Yuvraj Chunda
Author:
Bhagwaticharan VermaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 556
₹
695
Available
युवराज चूण्डा का प्रस्थान-बिन्दु इतिहास है— राजपूत काल का इतिहास। उपन्यासकार का उद्देश्य न तो सिर्फ व्यतीत हो चुके समय का चित्रण करना है, और न ही उस काल के यथार्थ की अनदेखी कर उसका आकर्षक किन्तु अयथार्थ चित्र प्रस्तुत करना—ऐतिहासिक कथा का आवरण लेकर भी उसने इस देश की उस चारित्रिक विशेषता का उद्घाटन करने का प्रयत्न किया है जो न केवल हमारी वर्षों की गुलामी का कारण बनी रही, बल्कि आज भी वह किसी-न-किसी रूप में हमारी जड़ों में घुन की तरह लगी है—“वैसे अगर राजस्थान के राजपूत राजा संयुक्त रूप से दिल्ली की बादशाहत पर आक्रमण करते तो वे उसका अन्त कर सकते थे, लेकिन आपसी कलह और विग्रह के कारण यह सम्भव नहीं था।”</p>
<p>‘युवराज चूण्डा’ की कहानी वस्तुत: नितान्त कुरूप यथार्थ के परिवेश में आदर्शवाद की कहानी है, जो आज भी न केवल अत्यन्त पठनीय है बल्कि कहीं अधिक प्रासंगिक भी।
ISBN: 9788126705771
Pages: 149
Avg Reading Time: 5 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Veerangana Jhalkari Bai
- Author Name:
Mohandas Naimisharay
- Book Type:

- Description: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में वीरांगना झलकारी बाई का महत्त्वपूर्ण प्रसंग हमें 1857 के उन स्वतंत्रता सेनानियों की याद दिलाता है, जो इतिहास में भूले-बिसरे हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि झलकारी बाई झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की प्रिय सहेलियों में से एक थी और झलकारी बाई ने समर्पित रूप में न सिर्फ रानी लक्ष्मीबाई का साथ दिया बल्कि झाँसी की रक्षा में अंग्रेजों का सामना भी किया। झलकारी बाई दलित-पिछड़े समाज से थीं और निस्वार्थ भाव से देश-सेवा में रहीं। ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों को याद करना हमें जरूरी है। इस नाते भी कि जो जातियाँ उस समय हाशिये पर थीं, उन्होंने समय-समय पर देश पर आई विपत्ति में अपनी जान की परवाह न कर बढ़- चढ़कर साथ दिया। वीरांगना झलकारी बाई स्वतंत्रता सेनानियों की उसी शंृखला की महत्त्वपूर्ण कड़ी रही हैं। इस उपन्यास को लिखने के लिए लेखक ने सम्बन्धित ऐतिहासिक और सामाजिक परिस्थितियों पर शोध कार्य के साथ स्वयं झाँसी जाकर झलकारी बाई के परिवार के लोगों, रिश्तेदारों आदि से भी मुलाकात की है।
Naukar Ki Kameez
- Author Name:
Vinod Kumar Shukla
- Rating:
- Book Type:

- Description: ‘नौकर की कमीज़’ भारतीय जीवन के यथार्थ और आदमी की कशमकश को प्रस्तुत करनेवाला उपन्यास है। इस उपन्यास की सबसे बड़े ख़ासियत यह है कि इसके पात्र मायावी नहीं बल्कि दुनियावी हैं, जिनमें कल्पना और यथार्थ के स्वर एक साथ पिरोए हुए हैं। कहीं भी ऐसा नहीं लगता कि किसी पात्र को अनावश्यक रूप से महत्त्व दिया गया हो। हर पैरे और हर पात्र की अपनी महत्ता है। केन्द्रीय पात्र संतू बाबू एक ऐसा दुनियावी पात्र है जो घटनाओं को रचता नहीं, बल्कि उनसे जूझने के लिए विवश, है और साथ ही इस सोसाइटी के हाथों इस्तेमाल होने के लिए भी। आज की ‘ब्यूरोक्रेसी’ और अहसानफ़रामोश लोगों पर यह उपन्यास सीधा प्रहार ही नहीं करता, बल्कि छोटे-छोटे वाक्यों के सहारे व्यंग्यात्मक शैली में एक माहौल भी तैयार करता चलता है। विनोद कुमार शुक्ल की सूक्ष्म निरीक्षण शक्ति का ही कमाल है कि पूरे उपन्यास को पढ़ने के बाद ज़िन्दगी के अनगिनत मार्मिक तथ्य दिमाग़ में तारीख़वार दर्ज होते चले जाते हैं। उनके छोटे-छोटे वाक्यों में अनुभव और यथार्थ का पैनापन है, जिसकी मारक शक्ति केवल तिलमिलाहट ही पैदा नहीं करती बल्कि बहुत अन्दर तक भेदती चली जाती है।
Sankshipt
- Author Name:
Harsh Ranjan
- Book Type:

- Description: मैं अपने तीसरे कहानी-संग्रह की दुनिया में आपका स्वागत करता हूँ। कुछ कहानियाँ शब्दों से ही नहीं, स्वभाव से भी बड़ी होती हैं और जीवन के एक पूरे के पूरे दौर की व्याख्या कर जाती हैं। ऐसी ही कहानियां ‘संक्षिप्त’ में संकलित हैं। ये सारी कहानियाँ मेरी ज़िंदगी का झूठा-सच हैं, मतलब अनुभूतियों से सच और पात्रों से झूठ। इन्हें मैंने इतने करीब से जिया है कि इनपर मेरा एक सौ एक प्रतिशत अधिकार है। मैं इन्ही कहानियों पर उपन्यास बनाने की कोशिश कर रहा हूँ जो एक-एक करके आपके सामने आएंगी। एक-दो कहानियाँ पुरानी हैं और शेष कहानियाँ नयी हैं। इनके कथ्य, इनकी शैली, इनके शब्दों में वो सारे परिवर्तन परिलक्षित होते हैं जो मुझमें जीवन के इस कठिन दौर में चलते-चलते आए थे। ये कहानियाँ ज़्यादातर प्रेम-कहानियाँ हैं और अगर कुछ और भी है तो उसका भी आधार प्रेम ही है।
Path Ka Daava
- Author Name:
Sharatchandra
- Book Type:

-
Description:
शरत् के अत्यन्त लोकप्रिय उपन्यास ‘पथेर दाबी’ का यह नया और प्रामाणिक अनुवाद एक बार फिर आत्ममन्थन और वैचारिक-सामाजिक बेचैनी की उस दुनिया में ले जाने को प्रस्तुत है, जो साठ-सत्तर साल पहले इस देश की आम आबोहवा थी। एक तरफ़ अंग्रेज़ सरकार का विरोध, उसी के साथ-साथ सामाजिक रूढ़ियों से मुक्ति का जोश और एक सजग राष्ट्र के रूप में पहचान अर्जित करने की व्यग्रता—यह सब उस दौर में साथ-साथ चल रहा था। शरत् का यह उपन्यास बार-बार बहसों में जाता है, अपने वक़्त को समझने की कोशिश करता है, और प्रतिरोध तथा अस्वीकार की एक निर्भीक और स्पष्टवादी मुद्रा को आकार देने का प्रयास करता है।
पहली बार सम्पूर्ण पाठ के साथ, सीधे बांग्ला से अनूदित यह उपन्यास भावुक-हृदय शरत् के सामाजिक और राजनीतिक सरोकारों और चिन्ताओं का एक व्यापक फलक प्रस्तुत करता है। तत्कालीन सामाजिक-राजनीतिक स्थितियों पर दो टूक बात करता यह उपन्यास एक लेखक के रूप में शरत् की निर्भीकता और स्पष्टवादिता का भी प्रमाण है। अंग्रेज़ी शासन और बंगाली समाज के बारे में उपन्यास के मुख्य पात्र डॉ. सव्यसाची की टिप्पणियों ने तब के प्रभु समाज को विकल कर दिया था, तो यह स्वाभाविक ही था। अपने ही रोज़मर्रापन में गर्क भारतीय समाज को लेकर जो आक्रोश बार-बार इस उपन्यास में उभरा है, वह मामूली फेरबदल के साथ आज भी हम अपने ऊपर लागू कर सकते हैं। उल्लेखनीय है डॉक्टर का यह वाक्य, “ऐसा नहीं होता, भारती, कि जो पुराना है वही पवित्र है। सत्तर साल का आदमी पुराना होने की वजह से दस साल के बच्चे से ज़्यादा पवित्र नहीं हो सकता।”
स्वतंत्रता संघर्ष की उथल-पुथल के दौर में भारतीय समाज के भीतर चल रही नैतिक और बौद्धिक बेचैनियों को प्रामाणिक ढंग से सामने लाता एक क्लासिक उपन्यास।
Pavallai
- Author Name:
K. Chinnappa Bharti
- Book Type:

-
Description:
समाजवादी विचारधारा के जाने-माने तमिल उपन्यासकार कु. चिन्नप्प भारती की कृति ‘पवलाई’ उनकी अन्य रचनाओं से अलग पहचान रखती है, कथा और वस्तु-शिल्प दोनों के लिहाज़ से। इसमें वर्ग संघर्ष या मज़दूर समस्याओं को नहीं उछाला गया है, प्रत्युत अपने सच्चे प्रेम को शाश्वत बनाने के लिए एक नारी द्वारा छेड़ी गई ज़बर्दस्त मुहिम इसका केन्द्रबिन्दु है। जाति-बिरादरी के निहित स्वार्थों के चलते प्रेमी को छोड़कर पड़ोसी गाँव के पेरियण्णन का हाथ पकड़ने को मजबूर पवलाई मन-मन्दिर में प्रेमी को देवता के रूप में स्थापित करके गृहस्थी के जुए को कन्धे पर ढोते हुए समर्पित पत्नी और कुशल गृहिणी के रूप में पति और गाँववालों का मन मोह लेती है। गाँव में प्रेमी लकवा का शिकार होता है तो उसे सहारा देने के लिए पति को तज देती है। इधर शादी के चन्द महीनों बाद पवलाई के पिछले प्रेम के बारे में जान लेने पर भी पेरियण्णन इसी प्रत्याशा मन ही मन उसे क्षमा कर देता है कि वह अबोध अवस्था की सहज दुर्बलता थी जो दुहराई नहीं जाएगी।
बचपन से ही अनाथ और जीवन-संघर्षों से अनुभव-प्राप्त पेरियण्णन इतना सुलझा हुआ है कि पत्नी की निष्ठा पर कभी सवाल नहीं उठाता। किन्तु दस साल की सुखमय गृहस्थी पवलाई के साहसिक क़दम के कारण ताश के घर के समान गिर जाती है। परियण्णन हताश तो होता है, पर मानसिक सन्तुलन नहीं खोता। पत्नी द्वारा बुरा-भला कहने पर भी उत्तेजित नहीं होता। पवलाई के व्यंग्य-बाणों को अपने तर्कों से निरस्त करता वह सीधा-सादा गृहस्थ विदेहराज जनक की दार्शनिकता और युधिष्ठिर की क्षमाशीलता को भी मात कर देता है।
उसके जीवन में विधवा तंकम्मा का प्रवेश परिस्थितिजन्य था और यह उजास भी अल्पकालिक ही रही। विधवा नारी के दाम्पत्य जीवन के प्रति समाज के कटाक्ष और विधवा पुत्र को हेय दृष्टि से देखने की कुटिल मनोवृत्ति को सहन न कर पाने से तंकम्मा अपने जीवन का अन्त कर लेती है और यों पेरियण्णन के जीवन में फिर से अँधेरा छा जाता है। समाज के इन अर्थहीन आचार-विचारों से विरक्त पेरियण्णन अपने आड़े वक़्तों में साथ देनेवाले दलित नौकर रामन को अपनी जायदाद का वारिस घोषित करते हुए अपने आपको भी उसी को सौंप देता है। इस तरह तीन-चार पात्रों के मानसिक संघर्षों के बारी-बारी से चित्रण के चलते एक पूरा समाज अपनी आस्थाओं और अन्धविश्वासों के साथ पाठक के सामने साकार होता है...
Loktantra, Rajneeti Aur Dharma
- Author Name:
A. Surya Prakash
- Book Type:

- Description: यह पुस्तक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार श्री ए. सूर्य प्रकाश के विगत अनेक वर्षों के दौरान प्रकाशित उनके लेखों का संग्रह है। उनके अधिकांश लेखों में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विषयों का उल्लेख रहता है, जो एक लंबी अवधि के दौरान सामने आए और भारत की राजनीति एवं शासन को प्रभावित किया। संविधान की कार्यप्रणाली और आजादी के बाद से ही लोकतंत्र के विस्तार में उनकी विशेष अभिरुचि रही है। इस कारण ही इस पुस्तक में ऐसे अध्याय शामिल हैं, जिनमें संवैधानिक विषयों, संसद की कार्यप्रणाली, न्याय-प्रणाली, कार्यपालिका और मीडिया की विशेष रूप से चर्चा की गई है। लेखक का मत है कि ऐतिहासिक तथ्यों को नकारना नेहरूवादी और मार्क्सवादी विचारधारा के लोगों का शौक रहा है। इन लोगों की ओर से लाई गई विकृतियों को वर्तमान राष्ट्रीय राजनीति के दौर में चुनौती दिए जाने और ठीक किए जाने की जरूरत है। इसकी झलक उनके लेखों में भी मिलती है, जिनमें धर्मनिरपेक्ष बनाम छद्म-निरपेक्ष की लगातार जारी बहस के साथ ही इस विषय पर छिड़े संग्राम की चर्चा है कि क्या राष्ट्रवादी है और क्या राष्ट्रविरोधी। किसी भी सूरत में, चाहे मुद्दा कोई भी हो, और बहस कितनी ही भीषण क्यों न हो, उनका मानना है कि यह सबकुछ संविधान के दायरे में ही होना चाहिए।
Dhapel
- Author Name:
Shyam Bihari 'Shyamal'
- Book Type:

-
Description:
‘धपेल’ हिन्दी का ऐसा पहला उपन्यास है, जिसमें देश के सर्वाधिक सूखा-अकाल पीड़ित, भूख-ग़रीबी से त्रस्त-सन्तप्त तथा मृत्यु-उपत्यका का पर्याय कहे जानेवाले पलामू क्षेत्र का लोमहर्षक जीवन-संघर्ष सीधे-सीधे दर्ज हुआ है—बग़ैर किसी कलाबाज़ी या कृत्रिम लेखकीय कसरत
के।बांग्ला भाषा में पलामू पर विपुल साहित्य रचा गया है। पिछली ही शताब्दी में बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय के अग्रज सजीवचन्द्र चट्टोपाध्याय ने 1880 में ‘पलामू’ नामक औपन्यासिक कृति का सृजन किया था। तब से लेकर महाश्वेता देवी जैसी शीर्षस्थ रचनाकार तक की क़लम पलामू पर निरन्तर चलती रही। हिन्दी में ही इस पर ज़मीनी अनुभवों से उपजी प्रामाणिक कृति का अभाव रहा है। ‘धपेल’ इस अभाव को प्रभावशाली ढंग से मिटाता है। 1993 के एक अकाल-सूखा प्रसंग को केन्द्र में रखकर रचा गया यह उपन्यास अन्ततः इस अभिशप्त भूगोल-विशेष की ही गाथा नहीं रह जाता, बल्कि भूख और ग़रीबी की जड़ों को उधेड़ते हुए अपने सम्पूर्ण देश और काल का मर्मान्तक आख्यान बन जाता है। ‘पलामू ग़रीब भारत का आईना है’ जैसे महाश्वेता देवी के पुराने चिन्ता-कथन का श्यामल ने अपने इस पहले उपन्यास में जैसा प्रामाणिक एवं मर्मस्पर्शी चित्रण-विश्लेषण किया है, इससे उनकी रचना-क्षमता एवं वर्णन-कौशल का पता चलता है।
यहाँ ‘धपेल’ एक ऐसे भयावह प्रतीक के रूप में चित्रित हुआ है जो सभी प्रकार की जीवनी-शक्तियों को सोखने का काम करता है। दिवंगत आत्मा की शान्ति के लिए होनेवाले ब्रह्मभोज में असाधारण मात्रा में भोजन करनेवाले ‘धपेल’ बाबा अन्ततः व्यवस्था के उन तमाम धपेलों के आगे बौने साबित होते हैं, जो हर क्षेत्र में ऊर्जा को चट करने में जुटे हुए हैं। व्यवस्था के धपेलीकरण का यह सारा वृत्तान्त रोंगटे खड़े कर देनेवाला है।
Nadi
- Author Name:
Usha Priyamvada
- Book Type:

-
Description:
‘बस—बहने दो जीवन सरिता को कहीं-न-कहीं—जल्दी या देरी से—कोई-न-कोई हल तो निकलेगा।' यही सूत्र है 'नदी' उपन्यास का। हिन्दी कथा-साहित्य में अविस्मरणीय ख्याति प्राप्त कर चुकीं उषा प्रियम्वदा का यह नया उपन्यास पठनीयता का पुनर्नवन है। नियति, अबूझ जीवन, प्रारब्ध—क्या नाम दें उस घटनाक्रम को जो 'नदी' की नायिका आकाशगंगा को जाने किस-किस रूप में कहाँ-कहाँ से विस्थापित करता है।
विदेश में निवास करती आकाशगंगा पुत्र भविष्य की मृत्यु के लिए इस सीमा तक अपने पति द्वारा उत्तरदायी मानी जाती है कि परिवार से विच्छिन्न कर दी जाती है। पति गगनेन्द्र दो बेटियों सहित भारत आ जाते हैं। यहीं से एकाकी छूट गई आकाशगंगा का संघर्ष प्रारम्भ होता है। वह अर्जुन सिंह और एरिक के प्रगाढ़ सम्पर्क में आती है। भारत लौटकर सास-ससुर, बेटियों की आत्मीयता में घिरने लगती है कि एक प्राय: अप्रत्याशित स्थिति उसे दूरदेश ले आती है।
प्रवीण दम्पति के साथ रहकर गंगा जीवन का नया अध्याय शुरू करती है। और एरिक के साहचर्य से उत्पन्न उसका बेटा स्तव्य स्टीवेन! आकाशगंगा अपने जीवन-प्रवाह में जिन ऊँचाइयों, गहराइयों, मैदानों, घाटियों, संकीर्ण-पथों प्रशस्त पाटों से गुज़रती है, उन्हें उषा प्रियम्वदा ने जीवन्त कर दिया है।
उषा प्रियम्वदा ने आकाशगंगा के बहाने स्त्री-जीवन के कटु-कठोर यथार्थ का मार्मिक चित्रण किया है। भाषा और शैली के लिए तो वे अलग से पहचानी ही जाती हैं।
‘नदी' जीवन-प्रवाह का ऐसा दृश्य...जिसमें अदृश्य के अँधेरे देर तक चमकते रहते हैं।
Chandrakanta Santati : Vols. 1-6
- Author Name:
Devakinandan Khatri
- Book Type:

-
Description:
‘चन्द्रकान्ता’ का प्रकाशन 1888 में हुआ। ‘चन्द्रकान्ता’, ‘सन्तति’, ‘भूतनाथ’—यानी सब मिलाकर एक ही किताब। पिछली पीढ़ियों का शायद ही कोई पढ़ा-बेपढ़ा व्यक्ति होगा जिसने छिपाकर, चुराकर, सुनकर या ख़ुद ही गर्दन ताने आँखें गड़ाए इस किताब को न पढ़ा हो। चन्द्रकान्ता पाठ्य-कथा है और इसकी बुनावट तो इतनी जटिल या कल्पना इतनी विराट है कि कम ही हिन्दी उपन्यासों की हो।
अद्भुत और अद्वितीय याददाश्त और कल्पना के स्वामी हैं—बाबू देवकीनन्दन खत्री। पहले या तीसरे हिस्से में दी गई एक रहस्यमय गुत्थी का सूत्र उन्हें इक्कीसवें हिस्से में उठाना है, यह उन्हें मालूम है। अपने घटना-स्थलों की पूरी बनावट, दिशाएँ उन्हें हमेशा याद रहती हैं। बीसियों दरवाज़ों, झरोखों, छज्जों, खिड़कियों, सुरंगों, सीढ़ियों...सभी की स्थिति उनके सामने एकदम स्पष्ट है। खत्री जी के नायक-नायिकाओं में ‘शास्त्रसम्मत’ आदर्श प्यार तो भरपूर है ही।
कितने प्रतीकात्मक लगते हैं ‘चन्द्रकान्ता’ के मठों-मन्दिरों के खँडहर और सुनसान, अँधेरी, ख़ौफ़नाक रातें।—ऊपर से शान्त, सुनसान और उजाड़-निर्जन, मगर सब कुछ भयानक जालसाज हरकतों से भरा...हर पल काले और सफ़ेद की छीना-झपटी, आँख-मिचौनी।
खत्री जी के ये सारे तिलिस्मी चमत्कार, ये आदर्शवादी परम नीतिवान, न्यायप्रिय सत्यनिष्ठावान राजा और राजकुमार, परियों जैसी ख़ूबसूरत और अबला नारियाँ या बिजली की फुर्ती से ज़मीन-आसमान एक कर डालनेवाले ऐयार सब एक ख़ूबसूरत स्वप्न का ही प्रक्षेपण हैं।
‘चन्द्रकान्ता’ को आस्था और विश्वास के युग से तर्क और कार्य-कारण के युग में संक्रमण का दिलचस्प उदाहरण भी माना जा सकता है।
—राजेन्द्र यादव
Karmbhoomi
- Author Name:
Premchand
- Book Type:

-
Description:
अपने वक़्त के सच को पेश करने का प्रेमचन्द का जो नज़रिया था, वह आज के लिए भी माकूल है। ग़रीबों और सताए गए लोगों के बारे में उन्होंने किसी तमाशबीन की तरह नहीं, एक साझीदार की तरह से लिखा।
—फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
समाज-सुधारक प्रेमचन्द से कलाकार प्रेमचन्द का स्थान कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। उनका लक्ष्य जिस सामाजिक संघर्ष और प्रवर्तन को चित्रित करना रहा है, उसमें वह सफल हुए हैं।
—डॉ. रामविलास शर्मा
क़लम के फ़ील्ड मार्शल, अपने इस महान पुरखे को दिल में अदब से झुककर और गर्व से मैं रॉयल सैल्यूट देता हूँ।
—अमृतलाल नागर
Love In Jamshedpur
- Author Name:
Ajitabha Bose
- Rating:
- Book Type:

- Description: Do you remember who was your first crush? Did you too dream of marrying her? Everyone does somehow, isn't it? So did Arnab! When he saw simpi for the very first time, he fell in for a forever-love. Yet, the dream took a different turn when she rejected him time and again. What lies ahead? Will Arnab be able to impress his first love? Or will he fail, again? Bestselling author, ajitabha Bose brings to you a true tale of love based in the small town of Jamshedpur.
Harun Aur Kahaniyo Ka Samunder
- Author Name:
Salman Rushdi
- Book Type:

-
Description:
हद दर्जे तक उदास शहरों में भी एक ऐसा उदास शहर जो अपना नाम भूल चुका है, इसी शहर में एक क़िस्सागो रशीद अपने बेटे हारून के साथ रहता है। रशीद बकवास का बादशाह है—समन्दर-भर ख़यालों और दैवी प्रतिभा का धनी। आप उससे कोई कहानी सुनाने के लिए कहिए और फिर किसी पुरानी कहानी की उम्मीद मत कीजिए, न ही ये सोचिए कि आप कोई एकाध कहानी सुनने जा रहे हैं। यहाँ सैकड़ों कहानियाँ आपकी मुंतज़िर हैं। ख़ुशी और उदासी की गड्डमड्ड कहानियाँ, प्यार और नफ़रत के टुकड़ों से बनीं; राजकुमारियों, दुष्ट चाचाओं और मोटी चाचियों, पीली चैक की पतलूनों वाले मुच्छड़ बदमाशों और दर्जनों मीठी धुनों से लबरेज़ कहानियाँ।
लेकिन एक दिन चीज़ें—कई सारी चीज़ें—भयानक ढंग से उलट-पुलट हो गईं। रशीद को उसकी पत्नी ने छोड़ दिया। उसके बाद जब भी वह मुँह खोलता, कोई कहानी हाज़िर न होती, उसकी जगह सिर्फ़ भौंकने की एक डरावनी आवाज़ सुनाई पड़ती। बकवास का बादशाह अपने वरदान से वंचित हो चुका था, क्योंकि उसकी नज़रों से कहीं दूर, जाने किस तरह कुछ बुरा घट चुका था, कहानियों का समन्दर धीरे-धीरे प्रदूषित होता जा रहा था। ख़तम-शुद—चुप्पी का राजकुमार और आवाज़ का दुश्मन—कहानियों के समन्दर को गुप्त रूप से प्रदूषित कर चुका था।
‘हारून और कहानियों का समन्दर’ एक साहसिक उपन्यास है—एक पिता, रशीद, और उसके बेटे हारून तथा हारून द्वारा अपने पिता के खोए वरदान को लौटा लाने की कोशिशों की सनसनीख़ेज़ दास्तान। इस कहानी में एक पागल बस ड्राइवर है—बट्ट और एक पानी का जिन्न है—इफ़्फ़। एक तैरता हुआ माली है और एक जोड़ा मछलियों का जिनके पूरे शरीर पर मुँह ही मुँह हैं। इस कहानी में आपको गप नाम का एक अद्भुत शहर मिलेगा (जहाँ हमेशा रोशनी रहती है) और चुप नाम का एक भयानक द्वीप भी (जहाँ हमेशा अँधेरा रहता है)।
और, इसमें आपका सामना होगा पी2सी2ई. (यानी इतनी जटिल कि समझाना कठिन प्रक्रिया—प्रोसेस टु कॉम्प्लीकेटेड टु एक्सप्लेन) से, जो शायद इस कहानी की सबसे अहम चीज़ है।
Khuda Ki Basti
- Author Name:
Shaukat Siddeeqi
- Book Type:

- Description: ‘ख़ुदा की बस्ती’ शौक़त सिद्दीक़ी का बहुचर्चित-बहुप्रशंसित उपन्यास है। इसे पाकिस्तान के सर्वोच्च पुरस्कार ‘आदमजी प्राइज़’ से सम्मानित किया गया है। इसके उर्दू में पाकिस्तान में तीस संस्करण छप चुके हैं और संसार की सभी भाषाओं में यह उपन्यास अनूदित होकर प्रसिद्धि पा चुका है। इस उपन्यास पर आधारित सिन्ध प्रान्त और कराची के बीच ‘ख़ुदा की बस्ती’ बसाई गई है। इस उपन्यास के सारे चरित्र वही हैं, जो ख़ुदा की जीती-जागती बस्तियों में भी मिल जाते हैं—अच्छे-बुरे, गुंडे, मवाली, शिद्दत से प्रेम वाले और उसी शिद्दत से नफ़रत करनेवाले भी। छोटे-मोटे, चोर-उचक्के, जेबकतरे, राजनीति का एक हिस्सा बन जानेवाले भी। इस उपन्यास के प्रकाशित होते ही उर्दू की साहित्यिक दुनिया में हंगामा मच गया, क्योंकि इससे पहले इस विषय पर और इतने अनोखे अन्दाज़ में उर्दू में कुछ भी नहीं लिखा गया था।
Until We Meet Again
- Author Name:
Ajitabha Bose
- Rating:
- Book Type:

- Description: How far will you go to meet your love again? More often than not, we rekindle our hopes in the desire to hold onto things which are to be let go. More often than not, that thing is love. That's what brought together shivangi and Karan. Two people who were Poles apart from each other But shared one common thread of love. While Karan was a simple guy from next door, shivangi was a girl with big dreams. Though she had an orthodox family, their love dared to be United. Their passion had another life to run to, and so did they, until fate played its twisted game and a mishap knocked them on the door. Bestselling author ajitabha Bose brings you another heartwarming tale of love, trust and a forever you might have never read.
Qaid Bahar
- Author Name:
Geeta Shri
- Book Type:

-
Description:
प्रेमी जहाँ पति मैटेरियल में बदलने लगता है और प्यार विवाह नाम के नरक में, क़ैद की दीवारें वहीं उठना शुरू होती हैं, जिनसे निकलने का संघर्ष इस उपन्यास की स्त्रियाँ कर रही हैं। लेकिन इस मुक्ति का निर्वाह क्या इतना आसान है? प्रेम से रहित हो जाना और अपने एकान्त के वैभव को चारों तरफ जगमगाती-दहाड़ती पारिवारिकताओं के ठीक सामने खड़ा कर देना; क्या यह उतना ही सरल है जितना विचार के रूप में सोच लेना!
यह एक मुश्किल फ़ैसला है, एक कठिन इरादा जिसके लिए अपने आप से भी लड़ना होता है, और अपने आसपास की दुनिया से भी, उन मूल्यों-मान्यताओं से भी जिन्हें जीवन की एकमात्र और स्वीकृत पद्धति के रूप में स्थापित कर दिया गया है। लेकिन आज की स्त्री को यह संघर्ष, यह ख़तरा, यह बहुआयामी युद्ध फिर भी वरेण्य लगता है, बनिस्बत उस ‘सुख’, ‘संतोष’ और ‘पूरेपन’ के जिसकी गारंटी विवाह नाम की संस्था देती रही है, और बदले में स्त्री से ही नहीं, कई बार पुरुष से भी उसकी आज़ादी को छीनती रही है।
स्त्री-स्वातंत्र्य की अवधारणाओं को अपने लेखन से नई धार देनेवाली गीताश्री का यह उपन्यास कथाओं और उपकथाओं में चलती एक बहस ही है। यह उन स्त्रियों के अन्तर्बाह्य संघर्षों का कोलाज है जो समाज को पारम्परिक परिवार के स्थान पर एक नया केन्द्र देना चाहती हैं जहाँ किसी की संवेदना को रौंदा न जाए, न स्त्री की, न पुरुष की; जहाँ इन दोनों का सम्बन्ध आरम्भ से अन्त तक एक-दूसरे को अपने-अपने ‘व्यक्ति’ में खिलने-खुलने-पूरा होने में मदद देता हो।
इस उपन्यास से गुज़रना स्त्री-विमर्श के एक जटिल, लेकिन ज़रूरी पड़ाव से साक्षात्कार करना है।
Pehla Aadmi
- Author Name:
Albert Camus
- Book Type:

-
Description:
पहला आदमी कामू का अन्तिम उपन्यास है। एक प्रकार से यह उनकी आत्मकथात्मक कृति है।
1960 में हुई एक कार दुर्घटना में जब कामू की मृत्यु हुई तो उनके हाथ में थमे ब्रीफकेस में इस उपन्यास की पांडुलिपि थी; काफी कुछ अधूरी और असंशोधित।
कामू की पत्नी ने इसे प्रकाशित नहीं होने दिया था। कई वर्ष बाद 1993 में अपनी माँ के निधन के बाद कामू की पुत्री कैथरीन ने ‘पहला आदमी’ बिना किसी संशोधन के प्रकाशित करने का निर्णय लिया। चूँकि लिखने के दौरान कामू द्वारा पांडुलिपि पर अंकित टिप्पणियाँ और परिवर्तन के लिए स्वयं को दी गई हिदायतें भी प्रकाशित की गईं इसलिए यह उपन्यास कामू के शोधार्थियों के लिए अमूल्य दस्तावेज़ और विश्व साहित्य की एक महत्त्वपूर्ण घटना साबित हुआ। ‘पहला आदमी’ ने कामू के उन आलोचकों को भी शान्त कर दिया जो कहते थे कि ‘प्लेग’ के बाद कामू की सर्जनात्मक क्षमता चुक गई थी। ‘पहला आदमी’ में अपने पिता की खोज करता हुआ चालीस वर्षीय नायक जाक कारमॅरी अपने अतीत पर एक गहरी निगाह डालता है और अपनी अभाव से भरी ज़िन्दगी में भी जीवित रहने की गहरी इच्छा का परिचय देता है। कामू इस कृति में आत्मकथ्य के ज़रिए ग़रीबी का सामाजिक इतिहास रचते चले जाते हैं।
उपन्यास दो भागों में विभक्त है : ‘पिता की खोज’, और ‘पुत्र’। वह पिता जिसकी खोज नायक कर रहा है, कामू के पिता की तरह ही पहले विश्वयुद्ध में मारा जा चुका है। कारमॅरी की माँ का अनपढ़, बहरा, मितभाषी होना और चुपचाप यातनाएँ झेलते रहना पिता की खोज में उसी तरह बाधा डालता है जैसे कामू की माँ के स्वभाव ने उनके वास्तविक जीवन में बाधा डाली थी।
इस उपन्यास का शीर्षक ‘पहला आदमी’—चर्चा का विषय रहा है। कौन है यह पहला आदमी—पिता, पुत्र या वह अल्जीरिया निवासी, फ्रांसीसी या अरब या कोई भी वह निर्धन आदमी जिसकी मृत्यु के साथ उसका नाम-निशान तक मिट जाता है, कुछ शेष नहीं रहता? यह उपन्यास आपको भी यह उत्तर ढूँढ़ने के लिए प्रेरित करेगा।
दुनिया की लगभग सभी भाषाओं में अनूदित इस उपन्यास को सीधे फ्रेंच से हिन्दी में भाषान्तरित किया है डॉ. शरद चन्द्रा ने।
Man-Maati
- Author Name:
Asghar Wajahat
- Book Type:

- Description: मन-माटी दरअसल उपन्यास से अधिक अपनी जड़ों की तलाश में लगे व्यक्तियों की व्यथा का एक दस्तावेज़ है। उपन्यास का कोई पारम्परिक ढाँचा नहीं है क्योंकि इसमें केवल किसी एक व्यक्ति या परिवार की कथा नहीं है बल्कि एक खोज है जिसे हम केन्द्रीय मुद्दा मान सकते हैं। यह केन्द्रीय समस्या तरह-तरह के रंगों में हमारे सामने आती है। इसकी झलकियाश् कहीं सूरीनाम के जंगलों में मिलती हैं तो कहीं यह अमेरीका और योरोप के महाद्वीपों में नज़र आती है। अलग-अलग देशों में बसे लोगों की खोज इस तरह उद्घाटित होती है कि माटी को मन मान लेने पर विवश होना पड़ता है। दरअसल मन और माटी के प्रतीक को लेखक ने एक बड़े फलक पर स्थापित करने का प्रयास किया है। असग़र वजाहत के लेखन की आत्मीय, अनौपचारिक और रोचक शैली उनका बेबाक अन्दाज़ इस उपन्यास में पूरी तरह देखा जा सकता है। पात्रों के साथ उनके परिवेश में डूब जाना, उनके मनो-भावों, आशा-निराशा, सुख-दुख के साथ के आत्मीय रिश्ता बना लेना पाठक को सुहाता है। एक देश-काल की कहानी न होते हुए भी मन-माटी पाठक पर गहरा प्रभाव छोड़ती है। युगों युगों से मनुष्य तरह-तरह की आवश्यकताओं या मजबूरियों के कारण एक जगह से उखड़ता है और दूसरी जगह जाकर बस जाता है। सरसरी ढंग से देखने पर यह बहुत सहज और सीधी बात लगती है लेकिन इसके मर्म तक पहुँचने पर लगता है कि यह तो मृत्यु और जन्म जैसे गम्भीर प्रश्न की तरह हमें चिन्तित करती है। इसी जिल्द में शामिल दूसरा उपन्यास ‘चहारदर’ भी प्रेम को ही प्रतिष्ठित करता है। साथ ही दोनों लघु उपन्यासों में राजनीति के षड्यंत्रों का भी पर्दाफाश किया गया है जिसके लिए व्यवस्था ही सर्वोपरि है, मनुष्यता और भावनाओं की कोई कीमत नहीं। दोनों लघु उपन्यासों की सहजता, सरलता ही उनकी विशिष्टता है।
Memoirs of Love
- Author Name:
Arkaprava De +1
- Rating:
- Book Type:

- Description: 'Experience lost relationships in their most cherished memories. Even when nothing good lasts forever, some stories never cease to be. "Memoirs of Love" is one such collection of tales from the heart for the heart. Exploring a range of emotions, each story enters the world of a unique character. Moving and buoyant, this treasure trove of lost love is an indispensable book.'
Dharampur Lodge
- Author Name:
Pragya
- Book Type:

- Description: उम्मीद, नाउम्मीदी से कहीं अधिक बड़ी होती है। नाउम्मीदी जब लोगों को बार-बार हराने का मंसूबा बनाती है तो लोग उसे पछाड़कर आगे बढ़ जाते हैं। यह उपन्यास ऐसे ही तीन लड़कों की कहानी है जो किशोर उम्र से जवानी की दहलीज़ पर आ खड़े होते हैं और उसमें तमाम रंग भरते, एक दिन उसे लाँघकर उम्र के अगले पड़ाव पर पहुँच जाते हैं। उनकी ज़िन्दगी उस धरातल पर चलती है जहाँ उनके गली-मोहल्ले के सुख-दु:ख हैं। जहाँ उन्हें लगता है कि बस इतना ही आकाश है उनका। वे एक ओर प्रेम का स्वप्निल संसार रचते हैं तो दूसरी ओर अपराध की नगरी उन्हें खींचती है। उनकी ज़िन्दगी वास्तविक कठोर धरातल पर तब आती है जब वे अपने इलाक़े के मज़दूरों से जुड़ते हैं, देश में आ रहे परिवर्तनों के गवाह बनते हैं। एक तरफ़ उदारीकरण की कवायद तो दूसरी तरफ़ साम्प्रदायिकता का उभार। एक तरफ़ समृद्धि के नए ख़ूबसूरत सपने और दूसरी तरफ़ बदहाली की बदसूरत तस्वीरें। ये दिल्ली के उस दौर की कहानी है जब शहर की आबोहवा सुधारने के लिए दिल्ली के कपड़ा मिलों में काम करनेवाले हज़ारों लोगों का रोज़गार एक झटके में ख़त्म कर दिया गया। कितनी ही ज़िन्दगियाँ तबाही की ओर धकेल दी गईं। उपन्यासकार ने समय की इसी इबारत को आपके सामने लाने की एक सार्थक कोशिश की है। पुरानी दिल्ली के इलाक़े क़िस्सागोई के अन्दाज़ में बयाँ हुए हैं।
Raavi Likhata Hai
- Author Name:
Abdul Bismillah
- Book Type:

-
Description:
पाश्चात्य और भारतीय सभ्यता-संस्कारों के बीच पुल बनाता, एक संवेदनशील तथा शालीन मुस्लिम परिवार का मार्मिक दस्तावेज़। लेखक ने वर्तमान के माध्यम से अतीत के कथाचित्र का सजीव चित्रण किया है और साहित्य की एक सशक्त प्रविधि 'फैंटेसी' का बख़ूबी प्रयोग करते हुए उपन्यास को एक नए सौन्दर्यशास्त्र से सृजित किया है।
उपन्यास में एक निम्न मध्यवर्गीय लेकिन कर्मशील मुस्लिम परिवार की कई पीढ़ियों की जीवनगाथा का रोचक ब्योरा प्रस्तुत किया गया है। उनकी संस्कृति व सामाजिक सरोकारों के साथ-साथ यह उपन्यास ग्रामीण जीवन की गहनता, प्रकृति प्रेम, खेत-खलिहानों के दृश्यों का भी सफ़र करता है। भारतीयता की जड़ें कितनी सशक्त, गहरी और शाश्वत हैं और उनका प्रभाव कितना दूरगामी है, यह उपन्यास इस सच्चाई को स्थापित करता है। पाश्चात्य संस्कृति में पले बच्चे जिन्हें देशी रहन-सहन, खानपान, भाषा और अपनी दुर्व्यवस्था से अजीब-सा परहेज़ था, उनका सहज रूपान्तरण एक ख़ूबसूरत प्रक्रिया है।
लेखक ने नए और पुराने जीवन और समाज को बिना किसी टकराहट के एक शृंखला में बाँधने और सामंजस्य बनाने का एक सार्थक और अनिवार्य कार्य किया है जो आज के समय की आवश्यकता भी है।
इस उपन्यास में आज की कम्प्यूटर, मैसेज, ई-मेल की इलेक्ट्रॉनिक दुनिया और तेज़ रफ़्तार भौतिक जीवन के बीच सम्बन्धों, रिश्तों और संवेदनाओं को कैसे जीवित रखा जा सकता है, इन पहलुओं को भी सरल भाषा में सँजोया गया है। भाषा की रवानगी कृति की पठनीयता को बढ़ाती है और पाठक के अन्तर्मन से एक रिश्ता भी बनाती है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Hurry! Limited-Time Coupon Code
Logout to Rachnaye
Offers
Best Deal
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.
Enter OTP
OTP sent on
OTP expires in 02:00 Resend OTP
Awesome.
You are ready to proceed
Hello,
Complete Your Profile on The App For a Seamless Journey.