shop-banner

Neha Naruka

Fati Hatheliyan

  • Author Name:

    Neha Naruka

  • Book Type:
  • Description: नेहा नरूका की कविताओं में भारतीय राजनीति के नवीन संस्‍करणजन्‍य भय और आशंकाएँ विन्‍यस्‍त हैं। वे रेखांकित करती हैं कि इस सदी में, ख़ासतौर पर पिछले दशक में राजनीति ने किस-किस तरह समाज को, जनचेतना को संक्रमित और प्रदूषित करने के उपक्रम किए हैं। उसके अक्‍स आम जीवन की दिनचर्या, विचार-प्रक्रिया, प्रेमिलता और सहजीविता पर नाख़ूनों की गहरी खरोंचों की तरह आए हैं। इनकी त्रासदियाँ सहज मानवीय जीवन की आकांक्षा को नाना प्रकार चोटिल कर सकती हैं, उसके विचलित करनेवाले, मार्मिक ब्योरे यहाँ दर्ज हैं। वे इन कविताओं में संचित आवेग, प्रतिवाद और पीड़ाजन्‍य क्रोध में समेकित हैं। हम देख सकते हैं कि काली राजनीति से गाढ़े होते इस सामाजिक अन्धकार में नेहा संवेदित स्‍पर्श और दृष्टि-सम्पन्‍नता से अपनी कविता अग्रसर करती हैं।

    तमाम तरह के प्रत्‍यक्ष-अप्रत्‍यक्ष दुराचारों से लथपथ इस समय में घर के बाहर और भीतर जितने अत्‍याचार और ख़तरे हैं, वे नेहा की कविताओं के प्रस्‍थान-बिन्दु हैं। ये कविताएँ एक रचनाकार की तकलीफ़ और तलछट के साक्षात जीवनानुभवों से निसृत हैं। इनसे गुज़रते हुए निम्न-मध्‍यवर्गीय, निम्नवर्गीय और वंचित जीवन के बारीक फ़र्क़ को बेहतर समझा जा सकता है, हिन्दी कविता में इधर जिसका संज्ञान दुर्लभ हो गया है। स्‍त्र‍ियों पर आरोपित अन्धविश्‍वासों, धार्मिक पाखंड से सनी कुरीतियों पर सीधे प्रश्‍नों की तीक्ष्‍णता इन्‍हें अधिक प्रभावी बनाती है। प्रेम पर लिखते हुए वे समाज में व्‍याप्‍त विषमताओं और अन्तर्विरोधों पर लगातार निगाह रखती हैं।

    यहाँ स्‍त्रीवाद की जिरहें, पितृसत्तात्‍मकता, स्‍त्री-निर्मिति आदि के पहलू रोज़मर्रा की मुश्किलों और समझ से प्रेरित हैं। जहाँ वे इंगित कर सकती हैं कि व्‍यापक सुख व्‍यापक संवेदनहीनता में बदल रहे हैं। स्‍त्री की व्‍यथा स्‍त्री-कथा में बदल गई है। प्रकारान्तर से स्‍त्री-दशा की बृहत् तस्‍वीर बनती चली जाती है। इस हेतु वे तथाकथित वांछित काव्‍यात्‍मकता या लयकारी के बरअक्‍स उस ज्ञानात्‍मक संवेदित गद्य में कविता मुमकिन करती हैं जो समकालीन कविता का हासिल है। ये कविताएँ आँसुओं की नहीं सवालों की झड़ी लगाती हैं, एक सजग स्‍त्री, नागरिक की तरफ़ से आरोप-पत्र दाख़िल करती हैं। बाध्‍यकारी नैतिकताओं और पवित्रताओं को प्रश्‍नांकन के दायरे में लेती हैं। पहले ही कविता-संग्रह में यह सब देखना सुखद है, स्‍वागतेय है।

    —कुमार अम्‍बुज

Fati Hatheliyan

Fati Hatheliyan

Neha Naruka

199

₹ 159.2

Offers

Best Deal

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.

whatsapp