Santosh Choubey
Garibnawaz
- Author Name:
Santosh Choubey
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Book Type:

- Description: ये इक्कीसवीं सदी की कहानियाँ हैं। यहाँ उत्तर-आधुनिक कहानी के इशारे हैं। ये पॉज़िटिवली हल्की-फुल्की हैं और बे-बोझ एवं प्रसन्न हैं। ये बड़ी बात का आडम्बर नहीं रचती हैं और न फालतू की पीड़ा का स्वाँग भरती हैं। इन कहानियों से हिन्दी में उत्तर-कहानी की शुरुआत हुई मानी जा सकती है। —सुधीश पचौरी संतोष चौबे की कहानियाँ यथार्थ की गहनता और व्याप्ति में जाकर सत्य को आख्यान में रूपान्तरित करने का जतन करती हैं। इस प्रक्रिया में वे कहानी कहने के अनेक अनुशासनों को नकारती हैं और यूँ अपनी तरह के कथानुशासन एवं शिल्प की निर्मिति करती हैं। ‘ग़रीबनवाज़’ की अधिसंख्य कहानियों में साहित्य, कला से जुड़े चरित्र उपस्थित हैं लेकिन कहानियाँ महज़ यहाँ से उड़ान भरती हैं, अन्तत: वे आर्थिक उदारीकरण से उपजी मूल्यहीनता, लालच, कपटीपन और क्षरणशील आधुनिकता का प्रत्याख्यान करती हैं। इन चीज़ों में इतनी निष्ठुरता है कि समाज की तमाम सुन्दरताएँ नष्ट हो रही हैं। संतोष चौबे की कहानियाँ पूँजी, तकनीक एवं ताक़त के सहमेल से उपजी विरूपता से मुठभेड़ करती अन्तत: जीवन के सुन्दरतम के पक्ष में खड़ी होती हैं। —अखिलेश
Garibnawaz
Santosh Choubey
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