़ाबिज़ घातक परछाइयों के बीच अपने खेल से जीवन की स्वाभाविकता को राह दिखलाता चलता है। लाजो और बिट्टो का सिनेमची होना भी वह दूरी सम्भव करता है कि घट रहे को उसके घटाटोप से ज़रा दूर होकर देखा जा सके। हमारे समय के यथार्थ की सघन, आवेग-भरी, कलात्मक दुनिया।
Sarakfanda

Sarakfanda

Vandana Rag

399

₹ 319.2

Shisha Ghar

  • Author Name:

    Pratyaksha

  • Book Type:
  • Description: ‘शीशाघर’ के केन्द्र में एक परिवार है जो सन् सैंतालिस में बिखरना शुरू होता है तो बिखरता ही जाता है। और जब हम एक मुल्क के, एक भरी-पूरी दुनिया के विभाजित होते जाने की त्रासदी से गुज़र रहे होते हैं तब एक इलहाम की तरह यह बात भीतर प्रकट होती है कि यह उपन्यास विभाजन और बिखराव से ज़्यादा उस अन्दरूनी इनसानी एकता के बारे में है जो इसके चरित्रों को बिखरकर भी बिखरने नहीं देती और वे एक-दूसरे से हज़ारों किलोमीटर दूर, दूसरे देशों में अपना रोज़मर्रा का जीवन जीते हुए भी एक-दूसरे से गहरे तौर पर जुड़े हुए हैं। इस उपन्यास के केन्द्र में है प्रेम, जिसका प्रवाह धर्म, नस्ल, राष्ट्र और भूगोल के सिरों को धूमिल करता, साथ ही लोगों के बसने, उजड़ने और फिर बसने की यादों को सहेजता चलता है। केन्द्रीय कथा से इतर भी इसमें बहुतेरे ऐसे चरित्र हैं जो प्रेम की आग में झुलसकर बन और बिगड़ रहे हैं या कि उनका व्यक्तित्व उस प्रेम की याद से बन रहा है। कभी न भूलनेवाले यादगार किरदारों, उनके द्वन्द्व और चाहनाओं, ज़िद और लापरवाहियों से बुनी हुई, देखी-जानी दुनिया के समानान्तर उतनी ही ज़िन्दा, सम्मोहक और मानीख़ेज़ एक दूसरी दुनिया।
Shisha Ghar

Shisha Ghar

Pratyaksha

450

₹ 360

Jahaz Paanch Paal Wala

  • Author Name:

    Savita Bhargav

  • Book Type:
  • Description: ‘जहाज़ पाँच पाल वाला’ के केन्द्र में तीन ख़ुद-मुख़्तार स्त्रियाँ—वर्तिका, चारुचित्रा और एमिली— हैं जिन्होंने लीक तोड़ते हुए, अपने घर-परिवार, परम्परा और आसपास की पितृसत्तात्मक दुनिया के द्वारा आरोपित तमाम अवरोधों से जूझते हुए अपने लिए अलग राह चुनी और रंगमंच और जीवन दोनों ही इलाकों में एक क़ाबिले-रश्क जगह बनाई। यहाँ परदे के पीछे से समय और घटनाओं के दबाव के बीच रंगमंच की राजनीति है तो मंच पर इन नायिकाओं का हलचल पैदा करनेवाला बिन्दास जीवन, जहाँ जीवन और रंगमंच एक दूसरे का आईना बनते जा रहे हैं और बरसों पहले खेले गए नाटकों के अनेक प्रसंगों की त्रासद छायाएँ उनके वास्तविक जीवन में एक उदास निरन्तरता में गिर रही हैं। अपने निजी सम्बन्धों में ये कई बार ऐसे विरोधाभासों से युक्त दिखाई पड़ती हैं जो बताते हैं कि मुक्ति और बराबरी की यह लड़ाई कितनी मुश्किल होनेवाली है। असल में खोजे जा रहे रास्ते और दुनिया उनके लिए इतनी नई है कि यह नितान्त स्वाभाविक है कि इस खोज में कई बार भटकाव भी दिखें। चारुचित्रा और उसकी बेटी का पहाड़ी बाबा के सम्मोहन में फँसकर जान गँवाना त्रासद है लेकिन यही बात इन्हें एक वास्तविक दुनिया की रहवासी भी बनाती है। यह उपन्यास सांस्कृतिक रूप से उर्वर शहर भोपाल में घटित होता है। भोपाली हिन्दी का प्रयोग इसे एक गाढ़ा स्थानीय रंग और विश्वसनीयता देता है जहाँ से यह उन सारी स्त्रियों की गाथा बन जाता है जो अपने-अपने शहरों में अपने मन का जीवन जीने की लड़ाई लड़ रही हैं।
Jahaz Paanch Paal Wala

Jahaz Paanch Paal Wala

Savita Bhargav

499

₹ 399.2

Calcutta Cosmopolitan : Dil Aur Dararein

  • Author Name:

    Alka Saraogi

  • Book Type:
  • Description: अलका सरावगी अपने उपन्यासों में कॉस्मोपॉलिटन कलकत्ता की नई-नई गाथाएँ लेकर आती रही हैं। कलकत्ता के अलग-अलग काल-खंडों का, एक ही काल में रह रही अलग-अलग जीवन-स्थितियों का, अलग-अलग धर्मों और संस्कृतियों के टकराव और सामंजस्य का, उसके नए-नए कोणों और रहस्यों का, उसके दिल की दरारों का उत्खनन ‘कलकत्ता कॉस्मोपॉलिटन : दिल और दरारें’ में भी जारी है। यह ‘सुनील बोस’ की गाथा है जो एक मुस्लिम लड़की ‘दीबा’ से निकाह के लिए धर्मान्तरण करके ‘मोहम्मद दानियाल’ बन गया है। एक निम्नवर्गीय जीवन-स्थिति में बहुत सारे भीतरी और बाहरी संघर्षों के बीच नौकरियाँ और मकान बदलते हुए अपनी पहचान छुपाते या दूसरी पहचान ओढ़ते हुए उनका जीवन आगे बढ़ रहा है। इसी जीवन में ‘सुनील बोस’ और ‘मोहम्मद दानियाल’ के द्वन्द्व और द्वैत के रास्ते उपन्यास में सच और झूठ के बीच का फ़रेब भी मारक और मार्मिक होता जाता है। उपन्यास में इस मुख्य कथा के समानान्तर कलकत्ता की अँधेरी और उमस-भरी गलियों में रहनेवाले लड़ते-जूझते लोगों की कथाएँ भी चलती रहती हैं, जिनके जीवन में ग़लत और सही का हिसाब कब जीवन के अभावों और सपनों, यथार्थ और लालसाओं के बीच के तनाव का हिसाब बन जाता है, यह पता ही नहीं चलता। इसके बीच तमाम चरित्रों के ओढ़े हुए व्यक्तित्व जहाँ तार-तार होते हैं और हम उनके भीतर का ग़लीज़ देख पाते हैं वहीं अनेक चरित्रों में इनसानी गरिमा और ऊँचाई भी बारम्बार प्रकट होती है।
Calcutta Cosmopolitan : Dil Aur Dararein

Calcutta Cosmopolitan : Dil Aur Dararein

Alka Saraogi

399

₹ 319.2

Bhagwatigita

  • Author Name:

    Ashok Kumar Sharma

  • Book Type:
  • Description: Bhagwati gita
Bhagwatigita

Bhagwatigita

Ashok Kumar Sharma

150

₹ 120

Hindustani Shastriya Sangeet Ka Shabd Kosh

  • Author Name:

    Pandit Amarnath

  • Book Type:
  • Description: पंडित अमरनाथ को ‘संगीतकारों का संगीतकार’ कहा जाता है। इस कोश में उन्होंने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की तकनीकी शब्दावली को जन साधारण के हितार्थ बहुत आसान शब्दों में प्रस्तुत किया है। ‘आवर्त’ और ‘खरज भरना’ जैसे जटिल पदों से लेकर ‘मूर्छना’ और ‘श्रुति’ जैसी सांगीतिक शब्दावली को व्याख्यायित करते हुए यहाँ वे हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की उन परम्पराओं, उसके दार्शनिक और कला-पक्षों को सहृदय श्रोताओं-पाठकों के लिए बोधगम्य कर रहे हैं जिनका ज्ञान अभी तक उस्तादों और पारखी जनों तक ही सीमित था। संगीत क्षेत्र के महान गुरुओं की प्रसिद्ध उक्तियों और प्रचलित कहावतों-मुहावरों की पृष्ठभूमि और अर्थ-विश्लेषण इस शब्दकोश को और भी पठनीय तथा रुचिकर बनाता है। पंडित अमरनाथ इनकी व्युत्पत्त‌ि व संगीत के अभ्यास व प्रस्तुति में उनके निहितार्थों को दिलचस्प ढंग से स्पष्ट करते हैं। पुस्तक की विशेष उपलब्धि रेखा भारद्वाज की प्रस्तावना और पंडितजी की सुपुत्री बिन्दु चावला द्वारा‌ लि‌खित उनका जीवन- परिचय है। संगीतप्रेमी पाठकों, छात्रों, भाषाविदों और इतिहास अध्येताओं के लिए यह पुस्तक समान रूप से उपयोगी है।
Hindustani Shastriya Sangeet Ka Shabd Kosh

Hindustani Shastriya Sangeet Ka Shabd Kosh

Pandit Amarnath

595

₹ 476

Bharatiya Nepali Sahitya Ka Vaigyanik Itihas

  • Author Name:

    Dr. Goma Devi Sharma

  • Book Type:
  • Description: गोमा देवी शर्मा ने हिन्दी भाषा की साहित्येतिहास-परम्परा को एक गौरव-मणि दिया है, जिसके कारण वह नेपाल के नेपाली साहित्य से आगे बढ़कर भारतीय नेपाली साहित्य के इतिहास को अपनी सम्पदा का हिस्सा बना सकीं। उनका इतिहास-ग्रंथ हिन्दी में, भारतीय भाषाओं के पहले से उपलब्ध इतिहासों के परिवार का सदस्य बनकर हमें यह अनुभव कराएगा कि भारत की विविध भाषाओं के बहुरंगी भाषा-उद्यान के मनोज्ञ सौन्दर्य में नेपाली का भी बराबर का योगदान है। आगे बढ़कर, यह अनुभव हमारी उस देशज भारतीयता की चेतना का विस्तार करेगा, जो हमें अपनी मातृभाषाओं में विश्व को पुकारने की प्रेरणा देती है और जिससे हिन्दी जीवन-रस ग्रहण करते हुए इस महान राष्ट्र की समग्र-सम्पूर्ण अभिव्यक्ति का माध्यम बनती है। किसी भी साहित्येतिहासकार को न तो पूरी तरह निर्दोष इतिहास लिखने का दावा करना चाहिए, न पूर्ण अथवा अन्तिम रूप से सही इतिहास लिखने का। ऐसा कोई भी दावा इतिहास के अध्येताओं पर अत्याचार से कम नहीं होता; क्योंकि इससे उनकी ज्ञान की लोकतांत्रिकता पर संकट मँडराने लगता है।...इतिहास के अध्येता स्वयं कुछ प्रश्नों—जिसने इतिहास लिखा है, क्या पहले उसने स्वयं इतिहासकार होने की पात्रता प्राप्त की है? क्या उसके पास इतिहास-दृष्टि है? क्या उसके भीतर इतिहासकार के लिए अनिवार्य नैतिकता-बोध है? क्या उसे इतिहास-दर्शन और इतिहास-लेखन के उद्देश्य की समझ है? क्या वह इतिहास-लेखन की वैज्ञानिक प्रक्रिया से परिचित है? क्या वह विचार-स्वातंत्र्य का पक्षधर है?—आदि पर विचार करने और निर्णय लेने को स्वतंत्र होते हैं। इन प्रश्नों के उत्तर भी इतिहासकार को अनिवार्य रूप से अपने लिखे इतिहास की सामग्री के भीतर ही उसका स्वाभाविक अंग बना कर देने होते हैं...। यह साहित्येतिहास आश्वस्त करता है कि गोमा देवी शर्मा सवालों से भी परिचित हैं, चुनौतियों से भी और अपने दायित्व से भी। उन्होंने वैचारिक-आग्रहों को सूचनाओं के चयन अथवा विवेचन-विश्लेषण पर हावी नहीं होने दिया है।
Bharatiya Nepali Sahitya Ka Vaigyanik Itihas

Bharatiya Nepali Sahitya Ka Vaigyanik Itihas

Dr. Goma Devi Sharma

995

₹ 796

Prarabdha

  • Author Name:

    Niharika

  • Book Type:
  • Description: दिन बीतते रहे। मुन्ना पढ़ने में तेज था। मास्टर जी उसकी खूब बड़ाई करते। स्कूल में पाँच किलास तक पढ़ाई थी तो मुन्ना का पढ़ाई अच्छे से होते रहा। खेती से धान, मकई, मूँग अच्छा हो रहा था। हम अनाज बदलकर जरूरी सामान खरीद लेते और घर खर्च से अधिक रखकर बाकी बेच देते। हजार सोने की मोहर में से एक-चौथाई खर्च हो गया था। चाँदी के सिक्के भी दो-ढाई हजार नग थे। उसमें भी लगभग हजार नग खर्च हो गए थे। इसलिए बक्सा में ताला लगाकर उसे हमने अपने पलंग के नीचे रख दिया था और उस पर टूटे-फूटे बरतन रख दिये। अनाज बेचकर जो पैसा मिलता उससे हम कुछ बचा लेते। मुंशी काका ने आसपास और भी जमीन सस्ते दाम पर खरीद ली थी। अब तक जोत 30 बीघा हो गई थी। बस एक कुआँ बनवाना था हमें, जिससे पानी के लिए गाँव में एक कुएँ पर ही न रहना पड़े। घर भी कुआँ के बिना पूरा नहीं था। मुन्ना की पाँच किलास की पढ़ाई और कुआँ का बनना एक साथ ही सम्पन्न हुआ। अब तक चार दुधारू गाय, दो जोड़ी बैल और एक बैलगाड़ी भी घर में आ गई थी। मुन्ना भी खेती के काम में हाथ बँटाता। पर वह हर दिन मुझसे आगे पढ़ने के लिए शहर जाने की जिद करता। उसके एक-दो संगी-साथी शहर चले गए थे और अपने जान-पहचान में रहकर बड़ी किलास में पढ़ने लगे थे। पर हमारे पास तो कोई उपाय नहीं था।
Prarabdha

Prarabdha

Niharika

250

₹ 200

Dattatreyagita

  • Author Name:

    Ashok Kumar Sharma

  • Book Type:
  • Description: तत्त्वं क्षेत्रं व्योमातीतमहं क्षेत्रज्ञ उच्यते। अहं कर्ता च भोक्ता च जीवन्मुक्तः स उच्यते॥ तत्त्व (सत्य) क्षेत्र (देह) से परे होता है और उसे क्षेत्रज्ञ (आत्मा) कहा जाता है। मैं कर्ता (क्रिया करनेवाला) और भोक्ता (भोग करनेवाला) हूँ। जो इस सत्य को जानता है, वही सच्चा जीवन्मुक्त कहलाता है।
Dattatreyagita

Dattatreyagita

Ashok Kumar Sharma

150

₹ 120

Jab Aadivasi Gata Hai

  • Author Name:

    Jamuna Bini

  • Book Type:
  • Description: जब आदिवासी गाता है की कविताओं में आदिम और आधुनिक, परम्परा और परिवर्तन, प्यार और प्रतिरोध तथा संगीत और सिसकी एक साथ उपस्थित हैं। पूर्वोत्तर के अरुणाचली-आदिवासी समाज और संस्कृति की नैसर्गिक धड़कन इन कविताओं में आसानी से महसूस की जा सकती है, साथ ही वह सोच भी जो कथित मुख्यधारा से परे, अब तक अलक्षित-उपेक्षित पड़े हाशिये के समाजों में अस्मिता की बढ़ती चेतना के साथ मुखर होती गई है। इन कविताओं का एक छोर प्रकृति से सुदीर्घ साहचर्य, और सहस्राब्दियों के अनुभव और यत्न से निर्मित संस्कृति के प्रति कवि के सहज गौरवबोध से बना है, जबकि दूसरा छोर उन सवालों से जो पूरी दुनिया को केवल मुनाफ़े की नज़र से देखने वाली शक्तियों को सम्बोधित हैं। जमुना बीनी की रचनात्मकता का यह वितान, वस्तुतः समकालीन हिन्दी कविता का एक नया प्रस्थान है।
Jab Aadivasi Gata Hai

Jab Aadivasi Gata Hai

Jamuna Bini

250

₹ 200

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