Vidya Sagar Nautiyal

Vidya Sagar Nautiyal

5 Books

Swarg Dadda! Pani, Pani

  • Author Name:

    Vidya Sagar Nautiyal

  • Book Type:
  • Description: Novel
Swarg Dadda! Pani, Pani

Swarg Dadda! Pani, Pani

Vidya Sagar Nautiyal

100

₹ 82

Saroj Ka Sannipat

  • Author Name:

    Vidya Sagar Nautiyal

  • Book Type:
  • Description: Drama
Saroj Ka Sannipat

Saroj Ka Sannipat

Vidya Sagar Nautiyal

90

₹ 73.8

Uttar Bayan Hai

  • Author Name:

    Vidya Sagar Nautiyal

  • Book Type:
  • Description: “अपने लोगों की यह कथा जिसे अनेक वर्षों तक मैंने अपने भीतर जिया है...”—विद्यासागर नौटियाल ‘उत्तर बायां है’ हिमाच्छादित बुग्यालों और ऊँचे, विस्तृत चरागाहों में बरसात के दौरान बर्फ़ के पिघलने के बाद उग आनेवाली मखमली घास और असंख्य ख़ूबसूरत फूलों की ख़ुशबू के बीच अपने पशुओं के साथ विचरण करनेवाली घुमन्तू जाति गूजर और पर्वतीय क्षेत्र के भेड़पालकों और भैंसवालों के समूहों के आपसी सम्बन्धों और परिधि पर बसर कर रहे लोगों के जीवन का साक्षात्कार है। पर्वत शृंग पर बसे भेड़पालकों के गाँव चाँदी और उसकी घाटी में बसे रैमासी के निवासियों के पेशों, रीतियों और प्रथाओं में पर्याप्त भिन्नता हो जाती है। चाँदी के आकाश में चाँद खुलकर प्रकट होकर कभी अपनी आभा नहीं फैला पाता। चाँदीवासियों का आदिकाल से यह विश्वास चला आया है कि कुछ दुष्ट ग्रह, जो उनके आकाश में विचरण करते हैं, उनके चाँद को हमेशा अपने दबाव में रखते आए हैं, जैसे राहु पूर्णमासी के चाँद को अपने दबाव में कर लेता है। उन दुष्ट ग्रहों के संचालक रैमासी में निवास करते हैं। दिन-रात अथक परिश्रम करनेवाले चंदवालों की कमाई को सदियों से निठल्ले रैमासीवाले हड़प करते आए हैं। सदरू, करणू, हुकम के जीवन में खीजी, कन्हैया, देवीप्रसाद, धनसिंह और रथी सेठ जैसे लोग हमेशा संकट पैदा करते आए हैं, और इन निरीह चंदवालों की क़ीमत पर राजकीय कर्मचारियों, अधिकारियों की मौज-मस्ती, बेकसूर लोगों पर सत्ता के अत्याचार, न्यायालयों की हास्यास्पद भूमिका, भेड़पालकों, ग्रामवासियों, गूजरों के पशुवत् जीवन की झलकियाँ; आयशा, सकीना और हसीना की बेबस ज़िन्दगी के चित्र, हाशिए पर पड़े लोगों के अनवरत संघर्ष, ग़रीबी, उनके सपने, सभ्य तथा कथित विकसित समुदायों द्वारा उनका बाहरी-भीतरी विनाश! ‘उत्तर बायां है’ में अपने मर्मांतक वर्णन से विद्यासागर नौटियाल इन घुमन्तू और सीमान्त लोगों के जीवन का प्रामाणिक तथा ज़ि‍न्दगी से भरपूर सन्धान करते हैं। उपन्यास बेचैन करनेवाले यथार्थ और ज़मीनी सच्चाइयों, आपसी रिश्तों को मानवीय गरिमा देने के बीच एक संयत भाषा में आन्दोलित होता रहता है और इन ‘उपेक्षितों’ की पीड़ा से ‘मुख्यधारा’ को आत्यन्तिक मार्मिकता से साक्षात्कार कराता है। —हम्माद फ़ारूक़ी।
Uttar Bayan Hai

Uttar Bayan Hai

Vidya Sagar Nautiyal

995

₹ 796

Mohan Gata Jayega

  • Author Name:

    Vidya Sagar Nautiyal

  • Book Type:
  • Description: ‘लेकिन इन पहाड़ों में मानव जीवन विकट है।...मैं इस विकट पहाड़ में रच-बस गया। इसे छोड़कर कहीं भाग जाने की बात नहीं सोची। अपनी रचनाओं में मैं इस पहाड़ की सीमाओं के अन्दर घिरा रहा। टिहरी से बाहर नहीं निकला। निकलूँगा भी नहीं।’ (इसी पुस्तक में लेखक के वक्तव्य का अंश)।

    ‘मोहन गाता जाएगा’ में कथा-शिल्पी विद्यासागर नौटियाल ने पहाड़ के जीवन, टिहरी की ज़िन्दगी के दर्द, उससे लगाव, अपने छात्र-जीवन, जन-आन्दोलन, राजनीतिक सक्रियता, मानवीय सम्बन्धों और मित्रता की ऊष्मा को अपनी सृजनात्मक प्रतिभा, व्यापक अनुभव, सजग दृष्टि के साथ टुकड़े-दर-टुकड़े, हरफ़-ब-हरफ़ अद्भुत सांगीतिक गद्य में कहने का सहज प्रयास किया है। उन्नीस सौ छप्पन से दो हज़ार तक चार दशक से ऊपर के समय में टिहरी, काशी, लखनऊ, देहरादून में लिखी और उपलब्ध ये रचनाएँ महज़ ‘यत्र-तत्र’ टिप्पणियाँ, वक्तव्य, वृत्तान्त या आत्मपरक रचना-अंश नहीं हैं बल्कि अपने समय के सामाजिक जीवन का अलग-अलग प्रसंगों में निजी स्पर्श भी हैं।

    ‘मो०हन गाता जाएगा’ दरअसल विद्यासागर नौटियाल का ‘आदमीनामा’ है, जिसमें वे रचनाकार की संवेदना और उसकी चेतना, उसकी ज़िन्दगी में आए लोगों, पढ़ी-लिखी गई रचनाओं, राजनीतिक गतिविधियों, यात्राओं, डायरी और सम्बोधनों आदि के माध्यम से अपने विलक्षण मित-कथनों में अपनी स्मृतियों, विचारों और आकांक्षाओं को बेहद जीवन्त, आत्मीय, रोचक और प्रामाणिक ढंग से अतिरिक्त प्रासंगिकता देते हैं।

    —मुहम्मद हम्माद फ़ारूक़ी

Mohan Gata Jayega

Mohan Gata Jayega

Vidya Sagar Nautiyal

300

₹ 240

Suraj Sabka Hai

  • Author Name:

    Vidya Sagar Nautiyal

  • Book Type:
  • Description: ‘सूरज सबका है’ ऐतिहासिक कृति से अधिक लोक-मानस की कृति है। कथा की शुरुआत 1804-15 में गोरख्याणी-गढ़वाल पर गोरखों के आक्रमण से होती है जो बीच-बीच में क्‍लेश की तरह सोनी गाँव की दादी की जिवेषणा, गढ़वाल की तत्कालीन राजधानी श्रीनगर में रानी कर्णावती के साहस, बुद्धि-चातुर्य, दिल्ली की मुग़ल सल्तनत के मनसबदार नजावत खाँ की मूर्खतापूर्ण लोलुपता, ईस्ट इंडिया कम्पनी की धूर्तता से गुज़रते हुए, आज़ाद भारत के शुरुआती दिनों में परगनाधिकारी देवीदत्त की सहृदयता को लक्षित करते हुए सोनी गाँव पर ही समाप्त हो जाती है। औपन्यासिक भाषिक संरचना की दृष्टि से विद्यासागर नौटियाल का समूचा कथा-संसार, विशेषकर ‘सूरज सबका है’ अद्वितीय, अप्रतिम है।

    —मुहम्मद हम्माद फ़ारूक़ी

Suraj Sabka Hai

Suraj Sabka Hai

Vidya Sagar Nautiyal

295

₹ 236

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