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Mayanand Mishra

Khonta Aa Chidai

  • Author Name:

    Mayanand Mishra

  • Book Type:
  • Description: Maithili Novel
Khonta Aa Chidai

Khonta Aa Chidai

Mayanand Mishra

200

₹ 164

Bihari Paat Aa Pathar

  • Author Name:

    Mayanand Mishra

  • Book Type:
  • Description: Maithili Novel
Bihari Paat Aa Pathar

Bihari Paat Aa Pathar

Mayanand Mishra

345

₹ 282.9

Mati ke Log Sone ki Naiya

  • Author Name:

    Mayanand Mishra

  • Book Type:
  • Description: कास और झौआ कोसी के सर्व-सुलभ वरदान हैं, पानी और मछली की तरह। जब घर में अन्न नहीं और जेब में नगदी नहीं, तब भी हीतलाल और रमेसर जैसे लोग कुछ बोझे कास काट-बेचकर मड़ुआ-मक्के और नमक का जुगाड़ कर लेते हैं। ये माटी के लोग हैं जिनके लिये नावें सोने से भी बढ़कर हैं। सस्ते श्रम की तरह इनके जीवन में सहज प्रेम कोसी के कास-झौए की तरह ही सुलभ और जीवन का सहारा है। नाच-गाने में ये अपनी तकलीफ भूल-बिसर कर निरस से जीवन में रस घोलते हुए कठिन संघर्ष में लगे रहते हैं। कोसी के कठिन जीवन-संघर्ष के बीच अनूपी और हीतलाल जैसे चरित्रों का प्रेम इस उपन्यास की अद्भुत विशेषता है। अनूपी जैसी एक स्त्री जो पति हीतलाल का घर छोड़ नथुनी पान वाले के यहाँ रहने चली गई है, उस स्त्री के प्रेम की गहराई और उसके साथ हीतलाल का सम्मानपूर्ण जुड़ाव स्त्री-विमर्श के नये दौर में भी दुर्लभ है। इन सरल हृदयी लोगों के बीच दो सौ मन धान के 'अगों' रूप में दान-दक्षिणा पर नज़र गड़ाए नेता और अफसर का गज़ब सांकेतिक बिम्ब है। रस-सिद्ध प्रवाहमयी भाषा के धनी प्रसिद्ध उपन्यासकार मायानंद मिश्र का चमत्कार इस उपन्यास में अपने चरम पर है। यही कारण है कि प्रथम प्रकाशन के 56 वर्ष बाद भी इस उपन्यास के प्रति पाठकीय आकर्षण बरकरार है।
Mati ke Log Sone ki Naiya

Mati ke Log Sone ki Naiya

Mayanand Mishra

365

₹ 299.3

Purohit

  • Author Name:

    Mayanand Mishra

  • Book Type:
  • Description: ऐतिहासिक औपन्यासिक कृतियों की शृंखला में ‘प्रथमं शैलपुत्री च’ तथा ‘मंत्रपुत्र’ के बाद ‘पुरोहित’ मायानंद मिश्र का तीसरा उपन्यास है। इस उपन्यास की कथा पूर्व उत्तरवैदिक काल के संधि संक्रमणकालीन ब्राह्मण युग (ई.पू. 1200 ई. से ई.पू. 1000 ई. तक) के भारत की आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक जीवन-परम्परा की जटिल गुत्थियों को बहुत ही बारीकी से खोलती और विश्लेषित करती है। इस काल की महत्ता लेखक के शब्दों में : ‘‘वस्तुतः स्वयं भारतवर्ष तथा उसकी ‘आत्मा’ का जन्म इसी ब्राह्मण काल में हुआ है। आज जो भी भारत में है, चाहे वह भौतिकता का विकास हो अथवा आध्यात्मिकता का उत्कर्ष, वह इसी काल की देन है।’’

    प्रामाणिक ऐतिहासिक साक्ष्यों को आधार बनाकर उस काल में आर्यावर्त्त के विभिन्न जनपदों में क़ायम शासन प्रणाली और उसकी व्यवस्था में आ रहे परिवर्तन का लेखक ने बड़ा ही जीवन्त चित्रण किया है। इस उपन्यास से उस काल के शिक्षा-कर्म, पौरोहित्य-कर्म, कृषि-कर्म, राज-काज और जीवन-दर्शन का स्वाभाविक परिचय मिलता है। काल-पात्र अनुकूल शब्दावली को काव्यात्मक सरस भाषा में ढालकर रोचक प्रवाह क़ायम रखना मायानंद मिश्र की चिर-परिचित विशेषता है जिस कारण उपन्यास में सर्वत्र ग़ज़ब की पठनीयता बनी रहती है।

    मेधा और कुशबिन्दु के सहज स्वाभाविक प्रेम और चुहल के साथ उसकी कर्त्तव्यनिष्ठा और व्यावहारिकता ही नहीं; अथर्वण ऋताश्व, आचार्य गालव, आचार्य श्रुतिभव, आचार्य चाक्रायण आदि की जीवन-साधना और उनके दर्शन से सम्बन्धित विभिन्न प्रसंग उस काल की विभिन्न स्थितियों-परिस्थितियों की सूचना और वैचारिक उत्तेजना देते हैं।

Purohit

Purohit

Mayanand Mishra

225

₹ 180

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