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Bhagwaticharan Verma

Sidhi-Sachchi Baaten

  • Author Name:

    Bhagwaticharan Verma

  • Book Type:
  • Description: हिन्दी के श्रेष्ठ उपन्यासों में शामिल उपन्यास ‘भूले-बिसरे चित्र’ के विषय में आलोचकों ने कहा था–‘‘एक महान कृति–भारतीय समाज और परिवार के विकास की विविध दिशाओं और रूपों का एक विराट एवं प्रभावोत्पादक चित्र...’’ ‘टेढ़े-मेढ़े रास्ते’ और ‘भूले-बिसरे चित्र’ की परम्परा में‘सीधी-सच्ची बातें’ भगवतीचरण वर्मा की तीसरी महत्त्वपूर्ण कृति है जिसमें 1939 से 1948 तक के काल की एक सशक्त कहानी है, और जिसमें मानसिक संघर्ष और राजनीतिक संघर्ष का अभूतपूर्व सम्मिश्रण हुआ है। मध्यवर्गीय परिवार का एक युवक, कुशाग्र बुद्धि और तेजस्वी, अपनी नैतिकता, आस्था और विश्वास के साथ अनायास ही उस नवीन हलचल में आ पड़ता है, द्वितीय महायुद्ध, देश की स्वतंत्रता, देश का बँटवारा जिसके भाग थे। और अन्त में उसके सामने थी अन्दर की घुटन, आदर्शों के पीछे वैयक्तिक स्वार्थों और कमज़ोरियों का विकृत चित्र और निराशा। ‘सीधी-सच्ची बातें’ एक सशक्त कहानी है, और साथ ही सीधी-सच्ची बातें भी।
Sidhi-Sachchi Baaten

Sidhi-Sachchi Baaten

Bhagwaticharan Verma

1395

₹ 1116

Apne Khilaone

  • Author Name:

    Bhagwaticharan Verma

  • Book Type:
  • Description: Awating description for this book
Apne Khilaone

Apne Khilaone

Bhagwaticharan Verma

595

₹ 476

Sampurna Kahaniyan : Bhagwaticharan Verma

  • Author Name:

    Bhagwaticharan Verma

  • Book Type:
  • Description: लब्धप्रतिष्ठ कथाकार भगवतीचरण वर्मा की कहानियों में हमारे जीवन के सुख-दु:ख, प्रेम-घृणा, अहं, अन्ध-आस्था, राजनीति का छिछोरापन और धार्मिक उन्माद का जीवन्त चित्रण तो मिलता ही है, तरल संवेदनाओं की एक सतत प्रवहमान धारा भी दिखती है। कहानी का विषय चाहे कुछ भी हो, भगवतीचरण वर्मा की क़िस्सागोई का शिल्प ऐसा अनूठा है कि घटनाएँ, स्थितियाँ और पात्रों के हावभाव हमारे सामने साकार हो उठते हैं। ‘दो रातें’, ‘रेल में’, ‘इंस्टालमेंट’, ‘आवारे’ आदि दर्जनों कालजयी कहानियाँ अपने यथार्थबोध और सामाजिक चेतना के कारण आज भी प्रासंगिक हैं। यह उनके कथाकार की सफलता है कि अपनी तरफ़ से बिना कुछ कहे कहानियों के माध्यम से ही वे सब कुछ कह जाते हैं। इसीलिए विचारों की बोझिलता से ये कहानियाँ मुक्त हैं। व्यंग्य का पुट इन कहानियों की अतिरिक्त विशेषता है।

    ‘प्रायश्चित्त’ जहाँ अन्ध-धार्मिक आस्था पर चोट करती है, वहीं ‘ख़ानदानी हरामजादे’ राजनीतिक छिछोरेपन को पूरी तरह उघाड़कर रख देती है। ‘पराजय और मृत्यु’ जीवन की पक्षधरता की कहानी है तो ‘शस्त्र और चिंगारी’ उत्तरदायित्व के बोझ तले पिसती एक
    युवती की दास्तान कहती है। ‘दो बाँके’ और ‘मोर्चाबंदी’ हृदय अहं का जीवन्त चित्रण बन गई हैं।

    उपन्यासों के लिए विशेष तौर पर जाने जानेवाले भगवती बाबू की कहानियों का यह समग्र संकलन उनके कथाकार का एक नया आयाम खोलता है।

Sampurna Kahaniyan : Bhagwaticharan Verma

Sampurna Kahaniyan : Bhagwaticharan Verma

Bhagwaticharan Verma

995

₹ 796

Thake Paon

  • Author Name:

    Bhagwaticharan Verma

  • Book Type:
  • Description: प्रस्तुत उपन्यास ‘थके पाँव’ सामाजिकता, बौद्धिकता और भावनात्मक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।

    भगवतीचरण वर्मा हिन्दी जगत के जाने-माने विख्यात उपन्यासकार हैं। आपके सभी उपन्यासों में एक विविधता है। हास्य व्यंग्य, समाज, मनोविज्ञान और दर्शन सभी विषयों पर उपन्यास लिखे हैं। कवि और कथाकार होने के कारण वर्मा जी के उपन्यासों में भावनात्मक और बौद्धिकता का सामंजस्य मिलता है। वर्मा जी के उपन्यासों को पढ़ते समय यह सदा ध्यान रखना चाहिए कि वे मूलत: एक छायावादी और प्रगतिवादी कवि हैं और उनके कथा साहित्य में कविता की भावना की प्रधानता बौद्धिक यथार्थ से कभी अलग नहीं होती। उपन्यासों के अब तक परम्परागत शिथिल और बने-बनाए रूप-विन्यास और कथन-शैली की नई शक्ति और सम्पन्नता ही नहीं, वरन् कथावस्तु का नया विस्तार भी मिला।

Thake Paon

Thake Paon

Bhagwaticharan Verma

495

₹ 396

Yuvraj Chunda

  • Author Name:

    Bhagwaticharan Verma

  • Book Type:
  • Description: युवराज चूण्डा का प्रस्थान-बिन्दु इतिहास है— राजपूत काल का इतिहास। उपन्यासकार का उद्देश्य न तो सिर्फ व्यतीत हो चुके समय का चित्रण करना है, और न ही उस काल के यथार्थ की अनदेखी कर उसका आकर्षक किन्तु अयथार्थ चित्र प्रस्तुत करना—ऐतिहासिक कथा का आवरण लेकर भी उसने इस देश की उस चारित्रिक विशेषता का उद्घाटन करने का प्रयत्न किया है जो न केवल हमारी वर्षों की गुलामी का कारण बनी रही, बल्कि आज भी वह किसी-न-किसी रूप में हमारी जड़ों में घुन की तरह लगी है—“वैसे अगर राजस्थान के राजपूत राजा संयुक्त रूप से दिल्ली की बादशाहत पर आक्रमण करते तो वे उसका अन्त कर सकते थे, लेकिन आपसी कलह और विग्रह के कारण यह सम्भव नहीं था।”

    ‘युवराज चूण्डा’ की कहानी वस्तुत: नितान्त कुरूप यथार्थ के परिवेश में आदर्शवाद की कहानी है, जो आज भी न केवल अत्यन्त पठनीय है बल्कि कहीं अधिक प्रासंगिक भी।

Yuvraj Chunda

Yuvraj Chunda

Bhagwaticharan Verma

695

₹ 556

Bhagwaticharan Verma Rachanawali : Vols. 1-14

  • Author Name:

    Bhagwaticharan Verma

  • Book Type:
  • Description: भगवतीचरण वर्मा ने अपने प्रथम उपन्यास ‘पतन’ की रचना अपने कॉलेज के दिनों में की थी जो गंगा पुस्तक माला के अन्तर्गत प्रकाशित हुआ था। इस उपन्यास को वे अपनी अपरिपक्व रचना मानते थे और उन्होंने इसे अपनी रचनाओं में गम्भीरता से नहीं लिया।

    सन् 1932 में भगवती बाबू ने पाप और पुण्य की समस्या पर अपना प्रसिद्ध उपन्यास ‘चित्रलेखा’ लिखा जो हिन्दी साहित्य में एक क्लासिक के रूप में आज भी प्रख्यात है। ‘तीन वर्ष’ उनका प्रथम सामाजिक उपन्यास है जो एक प्रेमकथा है। सन् 1948 में उनका प्रथम वृहत उपन्यास ‘टेढे़-मेढ़े रास्ते’ आया जिसे हिन्दी साहित्य के प्रथम राजनीतिक उपन्यास का दर्जा मिला। इसी शृंखला में उन्होंने आगे चलकर वृहत राजनीतिक उपन्यासों की एक शृंखला लिखी जिनमें भूले-बिसरे चित्र’, ‘सीधी-सच्ची बातें’, ‘प्रश्न और मरीचिका’, ‘सबहिं नचावत राम गोसाईंऔर सामर्थ्य और सीमाप्रमुख हैं।

    भगवतीचरण वर्मा के सभी उपन्यासों में एक विविधता पाई जाती है। उन्होंने हास्य-व्यंग्य, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और दार्शनिक सभी विषयों पर उपन्यास लिखे। कवि और कथाकार होने के कारण वर्मा जी के उपन्यासों में भावनात्मकता और बौद्धिकता का सामंजस्य मिलता है। ‘चित्रलेखा’ में भगवती बाबू का छायावादी कवि-रूप स्पष्ट दिखता है जबकि ‘टेढ़े-मेढ़े रास्ते’ को उन्होंने अपनी प्रथम शुद्ध बौद्धिक गद्य-रचना माना है।

    रचनावली के इस खंड में प्रस्तुत, साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत उपन्यास ‘भूले-बिसरे चित्र’ अतीत के चित्रों का एक विशेष एलबम है जिसके चित्र कभी धुँधले नहीं पड़ सकते। जीवन के सभी पहलुओं से रू-ब-रू कराता यह कालजयी उपन्यास है।

Bhagwaticharan Verma Rachanawali : Vols. 1-14

Bhagwaticharan Verma Rachanawali : Vols. 1-14

Bhagwaticharan Verma

14000

₹ 11200

Teen Varsh

  • Author Name:

    Bhagwaticharan Verma

  • Book Type:
  • Description: हिन्दी जगत के प्रसिद्ध उपन्यासकार भगवतीचरण वर्मा का प्रस्तुत उपन्यास ‘तीन वर्ष’ एक ऐसे युवक की कहानी है जो नई सभ्यता की चकाचौंध से पथभ्रष्ट हो जाता है। समाज की दृष्टि में उदात्त और ऊँची जान पड़नेवाली भावनाओं के पीछे जो प्रेरणाएँ हैं, वह स्वार्थपरता और लोभ की अधम मनोवृत्तियों की ही देन हैं।

    पहली बार विश्वविद्यालय को केन्द्र में रखकर छात्र-छात्राओं के जीवन-प्रसंगों को हिन्दी कथा-साहित्य में इतना सहज स्थान प्राप्त हुआ। उनका रहन-सहन, उनके प्रेम-सम्बन्ध और उनकी मनोदशाओं का यथार्थ चित्र प्रस्तुत करना इस उपन्यास का उद्देश्य था। छात्रों के संवेगों के बहुआयामी चित्र समस्त सामाजिक सन्दर्भों से जुड़कर प्रत्यक्ष हुए।

    इस उपन्यास से यह भी स्पष्ट हुआ कि विश्वविद्यालयीन शिक्षा तब सामान्य युवाजन के लिए उपलब्ध नहीं थी। थोड़े से सम्पन्न घरों के सौभाग्यवान युवा ही उस ज़माने में विश्वविद्यालयों में पढ़ने आया करते थे। कुल मिलाकर शिक्षा के विस्तार और प्रसार में आए अन्तर को आँकने और छात्रों की मन:स्थितियों के विकास के अध्ययन के लिए भी इस उपन्यास को पढ़ा जाना ज़रूरी है।

Teen Varsh

Teen Varsh

Bhagwaticharan Verma

595

₹ 476

Sahitya Ke Siddhant Tatha Roop

  • Author Name:

    Bhagwaticharan Verma

  • Book Type:
  • Description: भगतीवचरण वर्मा ने साहित्य की विभिन्न विधाओं को अनेक महत्त्वपूर्ण कृतियाँ दी हैं। इन कृतियों के पीछे कौन-सी प्रेरक शक्तियाँ रही हैं और कौन-से सिद्धान्त वर्मा जी के लेखकीय जीवन की आधारभूमि हैं, यह जानना भगवती बाबू के असंख्य पाठकों की जिज्ञासा का विषय रहा है। इन तमाम जिज्ञासाओं के समाधान की खोज का परिणाम है : भगवतीचरण का महत्त्वपूर्ण सैद्धान्तिक ग्रन्थ—‘साहित्य के सिद्धान्त तथा रूप’।

    इस ग्रन्थ में लेखक की प्रतिज्ञा एकदम भिन्न और नए रूप में प्रकट हुई है। यहाँ साहित्य के सिद्धान्तों का विश्लेषण शुष्क शास्त्रीय ढंग से नहीं, लेखक के आधी शताब्दी के अनुभवों के आधार पर हुआ है। ग्रन्थ में रचना-प्रक्रिया का व्यावहारिक विश्लेषण है और साथ ही लेखक के रचना-संसार की कठिनाइयों से साक्षात्कार भी। यह कृति पाठकों तथा शोधकर्ताओं के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी।

Sahitya Ke Siddhant Tatha Roop

Sahitya Ke Siddhant Tatha Roop

Bhagwaticharan Verma

200

₹ 160

Patan

  • Author Name:

    Bhagwaticharan Verma

  • Book Type:
  • Description: प्रस्तुत पुस्तक ‘पतन’ वर्मा जी का प्रथम उपन्यास है जिसकी रचना उन्होंने अपने कालेज के दिनों में की थी। भगवतीचरण वर्मा हिन्दी जगत के जाने-माने विख्यात उपन्यासकार
    हैं।

    उनके सभी उपन्यासों में एक विविधता है। हास्य, व्यंग्य, समाज, मनोविज्ञान और दर्शन सभी विषयों पर उपन्यास लिखे हैं। कवि और कथाकार होने के कारण वर्मा जी के उपन्यासों में भावनात्मक और बौद्धिकता का सामंजस्य मिलता है। वर्मा जी के उपन्यासों को पढ़ते समय यह सदा ध्यान रखना चाहिए कि वे मूलत: एक छायावादी और प्रगतिवादी कवि हैं और उनके कथा साहित्य में कविता की भावना की प्रधानता बौद्धिक यथार्थ से कभी अलग नहीं होती। उपन्यासों के अब तक परम्परागत शिथिल और बने-बनाए रूप-विन्यास और कथन-शैली की नई शक्ति और सम्पन्नता ही नहीं, वरन् कथावस्तु का नया विस्तार भी मिला।

Patan

Patan

Bhagwaticharan Verma

495

₹ 396

Kahi Na Jay Ka Kahie

  • Author Name:

    Bhagwaticharan Verma

  • Book Type:
  • Description: “मैं यह अच्छी तरह जानता हूँ कि मरने के बाद मेरा नाम ही रह जाएगा। यह नाम भी कब तक रहता है, कुछ कहा नहीं जा सकता। और नाम का रहना या न रहना मेरे लिए महत्त्व का नहीं है। लेकिन अपना नाम सैकड़ों-हज़ारों वर्ष चले, इसकी अभिलाषा अपनी इस लापरवाही वाली अकड़ के बावजूद, मन के किसी कोने में जब-तब उचक-उचक पड़ती है।

    “तो मैं भगवतीचरण वर्मा, पुत्र श्री देवीचरण, जाति कायस्थ, रहनेवाला फ़िलहाल लखनऊ का, अपनी आत्मकथा कह रहा हूँ। कुछ हिचकिचाहट होती है, कुछ हँसी आती है—बेर-बेर एक पंक्ति गुनगुना लेता हूँ—‘कहि न जाय का कहिए।’ तो यह आत्मकथा मैं दूसरों पर अपने को आरोपित करने के लिए नहीं कह रहा हूँ। मैं तो यह दूसरों का मनोरंजन करने के लिए कह रहा हूँ।”

    लेकिन दुर्भाग्य से यह आत्मकथा पूरी न हो सकी। अगर पूरी हो गई होती तो निश्चय ही यह हिन्दी में एक महत्त्वपूर्ण आत्मकथा होती। ‘चित्रलेखा’, ‘भूले-बिसरे चित्र’, ‘रेखा’, ‘सबहिं नचावत राम गोसाईं’ जैसे उपन्यासों के रचनाकार भगवती बाबू ही यह कह सकते थे कि अपनी आत्मकथा वे दूसरों के मनोरंजन के लिए कह रहे हैं।

    इस अधूरी आत्मकथा को किसी हद तक पूरा करने के लिए उनका तीन किश्तों में लिखा एक आत्मकथ्य ‘ददुआ हम पै बिपदा तीन’ भी इस पुस्तक में दिया जा रहा है। इसमें पाठकों को अपने प्रिय लेखक को समझने के लिए और व्यापक आधार मिलेगा।

Kahi Na Jay Ka Kahie

Kahi Na Jay Ka Kahie

Bhagwaticharan Verma

595

₹ 476

Bhagwaticharan Verma : Sampurna Natak

  • Author Name:

    Bhagwaticharan Verma

  • Book Type:
  • Description: भगवतीचरण वर्मा बहुमुखी प्रतिभा के धनी रचनाकार थे। अपने विचारों और जीवनानुभवों को उन्होंने उपन्यास, कहानी, कविता और नाटक आदि अनेक सर्जनात्मक विधाओं में अभिव्यक्त किया।

    इस पुस्तक में भगवती बाबू के सभी गद्य और पद्य नाटकों को शामिल किया गया है। उनके प्रसिद्ध नाटक ‘रुपया तुम्हें खा गया’ के अलावा रेडियो के लिए लिखे हुए पद्य नाटक ‘कर्ण’, ‘द्रौपदी’, ‘महाकाल’ और ‘तारा’ भी इस संकलन में प्रस्तुत हैं।

    स्वयं भगवती बाबू के शब्दों में—‘जहाँ तक गद्य में लिखे नाटक हैं, वे सब के सब मंच पर प्रस्तुत हो चुके हैं और किए जा सकते हैं। पद्य नाटक मैंने रेडियो के लिए लिखे थे। उनमें नाटकीयता के साथ कवित्व है और रंगमंच पर प्रस्तुत करने के लिए उनमें थोड़ा-बहुत हेर-फेर किया जा सकता है।’

    इस संग्रह में शामिल गद्य नाटक जहाँ भगवती बाबू की रंगमंच की समझ और सामर्थ्य का पता देते हैं, वहीं पद्य नाटकों से हमें उनकी काव्य-प्रतिभा का नए सिरे से लोहा मान लेना पड़ता है।

Bhagwaticharan Verma : Sampurna Natak

Bhagwaticharan Verma : Sampurna Natak

Bhagwaticharan Verma

650

₹ 520

Prashna Aur Marichika

  • Author Name:

    Bhagwaticharan Verma

  • Book Type:
  • Description: ‘भूले-बिसरे चित्र’ और ‘सीधी सच्ची बातें’ के बाद भगवती बाबू की एक और बृहद् औपन्यासिक कृति...भारत के निकट अतीत के इतिहास को कथा के माध्यम से प्रस्तुत-विश्लेषित करने का एक साहसपूर्ण प्रयोग।

    इस उपन्यास में लेखक ने जिस ज्वलन्‍त प्रश्न को वाणी दी है, वह आज हर भारतीय के मन में घुमड़ रहा है। वह प्रश्न है कि क्यों अपनी अगाध जन-शक्ति और प्रचुर भौतिक साधनों के होते हुए भी भारत एक शक्तिशाली देश नहीं बन पाया।

    लेखक ने गहराई में जाकर इस समस्या का कारण भी खोज निकाला है और निष्कर्ष दिया है—हर ओर फैले स्वार्थ और भ्रष्टाचार को देखते हुए भी जो लोग यह आशा करते हैं कि कोई स्वच्छ शासन-तंत्र देश को पुनरुत्थान की ओर ले जाएगा, वे मरीचिका के पीछे भटक रहे हैं।

    किन्‍तु भाग्यवादी होते हुए भी लेखक देश के भविष्य के प्रति निराश नहीं है। गीता के उपदेशों पर विश्वास करते हुए उसका कहना है कि वर्तमान व्यवस्था के नष्ट होने के बाद एक नए भारत का जन्म होगा। इसके अलावा हमारी वर्तमान समस्याओं का और कोई समाधान नहीं है।

    प्रश्न और मरीचिका आज़ादी के बाद से 1962 तक के भारत का एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ है।

Prashna Aur Marichika

Prashna Aur Marichika

Bhagwaticharan Verma

895

₹ 716

Tedhe Medhe Raste

  • Author Name:

    Bhagwaticharan Verma

  • Book Type:
  • Description: ‘टेढ़े-मेढ़े रास्ते’ न केवल भगवतीचरण वर्मा के, बल्कि समग्र हिन्दी-कथा साहित्य के गिने-चुने श्रेष्ठतम उपन्यासों में एक है। इसमें सन् 1920 के बाद के वर्षों में भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम में सक्रिय राजनीतिक विचारधाराओं और शक्तियों का बेहद सटीक और संश्लिष्ट चित्रांकन किया गया है। एक सामन्ती परिवार के भीतर प्रवेश करनेवाले तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रभावों को और उनके फलस्वरूप पैदा होनेवाली स्थितियों को उनकी पूरी जटिलता में एक विशाल कैनवास पर उतारने में कथाकार सफल हुआ है।

    उपन्यास में पंडित उमानाथ तिवारी और उनके तीन पुत्रों की कथा के माध्यम से पूरे देश की उथल-पुथल का खाका खींच दिया गया है। कथानक के तमाम मोड़ों पर मार्मिक प्रसंगों की अवतारणा करके तथा विभिन्न पात्रों के वैचारिक संघर्षों के माध्यम से गांधीवाद, साम्यवाद, समाजवाद और परम्परागत भारतीय मूल्यों की कशमकश को प्रभावी तरीके से चित्रित किया गया है। चरित्रों के निर्माण और कथारस में अद्वितीय यह उपन्यास हिन्दी कथा-यात्रा का एक मील-पत्थर है।

Tedhe Medhe Raste

Tedhe Medhe Raste

Bhagwaticharan Verma

499

₹ 399.2

Sabahin Nachavat Ram Gosain

  • Author Name:

    Bhagwaticharan Verma

  • Book Type:
  • Description: भगवती बाबू ने अपने उपन्यासों में भारतीय इतिहास के एक लम्बे कालखंड

    का यथार्थवादी ढंग से अंकन किया है। स्वतंत्रता-पूर्व और स्वातंत्र्योत्तर दौर की विभिन्न

    सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक परिघटनाओं को उन्होंने अपनी विशिष्ट शैली में अंकित किया है।

    ‘सबहिं नचावत राम गोसाईं’ की विषयवस्तु आज़ादी के बाद के भारत में क़स्बाई मध्यवर्ग की महत्त्वाकांक्षाओं के विस्तार और उनके प्रतिफलन पर रोचक कथासूत्रों के माध्यम से प्रकाश डालती है। राधेश्याम, नाहर सिंह, जबर सिंह, राम समुझ आदि चरित्रों के माध्यम से यह उपन्यास आज़ाद भारत के तेज़ी से बदलते राजनीतिक-सामाजिक चेहरे को उजागर करता है।

Sabahin Nachavat Ram Gosain

Sabahin Nachavat Ram Gosain

Bhagwaticharan Verma

399

₹ 319.2

Chanakya

  • Author Name:

    Bhagwaticharan Verma

  • Book Type:
  • Description: चाणक्य सुविख्यात उपन्यासकार भगवतीचरण वर्मा की अन्तिम कथाकृति है। मगध-सम्राट् महापद्म नन्द और उसके पुत्रों द्वारा प्रजा पर जो अत्याचार किए जा रहे थे, राज्यसभा में आचार्य विष्णुगुप्त ने उनकी कड़ी आलोचना की; फलस्वरूप नन्द के हाथों उन्हें अपमानित होना पड़ा। विष्णुगुप्त का यही अपमान अन्ततः उस महाभियान का आरम्भ सिद्ध हुआ, जिससे एक ओर तो आचार्य विष्णुगुप्त ‘चाणक्य’ के नाम से विख्यात हुए और दूसरी ओर मगध-साम्राज्य को चन्द्रगुप्त-जैसा वास्तविक उत्तराधिकारी प्राप्त हुआ।

    भगवती बाबू ने इस उपन्यास में इसी ऐतिहासिक कथा की परतें उघाड़ी हैं। लेकिन इस क्रम में उनकी दृष्टि एक पतनोन्मुख राज्य-व्यवस्था के वैभव-विलास और उसकी उन विकृतियों का भी उद्घाटन करती है जो उसे मूल्य-स्तर पर खोखला बनाती हैं और काल-व्यवधान से परे आज भी उसी तरह प्रासंगिक हैं।

    इस उपन्यास की प्रमुख विशेषता यह भी है कि चाणक्य यहाँ पहली बार अपनी समग्रता में चित्रित हुए हैं। उनके कठोर और अभेद्य व्यक्तित्व के भीतर भगवती बाबू ने नवनीत-खंड की भी तलाश की है। अपने महान जीवन-संघर्ष में स्वाभिमानी, संकल्पशील, दूरद्रष्टा और अप्रतिम कूटनीतिज्ञ के साथ-साथ वे एक सुहृद् प्रेमी और सद्गृहस्थ के रूप में भी हमारे सामने आते हैं। निश्चय ही, ‘चित्रलेखा’ और ‘युवराज चूण्डा’ जैसे ऐतिहासिक उपन्यासों के क्रम में लेखक की यह कृति भी स्मरणीय है।

Chanakya

Chanakya

Bhagwaticharan Verma

199

₹ 159.2

Dhuppal

  • Author Name:

    Bhagwaticharan Verma

  • Book Type:
  • Description: यह एक निर्विवाद तथ्य है कि अपने कथा-कृतित्व में अनेकानेक व्यक्ति-चरित्रों को उकेरनेवाले साधनाशील रचनाकारों का अपना जीवन भी किसी महान कृति से कम महत्त्व नहीं रखता, इसलिए उन विविध जीवनानुभवों को यथार्थतः काग़ज़ पर उतार लाना एक महत्त्वपूर्ण सृजनात्मक उपलब्धि ही माना जाएगा। इस नाते सुविख्यात कृती-व्यक्तित्व भगवतीचरण वर्मा की यह कथाकृति आत्मकथात्मक उपन्यासों में एक उल्लेखनीय स्थान की हक़दार है।

    क़स्बे का एक बालक कैसे भगवतीचरण वर्मा के रूप में स्वनामधन्य हुआ, इसे वह स्वयं भी नहीं जानता। जानता है तो सिर्फ़ उस जीवन-संघर्ष को जिसे वह ‘धुप्पल’ करार देता है।

    आत्मकथा न लिखकर भगवती बाबू ने यह उपन्यास लिखा, यह बात उनके रचनाशील मन की अनवरत सृजनात्मक सक्रियता की ही सूचक है। ‘धुप्पल’ में जो गम्भीरता है, वह भगवती बाबू के चुटीले भाषा-शिल्प के बावजूद, अपनी तथ्यात्मकता का स्वाभाविक परिणाम है। लेखक के साथ-साथ इसमें एक युग मुखर हुआ है, जिसके अपने अन्तर्विरोध अगर लेखकीय अन्तर्विरोध भी रहे तो उन्होंने उसके सृजन को ही धारदार बनाया। इसलिए ‘धुप्पल’ सिर्फ़ ‘धुप्पल’ ही नहीं, लेखकीय संघर्ष का सार्थक दस्तावेज़ भी है।

Dhuppal

Dhuppal

Bhagwaticharan Verma

199

₹ 159.2

Wah Phir Nahin Aai

  • Author Name:

    Bhagwaticharan Verma

  • Book Type:
  • Description: "लेकिन शायद हम झूठ से अलग रह ही नहीं सकते। हमारा सामाजिक जीवन भी तो एक तरह का व्यापार है—आर्थिक न भी सही, भावनात्मक व्यापार, यद्यपि यह अर्थ हमारे अस्तित्व से ऐसे बुरी तरह चिपक गया है कि हम इससे भावना को मुक्त रख ही नहीं पाते। इस व्यापार में माल नहीं बेचा जाता या ख़रीदा जाता, बल्कि भावना का क्रय-विक्रय होता है। हमारा समस्त जीवन ही लेन-देन का है, और इसलिए झूठ की इस परम्‍परा को तोड़ सकने की सामर्थ्य मुझमें नहीं है। सामाजिक शिष्टाचार निभाने के लिए मैं निकल पड़ा। और कोई काम भी तो नहीं था मेरे पास।" नारी सनातन काल से पुरुष की लालसा का केन्‍द्र है। जीवन के संघर्षों में फँसकर अभागी नारी को संसार के प्रत्येक छल-कपट का सहारा लेना पड़ता है। किन्‍तु आधुनिक जीवन-संघर्षों की विषमता में ममता का सम्‍बल जीवन-नौका के लिए महान आशा है। भगवती बाबू का यह उपन्यास आकार में छोटा होकर भी अपनी प्रभावशीलता में व्यापक है, जिसकी गूँज देर तक अपने भीतर और बाहर महसूस की जा सकती है।
Wah Phir Nahin Aai

Wah Phir Nahin Aai

Bhagwaticharan Verma

199

₹ 159.2

Bhoole-Bisre Chitra

  • Author Name:

    Bhagwaticharan Verma

  • Book Type:
  • Description: एक महान् कृति, भारतीय समाज और परिवार के विकास की विविध दिशाओं और रूपों का एक विराट एवं प्रभावोत्पादक चित्र। -डॉ. एस.एन. गणेशन निकट अतीत के चित्रों का एक एलबम—वह अतीत जिसे वर्तमान पीढ़ी को न भूलना चाहिए और न जिससे विमुख ही होना चाहिए, क्योंकि उसी में हमारे नए जीवन का बीजारोपण हुआ था। परिवार के चित्रों के एलबम के विपरीत इस एलबम के चित्र धुँधले नहीं पड़े हैं, क्योंकि कैमरा एक ही रहा है। लैंसों का प्रयोग इस कुशलता से किया गया है कि चित्र बिल्कुल साफ़ और हूबहू अंकित हुए हैं, दूरी ने उन्हें धुँधला नहीं किया है, भावातिरेक या दुःख ने विकृत नहीं किया है। —जगदीशचन्द्र माथुर
Bhoole-Bisre Chitra

Bhoole-Bisre Chitra

Bhagwaticharan Verma

599

₹ 479.2

Samarthya Aur Seema

  • Author Name:

    Bhagwaticharan Verma

  • Book Type:
  • Description: मनुष्य समर्थ है और समझता है कि इस सामर्थ्य का स्रोत वही है और वही इसका उपार्जन करता है। वह केवल अपने सामर्थ्य को ही देखता है, अपनी सीमाओं को नहीं। ‘सामर्थ्य और सीमा’ अपने सामर्थ्य की अनुभूति से पूर्ण कुछ ऐसे विशिष्ट व्यक्तियों की कहानी है जिन्हें परिस्थितियाँ एक स्थान पर एकत्रित कर देती हैं। हर व्यक्ति अपनी महत्ता, अपनी शक्ति और सामर्थ्य से सुपरिचित था—हरेक को अपने पर अटूट अविश्वास था। लेकिन परोक्ष की शक्तियों को कौन जानता था जो इनके इस दर्प को चकनाचूर करने को तैयार हो रही थीं। भगवतीचरण वर्मा के उपन्यासों की विशेषता वृहत् सामाजिक-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में व्यक्ति के मनोभावों का बारीक अंकन रही है—यह उपन्यास स्वातंत्र्योत्तर पात्रों के जीवन का चित्रण करता है। ‘सामर्थ्य और सीमा’ महान संघर्ष से युक्त जीवन का सशक्त और रोचक चित्रण है।
Samarthya Aur Seema

Samarthya Aur Seema

Bhagwaticharan Verma

299

₹ 239.2

Rekha

  • Author Name:

    Bhagwaticharan Verma

  • Book Type:
  • Description: व्यक्ति के गुह्यतम मनोवैज्ञानिक चरित्र-चित्रण के लिए सिद्धहस्त प्रख्यात लेखक भगवतीचरण वर्मा ने इस उपन्यास में शरीर की भूख से पीड़ित एक आधुनिक, लेकिन एक ऐसी असहाय नारी की करुण कहानी कही है जो अपने अन्‍तर के संघर्षों में दुनिया के सहारे सब गँवा बैठी। रेखा ने श्रद्धातिरेक से अपनी उम्र से कहीं बड़े उस व्यक्ति से विवाह कर लिया जिसे वह अपनी आत्मा तो समर्पित कर सकी, लेकिन जिसके प्रति उसका शरीर निष्ठावान नहीं रह सका। शरीर के सतरंगी नागपाश और आत्मा के उत्तरदायी संयम के बीच हिलोरें खाती हुई रेखा एक दुर्घटना की तरह है, जिसके लिए एक ओर यदि उसका भावुक मन ज़‍िम्मेदार है, तो दूसरी और पुरुष की वह अक्षम्य 'कमज़ोरी' भी जिसे समाज 'स्वाभाविक' कहकर बचना चाहता है। वस्तुतः रेखा जैसे युवती के बहाने आधुनिक भारतीय नारी की यह दारुण कथा पाठकों के मन को गहरे तक झकझोर जाती है।
Rekha

Rekha

Bhagwaticharan Verma

350

₹ 280

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