Samarthya Aur Seema
Author:
Bhagwaticharan VermaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 239.2
₹
299
Available
मनुष्य समर्थ है और समझता है कि इस सामर्थ्य का स्रोत वही है और वही इसका उपार्जन करता है। वह केवल अपने सामर्थ्य को ही देखता है, अपनी सीमाओं को नहीं।
‘सामर्थ्य और सीमा’ अपने सामर्थ्य की अनुभूति से पूर्ण कुछ ऐसे विशिष्ट व्यक्तियों की कहानी है जिन्हें परिस्थितियाँ एक स्थान पर एकत्रित कर देती हैं। हर व्यक्ति अपनी महत्ता, अपनी शक्ति और सामर्थ्य से सुपरिचित था—हरेक को अपने पर अटूट अविश्वास था। लेकिन परोक्ष की शक्तियों को कौन जानता था जो इनके इस दर्प को चकनाचूर करने को तैयार हो रही थीं।
भगवतीचरण वर्मा के उपन्यासों की विशेषता वृहत् सामाजिक-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में व्यक्ति के मनोभावों का बारीक अंकन रही है—यह उपन्यास स्वातंत्र्योत्तर पात्रों के जीवन का चित्रण करता है।
‘सामर्थ्य और सीमा’ महान संघर्ष से युक्त जीवन का सशक्त और रोचक चित्रण है।
ISBN: 9788126700585
Pages: 232
Avg Reading Time: 8 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Pavallai
- Author Name:
K. Chinnappa Bharti
- Book Type:

-
Description:
समाजवादी विचारधारा के जाने-माने तमिल उपन्यासकार कु. चिन्नप्प भारती की कृति ‘पवलाई’ उनकी अन्य रचनाओं से अलग पहचान रखती है, कथा और वस्तु-शिल्प दोनों के लिहाज़ से। इसमें वर्ग संघर्ष या मज़दूर समस्याओं को नहीं उछाला गया है, प्रत्युत अपने सच्चे प्रेम को शाश्वत बनाने के लिए एक नारी द्वारा छेड़ी गई ज़बर्दस्त मुहिम इसका केन्द्रबिन्दु है। जाति-बिरादरी के निहित स्वार्थों के चलते प्रेमी को छोड़कर पड़ोसी गाँव के पेरियण्णन का हाथ पकड़ने को मजबूर पवलाई मन-मन्दिर में प्रेमी को देवता के रूप में स्थापित करके गृहस्थी के जुए को कन्धे पर ढोते हुए समर्पित पत्नी और कुशल गृहिणी के रूप में पति और गाँववालों का मन मोह लेती है। गाँव में प्रेमी लकवा का शिकार होता है तो उसे सहारा देने के लिए पति को तज देती है। इधर शादी के चन्द महीनों बाद पवलाई के पिछले प्रेम के बारे में जान लेने पर भी पेरियण्णन इसी प्रत्याशा मन ही मन उसे क्षमा कर देता है कि वह अबोध अवस्था की सहज दुर्बलता थी जो दुहराई नहीं जाएगी।
बचपन से ही अनाथ और जीवन-संघर्षों से अनुभव-प्राप्त पेरियण्णन इतना सुलझा हुआ है कि पत्नी की निष्ठा पर कभी सवाल नहीं उठाता। किन्तु दस साल की सुखमय गृहस्थी पवलाई के साहसिक क़दम के कारण ताश के घर के समान गिर जाती है। परियण्णन हताश तो होता है, पर मानसिक सन्तुलन नहीं खोता। पत्नी द्वारा बुरा-भला कहने पर भी उत्तेजित नहीं होता। पवलाई के व्यंग्य-बाणों को अपने तर्कों से निरस्त करता वह सीधा-सादा गृहस्थ विदेहराज जनक की दार्शनिकता और युधिष्ठिर की क्षमाशीलता को भी मात कर देता है।
उसके जीवन में विधवा तंकम्मा का प्रवेश परिस्थितिजन्य था और यह उजास भी अल्पकालिक ही रही। विधवा नारी के दाम्पत्य जीवन के प्रति समाज के कटाक्ष और विधवा पुत्र को हेय दृष्टि से देखने की कुटिल मनोवृत्ति को सहन न कर पाने से तंकम्मा अपने जीवन का अन्त कर लेती है और यों पेरियण्णन के जीवन में फिर से अँधेरा छा जाता है। समाज के इन अर्थहीन आचार-विचारों से विरक्त पेरियण्णन अपने आड़े वक़्तों में साथ देनेवाले दलित नौकर रामन को अपनी जायदाद का वारिस घोषित करते हुए अपने आपको भी उसी को सौंप देता है। इस तरह तीन-चार पात्रों के मानसिक संघर्षों के बारी-बारी से चित्रण के चलते एक पूरा समाज अपनी आस्थाओं और अन्धविश्वासों के साथ पाठक के सामने साकार होता है...
Dehati Duniya
- Author Name:
Shivpujan Sahai
- Book Type:

-
Description:
फणीश्वरनाथ रेणु ने अपने उपन्यास ‘मैला आँचल’ (1953) की भूमिका में पहली बार आंचलिकता की धारणा का विशेष उल्लेख किया था, किन्तु कथा-साहित्य में आंचलिकता की स्थापना पहली बार ‘देहाती दुनिया’ (1926) के लेखन-प्रकाशन के साथ हुई, यह सर्वमान्य है।
हालाँकि यह उपन्यास आज से लगभग नौ दशक पूर्व लिखा गया था किन्तु इसमें वर्णित गाँव की यथातथ्य संस्कृति एवं सभ्यता की झाँकी आज भी उतनी ही सटीक है, जितनी पहले थी। ठेठ देहाती शैली इस उपन्यास की विशिष्टता है, जो गाँव की फटेहाली और विकृतियों यथा—जादू-टोना, अन्धविश्वास आदि का चित्रण करती हैं। ‘देहाती दुनिया’ गाँव के भोले-भाले लोगों पर पुलिसिया ज़ुल्मो-सितम की भी कहानी कहती है।
इस उपन्यास में सबसे रोचक और मनभावन प्रसंग है बचपन की चुहलबाज़ी का। इसमें एक ओर अपने इकलौते लाडले के लिए माँ के निश्छल प्रेम की झाँकी है तो दूसरी ओर अपने बेटे के भविष्य को लेकर पिता की चिन्ता भी व्यक्त हुई है।
Sukhi Mrityu
- Author Name:
Albert Camus
- Book Type:

-
Description:
एक लोकप्रिय लेखक होने के साथ-साथ कामू एक महान चिन्तक भी थे। जीवन-भर वे अपनी आत्मा और प्रतिभा की पूरी शक्ति से, विचार के पूर्ण प्रयास तथा अन्तरात्मा की वेदना से अपने समय की जटिल व यातनाप्रद समस्याओं में उलझे रहे। उनकी रचनाओं में मानव की आत्मा के विद्रोह, सच्चे सुख के रहस्य की खोज और सत्य का मूल रूप जानने की चिर-अतृप्त जिज्ञासा बहुत गम्भीरता से व्यक्त हुई है। ‘सुखी मृत्यु’ उपन्यास भी जीवन-सुख और उसी में निहित मृत्यु-सुख को समझने के प्रयास का विवरण है।
जीवन में सुख प्राप्त करना जिससे कि मृत्यु भी एक सुखद अनुभव रहे; ऐसा सम्पूर्ण सुख कैसे मिले? यही इस उपन्यास की केन्द्रीय समस्या है। उपन्यास का पहला भाग जीवन की इस समस्या का अदीप्त, अस्पष्ट पहलू हमारे सामने रखता है जब नायक के पास न तो मानसिक परिपक्वता है, न आर्थिक क्षमता और न ही समय। दूसरा भाग उसके मन के सुख, शान्ति और आन्तरिक आनन्द को प्रस्तुत करता है।
कहा जाता है कि कामू के अत्यन्त चर्चित उपन्यास ‘अजनबी’ का अंकुर ‘सुखी मृत्यु’ उपन्यास में ही संहत है।
Royal Bengal Rahasya
- Author Name:
Satyajit Ray
- Book Type:

-
Description:
'रॉयल बंगाल रहस्य' महान फ़िल्मकार और अनूठे लेखक सत्यजित राय द्वारा रचित लोकप्रिय जासूस किरदार फेलूदा के सर्वाधिक प्रशेसित कारनामों में शुमार है।
अमूमन शहरी परिवेश के रहस्यों को उजागर करते नजर आने वाले फेलूदा इस उपन्यास में एक निपट ग्रामीण इलाके में पहुँच जाते हैं, जहाँ आदमखोर बाघ की गुत्थी सुलझाने के लिए उन्हें जंगल में भी जाना पड़ता है। वहाँ बाघ तो मिलता है, पर वह आदमखोर नहीं होता। इसके साथ ही वहाँ एक ऐसा राज भी उजागर होता है, जिसका अनुमान फेलूदा को कतई नहीं था। और तब स्पष्ट होता है कि जानवरों के मिजाज को समझना उतना मुश्किल नहीं है, जितना इनसानों का!
अपने रहस्य-रोमांच में आखिरी पंक्ति तक बाँधे रखने वाला उपन्यास!
Yaatri-Samgra
- Author Name:
Vaiddnath Mishra 'Yaatri'
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Raag Pahadi
- Author Name:
Zilani Bano
- Book Type:

- Description: ग पहाड़ी' का देशकाल, कथा-संसार उन्नीसवीं सदी के मध्य से लेकर बीसवीं सदी से पहले का कुमाऊँ है। कहानी शुरू होती है लाल-काले कपड़े पहने ताल के चक्कर काटती छह रहस्यमय महिलाओं की छवि से जो किसी भयंकर दुर्भाग्य का पूर्वाभास कराती हैं। इन प्रेतात्माओं ने यह तय कर रखा है कि वह नैनीताल के पवित्र ताल को फिरंगी अंग्रेज़ों के प्रदूषण से मुक्त कराने की चेतावनी दे रही हैं। इसी नैनीताल में अनाथ तिलोत्तमा उप्रेती नामक बच्ची बड़ी हो रही है। जिसके चाचा को 1857 वाली आज़ादी की लड़ाई में एक बाग़ी के रूप में फाँसी पर लटका दिया गया था। कथानक तिलोत्तमा के परिवार के अन्य सदस्यों के साथ-साथ देशी-विदेशी पात्रों के इर्द-गिर्द भी घूमता है जिसमें अमेरिकी चित्रकार विलियम डैम्पस्टर भी शामिल है जो भारत की तलाश करने निकला है। तिलोत्तमा गवाह है उस बदलाव की जो कभी दबे पाँव तो कभी अचानक नाटकीय ढंग से अल्मोड़ा समेत दुर्गम क़स्बों, छावनियों और बस्तियों को बदल रहा है, यानी एक तरह से पूरे भारत को प्रभावित कर रहा है। परम्परा और आधुनिकता का टकराव और इससे प्रभावित कभी लाचार तो कभी कर्मठ पात्रों की ज़िन्दगियों का चित्रण बहुत मर्मस्पर्शी ढंग से इस उपन्यास में किया गया है जिसका स्वरूप 'राग पहाड़ी' के स्वरों जैसा है। चित्रकारी के रंग और संगीत के स्वर एक अद्भुत संसार की रचना करते हैं जहाँ मिथक-पौराणिक, ऐतिहासिक-वास्तविक और काल्पनिक तथा फंतासी में अन्तर करना असम्भव हो जाता है। यह कहानी है शाश्वत प्रेम की, मिलन और विछोह की, अदम्य जिजीविषा क
Shri Shriganesh Mahima
- Author Name:
Mahashweta Devi
- Book Type:

-
Description:
यह बिहार के एक गाँव की कहानी है, जो बीसवीं सदी में नहीं, अभी भी मध्ययुग के बीहड़ अँधेरों में जी रहा है और जहाँ आज भी भारत सरकार का नहीं, बल्कि ऊँची जाति के राजपूत मालिकों का प्रभुत्व चलता है। वही निरंकुश यह तय करते हैं कि नीची जातियों के मर्द–औरतों की भूमिका कब ज़रख़रीद ग़ुलाम, कब बँधुआ मज़दूर, कब उजड़े किसान और कब रखैल की होगी।
भूमि–अधिपति श्री श्री गणेश है, इस बर्बर और हिंस्र व्यवस्था का निरंकुश शासक जिसकी महिमा का बखान जन्म से लेकर उसके पिताश्री की रखैल और उसकी धाय माता लछिमा के हाथों मारे जाने तक बड़ी सशक्त शैली में किया गया है। लेकिन फ़िलहाल हारी जानेवाली इस लड़ाई में शामिल लोगों की चित्र–वीथी में हैं हर जगह और हर युग में अत्याचारी के विरुद्ध चिनगारी फूँकने वालों की परम्परा में राँका दुसाध, गांधीवादी अभय महतो, नक्सली जुगलकरन और बस्तियों से जंगलों में भागकर आई अनाम भीड़।
उपन्यास में हरेक की छवि बड़ी ही सहज और सशक्त रंगों में उभारी गई है। मध्यवर्ग की नई पीढ़ी की यौवन पल्लवी शाह की बौनी सहानुभूति पर किया गया कटाक्ष इस उपन्यास के पाठक कभी भूल नहीं पाएँगे। लेकिन बीहड़ अँधेरे में किरण है सरसतिया की आवाज़, जो अपनी कोख से राँका दुसाध जैसी उद्धत सन्तान को टेर रही है, यही है इस उपन्यास में उपन्यासकार की आस्था का उद्घोष।
Sitaron Ki Ratein
- Author Name:
Shobha De
- Book Type:

- Description: सितारे रात में ही चमकते हैं या कहें कि हर सितारे का एक अँधेरा भी होता है। लेकिन दर्शक की नज़र अक्सर सितारों पर ही जाती है, उनके अँधेरों पर नहीं। यह प्रक्रिया हमारी फ़ितरत से भी सम्बन्ध रखती है, और सीमा से भी। शोभा डे इसी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करती हैं। वे उन अँधेरों को भी उघाड़कर देखती हैं, जिन्हें रोशनी ने छुपाया हुआ है। विडम्बना यह कि लेखिका की आँख से देखे और दिखाए गए ये अँधेरे 'बॉलीवुड' की जिन सच्चाइयों को उजागर करते हैं, उन्हें अक्सर ही 'गॉसिप' कहकर नकार दिया जाता है। लेखिका ने इस पुस्तक में मुम्बई की फ़िल्मी दुनिया के जिन चरित्रों को चित्रित किया है, वे अमूर्त नहीं हैं। उन्हें पहचाना जा सकता है—ख़ासकर इसकी केन्द्रीय चरित्र आशा रानी को। यथार्थ और लेखकीय कल्पना के बावजूद उसे हम जीवित-जाग्रत अभिनेत्री के रूप में भी पहचान सकते हैं, और एक प्रतीकात्मक चरित्र के रूप में भी। उसके इर्द-गिर्द और भी कितने ही तारों-सितारों की पहचान की जा सकती है। दरअसल यह एक ऐसी रंगीन दुनिया है, जिसका उद्दाम आकर्षण किसी भी कलाकार को किसी भी हद तक ले जा सकता है। देह इस दुनिया में सिर्फ़ उपभोग और ऊँचाई पर पहुँचने का माध्यम है। निषेध और नैतिकता यहाँ सिर्फ़ शब्द हैं। स्त्री है, जो बिछी हुई है और पुरुष है, जो तना हुआ है। कहना न होगा कि अंग्रेज़ी से अनूदित शोभा डे की यह कृति हिन्दी पाठकों के लिए एक नया अनुभव होगा। अलग-अलग फ़िल्मी चरित्रों की पेशगोई के बावजूद इसे एक दिलचस्प उपन्यास की तरह पढ़ा जा सकता है।
Khambhon Per Tiki Khushabu
- Author Name:
Narendra Nagdev
- Book Type:

-
Description:
भवन-निर्माण के व्यवसाय में गहरी जड़ें जमा चुके, हर क़ीमत पर कांट्रैक्ट हासिल कर लेनेवाले कुख्यात टेंडर माफ़िया की आतंककारी कार्यप्रणाली तथा उन्हें रोकने को कटिबद्ध, एक समर्पित, सृजनशील वास्तुकार का उनके साथ जोखिम-भरे संघर्ष का दस्तावेज़...
संघर्ष में एक सकारात्मक तथ्य को रेखांकित करता कि सृष्टि वह दानव नहीं चलाता जो अपने अहंकारवश बाढ़ ला देता है पूरे शहर में, वरन् उस चिड़िया के पंख चलाते हैं जो चोंच में तिनका दबाकर, तिनके में पानी की एक बूँद उठाकर, बार-बार फेंक आती है शहर के बाहर ताकि धीरे-धीरे बाढ़ से मुक्त हो सके शहर...
आर्किटेक्चर क्षेत्र के सघन व्यावसायिक घटनाक्रम के साथ-साथ एक लोककथात्मक फ़ैंटेसी की महीन बुनावट और विध्वंसक शक्तियों के गाल पर तमाचा-सा जड़ता एक अतियथार्थवादी चरम...
वर्तमान और अतीत के बीच, कल्पना और यथार्थ के बीच, सही और ग़लत के बीच झूलता हुआ सा, एक मोहक शिल्प तथा भाषा के सहज प्रवाह से युक्त नरेन्द्र नागदेव का आत्मीय, संवेदनशील प्रस्तुतीकरण—‘खम्भों पर टिकी ख़ुशबू...’
Crush 2 : An Incomplete Heartbeat
- Author Name:
Samridhi Garg +1
- Book Type:

- Description: Queen of the prime-time news on Indian television. She is an innovative, stubborn, fearless young woman who prefers to be a field correspondent and report live information even from troubled and dangerous regions. For a similar assignment, she arrives in the jungles of Hungary, Chattisgarh, where an aspiring politician and an advocate of tribal rights, subhendu pal, is kidnapped by the Naxalite.
Sahibe Alam
- Author Name:
Balwant Singh
- Book Type:

-
Description:
प्रस्तुत दास्तान ‘साहिबे-आलम’ हिन्दी-जगत के जाने-माने कथाकार बलवन्त सिंह का काल्पनिक चित्रण है। परन्तु प्रस्तुति इतनी सजीवता से की गई है कि पाठक सोचने पर मजबूर हो जाएगा कि यह दास्तान है या सच्चा वाक़या।
यह दास्तान लाहौर से शुरू होती है जहाँ शेख साहब द्वारा भेजे गए हिन्दुस्तानी जर्नलिस्ट को सफ़दर अली ‘साहिबे-आलम’ की दास्तान सुनाते हैं। पूरी दास्तान सुनकर पत्रकार कहने को विवश हो जाता है कि यह दास्तान है या सच्चा वाक़या।
मुग़लकालीन ऐतिहासिक परिवेश में रची-बसी इस दास्तान के वातावरण में यथार्थ चित्रण के लिए उर्दू-फ़ारसी के शब्दों का प्रयोग किया गया है।
निश्चय ही, पाठक जब यह अनोखी, सशक्त और बेजोड़ दास्तान पढ़ना शुरू करेगा तो अन्त तक पढ़ने को विवश हो जाएगा।
Tarang
- Author Name:
Kamlakant Tripathi
- Book Type:

-
Description:
देश के वर्तमान सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य की विसंगतियों, द्वंद्वों और दुविधाओं के उत्स की तलाश है ‘तरंग’। यह तलाश इतिहास के जिस कालखंड (1934-42 ) में ले जाती है उसकी धड़कनें स्वातंत्र्योत्तर भारत की बुनियाद में अन्तर्भुक्त हैं और उसकी यात्रा को लगातार विचलित-आलोड़ित करती रही हैं। उस कालखंड में इन विसंगतियों, द्वंद्वों और दुविधाओं को जिस तरह बरता गया, उसका फलित हमें आज भी उद्भ्रान्त किए हुए है। उपन्यास के रूप में ‘तरंग’ उसी कालखंड की गहन पड़ताल करती एक बहुआयामी कथा है जिसकी जड़ों के रेशे पिछली सदी के आरम्भ तक जाते हैं।
भगत सिंह और चन्द्रशेखर आज़ाद के बलिदान के साथ ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी’ की क्रान्तिकारी धारा का अवसान नहीं हो गया था, उसमें बिखराव ज़रूर आया था। ‘तरंग’ एक औपन्यासिक कृति के रूप में उसी अवशिष्ट धारा के एक विच्छिन्न समूह के गुमनाम क्रान्तिकारियों के अन्तरंग से साक्षात्कार कराती है। उसी धारा को केन्द्र में रखकर वैश्विक परिप्रेक्ष्य में स्वतंत्रत आन्दोलन की मुख्यधारा का प्रतिपाठ भी रचती है और इतिहास के कई मिथकों का भेदन करती है। इस अर्थ में ‘तरंग’ भारतीय और विश्व इतिहास के एक अहम अध्याय में उपन्यासकार का सुचिन्तित सृजनात्मक हस्तक्षेप है। गांधी-नेहरू-पटेल की अन्तर्विरोधी धारा के बरअक्स उपन्यास का विशाल फलक स्वामी सहजानन्द, डॉ. अम्बेडकर, एम.एन. रॉय और सुभाषचन्द्र बोस के गिर्द घूमता है और अकादमिक इतिहास-लेखन के कुहासे को भेदकर उसके उपेक्षित या अल्पज्ञात पक्ष को निर्मम यथार्थ की रोशनी में उद्घाटित करता है। इस अर्थ में उपन्यास उस कालखंड के ज़मीनी, अन्तरंग और ज़रूरी दस्तावेज़ की निर्मिति भी है। अकादमिक रिक्ति को भरने का एक श्रमसाध्य, निष्ठावान और सृजनात्मक उपक्रम।
उस कालखंड में किसान आन्दोलन की एक उत्कट क्रान्तिकारी धारा भी प्रवाहित है जो जमींदारों, ताल्लुकेदारों के विरुद्ध किसान-संघर्ष की नई प्रविधि ईजाद करती है। क्रान्तिकारियों का उक्त समूह स्वामी सहजानन्द के उत्प्रेरण में इस ईजाद के केन्द्र में है। इस ब्याज से उपन्यास सबाल्टर्न इतिहास के एक अँधेरे कोने को दीप्त करता है। क्रान्ति-पथ को स्खलित करने की ओर प्रवृत्त ऐन्द्रिक स्त्री-पुरुष सम्बन्ध का कलात्मक अतिक्रमण भी ‘तरंग’ का एक अहम उपजीव्य है।
Bas Yu Hi
- Author Name:
Parul Tyagi
- Book Type:

- Description: Hindi Poetry Book
Pahala Kadam
- Author Name:
Yogendra Pratap Singh
- Book Type:

- Description: भारतीय शिक्षण संस्थाओं से हम भारतीयों की त्यागनिष्ठा तथा स्वात्म समर्पण के भावों का सम्बन्ध हज़ारों-हज़ारों वर्षों से चला आ रहा है। शिक्षक, गुरु, गुरुकुल में ऋषिजीवन और छात्र तपस्वी का जीवन व्यतीत करते रहे हैं। भारत के सामन्त, सम्राट, नरेश, सम्पन्न सेठ तथा वणिक दान का सर्वांश इन संस्थाओं को अर्पित करके समाज रचना की सत्त्वमयी परम्परा के निर्माण के प्रति संकल्पबद्ध थे। समाज तथा गुरुकुल ऋण से आजीवन मुक्त नहीं होता था। किन्तु आज, अंग्रेज़ों द्वारा स्थापित शिक्षानीति पर विदेशी तंत्रों के प्रभावों का गहरा असर भारतीय स्वतंत्रता के छह दशकों बाद और भी गहरा होता जा रहा है। शिक्षा ज्ञानार्जन, ज्ञानवृद्धि, अन्वेषण के लिए है; शिक्षा आत्मबोध, विवेकबोध, समझ तथा संकल्पशक्ति की प्रेरणा के लिए है। सुदामा जैसा शिक्षक लोक संकटों को झेलता हुआ, उनसे मुक्ति के लिए अपने सहपाठी त्रैलोक्यस्वामी श्रीकृष्ण के पास जाने को तैयार नहीं था—यदि उसकी पत्नी उसे प्रतिदिन सुबह-शाम दुत्कारती नहीं—किन्तु आज शिक्षक संस्थाएँ कैसी हैं? शिक्षक क्यों हैं? शिक्षा कैसी है? शिक्षण का प्रबन्ध-तंत्र क्या है? सब कुछ यह उपन्यास ही बताएगा।
Patiya
- Author Name:
Kedarnath Agrawal
- Book Type:

-
Description:
‘पतिया’ यशस्वी कवि केदारनाथ अग्रवाल का उपन्यास है। अब तक अनुपलब्ध होने के कारण केदार-साहित्य के सहृदय पाठक और आलोचक इस उल्लेखनीय कृति से वंचित रहे। उनके लिए वस्तुत: ‘पतिया’ एक अनमोल उपहार है।
हिन्दी साहित्य में स्त्री-विमर्श की औपचारिक रूप से चर्चा प्रारम्भ होने से बहुत पहले रची गई कृति ‘पतिया’ में स्त्री-जीवन की जाने कितनी विडम्बनाएँ चित्रित हो चुकी थीं। परिवार, दाम्पत्य, यौन स्वातंत्र्य, शोषण और अलगाव आदि से जुड़े प्रसंगों के छायाचित्र ‘पतिया’ को महत्त्वपूर्ण बनाते हैं। उपन्यास की नायिका का जीवन-संघर्ष स्वयं बहुत कुछ कहता है। स्त्री समलैंगिकता की स्थितियाँ भी प्रस्तुत उपन्यास में हैं। इससे सिद्ध होता है कि कोई भी प्रवृत्ति या घटना सामाजिक स्थिति और व्यक्तिगत मन:स्थिति का संयुक्त परिणाम होती है।
इस उपन्यास का गद्य विशिष्ट है...एक कवि का गद्य। छोटे-छोटे वाक्य। बिम्ब, प्रतीक समृद्ध भाषा। संवेदनशील और प्रवाहपूर्ण। यथार्थवादी गद्य का उदाहरण। पतिया की ननद मोहिनी का यह चित्र कितना व्यंजक है, “मैली-सी चौड़े किनारे की धोती पहिने है। हाथ और पैरों में चाँदी के गहने खनक रहे हैं। धोती का पल्ला सिर से उतरकर गरदन पर आ गया है। पीछे से एक बड़ा-सा जूड़ा उठा दिखता है। जूड़ा गोल घेरे में बँधा है। सामने से देखने पर सिर में सिन्दूर भरी चौड़ी-सी माँग दिखती है। कानों में तरकियाँ, नाक में पीतल की फुल्ली और गले में रंगीन काँच और मूँगे के दानों से बनी दुलरी पड़ी है। बड़ी-बड़ी आँखों में काजल खिंचा है। दाहिनी ओर गाल पर एक तिल है। चेहरे पर तेल की चिकनाहट जवानी को चमका रही है। कोई कुरती या सलूका नहीं पहने है। बर्तन माँजते वक़्त, उसके दोनों उरोज, छलक पड़ते हैं। रंग ज़्यादा गोरा नहीं, पर साँवले से कुछ निखरा हुआ है।
Prabhawati
- Author Name:
Suryakant Tripathi 'Nirala'
- Book Type:

-
Description:
महाकवि निराला के उपन्यास-साहित्य में ‘प्रभावती’ एक ऐतिहासिक उपन्यास-कृति के रूप में चर्चित है।
इसका कथा-फलक पृथ्वीराज-जयचन्दकालीन राजाओं और सामन्तों के पारस्परिक संघर्ष पर आधारित है। इस संघर्ष का कारण प्रायः विवाह और कन्यादान हुआ करता था।
प्रभावती भी, जो एक क़िलेदार की कुमारी है, एक ऐसे ही संघर्ष का केन्द्र है। लेकिन इस स्वाभिमानी नारी-चरित्र के पीछे निराला का उद्देश्य आधुनिक भारतीय नारियों में संघर्ष-चेतना का विकास करना भी रहा है। यही कारण है कि प्रभावती और यमुना—जैसे नारी-पात्र स्वयं खड्गहस्त हैं और नैतिकता के लिए कोई भी बलिदान करने को सन्नद्ध हैं।
वस्तुतः निराला के गहरे ऐतिहासिक बोध और कवि-कल्पना का इस उपन्यास में अद्भुत सम्मिश्रण हुआ है—ओज और माधुर्य का अपूर्व निर्वाह।
Utkoch
- Author Name:
Jaiprakash Kardam
- Book Type:

-
Description:
भ्रष्टाचार, जिसका विरोध करना भारतीय समाज का सबसे पसन्दीदा शगल है, दरअसल हमारी जीवन-शैली का हिस्सा बन चुका है। हर कोई दूसरे के भ्रष्टाचार से त्रस्त है और सबके पास अपने भ्रष्टाचार के पक्ष में देने के लिए अनेक व्यावहारिक तर्क हैं। जो भ्रष्ट नहीं है और जीवन के हर मोड़, हर क़दम पर सिर्फ़ सिद्धान्त रूप में नहीं, बल्कि व्यवहार में भी उसका विरेाध करता है, उसे अस्वीकार करता है, वह ख़ुद-ब-ख़ुद समाज से निर्वासित महसूस करने लगता है।
इस उपन्यास का नायक मनोहर ऐसा ही व्यक्ति है जो किसी भी रूप में रिश्वत का समर्थन नहीं करता। इसके कारण, उसे न सिर्फ़ अपने दफ़्तर में अपने सवर्ण सहकर्मियों की उपेक्षा, उपहास और उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है, बल्कि घर में उसकी पत्नी भी इसी कारण पहले उससे नाराज़ रहने लगती है, और फिर तनाव के चलते बीमार पड़ जाती है।
जयप्रकाश कर्दम ने इस उपन्यास में विस्तार से एक आदर्शवादी युवक के मानसिक और सामाजिक संघर्ष को दर्शाया है। साथ ही आरक्षण और उच्च स्तरों पर व्याप्त भ्रष्टाचार, जाति-व्यवस्था, जाति के आधार पर दफ़्तरी माहौल में फैले भेदभाव आदि को भी बारीकी से उभारा है। सरल, सहज भाषा में बिलकुल आसपास घटित होती दिखनेवाली यह कहानी पाठकों को निश्चय ही पठनीय लगेगी।
Jali Thee Agnishikha
- Author Name:
Mahashweta Devi
- Book Type:

-
Description:
ऐतिहासिक उपन्यास लेखन पर कोई स्पष्ट राय अब तक नहीं बन सकी है। रोमांस और त्रासदी का अंकन कर उपन्यासकार अपने दायित्व से मुक्त हो जाता है। लेकिन प्रख्यात लेखिका महाश्वेता देवी ‘इतिहास-सृजन’ को अतिरिक्त ज़िम्मेदारी से निभाती हैं। ऐसे लेखन के लिए एक ख़ास प्रवणता, कथा के बजाय देश, काल, पात्र और आचार-व्यवहार की प्रामाणिक जानकारी का होना बेहद ज़रूरी है। इसके अलावा मौजूदा समय की पकड़ भी। महाश्वेता जी में ये सभी विशेषताएँ मौजूद हैं।
पहले उपन्यास ‘झाँसी की रानी’ के बाद ‘जली थी अग्निशिखा’ में पुनः रानी लक्ष्मीबाई केन्द्र में है। महाश्वेता जी का लेखन अपने मिज़ाज और तेवर में नितान्त भिन्न है। बिलकुल नई सूचनाएँ, नया अनुभव और नई भाषा। लोक मुहावरे और ठेठ देशज शब्दों के इस्तेमाल से उन्हें परहेज़ नहीं है, दरअसल उनका आग्रह सामाजिकता के प्रति अधिक रहता है। प्रस्तुत उपन्यास में अंग्रेज़ों और उनके सेनापति ह्यूरोज़ के लिए झाँसी और रानी दोनों पहेली हैं। रानी की ताक़त के सम्मुख अंग्रेज़ सैनिक हताश हैं। ह्यूरोज़ जानना चाहता है कि झाँसी की रानी आख़िर क्या बला है? ग्वालियर शहर (जहाँ उनका डेरा है) से पूरब की तरफ़ धू-धू जल रही अग्नि किन लोगों ने जलाई होगी? सारे द्वन्द्व उसके अन्दर चलते रहते हैं। जब उसे पता चलता है कि रानी अदम्य इच्छाशक्ति, साहस और संघर्ष से लैस शान्त, सभ्य और बुद्धिमान महिला है तो वह अवाक् रह जाता है। उसकी यह धारणा ख़त्म हो जाती है कि भारतीय महिलाएँ अनपढ़, गँवार और फूहड़ होती हैं।
रानी के संघर्ष के बहाने उपन्यास उस समय की जीवन स्थितियों, विडम्बनाओं, विद्रूपताओं तथा अंग्रेज़ों की क्रूरताओं को भी सामने लाता है। इतिहास में रुचि रखनेवालों के लिए एक ज़रूरी किताब।
Shaldungari Ka Ghayal Sapna
- Author Name:
Manoj Bhakt
- Book Type:

-
Description:
शालडुंगरी का घायल सपना झारखंड में विकास की विडम्बना और राजनीति के विद्रूप का आईना है। लेखक ने इस क्षेत्र को बहुत क़रीब से देखा है—यह देखना किसी सैलानी की तरह देखना नहीं है बल्कि एक सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता के तौर पर इसमें सक्रिय साझेदार होना है। इसलिए वे बड़ी सहजता से एक ऐसी कहानी बुन पाए हैं जो बिलकुल शुरू से अपने पाठक को बाँधे रखती है—किसी चटपटी भाषा में नहीं बल्कि बहुत सजीव ढंग से एक ऐसे पाठ में जो बीच-बीच में कारुणिक भी हो उठता है। उपन्यास जहाँ शुरू होता है वहाँ एक मंत्री गाँव के दौरे पर हैं—उनके साथ अफ़सरों और पत्रकारों की टोली है, सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर चलने वाले तमाशे की तैयारी है और महत्त्वाकांक्षाओं के जाल में जकड़ा एक पूरा समाज है। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, हमारे सामने एक स्तब्धकारी, अमानुषिक व्यवस्था के कई धागे खुलते जाते हैं। उपन्यास में आदिवासी-संघर्ष और उसके इर्द-गिर्द बनती गई राजनीतिक-सामाजिक छटपटाहट है, विराट शोषण को जवाब देने की तमाम कोशिशें हैं, हॉकी खेलती लड़कियाँ और उनके विकट संघर्ष हैं, एक पूरी सांस्कृतिक चेतना को कुचलने की त्रासदी भी है। मनोज भक्त बस इस त्रासदी की कथा नहीं कहते। वे इसके समानान्तर चल रहे प्रतिरोध को भी साथ दर्ज करते हैं। उपन्यास के अन्त में हॉकी स्टिक लिये मुख्यमंत्री की ओर दौड़ती लड़की के साथ हम भी दौड़ पड़ते हैं और उसे बचाने की कोशिश में हमारी आवाज़ भी शामिल हो जाती है।
मनोज भक्त के पास बहुत समृद्ध और चाक्षुष भाषा है। वे स्थितियों को बिलकुल सजीव कर देना जानते हैं। लेकिन यह भाषा की नहीं, उस वृत्तान्त की भी ताक़त है जिसे मनोज भक्त कई स्तरों पर इस उपन्यास में घटित होने देते हैं। हिन्दी के समकालीन संसार में एक जनजातीय राज्य के बहुफलकीय यथार्थ को इस महीनी से उकेरने वाली रचनाएँ कम हैं। निस्सन्देह यह कृति अपनी विशिष्ट जगह बनाने में सक्षम है।
—प्रियदर्शन
Lopamudra
- Author Name:
K. M. Munshi
- Book Type:

-
Description:
गुजराती के सुविख्यात उपन्यासकार के.एम. मुंशी के इस महत्त्वपूर्ण उपन्यास में गाधिपुत्र विश्वरथ (जो बाद में ऋषि विश्वामित्र के रूप में विख्यात हुए) के जन्म और बाल्यकाल की मुग्धकारी कथा वर्णित है। उनका अगस्त्य ऋषि के पास विद्याध्ययन, दस्युराज शंबर द्वारा अपहरण, शंबर-कन्या उग्रा से प्रेम-सम्बन्ध, फलस्वरूप एक लम्बा विचार-संघर्ष और इस समूचे घटनाक्रम में अत्यन्त तेजस्वी, अनिंद्य सुन्दरी तथा ऋषि-पद प्राप्त लोपामुद्रा की रचनात्मक भूमिका का इसमें प्रभावी अंकन हुआ है। साथ ही महर्षि अगस्त्य से लोपा का प्रेम, जो समूची कथा में अन्तःस्रोत की तरह प्रवाहित है, पाठक को कुछ नए मूल्य भी सौंपता है।
वस्तुतः आर्यावर्त्त की महागाथा का यह एक ऐसा कीर्तिमान अध्याय है जिसमें हमारी सभ्यता और संस्कृति के कितने ही दुर्लभ रत्न बिखरे पड़े हैं। इसमें जो एक ताप विद्यमान है, उसमें हमें निरन्तर एक नया युग ढलता दिखाई देता है। दूसरे शब्दों में, यह कथा आर्यजाति के महोत्कर्ष के उन प्रतीकों की है, जो आज भी परिवर्तनशील दौर से गुज़रते इस महादेश के सन्दर्भ में एकदम प्रासंगिक हैं। वीरता और शौर्य, साधना और संघर्ष, प्रेम और बलिदान के वे सारे प्रसंग और जीवन-मूल्य, जो लोपामुद्रा और विश्वामित्र का प्रभामंडल बनाते हैं, आज की भी सर्वोच्च प्राथमिकता बनकर उभरते हैं। निश्चय ही, मुंशी जी की यह कथाकृति इतिहास को तीव्र राग की तरह और जिजीविषा को गंध-समान प्रस्तुत करती है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...