Ashwini Kumar Pankaj

Ashwini Kumar Pankaj

2 Books

Mati Mati Arkati

  • Author Name:

    Ashwini Kumar Pankaj

  • Book Type:
  • Description: ब्रिटिश उपनिवेश द्वारा भारत से बाहर ले जाए गए मज़दूरों को तत्कालीन कम्‍पनियाँ और उनके एजेंट दो नामों से पुकारते थे। दक्षिण भारत, बिहार और प. उत्तर प्रदेश के ग़ैर-आदिवासी मज़दूरों को 'कुली' और झारखंड के सदान और आदिवासियों को 'हिल कुली', 'धांगर' और 'कोल' कहा जाता था। ये और कोई नहीं ग्रेटर झारखंड की उरांव, मुंडा, संताल, खड़ि‍या और सदान जातियाँ थीं। ब्रिटिश संसद और ब्रिटिश उपनिवेशों में मौजूद दस्तावेज़ों में झारखंड के आदिवासियों के आप्रवासन के ठोस प्रमाण उपलब्ध हैं। कालान्‍तर में मॉरीशस, गयाना, फ़‍िजी, सूरीनाम, टुबैगो सहित अन्य कैरीबियन तथा लैटिन अमेरिकी और अफ़्रीकी देशों में लगभग डेढ़ सदी पहले ले जाए गए ग़ैर-आदिवासी गिरमिटिया मज़दूरों ने बेशक लम्बे संघर्ष के बाद इन देशों को भोजपुरी बना दिया है और वहाँ के नीति-नियन्‍ताओं में शामिल हो गए हैं। लेकिन सवाल है कि वे हज़ारों झारखंडी जो सबसे पहले वहाँ पहुँचे थे, कहाँ चले गए? कैसे और कब वे गिरमिटिया कुलियों की नवनिर्मित भोजपुरी दुनिया से ग़ायब हो गए? ऐसा क्यों हुआ कि गिरमिटिया कुली ख़ुद तो आज़ादी पा गए लेकिन उनकी आज़ादी हिल कुलियों को चुपचाप गड़प कर गई। एक कुली की आज़ादी कैसे दूसरे कुली के ख़ात्मे का सबब बनी? क्या थोड़े आर्थिक संसाधन जुटते ही उनमें बहुसंख्यक धार्मिक और नस्ली वर्चस्व का विषधर दोबारा जाग गया और वहाँ उस अनजान धरती पर फिर से ब्राह्मण, क्षत्रिय, भूमिहार और वैश्य पैदा हो गए? सो भी इतनी समझदारी के साथ कि 'शूद्र' को नई सामाजिक संरचना में जन्मने ही नहीं दिया? इस उपन्यास का मूल प्रश्न यही है। कोन्‍ता और कुन्‍ती की इस कहानी को कहने के पीछे लेखक का उद्देश्य पूरब और पश्चिम दोनों के ग़ैर-आदिवासी समाजों में मौजूद नस्ली और ब्राह्मणवादी चरित्र को उजागर करना है जिसे विकसित सभ्यताओं की बौद्धिक दार्शनिकता के ज़रिए अनदेखा किया जाता रहा है।
Mati Mati Arkati

Mati Mati Arkati

Ashwini Kumar Pankaj

350

₹ 280

Aadivasi Prem Kahaniyan

  • Author Name:

    Ashwini Kumar Pankaj

  • Book Type:
  • Description: ‘आदिवासी प्रेम कहानियाँ' में इतिहास के अमर पात्रों के प्रेम और संघर्ष को रोचकता और प्रमाण के साथ प्रस्तुत किया गया है। इन कहानियों में झारखंड का आदिवासी परिवेश, प्रकृति, परिस्थितियाँ, आदिवासियों का जीवन, उनकी सहज प्रवृत्तियाँ और स्वतंत्रता-संग्राम में अंग्रेज़ी सत्ता के साथ उनके द्वारा किया गया संघर्ष उभरकर आया है।

    ग़ौरतलब है कि औपनिवेशिक काल में अंग्रेज़ी समाज शोषण और सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध था। अंग्रेज़ों के शोषण और अन्याय से मुक्ति के लिए आदिवासियों ने संघर्ष की ज़मीन रची और विद्रोह किए। आदिवासियों के न्याय-प्रेम और सुन्दरता की ओर अंग्रेज़ी समाज आकर्षित भी हुआ। और यही प्रेम की उत्स-भूमि है। चाहे वह सिदो और जेली हो, चाहे बुन्दी और सन्दु हो, चाहे बीरबन्ता बजल और जेलर को बेटी हो, चाहे मँगरी और रोजवेलगुड हो, चाहे बादल और मैग्नोलिया हो; सबके प्रेम की उत्स-भूमि न्याय-प्रेम और संघर्ष है। इसलिए इन नौ कहानियों में प्रेम के सच्चे स्वरूप के दर्शन होते हैं। जहाँ बहुत सहजता के साथ प्रेम जीवन में प्रवेश करता है और उसी के प्रति पूर्ण समर्पण भाव है। इन प्रेम कहानियों में कुछ का अन्त सुखान्त है तो कुछ का दुखान्त।

    पाठक पाएँगे कि इन कहानियों के माध्यम से अपनी जातीय संस्कृति और अपनी भूमि के प्रति मर मिटने के अद्भुत ज़ज्बे से लैस आदिवासियों के प्रेम और संघर्ष का जो चित्रण है, वह हमें नए तरीक़े से देश के इतिहास को समझने के लिए बाध्य करता है।

Aadivasi Prem Kahaniyan

Aadivasi Prem Kahaniyan

Ashwini Kumar Pankaj

199

₹ 159.2

Offers

Best Deal

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.

whatsapp