Rajesh Maheshwari
Jeevan ko Safal Nahin, Sarthak Banayen
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Rajesh Maheshwari
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Jeevan ko Safal Nahin, Sarthak Banayen
Rajesh Maheshwari
Jeevan Aisa Ho
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Rajesh Maheshwari
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‘जीवन ऐसा हो’ राजेश माहेश्वरी का महत्त्वपूर्ण कविता-संग्रह है। इस संग्रह की कविताएँ पढ़कर स्पष्ट होता है कि राजेश माहेश्वरी जीवन के विशाल उपवन से अनुभवों के फूल और शूल संचित करते रहे हैं। फूल की सुरभि और शूल की चुभन इन कविताओं में सहज रूप से समाहित है। लक्ष्य है, हृदय को भावना-सम्पन्न और बुद्धि को विवेक-सम्मत बनाना।
कवि जब समाज में व्याप्त कदाचार, अन्याय और आलस्य देखता है तो उसकी कविता में दु:ख, आक्रोश और व्यंग्य घुल जाता है। वह कह उठता है—‘ग़रीब और शोषित जहाँ था/वहीं रहकर/आज भी शोषित है/और क्रान्ति की प्रतीक्षा में/प्रतिदिन ढह रहा है।’
उदात्त मानवतावाद ही राजेश माहेश्वरी का लक्ष्य है।
इन कविताओं में आस्था और विश्वास का बहुरंगी संसार है। अध्यात्म की धूपछाँह है। उद्देश्य यही है कि जीवन तुच्छताओं से मुक्त हो और परम गन्तव्य तक पहुँचे। मंगलकामना की शैली में कवि कह उठता है—
‘‘सागर से गहरी हो
प्रेम व त्याग की प्यास।
श्रम व कर्म के प्रति
हो हमारा समर्पण।।’’
Jeevan Aisa Ho
Rajesh Maheshwari
Parivartan
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Rajesh Maheshwari
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एक प्रचलित उक्ति है, ‘देखन में छोटे लगें घाव करें गम्भीर।’ यह उक्ति ‘परिवर्तन’ संग्रह की छोटी-छोटी कहानियों पर पूर्णत: खरी उतरती है। लेखक राजेश माहेश्वरी ने बोध कथाओं की परम्परा से प्रेरणा ग्रहण की है। भारतीय साहित्य में छोटी-छोटी कहानियों (या कथाओं) की समृद्ध उपस्थिति है। नैतिकता व सामाजिकता आदि का उपदेश देने के लिए भी इन कथाओं का उपयोग होता रहा है। शिल्प के जितने प्रयोग ऐसी कहानियों में किए गए हैं, वे भी उल्लेखनीय हैं।
राजेश माहेश्वरी ने 'परिवर्तन' की कहानियों में उदाहरण और प्रबोधन-तत्त्व को प्रमुखता दी है। वे कभी वास्तविक घटना के भीतर कोई मूल्यवान प्रेरणा-सूत्र तलाश लेते हैं। कभी 'गल्प' की तरह कल्पना का आश्रय लेते हैं। इन दोनों प्रविधियों से वे जीवन के अर्थ को कुछ और प्रशस्त व उदात्त बनाते हैं। कुछ रचनाएँ प्रश्नोत्तर शैली में हैं और उनमें कहानी का तत्त्व गौण है। इसी प्रकार कहीं-कहीं प्रत्यक्ष उपदेश की प्रवृत्ति भी प्रभावी है।
महत्त्वपूर्ण यह है कि लेखक ने स्थान-स्थान पर प्रबोधन-सूत्र प्रदान किए हैं। ‘दीपक और जीवन’ का सन्देश है, ‘मानव जीवन व दीपक का प्रारम्भ व अन्त समान है। हमारा जीवन दीपक के समान प्रकाश पुंज बनकर देश व समाज के काम आए, यही अपेक्षा है।’
लघु प्रसंगों में बड़ा अर्थ प्राप्त करनेवाली इन रचनाओं से निश्चितरूपेण एक दृष्टि प्राप्त होती है।
Parivartan
Rajesh Maheshwari
Manthan
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Rajesh Maheshwari
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कविता अनेक विधियों से अभिव्यक्त होती है। कभी उसे अनुभव के उत्स की आवश्यकता होती है और कभी किसी सामाजिक सत्य के प्रोत्साहन की। राजेश माहेश्वरी ने कविता के लिए उन व्यापक अनुभवों को चुना है जिनके प्रमाण समाज में प्राय: दिखते रहते हैं।
इस संग्रह की रचनाएँ सुस्पष्ट रूप से विभिन्न विषयों पर अपना संवेदनात्मक अभिमत व्यक्त करती हैं! ‘विवेक’ कविता का निष्कर्ष है, ‘विवेकशील पाता है/गंगा सा प्रेम और ममता/यमुना-सी हृदय की कोमलता/और सरस्वती के समान बंधुआता।’ वस्तुत: राजेश माहेश्वरी ऐसे प्रश्नों से साक्षात्कार करते हैं जिनके उत्तर अभी उत्तर-आधुनिकता तलाश रही है।
इन कविताओं में प्रेरणा और उत्साह के स्वर सर्वोपरि हैं। वर्तमान समय में बिसरती आदर्शवादिता भी यहाँ देखी जा सकती है। यह इसलिए है क्योंकि कवि विसंगतियों व विषमताओं से मुक्ति चाहता है। यथार्थ के विश्लेषण से उत्पन्न ये रचनाएँ सचमुच पाठक के मन में ऊर्जा का संचार करती हैं।
सुगम व स्पष्ट अभिव्यक्ति इन कविताओं की उपलब्धि है। ‘नैतिकता’ कविता की इन पंक्तियों से यह तथ्य रेखांकित होता है—‘नैतिकता/बाज़ार में नहीं मिलती/यह एक आध्यात्मिक गुण है/जो करती है/सभ्यता का विकास/और संस्कृति का निर्माण।’
अपने उद्देश्य में प्रभावी और एक महत्त्वपूर्ण कविता-संग्रह।
Manthan
Rajesh Maheshwari
Path
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Rajesh Maheshwari
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आत्मकथा सिर्फ़ ज़िन्दगी के क़िस्सों का बयान ही नहीं, वह अपने आपसे मिलने की एक ईमानदार कोशिश भी होती है। इस कोशिश में राजेश माहेश्वरी की यह कृति ‘पथ’ सचमुच पथ-प्रदर्शक का काम करती है।
जीवन मनुष्य के ख़ुद बनाए से बनता है, पैतृक सम्पदा कुछ दूर और देर तक ही साथ दे सकती है। राजेश जी इस कड़वे सच के स्वीकार के साथ अपने जीवन में वंचनाओं और प्रपंचों से जूझते हुए विवेक एवं परिश्रम के बलबूते ऐसी बुलन्दी अर्जित करते हैं जो असम्भव हरगिज़ नहीं लगती, बल्कि यह भरोसा जगाती है कि विपरीत परिस्थितियाँ हों तो अपने विवेक की पतवार को सकारात्मक सोच के साथ हर पल थामे रहने से सब सँभल जाता है।
ज़िन्दगी में अकसर ऐसे पल आते हैं, जब हम दोराहे पर खड़े होते हैं। ऐसे में ‘पथ’ के ये शब्द—‘जीवन में कठिनाइयों के आने पर चिन्ता नहीं करनी चाहिए। दुनिया में ऐसी कोई कठिनाई या समस्या नहीं है जिसका निदान सम्भव न हो’—एक दोस्त की तरह सम्बल देनेवाले हैं।
संघर्ष के पथ पर चलते हुए विश्वास की लौ को जगाए रखने की प्रेरणा से भरपूर है यह ‘पथ’।
Path
Rajesh Maheshwari
Raat Ke Gyarah Baje
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Rajesh Maheshwari
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‘रात के ग्यारह बजे’ नारी के विविध रूपों को काले और सफ़ेद खानों में रखकर देखने के बजाय ‘ग्रे एरिया’ में अलग-अलग शेड्स दिखाता है। बहुत ही विश्वसनीय प्रसंगों के ताने-बाने में। राजेश माहेश्वरी के इस उपन्यास की स्त्रियाँ शिक्षित हैं और आत्मविश्वास से भरी हुई हैं। कठिनाइयों के अथाह दुर्गम को पार कर वे अस्तित्व के संघर्ष में निरन्तर आगे बढ़ती हुई नज़र आती हैं।
उपन्यास के किरदार मानसी, राकेश, आनन्द, गौरव और पल्लवी के बीच रिश्तों की परतें बहुत उलझी हुई हैं। ये सभी किरदार ज़िन्दगी की गाड़ी में सवार सहयात्री से लगते हैं जिनके जीवन की घटनाएँ कहीं न कहीं हमारे अपने जीवन की सच्चाई से हमें अवगत कराते हुए प्रतीत होते हैं। 'विश्वास’ का वास्तविक अर्थ हम तब समझ पाते हैं जब हमारे साथ विश्वासघात होता है। और तभी पता चलता है कि विश्वास का धागा जितना सच्चा होता है, उतना ही कच्चा भी होता है। लेखक ने इस अनुभव को बहुत कारगर ढंग से चित्रित किया है।
इस उपन्यास को पढ़ते हुए एक बात अलग से ध्यान खींचती है कि स्त्री-स्वतंत्रता और स्वावलम्बन के समर्थक पुरुष उनके हित में चाहे जो करते हों, लेकिन उनके हँसी-मज़ाक़ में भी उसी तरह की बातें होती हैं जो किसी सामान्य पुरुष के। उपन्यास की भाषा कथा-प्रवाह को गतिशील बनाए रखनेवाली है तथा कथानक की बुनावट ऐसी कि लगे, जैसे कोई फ़िल्म देख रहे हों!
आज के दौर में स्त्री और पुरुष के बीच के रिश्तों को समझने के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपन्यास।
Raat Ke Gyarah Baje
Rajesh Maheshwari
Vey Bahattar Ghante
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राजेश माहेश्वरी की कहानियाँ अपनी बनावट में जितनी भिन्न हैं, उतना ही इन कहानियों का रसास्वादन भिन्न है। संग्रह के नाम को सार्थक करनेवाली कहानी ‘वे बहत्तर घंटे’ मानवीय करुणा और त्याग की भावना से ओतप्रोत है। कहानी में गुजरात में आए भयंकर अकाल का चित्रण मार्मिक है। ऐसी कठिन परिस्थिति में गौ-रक्षा के लिए वहाँ के लोगों की तत्परता न केवल सराहनीय है, बल्कि दिल को छू लेनेवाली है। वहीं 'माँ' कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है जो अनाथ बच्चों के लिए कुछ करना चाहते हैं। कहानी ‘मित्रता’ हमेशा से चली आ रही हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल को कुछ नए ही तरह से पुन: क़ायम करती है। राजस्थान के परिवेश में बुनी गई कहानी ‘पनघट’ हमारे समाज की घृणित कर देनीवाली सच्चाई को बिना किसी लाग-लपेट के सीधे शब्दों में प्रस्तुत करती है। अन्य कहानियाँ अपनी सरलता लिए पाठकों तक अपनी बात पहुँचाने में सक्षम हैं।
संकलन की ये छोटी-छोटी कहानियाँ बाग़ के उन छोटे-छोटे फूलों की तरह हैं जो खिलकर बागान को ख़ुशनुमा बना देते हैं और देर तक जिनकी ख़ुशबुएँ हमें तरो-ताज़ा करती रहती हैं।