shop-banner

Maithlisharan Gupt

Shri Maithlisharan Gupt Ke Natak

  • Author Name:

    Maithlisharan Gupt

  • Book Type:
  • Description: श्रीमैथिलीशरण गुप्त के नाटकों का यह संग्रह एक साथ प्रकाशित होने के कारण ही महत्त्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इस अर्थ में और भी महत्त्वपूर्ण है कि अभी तक अप्रकाशित, ‘निष्क्रिय-प्रतिरोध’ और ‘विसर्जन’, नाटकों के पहली बार प्रकाशन के कारण अधिकतर मूल्यवान है। इसमें पाँच मौलिक और चार अनूदित कुल नौ नाटक सम्मिलित हैं। इन सभी प्रकार के नाटकों के चयन में गुप्त जी ने वैविध्य का ध्यान रखा है। इन नाटकों का मुख्य उद्‌देश्य अपने समय के महत्त्वपूर्ण और चुनौती-भरे प्रश्नों का उत्तर देना रहा है।

    ‘अनघ’ नाटक अहिंसा, करुणा, लोक-सेवा आदि पर आधारित है। ‘विसर्जन’ में पहली बार बेगार प्रथा की ख़िलाफ़त की गई है। यह बेगार प्रथा और शोषण के ख़िलाफ़ सशक्त नाटक है। ‘निष्क्रिय-प्रतिरोध’ दक्षिण अफ्रीका के शहर जोहान्सबर्ग पर केन्द्रित है जो महात्मा गांधी द्वारा कुलियों पर किए गए अत्याचार के विरोध की याद दिलाता है। महाकवि भास के संस्कृत नाटकों के किए गए अनुवादों में पारिवारिकता, उदारता, सत्याग्रह, लोक-सेवा, अन्तरात्मा की प्रतिध्वनि और अहिंसा आदि मूल्यों की मार्मिक अभिव्यक्ति है। श्रीमैथिलीशरण गुप्त जी द्वारा लिखित इस संग्रह के नाटक उनके समय के प्रश्नों को समझाने और उनका उत्तर खोजने के अतिरिक्त आज के नारी-विमर्श एवं दलित-विमर्श के चिन्तन को भी रेखांकित करते हैं।

Shri Maithlisharan Gupt Ke Natak

Shri Maithlisharan Gupt Ke Natak

Maithlisharan Gupt

500

₹ 400

Yashodhara

  • Author Name:

    Maithlisharan Gupt

  • Book Type:
  • Description: राजभवन की सुख-समृद्धि तथा ऐश्वर्य और भोग-विलास को ही नहीं वरन् यशोधरा जैसी पत्नी तथा राहुल जैसे एकमात्र पुत्र का परित्याग करके निर्वाण के मार्ग में निकले भगवान बुद्ध की कथा इतनी महान बनी कि स्वयं बौद्ध धर्म के जन्म और विस्तार की प्रेरक कथा बन गई।

    मैथिलीशरण गुप्त मूलत: कवि थे, जो राष्ट्रकवि बन गए। अत: उन्होंने भगवान बुद्ध की कथा को काव्य-कथा के रूप में प्रस्तुत किया है। इस रचना में गुप्त जी ने यशोधरा के त्याग की परम्परा को मुख्य रूप से उद्घोषित किया है, जिसने भगवान बुद्ध के राजभवन लौटने और स्वयं यशोधरा के कक्ष में उससे भेंट करने जाने पर अपने बेटे राहुल का महान पुत्रदान देकर अपने मन की महानता को प्रतिष्ठित किया। राष्ट्रकवि की यह रचना मनोरंजक ही नहीं, प्रेरक भी है।

Yashodhara

Yashodhara

Maithlisharan Gupt

150

₹ 120

Hindu

  • Author Name:

    Maithlisharan Gupt

  • Book Type:
  • Description: Awating description for this book
Hindu

Hindu

Maithlisharan Gupt

250

₹ 200

Bharat-Bharati

  • Author Name:

    Maithlisharan Gupt

  • Book Type:
  • Description: v data-content-type="html" data-appearance="default" data-element="main"><p>‘भारत-भारती’ मैथिलीशरण गुप्त की सर्वाधिक प्रचलित कृति है। यह सर्वप्रथम संवत् 1969 में प्रकाशित हुई थी और अब तक इसके पचासों संस्करण निकल चुके हैं। एक समय था जब ‘भारत-भारती’ के पद्य प्रत्येक हिन्दी-भाषी के कंठ पर थे। गुप्त जी का प्रिय हरिगीतिका छन्द इस कृति में प्रयुक्त हुआ है। भारतीय राष्ट्रीय चेतना की जागृति में इस पुस्तक का हाथ रहा है। यह काव्य तीन खण्डों में विभक्त है : <br />(1) ‘अतीत’ खंड, (2) ‘वर्तमान’ खंड, (3) ‘भविष्यत्’ खंड। ‘अतीत’ खंड में भारतवर्ष के प्राचीन गौरव का बड़े मनोयोग से बखान किया गया है। भारतीयों की वीरता, आदर्श, विद्या-बुद्धि, कला-कौशल, सभ्यता-संस्कृति, साहित्य-दर्शन, स्त्री-पुरुषों आदि का गुणगान किया गया है। ‘वर्तमान’ खंड में भारत की वर्तमान अधोगति का चित्रण है। इस खंड में कवि ने साहित्य, संगीत, धर्म, दर्शन आदि के क्षेत्र में होनेवाली अवनति, रईसों और उनके सपूतों के कारनामें, तीर्थ और मन्दिरों की दुर्गति तथा स्त्रियों की दुर्दशा आदि का अंकन किया है। ‘भविष्यत्’ खंड में भारतीयों को उद्बोधित किया गया है तथा देश के मंगल की कामना की गई है।</p>
Bharat-Bharati

Bharat-Bharati

Maithlisharan Gupt

199

₹ 159.2

Saket

  • Author Name:

    Maithlisharan Gupt

  • Book Type:
  • Description: साकेत’ राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की वह अमर कृति है जिसे वे अपने साहित्यिक जीवन की अन्तिम रचना के रूप में पूरी करना चाहते थे। उनकी इस इच्छा के अनुरूप ‘साकेत’ वास्तविक अर्थों में उनकी अमर रचना बन गई। यद्यपि ‘साकेत’ में राम, लक्ष्मण और सीता के वन गमन का मार्मिक चित्रण है, कि इस कृति में समस्त मानवीय संवेदनाओं की अनुभूति पाठक को होती है।

    इस कृति में उर्मिला के विरह का जो चित्रण गुप्त जी ने किया है, वह अत्यधिक मार्मिक और गहरी मानवीय संवेदनाओं और भावनाओं से ओत-प्रोत है। सीता तो राम के साथ वन गई, किन्तु उर्मिला लक्ष्मण के साथ वन न जा सकीं। इस कारण उनके मन में विरह की जो पीड़ा निरन्तर प्रवाहित होती है उसका जैसा करुण चित्रण राष्ट्रकवि ने किया है, वैसा चित्रण अन्यत्र दुर्लभ है। इस करुण चित्रण को पढ़कर पाठक के मन में करुणा की ऐसी तरंग उठना अनिवार्य है, कि आखें बरबस नम हो जाएँ और राष्ट्रकवि की साहित्यिक क्षमता को नमन कर उठें।

Saket

Saket

Maithlisharan Gupt

399

₹ 319.2

Offers

Best Deal

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.

whatsapp