Bhoole-Bisre Chitra
Author:
Bhagwaticharan VermaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Contemporary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 479.2
₹
599
Available
एक महान् कृति, भारतीय समाज और परिवार के विकास की विविध दिशाओं और रूपों का एक विराट एवं प्रभावोत्पादक चित्र।
-डॉ. एस.एन. गणेशन
निकट अतीत के चित्रों का एक एलबम—वह अतीत जिसे वर्तमान पीढ़ी को न भूलना चाहिए और न जिससे विमुख ही होना चाहिए, क्योंकि उसी में हमारे नए जीवन का बीजारोपण हुआ था। परिवार के चित्रों के एलबम के विपरीत इस एलबम के चित्र धुँधले नहीं पड़े हैं, क्योंकि कैमरा एक ही रहा है। लैंसों का प्रयोग इस कुशलता से किया गया है कि चित्र बिल्कुल साफ़ और हूबहू अंकित हुए हैं, दूरी ने उन्हें धुँधला नहीं किया है, भावातिरेक या दुःख ने विकृत नहीं किया है।
—जगदीशचन्द्र माथुर
ISBN: 9788126717071
Pages: 496
Avg Reading Time: 17 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ का साहित्य उत्तराखंड का दर्पण जैसा लगता है। उसमें प्रतिबिंबित हुआ है—पर्वतीय अंचल का इतिहास-विकास, संपूर्ण प्रकृति परिदृश्य, जन-जीवन के संस्कार, पर्व-त्योहार, आचार-विचार, व्यवहार, खान-पान, पहनावा, रहन-सहन, परंपराएँ, रीति-रिवाज अर्थात् संपूर्ण आंचलिक वैशिष्ट्य। कपिल देव पंवार ने लेखक ‘निशंक’ की कथा-कृतियों में अंकित घटनाओं और पात्रों के माध्यम से हिमालयी संस्कृति संधी एक सकारात्मक संदेश दूर-दूर तक पहुँचाया है। —प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित (सभापति, हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग) श्री निशंक के कथा-साहित्य में लोक तत्त्वों की प्रधानता ही उनके कथा साहित्य का प्राणतत्त्व है, जिसके माध्यम से उत्तराखंड की समग्र संस्कृति, जीवन मूल्य, सामाजिक विसंगतियाँ, सामाजिक, परिवर्तन, स्त्री की वर्तमान स्थिति जैसे अनेक सामाजिक सरोकार पाठक की समूची चेतना पर अपना प्रभाव डालते हैं। यह कार्य लेखक की साहित्यिक मात्रा एवं रचना धर्मिता के विभिन्न सोपानों को उजागर करता है, जिसमें श्री निशंक के साहित्यिक अवदान व उसके महत्त्व से पाठक भली-भाँति परिचित हो सकता है। —प्रो. योजना रावत (हिंदी विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़)
SAMVAD KA SWARAJ
- Author Name:
Braj Kishore Kuthiala
- Book Type:

- Description: वर्तमान में भारतीय संस्कृति, सभ्यता एवं दर्शन की उपयोगिता को समस्त संसार स्वीकार कर रहा है और भारतीय मनीषा को आधुनिक संदर्भों में सरलता से प्रस्तुत करने का महत्त्वपूर्ण कार्य विद्वानों से अपेक्षित है। संचार विज्ञान एवं मीडिया के संदर्भ में भारतीय सोच एवं दृष्टि पर गिने-चुने विद्वानों ने ही लिखा है। संचारविज्ञानी प्रो. बृज किशोर कुठियाला किसी भी समाज में संचार को आधारभूत एवं सहज गतिविधि मानते हैं और वे समाज-केंद्रित व समाज हितैषी मीडिया के पक्षधर हैं। उनके लेख भारतीय पौराणिक ग्रंथों का संदर्भ लेकर आधुनिक संचार माध्यमों को न केवल नई दृष्टि प्रदान करते हैं बल्कि मीडिया और समाज के बीच के संबंधों को नए संदर्भों में पुनर्भाषित करते हैं। मीडिया के लिए नूतन आदर्शों की रूपरेखा तैयार करते हुए ये लेख मानव उत्थान एवं सनातन सरोकारों की बात करते हैं। पुस्तक में रामायण, महाभारत, भगवद्गीता, उपनिषद, पुराण, स्मृतियों एवं लोक जीवन के विभिन्न चरित्रों, श्लोकों, घटनाओं इत्यादि की आधुनिक संदर्भों में सरल व्याख्या की गई है। विस्तृत साक्षात्कार समकालीन विषयों पर उनके प्रेरक विचारों को जानने का अवसर प्रदान करता है। इस संग्रह के सारगर्भित लेख मीडिया शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों एवं उन सभी पाठकों के लिये उपयोगी व रोचक साबित होंगे जिनकी भारतीय सोच में रुचि है। —प्रो. देवव्रत सिंह
Ek Romanchak Kahani Coronakaal Ki
- Author Name:
Ajay Mohan Jain
- Book Type:

- Description: "“एक रोमांचक कहानी कोरोनाकाल की” अत्यंत रोमांचकारी कथा है। ...हम आशा करते हैं कि प्रत्येक पाठक इस कहानी से संबंध स्थापित करने में सक्षम होगा एवं इसे एक रोचक एवं ग्राह्य पाठ्य के रूप में याद रखेगा। —अभय करंदीकर, डायरेक्टर IIT कानपुर कैंब्रिज शोधकर्ता जेम्स वर्तमान महामारी के बारे में काफी चिंतित है जब एक साथी शोधकर्ता रमेश उसे यह कहते हुए आशन्वित करता है कि मानव इतिहास में पहली बार ऐसी घटना नहीं हो रही है। अपनी बात पर प्रकाश डालते हुए, रमेश सुदूर अतीत की, लगभग 4500 वर्ष पहले की एक कहानी सुनाता है कि कैसे मानव जाति अतीत में सारी विपदाओं को पार करके बची रही है और आगे बढ़ती रही है। आगे रमेश जेम्स को वर्तमान काल की दास्तान बताकर ढाढस बढ़ाता है कि कैसे मानव जाति कोरोना महामारी के कठिन दौर में उससे दो-चार करते हुए, अपने को नई परिस्थितियों में ढाल कर आगे बढ़ती जा रही है। वास्तविक मीटिंगों के बजाय वर्चुअल गेट-टूगेदर करने लगी है।...रमेश जेम्स को विश्वास दिलाता है कि हम अवश्य कामयाब होंगे और आगे बढ़ते रहेंगे। लचीलापन, आशावाद और मानव जाति की अदम्य इच्छाशक्ति एवं अद्भुत जिजीविषा की कहानी, यह आज के समय के लिए एकदम खरी उतरती है जिसमें हम जी रहे हैं। आज के कोरोनाकाल की परिस्थितियों की सिंधु घाटी सभ्यता के समय की आपदाओं से तुलना करता हुआ मानव जाति की अदम्य भावना को दरशाता यह रोचक, प्रेरणादायक लघु उपन्यास।"
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