Bhola Nath Tiwari
Akhil Bharatiya Prashasnik Kosh
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Bhola Nath Tiwari +2
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- Description: आज हिंदी की स्थिति लगभग वही है। स्वतंत्रता के बाद जो शब्दावली बनी है, बन रही है उससे हिंदी की सामर्थ्य स्वयंसिद्ध हो गई है। हिंदी का विस्तृत क्षेत्र जहाँ लोकभाषाओं से हिंदी को शब्दावली प्रदान कर रहा है वहाँ क्षेत्रीय भाषाओं के लेखक तथा प्रशासक भी हिंदी को नई अर्थ-व्यंजनाएँ प्रदान कर रहे है। समय ही इस शब्दावली को मानक रूप प्रदान करेगा जिससे मानक शब्दावली में निश्चितार्थता एवं बोधागम्यता बढ़ती जाएगी। हिंदी भाषा-भाषी राज्यों की राजभाषा के रूप में हिंदी को मान्यता मिल चुकी है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश एवं केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली-चंडीगढ़ आदि ने अपना सभी सरकारी कामकाज हिंदी में करना प्रारंभ कर दिया है। इसके साथ ही पंजाब, महाराष्ट्र और गुजरात की सरकारों ने भी हिंदी को केंद्र के साथ पत्र-व्यवहार के लिए संपर्क भार्षा के रूप में स्वीकार कर लिया है। सभी हिंदी भाषी राज्यों की जनता द्वारा अपने प्रशासन संबंधी कार्य को हिंदी में ही करने से हिंदी का महत्त्व स्वयं बढ़ता जा रहा है।
Akhil Bharatiya Prashasnik Kosh
Bhola Nath Tiwari
Hindi Paryayavachi Kosh
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Bhola Nath Tiwari
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- Description: Awating description for this book
Hindi Paryayavachi Kosh
Bhola Nath Tiwari
Shabdon Ka Jeevan
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Bhola Nath Tiwari
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शब्दों के जन्म, निर्माण, अर्थ, ध्वनि परिवर्तन और आदान-प्रदान आदि से सम्बद्ध भाषावैज्ञानिक तथ्य प्रायः नीरस होते हैं। उन्हें समझना और समझाना, दोनों ही कार्य किसी चुनौती से कम नहीं है। इसलिए लेखक का ध्यान इस ओर पाठक से भी पहले जाता है और इस विषय को वह अधिकाधिक पठनीय बनाकर प्रस्तुत करता है।
शब्दों का जीवन सुप्रसिद्ध भाषाविज्ञानी भोलानाथ तिवारी के ऐसे ही प्रयास का परिणाम है। उनकी यह कृति हिन्दी में ऐसा पहला ही प्रयास था, जब किसी ने भाषावैज्ञानिक तथ्यों को ललित निबन्धों के शिल्प में पेश किया हो। भाषाविज्ञान पर यह उनकी सर्वथा अनूठी कृति है। उनकी कल्पना ने इन ललित निबन्धों में शब्दों को मनुष्य की तरह ही जन्म लेते, मरते, उलटते-पलटते और उठते-बैठते दिखाया है। दूसरे शब्दों में कहें तो वे शब्दों का मानवीकरण करने में सफल रहे हैं।
प्रत्येक शब्द का अपना इतिहास है और अपना भूगोल। कहना न होगा कि सामान्य पाठकों के लिए यदि यह कृति ललित निबन्धों का संग्रह है तो विद्यार्थियों के लिए भाषाविज्ञान जैसे विषय को अत्यन्त मनोरंजक भाषा-शैली में हृदयंगम करानेवाली बहुचर्चित कृति।
Shabdon Ka Jeevan
Bhola Nath Tiwari
Manak Hindi Ka Swaroop
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Bhola Nath Tiwari
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- Description: हिंदी एक समर्थ भाषा है। उसका साहित्य भी संपन्न है, अब तो वह और भी संपन्न होता जा रहा है, किंतु अभी तक हिंदी भाषा का मानक रूप स्थिर नहीं हो पाया है। यही कारण है कि उच्चारण, वर्तनी, लेखन, रूपरचना, वाक्यगठन और अर्थ आदि सभी क्षेत्रों में पत्र-पत्रिकाओं, पुस्तकों, भाषणों एवं बातचीत में अमानक प्रयोग प्राय: मिलते हैं। इसी समस्या पर व्यापक रूप से विचार करने के उद्देश्य से यह पुस्तक लिखी गई है। प्रारंभ में मानक भाषा और उसके प्रकारों को लिया गया है, ताकि मानक हिंदी को ठीक परिप्रेक्ष्य में समझा जा सके। किसी भाषा की मानकता-अमानकता काफी कुछ उसकी बेलियों से जुड़ी होती है, अत: हिंदी के क्षेत्र और उसकी बोलियों को लेना पड़ा है। फिर हिंदी के मानकीकरण का इतिहास देते हुए हिंदी में नागरी लिपि और अंकों, हिंदी के संख्यावाचक शब्दों, हिंदी उच्चारण, हिंदी संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया तथा क्रिया विशेषण के रूपों, हिंदी वाक्य-रचना, हिंदी में प्रयुक्त शब्दों और उनके अर्थ, हिंदी की प्रयुक्तियों तथा शैलियों आदि पर मानकता की दृष्टि से विचार किया गया है। अंत में परिशिष्ट में मानक-अमानक प्रयोगों के कुछ उदाहरण हैं। इस प्रकार प्रस्तुत पुस्तक में हिंदी भाषा के मानक स्वरूप पर अपेक्षित विस्तार से प्रकाश डाला गया है। यह पुस्तक हिंदी भाषा और भाषा-विज्ञान में रुचि रखनेवाले लेखकों, संपादकों, पाठकों और विद्यार्थियों आदि सभी वर्ग के लोगों के लिए पठनीय एवं संग्रहणीय है।