Badrinath Kapoor
Vakya Sanrachana Aur Vishleshan : Naye Pratiman
- Author Name:
Badrinath Kapoor
-
Book Type:

- Description: हिन्दी की प्रकृति और प्रवृत्ति को जानना-समझना डॉ. बदरीनाथ कपूर का व्यसन रहा है। ‘बेसिक हिन्दी’, ‘परिष्कृत हिन्दी व्याकरण’, ‘हिन्दी व्याकरण की सरल पद्धति’ तथा ‘नवशती हिन्दी व्याकरण’ आदि पुस्तकें इसी व्यसन की सूचक हैं। ‘नवशती हिन्दी व्याकरण’ में कुछ नई प्रस्थापनाएँ भी की गई थीं जो परम्परा से हटकर थीं। प्रस्तुत पुस्तक क्रियाओं के सम्बन्ध में किए गए उनके चिन्तन का सुफल परिणाम है। उनका मानना है कि क्रियापदों में ही ऐसे सूत्र निहित हैं जिनके आधार पर वाक्य की संरचना की जा सकती है। उन्होंने इन सूत्रों को ‘क्रिया-निर्देश’ की संज्ञा दी है। कुल सूत्र चालीस हैं और पाँच-पाँच सूत्रों के इनके आठ सर्ग हैं। इन्हीं के आधार पर इस पुस्तक में हिन्दी वाक्यों की विशेषतः सरल वाक्यों की— संरचना करने का प्रयास किया गया है। इस पुस्तक में वाक्य-संरचना और विश्लेषण दोनों साथ-साथ दिये गए हैं जिससे स्पष्ट हो कि क्रिया-निर्देशों और नवशती हिन्दी व्याकरण की स्थापनाओं (दोनों) का उद्देश्य एक है। हिन्दी वाक्य-संरचना के नए प्रतिमान प्रस्थापित करनेवाली डॉ. बदरीनाथ कपूर की यह महत्त्वपूर्ण पुस्तक हिन्दी भाषा की सूत्रबद्धता को स्थापित करती है और सिद्ध करती है कि हिन्दी एक सुचिन्तित और सुनियोजित भाषा है। हिन्दी भाषा की अस्मिता और गरिमा की वृद्धि करनेवाली इस महत्त्वपूर्ण कृति का संयोजन वैज्ञानिक और गणितीय पद्धति पर हुआ है। छात्रों-अध्येताओं के लिए समान रूप से उपयोगी।
Vakya Sanrachana Aur Vishleshan : Naye Pratiman
Badrinath Kapoor
Navshati Hindi Vyakaran
- Author Name:
Badrinath Kapoor
-
Book Type:

- Description:
हमारी भाषा की सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि इसमें भाषा को निर्मित और विकसित करनेवाले देशज तत्त्वों की घोर उपेक्षा की जाती है। रचनात्मक साहित्य का एक हिस्सा भले ही ऐसा नहीं हो, लेकिन शेष लेखन पर तो अंग्रेज़ी भाषा का प्रभाव साफ़ दिखलाई पड़ता है। कहन और शैली ही नहीं, भाषा के स्वरूप का ज्ञान करानेवाला हमारा व्याकरण भी अंग्रेज़ी भाषा के व्याकरणिक ढाँचे से आवश्यकता से अधिक जकड़ा हुआ है। हालाँकि, पिछले कुछ दशकों से हिन्दी की प्रकृति और प्रवृत्ति के अनुरूप व्याकरण प्रस्तुत करने के प्रयास होने लगे हैं। लेखक की इस पुस्तक को इसी प्रयास के क्रम में देखा जाना चाहिए।
भाषाविद् तथा कोशकार के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुके बदरीनाथ कपूर ने हिन्दी की स्वाभाविक प्रकृति के अनुरूप व्याकरण की रचना करके यह प्रमाणित किया है कि हिन्दी दुनिया की अन्य विकसित भाषाओं की तुलना में अधिक व्यवस्थित होने के साथ-साथ सरल और लचीली भी है। यह एक मात्र ऐसी भाषा है जिसके अधिकतर नियम अपवादविहीन हैं।
इस पुस्तक से गुज़रते हुए सहज ही यह एहसास होता है कि व्याकरण नियमों का पुलिन्दा-भर नहीं होता, वह भाषा-भाषियों की ज्ञान-गरिमा, बुद्धि-वैभव, रचना-कौशल, सन्दर्भबोध और सर्जनक्षमता का भी परिचायक होता है।
हिन्दी का यह सर्वथा नवीन व्याकरण सिर्फ़ छात्रों के लिए ही उपयोगी नहीं होगा, यह उन जिज्ञासुओं को भी राह दिखाएगा जो भाषा की आत्मा तक पहुँचना चाहते हैं।
Navshati Hindi Vyakaran
Badrinath Kapoor
Kathakram
- Author Name:
Badrinath Kapoor
-
Book Type:

- Description: प्रस्तुत पुस्तक में सुप्रसिद्ध वैयाकरण एवं कोशकार डॉ. बदरीनाथ कपूर द्वारा लिखित रोचक कथाएँ संकलित हैं। इनमें दो पौराणिक वृत्तांत हैं—‘शकुंतला’ और ‘गौतम बुद्ध’। ये बँगला के प्रसिद्ध कथाकार तथा चित्रकार अवींद्र कुमार ठाकुर की अनूठी कृतियाँ हैं, जो अपनी चित्रमयता के लिए जानी जाती हैं। इनका छायानुवाद इस पुस्तक में है। दो यात्रा-वृत्तांत हैं—‘उत्तराखंड की ओर’ और ‘सूर्योदय के देश में’। जीवन के कथा-क्रम से जुड़ी कथाओं और यात्रा-वृत्तों का रोचक-पठनीय संकलन।
Kathakram
Badrinath Kapoor
Hindi Patrakarita Ki Shabda Sampada
- Author Name:
Badrinath Kapoor +2
-
Book Type:

- Description: हिंदी बहुत समृद्ध भाषा है। इसका शब्द भंडार विशाल है। इन दिनों हिंदी पत्रकारिता भाषायी संकट का सामना कर रही है। सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन के दबावों में वह ऐसा भाषा-रूप अपना रही है, जो हिंदी समाज की भाषिक और सांस्कृतिक अस्मिता के लिए चुनौती है। हिंदी समाचार-पत्रों और अन्य जनसंचार माध्यमों में अंग्रेजी शब्दों का अवांछनीय प्रयोग बढ़ रहा है। प्रस्तुत शब्दकोश में शब्दार्थ उसके व्याकरणिक रूप के अनुसार दिए गए हैं। जहाँ कहीं शब्द या मुहावरे का रूप क्षेत्रीय या बहुप्रचलित से कुछ हटकर है, वहाँ उसका प्रचलित रूप भी साथ में दिया गया है। जहाँ कहीं कोई शब्द प्रचलित अर्थ से भिन्न अर्थ में प्रयुक्त हुआ है, वहाँ उसका मुख्य अर्थ पहले दिया गया है। जहाँ किसी शब्द के एक से अधिक अर्थ हों, वहाँ अर्थ के समक्ष तदनुकूल उद्धरण दिए गए हैं। शब्द का अर्थ देते समय उसकी उत्पत्ति को ध्यान में रखा गया है। कोश में जिन पत्र-पत्रिकाओं से उद्धरण लिये गए हैं, उनका उल्लेख संकेताक्षरों में किया गया है तथा उनका खुलासा पृथक् से 'संकेत’ के रूप में शब्दकोश में किया गया है। आशा है, 'हिंदी पत्रकारिता की शब्द-संपदा’ ग्रंथ का हिंदी जगत् में स्वागत होगा। संपादकों की मेज पर एक उपादेय सहायक के रूप में वह अपना स्थान बनाएगा। पत्रकारों, विद्यार्थियों, अध्यापकों तथा साहित्यसेवियों द्वारा इसे अपनाया जाएगा।
Hindi Patrakarita Ki Shabda Sampada
Badrinath Kapoor
Lokbharti Hindi Angreji Paryayvachi Evam Viparyay Kosh
- Author Name:
Badrinath Kapoor
-
Book Type:

- Description:
इस कोश में 5000 से कुछ अधिक ही पर्यायमालाएँ दी गई हैं जिनमें 30000 से अधिक पर्याय शब्दों का संकलन हुआ है। सहस्राधिक मालाएँ बिलकुल नई हैं। पर्यायमालाओं के निर्धारण में प्रामाणिक एवं वैज्ञानिक पद्धति का अनुसरण किया गया है। एकाधिक अर्थों के सूचक शब्दों को पर्यायमाला में सम्मिलित नहीं किया गया है। संज्ञा-सूचक शब्दों के पर्याय के रूप में विशेषण–सूचक शब्दों को भी शामिल कर लेने के अभ्यास से इस कोश को सचेत रूप से मुक्त रखा गया है। प्रचलन से बाहर हो चुके शब्दों को पर्यायमालाओं के निर्धारण में शामिल नहीं किया गया है। कभी–कभी कुछ कोशकार ऐसे शब्दों को भी परस्पर पर्याय घोषित कर देते हैं जिनके अर्थों में कुछ भी समानता नहीं होती। यह कोश इस दोष से सर्वथा मुक्त है। कुछ ऐसी पर्यायमालाएँ भी हैं जिनके एक से अधिक शब्द प्रमुख प्रतीत होते हैं। ऐसी स्थिति में निर्णय करना कठिन होता है कि किस शब्द को प्रमुख शब्द माना जाए। इसलिए इस कोश में कुछ ऐसी मालाएँ हैं जो दो–दो मूल शब्दों के अन्तर्गत रखी गई हैं। ऐसा पाठकों की सुविधा की दृष्टि से किया गया है। पर्यायमाला में शब्दों के क्रम का निर्धारण कोश विज्ञान के नियमानुसार किया गया है। एक उल्लेखनीय विशेषता यह भी है कि इस कोश में प्रचलित साहित्य तथा लोक-जीवन से भी पर्याय–शब्द सम्मिलित किए गए हैं। कोश में पर्याय वर्णानुक्रम में रखे गए हैं, जिससे इस कोश में पर्यायों की खोज सर्वथा सुगम है। प्रत्येक पर्यायमाला के साथ कुछ अंग्रेज़ी समानक या तदर्थी शब्द इस कोश में दिए गए हैं जिससे कोश की गुणवत्ता बढ़ गई है। इस कोश में पहली बार विपर्यायों की लम्बी सूची भी दी गई है।
अध्यापकों, विद्यार्थियों, लेखकों, शोधार्थियों व पत्रकारों के लिए यह कोश संग्रहणीय है।
Lokbharti Hindi Angreji Paryayvachi Evam Viparyay Kosh
Badrinath Kapoor
Lokbharti Hindi Muhaware Aur Lokokti Kosh
- Author Name:
Badrinath Kapoor
-
Book Type:

- Description: मुहावरे और लोकोक्तियाँ जन-जीवन की अभिव्यक्ति के सहज उपकरण हैं। मुहावरा पद या पदबन्ध होता है, वाक्य का अंग बनता है तथा उसका अर्थ शब्दों की लक्षणाशक्ति से निकलता है। इसके विपरीत लोकोक्ति अपने में एक पूर्ण विचार, फलत: वाक्य रूप होती है तथा उसका अर्थ शब्दों की व्यंजना शक्ति से निकलता है। मुहावरे भाषा का शृंगार होते हैं और उसमें चमत्कार और चुटीलापन लाते हैं। लोकोक्तियाँ सत्यकथन या परमार्श के रूप में होती हैं और होती हैं समाज के सामूहिक चिन्तन का निचोड़।
Lokbharti Hindi Muhaware Aur Lokokti Kosh
Badrinath Kapoor
Hindi Prayog Kosh
- Author Name:
Badrinath Kapoor
-
Book Type:

- Description:
भाषा शब्दों से बनती है। शब्दों के बारे में जानकारी व्याकरण देता है और उनके अर्थों का विवरण कोश प्रस्तुत करता है। इस प्रकार भाषा को जानने-समझने के लिए व्याकरण और कोश दो आधार माने जाते हैं। लेकिन भाषा का एक तीसरा महत्त्वपूर्ण आधार भी है—प्रयोग। भाषा के स्वाभाविक विकास की प्रक्रिया में नए-नए सन्दर्भों के अनुरूप नए-नए प्रयोग चलते रहते हैं। प्रयोगों से भाषा की प्रभावकता और क्षमता में वृद्धि होती है। इनकी महत्ता इस तथ्य में निहित है कि बहुधा ये व्याकरण और कोश को पीछे छोड़ जाते हैं।
प्रयोगों के फलस्वरूप ही नए-नए पदबन्ध और मुहावरे अस्तित्व में आते हैं। लेखक की लेखनी और वक्ता की वाणी को उनसे ऊर्जा मिलती है। उनके अर्थ अक्सर आप सामान्य कोशों में ढूँढ़ नहीं पाते, व्याकरण से वे सिद्ध नहीं होते, फिर भी वे मान्य और अपरिहार्य होते हैं। एक प्रामाणिक प्रयोग-कोश की अनिवार्यता ऐसी ही स्थिति में सामने आती है।
वाक्य में कोई शब्द जिस जगह या जिन शब्दों के मध्य रखा जाता है, उससे कोई न कोई प्रयोजन सिद्ध होता है। किसी न किसी प्रकार की प्रयोजन-सिद्धि के लिए ही शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
यदि कोई शब्द अपने अर्थ-गाम्भीर्य या अर्थ-विस्तार से हमें प्रभावित करता है तो अपने विलक्षण प्रयोगों से अभिभूत और चमत्कृत भी करता है।
शब्दों से अन्तरंगता उनके प्रयोगों के माध्यम से ही स्थापित होती है। हिन्दी अपने शब्दों के प्रयोग के विचार से कितनी अधिक समृद्ध है, यह तथ्य इस कोश की हर प्रविष्टि से चरितार्थ होता है।
Hindi Prayog Kosh
Badrinath Kapoor
Hindi Kriyaon Ki Roop-Rachana
- Author Name:
Badrinath Kapoor
-
Book Type:

- Description: हिन्दी के आरम्भिक व्याकरण यूरोपीय विद्वानों ने लिखे थे। इन व्याकरणों को लिखने में उन्होंने वही पद्धति अपनाई, जिसमें उनके अपने व्याकरण लिखे गए थे। लौटिन पद्धति के उन व्याकरणों में पदों का वर्गीकरण अर्थमूलक आधार पर ही होता था। बाद में जब हिन्दी भाषाभाषी विद्वानों ने व्याकरण लिखे तो उन्होंने भी जाने-अनजाने पूर्वलिखित व्याकरणों को आधार बनाया। भारतीय प्राचीन पद्धति पदों का विवेचन तथा वर्गीकरण उनकी रूप-रचना के आधार पर ही करती थी। विश्वविख्यात ‘अष्टाध्यायी’ इसका ज्वलन्त प्रमाण है। प्रस्तुत पुस्तक में क्रियापदों के सभी वर्गीकरण पदों की रूप-रचना पर ही आधारित हैं। एकपदीय और द्विपदीय क्रियापद, विकारी और अविकारी क्रियापद, कर्तृ अनुगामी और कर्मादि-अनुगामी क्रियापद, कर्तृवाच्य और कर्मादिवाच्य क्रियापद आदि सभी वर्गीकरणों का आधार पूर्णतः उनकी रूप-रचना ही है।
Hindi Kriyaon Ki Roop-Rachana
Badrinath Kapoor
Aadhunik Hindi Proyog Kosh
- Author Name:
Badrinath Kapoor
-
Book Type:

- Description:
भाषा शब्दों से बनती है। शब्दों के बारे में जानकारी व्याकरण देता है और उनके अर्थों का विवरण कोश प्रस्तुत करता है। इस प्रकार भाषा को जानने-समझने के लिए व्याकरण और कोश दो आधार माने जाते हैं। लेकिन भाषा का एक तीसरा महत्त्वपूर्ण आधार भी है—प्रयोग।
भाषा के स्वाभाविक विकास की प्रक्रिया में नए-नए सन्दर्भों के अनुरूप नए-नए प्रयोग चलते रहते हैं। प्रयोगों से भाषा की प्रभावकता और क्षमता में वृद्धि होती है। इनकी महत्ता इस तथ्य में निहित है कि बहुधा ये व्याकरण और कोश को पीछे छोड़ जाते हैं।
प्रयोगों के फलस्वरूप ही नए-नए पदबन्ध और मुहावरे अस्तित्व में आते हैं। लेखक की लेखनी और वक्ता की वाणी को उनसे ऊर्जा मिलती है। उनके अर्थ अक्सर आप सामान्य कोशों में ढूँढ़ नहीं पाते, व्याकरण से वे सिद्ध नहीं होते, फिर भी वे मान्य और अपरिहार्य होते हैं। एक प्रामाणिक प्रयोग कोश की अनिवार्यता ऐसी ही स्थिति में सामने आती है। यह ‘आधुनिक हिन्दी प्रयोग कोश’ इसी अभाव की पूर्ति की दिशा में पहला सार्थक प्रयास है।
सुप्रसिद्ध कोशकार डॉ. बदरीनाथ कपूर द्वारा प्रस्तुत ‘आधुनिक हिन्दी प्रयोग कोश’ उनकी दीर्घकालीन श्रम-साधना का सुफल है। इसमें ऐसे तमाम प्रयोगों के बारे में उदाहरणसहित जानकारी दी गई है जो हिन्दी में प्रचलित और मान्य हैं। आधुनिक प्रयोग इसमें ऐसे हैं जो अभी तक अन्य कोशों में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाए हैं।
‘आधुनिक हिन्दी प्रयोग कोश’ में इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है कि यह समान रूप से भाषा के प्रति जागरूक पाठकों, लेखकों, पत्रकारों, शिक्षकों और छात्रों के लिए उपयोगी सिद्ध हो।
Aadhunik Hindi Proyog Kosh
Badrinath Kapoor
Lokbharti Brihat Pramanik Hindi Kosh
- Author Name:
Badrinath Kapoor +1
-
Book Type:

- Description:
आचार्य रामचन्द्र वर्मा द्वारा सम्पादित ‘बृहत् प्रामाणिक हिन्दी कोश’ का उपयोग पिछले कई वर्षों से हिन्दी-प्रेमी निरन्तर करते चले आ रहे हैं।
प्रस्तुत बृहत् संस्करण वर्मा जी के मानदंडों के अनुरूप तथा वर्तमान आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। सैकड़ों शब्दों को ढूँढ़-ढूँढ़कर इस कोश में स्थान दिया गया है जो पहले से हमारी भाषा के अंग हैं, परन्तु जिनका आज तक कोशों में समावेश नहीं हो पाया। आंचलिक तथा प्रादेशिक रचनाकारों के कुछ ऐसे शब्दों को भी इस कोश में स्थान दिया गया है जो हिन्दी साहित्य में अपना स्थान बना पाए हैं। समस्त पदों में पूर्वपद या उत्तरपद के रूप में कुछ विशिष्ट शब्दों के योग से बने नए शब्दों की बहुलता भी इस कोश में दर्शनीय है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, वाणिज्य, प्रशासन, जनसंचार आदि क्षेत्रों में प्रयुक्त होनेवाले अंग्रेज़ी भाषा के ऐसे शब्दों को भी इस कोश में स्थान दिया गया है, जिनका व्यापक रूप से इधर प्रयोग हो रहा है। इस कोश में पहली बार ऐसे सैकड़ों क्रिया-विशेषण, विशेषण तथा संज्ञा शब्दों की प्रविष्टियाँ मिलेंगी जो सम्बन्धबोधकों की तरह प्रयुक्त होते हैं। इधर सहस्रों हिन्दी शब्दों में नए अर्थ विकसित हुए हैं। ऐसे अर्थों को सँजोने तथा विश्लेषित करने का काम इस बृहत् संस्करण का विशेष ध्येय रहा है।
अरबी, फ़ारसी, तुर्की आदि के अधिकतर प्रचलित शब्दों को मूल शुद्ध रूप में दिखाने का प्रयास किया गया है। अनेक शब्द भेदों में जिन शब्दों को बाँटा जा सकता है, ऐसे शब्दों को प्रयोग के आधार पर क्रिया-विशेषण, योजक, निपात, विस्मयादिक, सम्बन्धबोधक आदि नामों से अभिहित किया गया है। लिंग-सम्बन्धी भी अनेक भूलें ठीक की गई हैं। अनेक शब्दों की व्युत्पत्ति में भी सुधार किया गया है।
इधर सहस्रों नए शब्द हमारी भाषा में प्रविष्ट हुए हैं। इनमें से जिनका पत्र-पत्रिकाओं में विशेष रूप से प्रयोग देखने को मिला, उन्हें इस नवीन संस्करण में सम्मिलित कर लिया गया है।
निश्चय ही यह कोश, विद्यार्थियों, लेखकों, अध्यापकों, सम्पादकों, पत्रकारों, शोधार्थियों इत्यादि के लिए अत्यन्त उपयोगी तथा विश्वसनीय है।
Lokbharti Brihat Pramanik Hindi Kosh
Badrinath Kapoor
Prabhat Practical Hindi -English Dictionary
- Author Name:
Badrinath Kapoor
-
Book Type:

- Description: प्रस्तुत हिंदी- अंग्रेज़ी शब्दकोश में हिंदी के लगभग सभी शब्दों को वर्णक्रम से रखा गया है । हिंदी शब्द के अंग्रेज़ी में कई-कई अर्थ उनके वाक्यों में प्रयोग बताकर दिए गए हैं । इससे पाठकों को शब्दों के विभिन्न अर्थ समझने में बड़ी आसानी होगी । शब्दों का उच्चारण सुगमतापूर्वक एवं व्यवस्थित ढंग से किया जा सके, इसलिए शब्दों को अक्षरों में विभाजित कर योजिका- के माध्यम से अलग- अलग करके दिखाया गया है और शब्द के जिस अक्षर पर बलाघात है उस पर चिह्न भी लगाया गया है ।
Prabhat Practical Hindi -English Dictionary
Badrinath Kapoor
Prabhat Vidyarthi Hindi-English Dictionary
- Author Name:
Badrinath Kapoor
-
Book Type:

- Description: विद्यार्थियों के लिए कोश बनाना अधिक कठिन कार्य है । पहले तो प्रविष्टियों के रूप में उन्हीं शब्दों को ग्रहण किया जाना चाहिए जो उनकी पाठ्य-पुस्तकों में प्रयुक्त हों और दूसरे, उनके वही या उतने ही अर्थ लिये जाने चाहिए जिनका उनसे प्रयोजन हो । तीसरे, अर्थ-विवेचन में ऐसे सरल शब्दों का प्रयोग हो जिनका ज्ञान सामान्यत: विद्यार्थियों को रहता है । प्रस्तुत कोश का निर्माण करते समय इन बातों का ध्यान रखा गया है । भाषिक- सामर्थ्य सफल जीवन-निर्वाह का मूल्य उपकरण है । इस उपकरण की प्राप्ति शब्दों के उपयुक्त अर्थों और प्रयोगों की सिद्धि से ही संभव है । विश्वास है, प्रस्तुत कोश विद्यार्थियों के लिए बहूपयोगी होने के साथ ही उनके शब्द--ज्ञान में वृद्धि करते हुए उसे समृद्ध करने में सहायक सिद्ध होगा ।