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Pramod Kumar Agrawal

Main Ram Bol Raha Hoon

  • Author Name:

    Pramod Kumar Agrawal

  • Book Type:
  • Description: Awating description for this book
Main Ram Bol Raha Hoon

Main Ram Bol Raha Hoon

Pramod Kumar Agrawal

200

₹ 160

Autobiography of An IAS "एक IAS की आत्मकथा" Inspirational Story of An IAS on The Path of Truth, Honesty and Justice by Pramod Kumar Agrawal, IAS (Retd.) in Hindi

  • Author Name:

    Pramod Kumar Agrawal

  • Book Type:
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Autobiography of An IAS "एक IAS की आत्मकथा" Inspirational Story of An IAS on The Path of Truth, Honesty and Justice by Pramod Kumar Agrawal, IAS (Retd.) in Hindi

Autobiography of An IAS "एक IAS की आत्मकथा" Inspirational Story of An IAS on The Path of Truth, Honesty and Justice by Pramod Kumar Agrawal, IAS (Retd.) in Hindi

Pramod Kumar Agrawal

400

₹ 320

Bharat Mein Panchayati Raaj

  • Author Name:

    Pramod Kumar Agrawal

  • Book Type:
  • Description: Awating description for this book
Bharat Mein Panchayati Raaj

Bharat Mein Panchayati Raaj

Pramod Kumar Agrawal

350

₹ 280

Bharat Ke Vikas Ki Samasyan Aur Samadhan

  • Author Name:

    Pramod Kumar Agrawal

  • Book Type:
  • Description: ‘भारत के विकास की समस्याएँ और समाधान’ राष्ट्र की ज्वलन्त समस्याओं पर लेखों का संग्रह है। इसमें जीवन, समाज एवं प्रबन्धन के उन सभी आयामों को स्पर्श किया गया है जो विकास के अपरिहार्य अंश हैं। यह पुस्तक अपने में सम्पूर्ण है तथा भारत के लिए उन ठोस उपायों का पथ-प्रदर्शन करती है जिनके आधार पर वर्तमान विषम परिस्थितियों का शक्तिशाली ढंग से मुक़ाबला किया जा सकता है।

    इस कृति में गहन विश्लेषण एवं व्यावहारिकता का समन्वय है।

    लेखक के अनुसार भारत के विकास के महायज्ञ में सभी का योगदान समान रूप से अपेक्षित है। केवल सरकार पर आश्रित होना अन्याय होगा।

    आशा है कि नीति नियोजक, नेतृवृन्द, प्रशासक, कर्मचारी, पंचायतों तथा नगरपालिकाओं के प्रतिनिधि तथा भारतीय जन-गण इन लेखों से प्रेरणा ग्रहण करके स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद वाले नए भारत का निर्माण करेंगे जो स्वदेशी पथ पर चलकर आधुनिक विश्व-प्रतियोगिता में अग्रणी होगा।

Bharat Ke Vikas Ki Samasyan Aur Samadhan

Bharat Ke Vikas Ki Samasyan Aur Samadhan

Pramod Kumar Agrawal

80

₹ 64

Bharat Ke Vikas Ki Chunotiyan

  • Author Name:

    Pramod Kumar Agrawal

  • Book Type:
  • Description: यदि सभी व्यक्ति निजी स्वार्थों में ही लिप्त हो जाएँ, तो इस संसार की गति बन्द हो जाएगी, सूर्य प्रकाश देना बन्द कर देगा एवं हवा चलना बन्द कर देगी।

    यदि संगठन, संस्थान, समाज या देश आगे बढ़ेगा तो उस समृद्धि में उसे भी अपना अंश अवश्य ही एक दिन मिलेगा। जब तक इस तथ्य की सांस्कृतिक चेतना जाग्रत नहीं हो जाती, हमारा देश लँगड़ाकर ही चलता रहेगा।

    भूमंडलीकरण का अर्थ यह नहीं है कि हम उदारीकरण या निजीकरण के नाम पर अपने आर्थिक ढाँचे का केन्द्रीकरण कर दें। सभी पद्धतियों का लक्ष्य है कि सबसे अधिक लोगों को सबसे अधिक लाभ पहुँचे।

    महात्मा गांधी ने नीति-निर्धारकों को हर समय देश के निर्धनतम व्यक्ति की ओर ध्यान रखने की सलाह दी थी। हमें निश्चय ही विदेशी ‌क़र्ज़ों के बोझ को कम करने एवं महँगाई घटाने के लिए बचत एवं सादा-जीवन पद्धति को प्रोत्साहन देना होगा।

    यह परमावश्यक है कि हम देश में आर्थिक विषमता को दूर करें, भूमि-सुधार कार्यक्रम को आगे बढ़ाकर ग्रामीण क्षेत्र में मानव-संसाधन का विकास करें।

Bharat Ke Vikas Ki Chunotiyan

Bharat Ke Vikas Ki Chunotiyan

Pramod Kumar Agrawal

150

₹ 120

Bharat Ka Vikas Aur Rajniti

  • Author Name:

    Pramod Kumar Agrawal

  • Book Type:
  • Description: भारत का विकास और राजनीति’ एक बहुआयामी पुस्तक है जिसमें भारत की धड़कन समाहित है तथा भारत के विकास की प्रमुख समस्याओं का सरल एवं व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत है। भारत एक विभिन्नता का देश है तथा विभिन्न प्रदेशों, ज़‍िलों तथा क्षेत्रों के विकास की विशेष समस्याएँ हल करके ही विकास के शिखर तक पहुँचा जा सकता है। अत: विकास के महायज्ञ में स्थानीय प्रशासन जैसे पंचायतों, नगरपालिकाओं तथा ज़‍िला प्रशासन की अहम भूमिका है पर इन्हें विकास के लिए धनराशि राज्य एवं केन्द्र से ही उपलब्ध हो सकती है। अत: केन्द्र से लेकर स्थानीय प्रशासन में भ्रष्टाचार का निवारण तथा कर्म संस्कृति की महती आवश्यकता है। आज भारत का विकास उत्तम स्थिति में है पर भारत को अग्रगणी अर्थव्यवस्था तथा अग्रणी विकसित राष्ट्रों की प्रथम पंक्ति में आने के लिए ज़न-जागृति, राजनीति में शुचिता तथा नौकरशाही में पारदर्शिता तथा विकास के लिए समर्पण आवश्यक है। भारत की 130 करोड़ जनसंख्या की जटिल समस्याओं का कोई भी सरकार सहज समाधान नहीं कर सकती है पर इस दिशा में उसके सद्प्रयास ही जनता की थाती हैं। जनता, जन-प्रतिनिधि तथा नौकरशाही मिलकर इस देश में वांछित प्रगति तथा समृद्धि के प्रभात का प्रादुर्भाव करेंगे। आशा है कि इस उद्देश्य से लिखी गई यह पुस्तक राजनीतिक प्रतिनिधियों, नौकरशाहों, बुद्धिजीवियों, प्रतियोगी परीक्षा में बैठनेवाले अभ्यर्थियों तथा जन सामान्य के लिए समान रूप से उपयोगी होगी।
Bharat Ka Vikas Aur Rajniti

Bharat Ka Vikas Aur Rajniti

Pramod Kumar Agrawal

225

₹ 180

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