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Rajkamal Prakashan Samuh

Siyasat Bhi Allahabad Mein Sangam Nahati Hai

  • Author Name:

    Jaikrishna Rai 'Tushar'

  • Book Type:
  • Description: हिन्दी ग़ज़ल में कहन की, कंटेंट की विविधता की आज़ादी है यद्यपि अब उर्दू शायरी भी सिर्फ़ इश्क़ मोहब्बत नहीं रही। यह बदलाव ही साहित्य को समाज से जोड़ता है। एक अच्छा शेर हमेशा याद रहता है- शोख इठलाती हुई परियों का है ख़्वाब ग़जल झील के पानी में उतरे तो है महताब गज़ल उसकी आँखों का नशा, जुल्फ़ की खुशबू, टीका रंग और मेंहदी रचे हाथों का आदाब ग़ज़ल मैंने ग़ज़ल को परिभाषित करने की कोशिश की है। आज ग़ज़ल की लोकप्रियता का ये आलम है कि हिन्दी के साथ अन्य भारतीय भाषाओं यहाँ तक कि बोलियों में भी लिखी और कही जा रही है। मैंने भी विविध विषयों पर ग़ज़ल कही है। कभी मीराँ, कभी तुलसी, कभी रसखान लिखता हूँ ग़ज़ल में गीत में पुरखों का हिन्दुस्तान लिखता हूँ ग़ज़ल ऐसी हो जिसको खेत का मज़दूर भी समझे दिलों की बात जब हो और भी आसान लिखता हूँ स्त्री सौन्दर्य का उपमान आज बदल गया है, स्त्री आज जमीन से अन्तरिक्ष तक अपने पराक्रम को दिखा रही है। अब वह घरों के दालान और आँगन की शोभा नहीं है न चूड़ी है, न बिन्दी है, न काजल, माँग टीका है ये औरत कामकाजी है ये चेहरा इस सदी का है आशा है यह संकलन आप सभी को पसन्द आएगा। जयकृष्ण राय 'तुषार'
Siyasat Bhi Allahabad Mein Sangam Nahati Hai

Siyasat Bhi Allahabad Mein Sangam Nahati Hai

Jaikrishna Rai 'Tushar'

250

₹ 200

Tulsidas "Nirala"

  • Author Name:

    Suryakant Tripathi 'Nirala'

  • Book Type:
  • Description: “तुलसीदास में स्वाधीनता की भावना का पूर्ण प्रस्फुटन हुआ है। भारत के सांस्कृतिक सूर्य के अस्त होने पर देश में किस तरह अन्धकार छाया हुआ है, इसका मार्मिक चित्रण करते हुए निराला ने दिखलाया है कि किस प्रकार एक कवि इस अन्धकार को दूर करने की चेष्टा करता है। तुलसीदास के रूप में निराला ने आधुनिक कवि के स्वाधीनता-सम्बन्धी भावों के उद्गम और विकास का चित्रण किया है। छायावादी कवि की तरह निराला के तुलसीदास को भी देश की पराधीनता का बोध प्रकृति की पाठशाला में ही होता है; किन्तु छायावादी कवि की तरह वे भी कुछ दिनों के लिए नारी-मोह में पड़कर उस भाव को भूल जाते हैं। अन्त में जो ज्ञान प्रकृति की पाठशाला में मिला था, उसका दीक्षांत भाषण उसी नारी के विश्वविद्यालय में सुनने को मिलता है, और भविष्यवाणी होती है कि : देश-काल के शर से बिंधकर यह जागा कवि अशेष छविधर इसके स्वर से भारती मुखर होंगी। इस तरह हिन्दी जाति के सबसे बड़े जातीय कवि की जीवन-कथा के द्वारा निराला ने अपनी समसामयिक परिस्थितियों में रास्ता निकालने का संकेत दिया है।” —नामवर सिंह
Tulsidas "Nirala"

Tulsidas "Nirala"

Suryakant Tripathi 'Nirala'

199

₹ 159.2

Chandrashekhar Azad Viveksheel Krantikari

  • Author Name:

    Rajwanti Mann +1

  • Book Type:
  • Description: ‘चन्द्रशेखर आज़ाद : विवेकशील क्रान्तिकारी’ प्रत्येक भारतीय के लिए एक अनिवार्य पाठ्य-पुस्तक की तरह है। चन्द्रशेखर आज़ाद ने भारत के स्वाधीनता संग्राम में महानायक की भूमिका निभाई। सच्चे अर्थों में उनका तन-मन-धन भारतमाता की सेवा में समर्पित रहा। वे आज़ाद जिए और अन्त तक पुलिस के हाथ न आए। आज़ाद ने अपने साहसी व्यक्तित्व से आज़ादी के देशव्यापी अभियान को क्रान्ति की अद्भुत गरिमा प्रदान की। उनके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर असंख्य युवाओं ने क्रान्ति के मार्ग पर क़दम बढ़ाए। सरदार भगत सिंह के साथ तो आज़ाद का विशेष लगाव था। इस पुस्तक के अनुसार, ‘भगत सिंह को आज़ाद केवल पार्टी के एक सदस्य के नाते ही नहीं देखते थे, बल्कि उन्हें अपने भाई की तरह, अपने परिवार के व्यक्ति की तरह मानते और अत्यधिक स्नेह करते थे।’ सत्य तो यह है कि आज़ाद को प्रत्येक क्रान्तिकारी में अपना ही रूप दिखाई देता था। प्रस्तुत पुस्तक अमर शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद के जीवन-वृत्तान्त के साथ उनके युग की महान गाथा रेखांकित करती है। समकालीन सन्दर्भों में यह पुस्तक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हो उठती है।
Chandrashekhar Azad Viveksheel Krantikari

Chandrashekhar Azad Viveksheel Krantikari

Rajwanti Mann

199

₹ 159.2

Saur-Mandal

  • Author Name:

    Gunakar Muley

  • Book Type:
  • Description: सूर्य! हमारी आकाश–गंगा के क़रीब 150 अरब तारों में से एक सामान्य तारा!...फिर भी कितना विराट, कितना तेजस्वी और कितना जीवनदायी!...लेकिन किसी भी आकाश–गंगा में अकेला नहीं होता कोई तारा अथवा कोई सूर्य। एक परिवार होता है उसका—कई सदस्योंवाला एक परिवार, और इसे ही कहा जाता है सौर–मंडल। हमारे सूर्य का भी एक मंडल है, जिसके छोटे–बड़े सदस्यों की कुल संख्या है नौ। सदस्य यानी कि ग्रह। इस प्रकार हमारे सौर–मंडल में नौ ग्रह शामिल हैं अर्थात् बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेपच्यून और प्लूटो। सौर–मंडल में स्थित इन ग्रहों के अपने–अपने उपग्रह भी हैं; उपग्रह, जैसे चन्द्रमा, जो कि हमारी पृथ्वी का उपग्रह है। कुछ ग्रहों के उपग्रहों की संख्या एकाधिक है, जैसे बृहस्पति 16 उपग्रहों का स्वामी है। सूर्य के परिवार में अभी तक क़रीब 60 उपग्रह खोजे जा चुके हैं। संक्षेप में कहें तो अत्यन्त विलक्षण है हमारा सौर–मंडल और रोचक है उसका यह अध्ययन। विज्ञान–विषयक लेखकों में अपनी शोधपूर्ण जानकारियों और सरल भाषा–शैली के लिए समादृत गुणाकर मुले की यह पुस्तक अत्यन्त उपयोगी सामग्री सँजोए हुए है। पूरी पुस्तक को 15 अध्यायों में बाँटा गया है और परिशिष्ट में कुछ विशिष्ट पैमाने और ग्रहों के बारे में कुछ प्रमुख आँकड़े भी हैं। सूर्य, सौर–मंडल तथा ग्रह–सम्बन्धी ज्योतिष–ज्ञान के अलावा लेखक ने हर ग्रह पर अलग–अलग अध्यायों की रचना की है। धूमकेतुओं और उल्कापिंडों पर अलग से विचार किया है। साथ ही, सौर–मंडल के जन्म और ग्रहों पर सम्भावित जीवन के शोध–निष्कर्षों से भी पाठकों को परिचित कराया है। इस प्रकार अन्तरिक्ष–यात्राओं के इस युग में यह पुस्तक प्रथम सोपान की तरह है, क्योंकि अन्तरिक्ष–अनुसन्धान और यात्राओं का लक्ष्य अभी तक तो प्रमुखत: अपना ही सौर–मंडल ह
Saur-Mandal

Saur-Mandal

Gunakar Muley

150

₹ 120

Dhoomil Ki Shreshth Kavitayan

  • Author Name:

    Brahma Dev Mishra +1

  • Book Type:
  • Description: ‘धूमिल की श्रेष्ठ कविताएँ’ अत्यन्त प्रखर और हिन्दी काव्य-जगत में नई हलचल पैदा करनेवाले सुदामा पाण्डेय ‘धूमिल’ की कविताओं का प्रथम सम्पादन है। एक लम्बी भूमिका के साथ सम्पादकों ने उनकी श्रेष्ठ कविताओं का चयन किया है, साथ ही भाषा के माध्यम से गाँव को शहर की होड़ में लानेवाले कवि की कविताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी भी प्रस्तुत की है। लक्ष्य, धूमिल की अनगढ़ भाषा और नए मुहावरे को पाठकों तक सहजता से पहुँचाना है। सम्पादकों की दृष्टि में धूमिल का सर्जनात्मक व्यक्तित्व उनकी कविता में सक्रियता से मुखर है। ‘धूमिल को उनके कथ्य और भाषा के स्वीकृत स्वरूप के लिए जानना चाहिए, न कि प्रयोगात्मक शैलीकार के रूप में।’
Dhoomil Ki Shreshth Kavitayan

Dhoomil Ki Shreshth Kavitayan

Brahma Dev Mishra

250

₹ 200

Samaksh

  • Author Name:

    Mushtak Ali +1

  • Book Type:
  • Description: कथा संग्रह
Samaksh

Samaksh

Mushtak Ali

150

₹ 120

Bhagat Singh Ko Fansi : Vol. 2

  • Author Name:

    Rajwanti Mann +1

  • Book Type:
  • Description: यह पुस्तक ‘भगत सिंह को फांसी-1’ का ही दूसरा भाग है। इसमें लाहौर साज़िश केस के दौरान हुई 457 गवाहियों में से महत्त्वपूर्ण गवाहियों के तो पूर्ण विवरण दिए गए हैं, जबकि शेष गवाहियों के तथ्य-सार दिए गए हैं। शहीद सुखदेव ने इस दस्तावेज़ का बारीकी से अध्ययन किया था और उनके द्वारा अंकित की गई टिप्पणियों का उल्लेख सम्बन्धित गवाहियों के ब्योरे में किया गया है। यहाँ यह कहना भी प्रासंगिक है कि इस ऐतिहासिक दस्तावेज़ को पहली बार प्रकाशित किया जा रहा है, जिसके द्वारा पाठकों को अनेक विचित्र तथ्य जानने का अवसर प्राप्त होगा। ज़िक्र योग्य है कि ये गवाहियाँ विशेष ट्रिब्यूनल के समक्ष 5 मई, 1930 से 26 अगस्त, 1930 तक हुई थीं जबकि इससे पूर्व 10 जुलाई, 1929 से 3 मई, 1930 तक मुक़दमा विशेष मजिस्ट्रेट की अदालत में चला था।
Bhagat Singh Ko Fansi : Vol. 2

Bhagat Singh Ko Fansi : Vol. 2

Rajwanti Mann

295

₹ 236

Vishay : Nar Nari

  • Author Name:

    Bimal Mitra

  • Book Type:
  • Description: प्रस्तुत उपन्यास में सुशीतल चटर्जी और अल्का नायर का प्रेम है जो सुशीतल के संयमित और प्रतिज्ञाबद्ध विद्यार्थी जीवन से आरम्भ होकर सुशीतल के पक्के जुआरी और शराबी होने तक जाता है, और दूसरी तरफ़ अल्का के एक मान की ऊँची छवि में स्थापित होने तक जो सुशीतल की दूसरी पत्नी से हुए बेटे की पढाई पर अपने जमा पैसे बिना हिचक खर्च कर देती है। दूसरा चरण सरपति राय के ख़ानदान का क़िस्सा है जो पुनः स्त्री-पुरुष सम्बन्ध के झोंकों में ही झूल जाता है। तीसरे उपन्यास में कुसमिया है—एक ईमानदार और सेवा-भाव से सम्पन्न सेविका जिसे अन्त में अपनी मालकिन के बेटे के ख़ून के इल्ज़ाम में फाँसी की सज़ा होती है। ‘विषय नर-नारी’ में बिमल मित्र ने जैसे लेखक होने की अपनी पहचान को भी बार-बार रेखांकित किया और जिया है। स्वतंत्र रूप से लेखन को ही अपना जीवन-ध्येय बनानेवाले उस ज़माने के ऐसे लेखकों की रचनाएँ स्वयं लेखन की प्रतिष्ठा हैं जिससे जनसाधारण पाठक के रूप में एक सजीव उपस्थिति की तरह जुड़ा रहता था। इस लिहाज़ से भी साहित्य की थाती में सुरक्षित ऐसी रचनाओं को पढ़ा जाना चाहिए।
Vishay : Nar Nari

Vishay : Nar Nari

Bimal Mitra

400

₹ 320

Pachis Global Brand

  • Author Name:

    Kamlesh Maheshwari +1

  • Book Type:
  • Description: ब्रांड यानी उत्पाद विशेष का नाम...एक ट्रेडमार्क। वेबस्टर्स शब्दावली के अनुसार ब्रांड यानी... A mark burned on the skin with hot iron.

    हिन्दी में इसका भावार्थ है : व्यक्ति के शरीर पर उसकी पहचान दाग देना। यही इस पुस्तक का सार है। ब्रांड किसी उत्पाद का केवल नाम ही नहीं होता। उसके उत्पाद का पेटेंटेड ट्रेडमार्क भी नहीं होता। ग्राहक जब ब्रांडेड उत्पाद खरीदता है तो वह इस विश्वास का मूल्य भी चुकाता है कि उत्पाद गुणवत्तायुक्त होगा, झंझटमुक्त लम्बी सेवा प्रदान करेगा और उसे वादे के अनुसार बिक्री बाद सेवा मिलेगी। दूसरे शब्दों में, ब्रांडेड उत्पादों के निर्माता केवल वस्तु का मूल्य प्राप्त नहीं करते। वे एक भरोसे, एक विश्वास की क़ीमत भी वसूल करते हैं। वही ब्रांड लम्बी पारी खेलते हैं, जो अपने पर ‘दाग' दी गई ‘पहचान' को एक बार नहीं, बार-बार भी नहीं, बल्कि हर बार सही साबित करते हैं। ऐसे ही शतकीय पारी के बाद ग्लोबल मार्किट में आज भी अव्वल 25 ग्लोबल ब्रांड का इतिहास इस पुस्तक में सँजोया गया है।
Pachis Global Brand

Pachis Global Brand

Kamlesh Maheshwari

195

₹ 156

Vah Ladki Jo Motorcycle Chalati Hai

  • Author Name:

    Anant Bhatnagar

  • Book Type:
  • Description: पुरातन की स्मृति और अभाव अक्सर ही कविताओं के प्रेरक कारक होते हैं, या तो हम किसी बीते क्षण को कविता में सम्बोधित करते हैं या फिर किसी भविष्य की कामना हमें कविता में सोचने को प्रेरित करती है। लेकिन इस संग्रह की ज्‍़यादातर कविताएँ वर्तमान को सम्बोधित हैं और आधुनिक सभ्यता के कुछ नए उपादानों को समझने की कोशिश करती हैं; मसलन—‘मोबाइल फ़ोन’, ‘बाज़ार’, ‘सेज के नाम से जाने जानेवाले विशेष आर्थिक क्षेत्र’ और ‘वह लड़की जो मोटरसाइकिल चलाती है’। >इस नई दुनिया को कवि बिना किसी पूर्वग्रह के एकदम ताज़ा निगाह से देखता और समझता है और पाठक को भी अपनी यात्रा में शामिल करता चलता है—‘क्या/आप नहीं चौंके थे/उस दिन/जब आपने/पहली बार किसी/एक लड़की को/मोटरसाइकिल चलाते/हुए देखा था?’ यह दृश्य कवि को एक नए युग का आरम्भ लगता है, लेकिन इसके भविष्य को लेकर उसे कुछ शंका भी है—‘क्या शादी के बाद भी/चला पाएगी वह मोटरसाइकिल/...क्या/वह आगे बैठी होगी/और पति/होगा/पीछे सवार?’ संग्रह का दूसरा खंड ‘उम्र का चालीसवाँ’ बढ़ती आयु के अहसास की कविताओं का है जिसके विषय में ख़ुद कवि का कहना है कि ‘उम्र के इस संक्रमण काल में रचित ये कविताएँ नितान्त निजी जीवन से लेकर सामाजिक स्तर तक बदलते रिश्तों के प्रति प्रतिक्रिया हैं। इन कविताओं में कई विशुद्ध हास्यबोध की रचनाएँ भी हैं, जिन्हें संग्रह में सम्मिलित करने के पीछे मेरी सोच यह है कि हास्य को केवल मंचीय जुमलेबाज़ी के लिए छोड़ देना हास्यबोध के साथ अन्याय है।’ संक्षिप्त मुहावरे में रची ये कविताएँ हिन्दी कविता-प्रेमियों को निश्चय ही पसन्द आएँगी।
Vah Ladki Jo Motorcycle Chalati Hai

Vah Ladki Jo Motorcycle Chalati Hai

Anant Bhatnagar

250

₹ 200

Bhartiya Sahityashatra

  • Author Name:

    Brahma Dutt Sharma

  • Book Type:
  • Description: प्रस्तुत पुस्तक में डॉ. ब्रह्मदत्त शर्मा ने हिन्दी समीक्षा के मूल तक जाने का प्रयत्न किया है और अग्निपुराणकार, भरत, दंडी, आनन्दवर्द्धन, वामन, कुन्तक एवं क्षेमेन्द्र की मान्यताओं और मतों को बोधगम्य बनाने का प्रयास किया है। भारतीय चित्त एवं मानस में ये मान्यताएँ इतनी रची-बसी हैं कि सामान्य पाठक भी कविता पढ़ते समय स्वभावतः यह प्रश्न करता है कि कविता किस रस की है, इसमें कौन से अलंकार हैं, कौन-सी वक्रता है तथा उससे क्या व्यंजित हो रहा है। प्रस्तुत पुस्तक में सभी भारतीय सम्प्रदायों की मान्यताओं का विवेचन उपरोक्त प्रश्नों के सन्दर्भ में किया गया है। किस प्रकार का लेखन साहित्य है और उसकी क्या विशेषताएँ हैं? साहित्यकार किस प्रकार चमत्कारपूर्ण भाषा का प्रयोग कर अपनी अनुभूति को सार्वजनीन व सार्वकालिक बनाता है? किस प्रकार वह अपने भावावेगों का सम्प्रेषण कर उनका साधारणीकरण कर देता है? किस प्रकार अपने विषयों को चुनता है व उनमें अपनी अनुभूति का संचार करता है? उसे साहित्य रचना की प्रेरणा कहाँ से मिलती है तथा उसमें उसकी प्रतिभा का क्या योगदान है? काव्य-सृजन का हेतु एवं प्रयोजन क्या है? इन गम्भीर प्रश्नों का विवेचन भी सभी भारतीय साहित्य सम्प्रदायों के परिप्रेक्ष्य में इस पुस्तक में पाठकों को मिलेगा।
Bhartiya Sahityashatra

Bhartiya Sahityashatra

Brahma Dutt Sharma

450

₹ 360

Atmakatha : Rajendra Prasad

  • Author Name:

    Rajendra Prasad

  • Book Type:
  • Description: Autobiography of Rajendra Prasad
Atmakatha : Rajendra Prasad

Atmakatha : Rajendra Prasad

Rajendra Prasad

1650

₹ 1320

Diddi : Shivani Ki Kahani

  • Author Name:

    Ira Pande

  • Book Type:
  • Description: ‘दिद्दी : शिवानी की कहानी’ में हम हिन्दी की अत्यन्त लोकप्रिय कथाकार शिवानी को उनकी बेटी की निगाहों से देखते हैं। यह भी कह सकते हैं कि यहाँ हमें वह शिवानी दिखती हैं जिन्हें हम उनकी साहित्यिक छवि में अक्सर नहीं पाते। हाँ, उनकी कहानियों और उनके पात्रों में हम ज़रूर उस स्त्री को पहचान सकते हैं जो एक ख़ास वातावरण में एक ख़ास दृष्टि से संसार को देख रही थी। यह किताब उनके इस वातावरण को भी प्रकाशित करती है, और उसके बीच बनती एक कथाकार की यात्रा को भी। एक भारतीय घर-परिवार की संस्तरीकृत संरचना में मानवीय संवेदना के अनेकानेक रंगों के साथ उन्होंने उसकी विडम्बनाओं को कैसे समझा और फिर उसे अपनी कथा ऋचाओं में अंकित किया, यह वृत्तान्त हमें यह जानने में भी मदद करता है। शिवानी के साथ इस पुस्तक में कुमाऊँनी समाज की संस्कृति और समाज के विभिन्न पक्षों से भी हमारा परिचय होता है, और उनकी कुछ चर्चित रचनाओं और उनकी पृष्‍ठभूमि से भी।
Diddi : Shivani Ki Kahani

Diddi : Shivani Ki Kahani

Ira Pande

350

₹ 280

Jhukna Kisi Ko Ropna Hai

  • Author Name:

    Shriprakash Shukla

  • Book Type:
  • Description: नब्बे के बाद की हिन्दी कविता को कवियों की जिस पीढ़ी ने अपने सरोकारी एवं सतत लेखन से सँवारा-बनाया है उनमें श्रीप्रकाश शुक्ल एक महत्त्वपूर्ण कवि हैं। उनकी कविताई का विस्तार तीन दशकों में फैला हुआ है, लेकिन इसकी खासियत है इसका सातत्य। 1999 में श्रीप्रकाश शुक्ल का पहला संग्रह ‘अपनी तरह के लोग’ के आने से लेकर 2022 में सातवें संग्रह ‘वाया नई सदी’ तक की यात्रा में एक निरन्तरता है। ये कृतियाँ क्रमशः संस्कृति, दर्शन और राजनीतिक चेतना की धुरी पर अपने समय को कातती हैं। इनके पूरे परिस्पन्द के बीच एक चीज सर्वनिष्ठ है और वह है लोकभाषा और जनपदीयता। बनारस अंचल श्रीप्रकाश शुक्ल की कविताओं की शिराओं में रक्त बनकर दौड़ रहा है। सोनभद्र, मिर्जापुर, प्रयाग और गाजीपुर का ‘लोकेल’ उनकी कविता में बुनियाद की तरह बिछा हुआ है। उनकी कविताओं पर इस क्षेत्र की लोककथाओं, लोक धुनों और गीतों का गहरा असर है। आख्यान-परम्परा का तो सबसे गहरा और व्यापक। श्रीप्रकाश शुक्ल की आख्यान शैली में लोक और शास्त्र दोनों में मौजूद दन्तकथाओं, किंवदन्तियों और मिथकीयता के आधुनिक सन्दर्भों का काव्यमय सन्धान अद्भुत और व्यापक है। लोककथाओं व मिथकीय पृष्ठभूमि के साथ श्रीप्रकाश शुक्ल ने बहुत साभिप्राय लोक देवों-देवियों, लोकनायकों और अति साधारण किरदारों के साथ मामूली जगहों, पेशों, रिवाजों व चीजों को अपनी कविताओं का विषय बनाया है। प्रशस्त इतिहासबोध और जनपदीयता के भीतर से कविता में इतिवृत्त और प्रकृति के संश्लेष के कारण श्रीप्रकाश शुक्ल इस प्रवृत्ति के प्रतिनिधि कवि हैं।
Hot Deals
Jhukna Kisi Ko Ropna Hai

Jhukna Kisi Ko Ropna Hai

Shriprakash Shukla

299

₹ 245.18

Via Nayi Sadi

  • Author Name:

    Shriprakash Shukla

  • Book Type:
  • Description: ‘वाया नई सदी’ दस्तावेज़ है समय की असहजताओं और अस्वाभाविकताओं का जिन्हें हमने जीवन की स्वाभाविक मुद्राओं की तरह स्वीकार कर लिया है। ये कविताएँ इस स्वीकृति के विरुद्ध उठी मुट्ठियों की तरह हैं। यह समय जहाँ बोलने, चीखने और विरोध करने पर लगातार कठोर होती पाबन्दियाँ हमारी चुप्पियों पर हँसने लगी हैं, और हम प्यार को, जनतन्त्र को, मानवीयता को धीरे-धीरे छीजते देख रहे हैं, और ख़ामोश हैं। ‘हमारे समय के करुण इतिहास पर/हिंसा की तरह दर्ज अभिलाषाओं में/महामौन की तरह खड़ी है एक गाय/जो अभी-अभी खूँटे पर आई है/लहूलुहान’—‘गाय’ शीर्षक कविता की ये पंक्तियाँ भारत की नयी सदी की उस महाविडम्बना की ओर संकेत करती है जहाँ करुणा में रसे-बसे सांस्कृतिक प्रतीकों को हिंसक बिम्बों में बदलने की कोशिश बाक़ायदा सत्ता के इशारों पर हो रही है और समाज, जैसे कि उसे इसी का इंतज़ार था, इस प्रक्रिया को पूरा करने में जुटा हुआ है : ‘उनमें ग़ज़ब की सामूहिक सहमति है’, और ‘एक सीधी सरल गाय/हिंसक पशु में बदल जाती है।’ श्रीप्रकाश शुक्ल भारतीयता के इस क्षरण के प्रति अपनी असहमति, अपना प्रतिरोध दर्ज कराना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि हम बोलें, 'चुप्पी के काइएँपन से दूसरे की हत्या करने से बेहतर है/बोल-बोलकर ख़ुद के भीतर जमी काइयों का वध करना।’ वे कहते हैं कि ‘बोलता आदमी जब चुप हो जाए/तो समझिए कि इस व्यवस्था में एक तानाशाह का जन्म हो चुका है/जो हमारे मुँह से प्रवेश करता है और जीभ को चीरता हुआ/अंतड़ियों में उतर जाता है।’ इसीलिए वे एक मुखर आदमी के पक्ष में अपना बयान देते हैं, ‘मनुष्यों के मुद्दे राजनीति से बड़े होते हैं/और अर्थनीति से ज़्यादा उलझे हुए/...कि लोकतंत्र के मुद्दे भुजा से नहीं/भाषा से तय होते हैं।’ श्रीप्रकाश शुक्ल के इस नए संग्रह में कई कविताएँ ऐसी हैं जो इस विचित्र सदी को सीधे-सीधे सम्बोधित हैं और कई ऐसी जो समय के शोर में बिला रही मनुष्यता की सरस, सहज, सकारात्मक भंगिमाओं को आवाज़ देती हैं। उनके ‘नहीं होने’ को रेखांकित करती हैं ताकि हम उन्हें लौटा लाएँ। कोरोना काल के भीषण विद्रूप भी इन कविताओं में अंकित हुए हैं, और प्रकृति के साहचर्य से पल्लवित संवेदनाएँ भी। लेकिन ‘वाया’ की ओट से समय की लय को भंग करनेवाली ताक़तों को लेकर चेतावनी कहीं धूमिल नहीं पड़ती : ‘बादल होंगे लेकिन नमी नहीं होगी/...रक्षक होंगे लेकिन रक्षार्थ कुछ नहीं होगा.../और तब वे अपने वर्तमान से मुक्त होकर/एक शानदार विरासत का जश्न मनाएँगे/...मानव-मुक्त विकास का जश्न!’
Via Nayi Sadi

Via Nayi Sadi

Shriprakash Shukla

250

₹ 200

Vish ke Daant Tatha Anya Kahaniyan

  • Author Name:

    Nalin Vilochan Sharma

  • Book Type:
  • Description: कथा संग्रह
Vish ke Daant Tatha Anya Kahaniyan

Vish ke Daant Tatha Anya Kahaniyan

Nalin Vilochan Sharma

595

₹ 476

Khandit Bharat

  • Author Name:

    Rajendra Prasad

  • Book Type:
  • Description: Collection of Essays
Khandit Bharat

Khandit Bharat

Rajendra Prasad

1295

₹ 1036

Gandhi Aur Kala Tatha Anya Nibandh

  • Author Name:

    Raman Sinha

  • Book Type:
  • Description: भारतीय कलाओं, उनकी परम्पराओं और भाव-पक्ष पर सुनियोजित ढंग से विचार करने वाली ‘गांधी और कला तथा अन्य निबन्ध’ पुस्तक डॉ. रमण सिन्हा के समय-समय पर लिखे गए निबन्धों और व्याख्यानों का संकलन है। ‘गांधी और कला’ शीर्षक सुदीर्घ निबन्ध इसकी विशेष उपलब्धि है जिसमें कलाओं को लेकर गांधी की दृष्टि और विभिन्न कलाओं में गांधी व उनके विचारों के अंकन को अलग-अलग कोणों से देखा गया है। कलाओं की आन्तरिक परस्परता को भारतीय कला-दृष्टि की विशिष्टता बताते हुए यह पुस्तक उन कला-रूढ़ियों को भी रेखांकित करती चलती है जो वक़्त-वक़्त पर विदेशी लोगों के आगमन के साथ भारत की कला-धारा में समाहित होती रहीं, और उसे नया रूप देती रहीं। मध्यकालीन भारतीय कला और संस्कृति पर विचार करते हुए लेखक कहते हैं कि भारतीय चित्रकला के इतिहास में मुग़ल शैली का उद्भव एक युगान्तरकारी घटना सिद्ध हुई, जिसमें दो संस्कृतियों ने एक-दूसरे के साथ आदान-प्रदान का सम्बन्ध कायम किया तथा देशी का विदेशी के साथ व परम्परा का नवाचार के साथ संवाद बना। ‘तुलसीदास का प्रतिमा-निरूपण’, ‘कविता और राग’ तथा ‘हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत : लौकिक या पारलौकिक?’ आदि निबन्धों के अलावा अभिनय के माध्यम से अपने आत्म का अन्वेषण करनेवाले फ़िल्मकार ऋतुपर्ण घोष पर केद्रित एक आलेख भी इसमें शामिल है जो इस कला-विवेचन को हमारे आज के कला-बोध से जोड़ता है।
Gandhi Aur Kala Tatha Anya Nibandh

Gandhi Aur Kala Tatha Anya Nibandh

Raman Sinha

299

₹ 239.2

Photo Patrakarita

  • Author Name:

    Dhananjai Chopra

  • Book Type:
  • Description: हमारा समय विजुअल कम्युनिकेशन यानी दृश्य संचार का समय है। वास्तविक दुनिया हो या आभासी दुनिया, हर तरफ छवियां ही छवियां हैं। कास्टिंग के लगभग सारे उपक्रम यानी प्रिंटकास्ट, ब्रॉडकास्ट, टेलीकास्ट, वेबकास्ट और ह्यूमनकास्ट अनायास ही छवियों के अधिकाधिक प्रयोग की होड़ में शामिल हो गए हैं। संचार के क्षेत्र में छवियों यानी दृश्यों के इस तरह प्रयोग से जन-संप्रेषण की दुनिया में बड़ा बदलाव आया है। इस बदलाव का कारण बना, हमारे मोबाइल फोन में कैमरे का आ जाना। इक्वींसवीं सदी के प्रारंभ से ही लोगों ने अपने आसपास के दृश्यों को सहेजना शुरू कर दिया था। दृश्यों के माध्यम से जन इतिहास का लिखा जाना यह बता रहा था कि आने वाले समय में शब्दों से कहीं अधिक दृश्य पढ़े जाएंगे। हुआ भी यही, हमने एक ऐसे समाज की रचना कर ली है, जिसमें दृश्य संचार के बिना रह पाना मुश्किल हो रहा है। टेक्नोलॉजी के बलबूते बदलती दुनिया और बदलते समय में दृश्य संस्कृति विकसित हो रही है। दृश्य गढ़े जा रहे हैं, रचे जा रहे हैं, प्रस्तुत किए जा रहे हैं और पढ़े जा रहे हैं। अब से पहले इतने अधिक दृश्यों का आदान-प्रदान कभी नहीं हुआ था। दरअसल यह दृश्य विस्फोट यानी विजुअल एक्सप्लोजन का समय है। यह फोटोग्राफी और फोटो पत्रकारिता को सीखने, समझने, सहेजने और संचरित करने का अप्रतिम समय है।
Photo Patrakarita

Photo Patrakarita

Dhananjai Chopra

795

₹ 636

Basant Aa Gaya Par Koi Utkantha Nahin

  • Author Name:

    Vidhyaniwas Mishra

  • Book Type:
  • Description: बसन्त आ गया पर कोई उत्कण्ठा नहीं निबंध मन की जिस तरंगायित अभिव्यक्ति का नाम है, श्री विद्यानिवास मिश्र के ये निबंध अत्यन्त सच्चाई और सूक्ष्मता के साथ इसका प्रतिनिधित्व करते हैं। पं. रामचन्द्र शुक्ल और आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के बाद हिन्दी निबंध को लोक तत्त्व और परम्परा की गहन अनुभूति से समृद्ध करने वाला तीसरा नाम पं. विद्यानिवास मिश्र का ही है। इन निबंधों में विषय तो मात्र एक 'बहाना' है। उस बहाने से निबंधकार आधुनिक जीवन की भीतरी विसंगतियों को बड़ी सूक्ष्मता से उजागर करता है। उसकी भाषा लोकोन्मुखी होने के साथ-ही-साथ संस्कृत और पाश्चात्य साहित्य के गहरे अध्ययन से अत्यन्त काव्यमयी हो उठी है। भाषा की इस काव्यमयता के भीतर ही जीवन के वे छलछलाते प्रसंग छिपे हैं जो बार-बार निबंधकार को एक 'मुक्त आवेश' की सृष्टि करने को विवश करते हैं। लेखक के व्यक्तित्व और अभिव्यक्ति से सन्निहित यह 'मुक्त आवेश' ही उनके निबंधों को उस नैतिक अनुशासन से समृद्ध करता है जो हर आधुनिक लेखन की पहली शर्त है। आधुनिक हिन्दी साहित्य में जब गद्य की अन्य विधायें आज अधिक प्रमुख और महत्त्वपूर्ण मानी जाने लगी हैं, यह निबंध-संग्रह निबंध-विधा को पुनरुज्जीवित करने का एक महत्त्वपूर्ण और सफल प्रयास है।
Basant Aa Gaya Par Koi Utkantha Nahin

Basant Aa Gaya Par Koi Utkantha Nahin

Vidhyaniwas Mishra

175

₹ 140

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