Swami Akshay Atmanand

Swami Akshay Atmanand

4 Books

Yogasan Aur Shareer Vigyan

  • Author Name:

    Swami Akshay Atmanand

  • Book Type:
  • Description: Awating description for this book
Yogasan Aur Shareer Vigyan

Yogasan Aur Shareer Vigyan

Swami Akshay Atmanand

400

₹ 320

Aahaar Chikitsa

  • Author Name:

    Swami Akshay Atmanand

  • Book Type:
  • Description: वर्तमान जीवन-व्यवस्था ऐसी हो गई है कि आज लगभग प्रत्येक व्यक्‍त‌ि किसी- न-किसी रोग से ग्रस्त है । जिन रोगों के बारे में हमने कभी सुना भी नहीं था, अब उन्हें देखना ही नहीं, भोगना भी हमारी विवशता बनती जा रही है । संपूर्ण संसार में हजारों चिकित्सा-पद्धतियाँ विकसित हो चुकी हैं । इनके साथ-साथ उन्नत चिकित्सकीय यंत्र एवं उपकरण तथा अद‍्भुत जीवन रक्षक दवाएँ विकसित कर ली गई हैं, फिर भी आज का मानव नाना रोगों से पीड़ित जीने को विवश है । अत : इन रोगों का कारण क्या है, यह जानना अत्यावश्यक हो गया है । इसका प्रमुख कारण है-हमारा असंयमित- असंतुलित आहार । हमें क्या खाना चाहिए, क्यों खाना चाहिए, कब खाना चाहिए, कितना खाना चाहिए-ऐसे अनेक गंभीर प्रश्‍नों का समाधान स्वामीजी ने प्रस्तुत पुस्तक 'आहार चिकित्सा' में बड़ी ही सरल, सुगम व बोधगम्य भाषा में प्रभावपूर्ण ढंग से किया है । स्वामीजी का मानना है कि दैनिक खान- पान से ही अच्छा उपचार किया जा सकता है । स्वामीजी द्वारा सुझाई गई बातों को अगर आप ध्यानपूर्वक आत्मसात‍् करेंगे, धैर्य और शांति से उनका अनुसरण करेंगे तो निश्‍चय ही बीमार होने की नौबत नहीं आएगी । हमें विश्‍वास है, प्रस्तुत पुस्तक पाठकों का आहार चिकित्सा संबंधी ज्ञानवर्द्धन तो करेगी ही, उन्हें पूर्णतया स्वस्थ रखने में भी महती भूमिका अदा करेगी ।
Aahaar Chikitsa

Aahaar Chikitsa

Swami Akshay Atmanand

300

₹ 240

Yog Bhagaye Rog

  • Author Name:

    Swami Akshay Atmanand

  • Book Type:
  • Description: "' जिसे मृत्यु छीन ले, वह सब ' पर ' है । जिसे मृत्यु भी न छीन पाये, वह ' स्व ' है । इस ' स्व ' में जो स्थित है, सिर्फ वही स्वस्थ है, बाकी सब अस्वस्थ हैं । '' अपने चारों ओर ' पर ' का जो आग्रह है, संग्रह है, उसे ही परिग्रह कहा गया है । परिग्रह कोई वस्तु नहीं है, जिसका त्याग कर देने से परिग्रह हो जायेगा । यदि ' पर ' का आग्रह छूट जाये, सिर्फ ' स्व ' ही रह जाये, शुद्ध-बुद्ध आत्मा में निवास हो जाये, तो यह मनुष्य उसी क्षण परम आत्मा यानी परमात्मा बन जायेगा । कितना कठिन है स्वस्थ होना और कितना सरल है अस्वस्थ बना रहना! अध्यात्म तो सिर्फ आत्मा को स्वस्थ बनाने की विधि बताता है । आज की उन्न्त कहलाने वाली शिक्षा ने आत्मा को बकवास कहा है । इसके अस्तित्व से भी इनकार किया है । उसके लिए शरीर ही सबकुछ है । वही मनुष्य का आदि भी है और अन्त भी है । अत: यह शिक्षा-प्रणाली शरीर के इर्द-ग‌िर्द ही घूमती रहती है । शरीर से बीमारियों को निकाल बाहर करने के नाम पर एक दिन शरीर को ही निकाल बाहर कर देती है । जिन्हें आत्मा के रहस्य को जानने के लिए स्वस्थ शरीर चाहिए उनके शरीर को अच्छा स्वास्थ्य और दीर्घायु जीवन देने में यह पुस्तक पूर्ण समर्थ है; क्योंकि योग का यही नारा है । - इसी पुस्तक से ' योगासनों से चिकित्सा ' विषय पर लिखी गयी मौलिक और श्रेष्‍ठ कृति है ' योग भगाये रोग ' । इसमें विभिन्न आसनों को सरल भाषा तथा अति रोचक शैली में चित्रों के माध्यम से समझाया गया है । सभी पाठकों के लिए यह संग्रहणीय कृति है । "
Yog Bhagaye Rog

Yog Bhagaye Rog

Swami Akshay Atmanand

350

₹ 280

Yog Aur Yogasan

  • Author Name:

    Swami Akshay Atmanand

  • Book Type:
  • Description: "महर्षि पतंजलि ने एक सूत्र दिया है- ' योगश्‍च‌ित्त: वृत्ति निरोध: ' । इस सूत्र का अर्थ है-' योग वह है, जो देह और चित्त की खींच-तान के बीच, मानव को अनेक जन्मों तक भी आत्मदर्शन से वंचित रहने से बचाता है । चित्तवृत्तियों का निरोध दमन से नहीं, उसे जानकर उत्पन्न ही न होने देना है । ' ' योग और योगासन ' पुस्तक में ' स्वास्थ्य ' की पूर्ण परिभाषा दी गई है । स्वास्थ्य की दासता से मुक्त होकर मानवमात्र को उसका ' स्वामी ' बनने के लिए राजमार्ग प्रदान किया गया है । ' स्वास्थ्य ' क्या है? ' स्वस्थ ' किसे कहते हैं? मृत्यु जिसे छीन ले, मृत्यु के बाद जो कुछ हमसे छूट जाए वह सब ' पर ' है, पराया है । मृत्यु भी जिसे न छीन पाए सिर्फ वही ' स्व ' है, अपना है । इस ' स्व ' में जो स्थित है वही ' स्वस्थ ' है । कहावत है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ आत्मा का वास होता है । यदि शरीर ही स्वस्थ नहीं होगा तो आत्मा का स्वस्थ रहना कहाँ संभव होगा । इस पुस्‍तक को पढ़कर निश्‍चय ही मन में ' जीवेम शरद: शतम् ' की भावना जाग्रत होती है । प्रस्तुत पुस्तक उनके लिए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है जो दवाओं से तंग आ चुके हैं और स्वस्थ व सबल शरीर के साथ जीना चाहते हैं ।
Yog Aur Yogasan

Yog Aur Yogasan

Swami Akshay Atmanand

500

₹ 400

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