Jeevan Aisa Ho
Author:
Rajesh MaheshwariPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 160
₹
200
Unavailable
‘जीवन ऐसा हो’ राजेश माहेश्वरी का महत्त्वपूर्ण कविता-संग्रह है। इस संग्रह की कविताएँ पढ़कर स्पष्ट होता है कि राजेश माहेश्वरी जीवन के विशाल उपवन से अनुभवों के फूल और शूल संचित करते रहे हैं। फूल की सुरभि और शूल की चुभन इन कविताओं में सहज रूप से समाहित है। लक्ष्य है, हृदय को भावना-सम्पन्न और बुद्धि को विवेक-सम्मत बनाना।</p>
<p>कवि जब समाज में व्याप्त कदाचार, अन्याय और आलस्य देखता है तो उसकी कविता में दु:ख, आक्रोश और व्यंग्य घुल जाता है। वह कह उठता है—‘ग़रीब और शोषित जहाँ था/वहीं रहकर/आज भी शोषित है/और क्रान्ति की प्रतीक्षा में/प्रतिदिन ढह रहा है।’</p>
<p>उदात्त मानवतावाद ही राजेश माहेश्वरी का लक्ष्य है।</p>
<p>इन कविताओं में आस्था और विश्वास का बहुरंगी संसार है। अध्यात्म की धूपछाँह है। उद्देश्य यही है कि जीवन तुच्छताओं से मुक्त हो और परम गन्तव्य तक पहुँचे। मंगलकामना की शैली में कवि कह उठता है—</p>
<p>‘‘सागर से गहरी हो</p>
<p>प्रेम व त्याग की प्यास।</p>
<p>श्रम व कर्म के प्रति</p>
<p>हो हमारा समर्पण।।’’
ISBN: 9788183615822
Pages: 128
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: Sarvajna is a saint peot of medieval Kannada. In spirit he was a global citizen of the time. For poets like him, the life is greater than poetry or literature. This great message upholding universal human values and the dignity of mankind was through compassion and serving the fellow beings. Sarvajna's rich and practical wisdom portrayed in his Vachanas (triplets) may guide the readers across the world.
Pratinidhi Kavitayein: Navin Sagar
- Author Name:
Navin Sagar
- Book Type:

- Description: नवीन सागर की कविताओं को पढ़ते हुए आप हिन्दी कविता की दुनिया में अपनी मौजूदा रिहायश से उठकर कहीं और जाने के लिए चल पड़ते हैं—एक ज़्यादा गहरी, ज़्यादा परतदार, ज़्यादा नाज़ुक और ज़्यादा ठोस जगह की तरफ़। वह जगह जहाँ आपको अपने न समझ में आनेवाले लेकिन मारक दुख की सहज, स्पष्ट और चित्र जैसी अभिव्यक्ति मिलती है। हमारी भाषा ने कम ही ऐसी कविताएँ पाई हैं, जैसी ये सारी हैं। नवीन सागर की कविता-पुस्तकें लम्बे समय से अनुपलब्ध हैं। हालाँकि इस बीच उनकी कविताओं की तरफ़, ख़ासतौर पर नई पीढ़ी का ध्यान उल्लेखनीय ढंग से गया है। ऐसे में उनके देहान्त के लगभग पच्चीस वर्ष बाद उनकी कविताओं से यह प्रतिनिधि चयन प्रकाशित हो रहा है। उम्मीद है कि यह पुस्तक लगभग भूले हुए, लेकिन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण एक कवि को विचार के केन्द्र में लाएगी।
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