Shamim Hanfi

Shamim Hanfi

2 Books

Aadhunik Urdu Kahani Ka Safar

  • Author Name:

    Shamim Hanfi

  • Book Type:
  • Description: मुंशी प्रेमचन्द से सुरेन्द्र प्रकाश तक की उर्दू कहानी का यह विवरण २०वीं सदी के माहौल और समाज का विवरण भी है। मैं साहित्य की किसी भी विधा को उसकी ज़मीन और ज़माने से अलग करके देखने में असमर्थ हूँ ख़ासतौर पर कथा-कहानी को। सार्त्र ने १९४८ में साहित्य की प्रतिबद्धता पर अपनी धारणा व्यक्त करते हुए कविता के मुक़ाबले में कहानी को अपने समय और भौतिक वातावरण में ज़्यादा उलझा हुआ बताया था, ज़्यादा Committed, ज़्यादा  Engaged यानी ज़्यादा प्रतिबद्ध और ज़्यादा व्यस्त। इस तरह हमारे कथा-साहित्य की हदें इतिहास से ‌जा मिलती हैं। लेकिन साहित्य, बहरहाल, इतिहास नहीं होता। साहित्य इतिहास के समानान्तर अपनी एक अलग दुनिया बनाता है। यह दुनिया इतिहास से ज़्यादा रोचक, ज़्यादा सशक्त होती है, अपनी कलात्मकता और सौन्दर्य के कारण। इसीलिए इतिहास के किसी भी युग की सीमाओं के मुक़ाबले में साहित्य और कला की सीमाएँ ज़्यादा विस्तृत और ज़्यादा दिनों तक ज़िन्दा, रोचक और पायदार रहती हैं।

    —प्रस्तावना से

Aadhunik Urdu Kahani Ka Safar

Aadhunik Urdu Kahani Ka Safar

Shamim Hanfi

299

₹ 239.2

Humsafaron Ke Darmiyan

  • Author Name:

    Shamim Hanfi

  • Book Type:
  • Description: आधुनिक उर्दू कविता के बारे में यह छोटी-सी किताब मेरे कुछ निबन्धों पर आधारित है। समकालीन साहित्य और उससे सम्बन्धित समस्याएँ मेरी सोच और दिलचस्पी का ख़ास विषय रही हैं। पिछले पचास-साठ बरसों में मैंने इस विषय पर कम से कम साठ-सत्तर निबन्ध लिखे होंगे। उन्नीसवीं सदी और बीसवीं सदी के बहुत से शायरों को मैंने अपने आलोचनात्मक अध्ययन का बहाना बनाया यानी कि ग़ालिब से लेकर आज तक की शायरी में मेरी गहरी दिलचस्पी रही है।

    यहाँ आगे बढ़ने से पहले एक और सफ़ाई देना चाहता हूँ। पारम्परिक प्रगतिवाद, आधुनिकतावाद और उत्तर-आधुनिकतावाद में मेरा विश्वास बहुत कमज़ोर है। मैं समझता हूँ कि हमारी अपनी सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक परम्परा के सन्दर्भ में ही हमारे अपने प्रगतिवाद, आधुनिकतावाद और उत्तर-आधुनिकता की रूपरेखा तैयार की जानी चाहिए। हमारा जीवन हमारे समय के पश्चिमी जीवन और सोच-समझ की कार्बन कॉपी नहीं है। जिस तरह हमारा सौन्दर्यशास्त्र या Aesthetic Culture अलग है, उसी तरह हमारी प्रोग्रेसिविज़्म (Progressivism) और Modernity या ज़दीदियत भी अलग है। मैंने इसी दृष्टिकोण के साथ आधुनिक युग के अधिकतर शायरों को समझने की कोशिश की है।

    ये निबन्ध मेरी दो किताबों—'हमसफ़रों के दरमियाँ’ (सह-यात्रियों के बीच) और 'हमनफ़सों की बज़्म में’ (यार-दोस्तों की सभा में) से लिए गए हैं। इनमें मेरा विषय बननेवाले शायरों का स्वभाव, चरित्र, चेतना और रूप-रंग अलग-अलग हैं। मैं समझता हूँ कि आधुनिकतावाद को इसी भिन्नता और बहुलता का प्रतीक होना चाहिए। 

    —शमीम हनफी (प्रस्तावना से)

     

    ''हालाँकि हिन्दी में उर्दू साहित्य के आधुनिक दौर के अधिकांश शायरों से ख़ासी वाक़‍िफ़यत रही है, उन पर स्वयं उर्दू में जो विचार और विश्लेषण हुआ है, उससे हमारा अधिक परिचय नहीं रहा है। शमीम हनफी स्वयं शायर होने के अलावा एक बड़े आलोचक के रूप में उर्दू में बहुमान्य हैं। उनके कुछ निबन्धों के इस संचयन के माध्यम से उर्दू की आधुनिक कविता की कई जटिलताओं, तनावों और सूक्ष्मताओं को जान सकेंगे और कई बड़े उर्दू शायरों की रचनाओं का हमारा रसास्वादन गहरा होगा। हमें यह संचयन प्रस्तुत करते हुए प्रसन्नता है।”

    —अशोक वाजपेयी

Humsafaron Ke Darmiyan

Humsafaron Ke Darmiyan

Shamim Hanfi

299

₹ 239.2

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