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Rakesh Tiwari

Afghanistan Se Khat-O-Kitabat

  • Author Name:

    Rakesh Tiwari

  • Book Type:
  • Description: अफ़ग़ानिस्तान की जो तस्वीरें इधर दशकों से हमारे ज़ेहन में आ-आ कर जमा होती रही हैं, ख़ून, बारूद, खँडहरों और अभी हाल में जहाज़ों पर लटक-लटक कर गिरते लोगों की उन तमाम तस्वीरों का मुक़ाबला अकेला काबुलीवाला करता रहा है, जो हमारी स्मृति की तहों में आज भी अपने ऊँचे कंधों पर मेवों का थैला लटकाए टहलता रहता है।

    यह किताब उसी काबुलीवाले के देश की यात्रा है जिसे लेखक ने 1977 के दौरान अंजाम दिया था। तेईस साल की उम्र में बहुत कम संसाधनों और गहरे लगाव के साथ लेखक ने पैदल और बसों में घूम-घाम कर जो यादें इकट्ठा की थीं, इस किताब में उन्हें, तमाम ऐतिहासिक-भौगोलिक जानकारियों, तथ्यों के साथ सँजो दिया है। आज की पृष्ठभूमि में इसे पढ़ना एक अलग तरह का सुकून देता है, और इसे पढ़ना यह जानने के लिए ज़रूरी है कि बीती चार दहाइयों ने दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत जगहों में एक, अनेक धर्मों की भूमि रहे उस देश से क्या-क्या छीन लिया है।

    विश्व की बड़ी सैन्य ताक़तों के ख़ूनी खेल का मोहरा बनने से पहले का यह अफ़ग़ानिस्तान-वर्णन बर्फ़ीली घाटियों, पहाड़ों के बीच मोटे गुदगुदे गर्म कपड़ों में गुनगुनी चाय का प्याला हाथों में दबाए, राजकपूर की फ़िल्मों के गाने सुनने का-सा अहसास जगाता है।

Afghanistan Se Khat-O-Kitabat

Afghanistan Se Khat-O-Kitabat

Rakesh Tiwari

250

₹ 200

Safar Ek Dongi Main Dagmag

  • Author Name:

    Rakesh Tiwari

  • Book Type:
  • Description: ‘सफ़र एक डोंगी में डगमग' यात्रा-वृत्तान्त के तौर पर जितनी रोमांचक है उतना ही मज़बूत इसका ऐतिहासिक और भौगोलिक पक्ष भी है।

    डगमग डोंगी के साथ चलते हुए लेखक घाट-घाट के ऐतिहासिक महत्त्व के पर्दों को हमारे सामने इस तरह खोलता जाता है, जैसे कोई पुरातत्त्वविद् खुदाई कर इतिहास को हमारे सामने ला खड़ा कर देता है। यह पुस्तक उत्तर-पूर्वी भारत की बदलती भौगोलिक संरचना, संस्कृति और बोलियों को समझने में एक विशिष्ट दस्तावेज़ की तरह भी काम करती है।

    दिल्ली की ‘ओखला हेड' जैसी छोटी नहर से यात्रा शुरू कर जल्द ही यमुना में हिलोरें मारती डोंगी मथुरा, आगरा, इलाहाबाद, बनारस, कानपुर और पटना होती हुई अन्ततः कोलकाता की हुगली नदी में जाकर रुकती है। लेखक को यह यात्रा पूरी करने में जहाँ बासठ दिन लगते हैं, वहीं किताब लिखने में तीस साल।

    लेखक के साथ डोंगी भी अपना इतिहास लिखती हुई चलती है। इसमें नदियाँ जीते-जागते किरदारों की तरह हैं, जो कूद-कूदकर पंक्तिबद्ध आती हैं, अठखेलियाँ करती हैं और अपना नाम दर्ज कराती हुई खो जाती हैं।

    'सफ़र एक डोंगी में डगमग' रोमांच, बेचैनी, उकताहट, संघर्ष, जिजीविषा, दोस्ती और ढेरों किस्सों में बँधी किताब है जो आख़िरी पन्नों तक पाठकों को बाँधे रहती है।

Safar Ek Dongi Main Dagmag

Safar Ek Dongi Main Dagmag

Rakesh Tiwari

200

₹ 160

Pahalu Mein Aaye Oar-Chhor

  • Author Name:

    Rakesh Tiwari

  • Book Type:
  • Description: ी और टर्की की यात्राओं के दरमियान लेखक ने जो ब्योरे इकट्ठे किए, उसका स्वाद इस सफ़रनामे के ज़रिए पेश है। दुनिया के इतिहास-भूगोल की नई-नई जानकारियाँ इकट्ठी करने के शौक़ीन राकेश तिवारी को नई-नई जगहों में, असम्भव रास्तों से गुज़रने में बहुत दिलचस्पी है। लोक में जिसे 'पैर में चक्कर लगना' कहते हैं, वह कहावत राकेश जी के प्रसंग में सही साबित होती है। कभी वो पैदल तो कभी साइकिल से और कभी नाव से दुर्गम क्षेत्रों के सफ़र पर निकल पड़ते हैं। चिली और टर्की की यात्राएँ तो हालाँकि सफ़र करने के सामान्य तौर-तरीक़ों से ही सम्पन्न हुई हैं, लेकिन नायाब जगहों को जाकर देखने, नई जानकारियाँ इकट्ठी करने के मामले में आदतन कहीं कोई कोताही नहीं है। सांतियागो के फल-फूलों के भारत पहुँच चुकने के सबूतों का सिजरा हो या विश्व विरासत में शामिल ख़ूबसूरत 'वाल परासियो' शहर की सैर हो या दुनिया के सबसे ऊँचे रेगिस्तान 'कलामा-आताकामा' का भी चक्कर लगाने का मामला हो; पूर्वी टर्की के कुर्दों की बहुतायत वाले काहता, नेमरुत दागी की पहाड़ियों पर, कभी ऊँचे-नीचे पहाड़ों और वादियों में पसरे गेहूँ के खेतों के बीच से, नदियों के किनारे, पुरातन जगहों, अदीयमान, गाज़ियानटेप, सालिनऊर्फ़ा और अंकारा जैसे शहरों की सैर करने की बात हो—इस यात्रा वृत्तांत को पढ़ते हुए लगता है, राकेश तिवारी कुदरती ख़ूबसूरती और दुनिया के बनने-फैलने को कुछ नए तरह से ही दिखाते है
Pahalu Mein Aaye Oar-Chhor

Pahalu Mein Aaye Oar-Chhor

Rakesh Tiwari

150

₹ 120

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