Ashok Kumar Mahapatra
Uttararddha
- Author Name:
Ashok Kumar Mahapatra
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जीवन, ज़मीन और प्रकृति के अद्भुत कवि हैं अशोक कुमार महापात्र। अनुभूति की ऐसी सघन यात्रा के कवि कि संवेदना अपनी रिक्तता में भी मुखर हो उठती है। संघर्ष और सपने अपनी सम्पूर्णता के लिए पूरी जिजीविषा के साथ अपनी क्रियात्मकता में घटित होते प्रतीत होते हैं। अपने काव्य-वितान के लिए एक ऐसे विज़न का कवि जिसके पास मनुष्य और उसकी पीड़ा को रचने के लिए हज़ारों रंग हैं।
'उत्तरार्द्ध' जितना काल भीतर, उतना ही काल बाहर देखने और रचने का काव्य-कर्म है। यथार्थ से टकराने में जिस तरह आस्था, उसी तरह स्मृतियाँ भी साथ, ताकि सम के केन्द्र में विषम के गाढ़ापन को गहरे जाना जा सके और मिथ्या मानने से इनकार किया जा सके। कवि भूख को जब भूख की आँखों से देखता है, तब अपने आन्तरिक ब्रह्मांड की गति का हिस्सा होता है, तभी तो 'माया-लोक' में ऋतुओं के 'छाया-लोक' को रच पाता है।
भौतिकता में अपनी दृष्टि का तब एक और गहरा परिचय देता है कवि, जब जन और तंत्र के बीच शतरंज के गणित को हल करते ताल को आत्मसात् करता है; और सम्बन्धों को जीवन की आँच के साथ सँजोता है। तेज़ी से बदलती हुई इस दुनिया में पीढ़ियों का द्वन्द्व मानो म्नात साक्ष्य, लेकिन यह कवि की कुशलता ही है कि इसे भी एक नए रूप में रच लेता है। रच लेता है जैसे-सृष्टि के सौन्दर्य के साथ प्रेम का बृहद् आख्यान।
अपने बीते-अनबीते को बार-बार देखने और देखे हुए को कला और उसकी गति में जीने का कविता-संग्रह है—'उत्तरार्द्ध'।
Uttararddha
Ashok Kumar Mahapatra
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