Chanchal Sharma

Chanchal Sharma

2 Books

Tapaki Aur Bundi Ke Laddu

  • Author Name:

    Chanchal Sharma +1

  • Book Type:
  • Description: हिन्‍दी में 5-7 साल से 13-14 साल तक के बच्‍चों के लिए मनोरंजक लेकिन शिक्षाप्रद एवं प्रेरणादायी कहानियों का अभाव लगने पर मन हुआ कि कुछ लिखा जाए। आसपास जो कुछ भी पहले से रचा हुआ था, उस पर नज़री डाली तो कई सारी कमियाँ नज़र आईं, जैसे—अधिकतर किताबों या कार्टून सीरीज में कहानी का नायक लड़का है, लड़की नहीं। इसके अलावा दशकों पहले लिखी गई क‍हानियों से आज के दौर का बच्‍चा ख़ुद को जोड़ नहीं पाता, उनसे सीख नहीं पाता। आज के समाज के बच्‍चों की चुनौतियाँ भी अलग हैं। बच्‍चे खेल के मैदान में नहीं, मोबाइल फ़ोन के गेम में उलझे हैं। स्‍कूल सिर्फ़ उन्‍हें नौकरी पाने के तरीक़े सिखा रहा है, अच्‍छा इंसान बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं है। भला हो दिल्‍ली सरकार का जिसने अपने स्‍कूल के बच्‍चों के लिए हैप्‍पीनेस करिकुलम शुरू किया। बच्‍चों के लिए हिन्‍दी की कहानियों की उपलब्‍धता और उनकी आवश्‍यकताओं के बीच के अन्‍तर ने इस किताब को जन्‍म दिया। —इसी पुस्‍तक से टपकी और उसकी दिलचस्प दुनिया। इसमें हर बच्चा अपनी हिस्सेदारी महसूस करेगा और हर बड़ा इसमें दाख़िल होकर बच्चा हो जाना चाहेगा। —आबिद सुरती
Tapaki Aur Bundi Ke Laddu

Tapaki Aur Bundi Ke Laddu

Chanchal Sharma

399

₹ 319.2

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  • Author Name:

    Chanchal Sharma

  • Book Type:
  • Description: दिलीप पाण्डेय और चंचल शर्मा की कहानियाँ हिन्दी कहानियों में कुछ नए ढंग का हस्तक्षेप करती हैं। यहाँ बहुत-सी कहानियाँ हैं जिनका मैं ज़िक्र करना चाहता हूँ, लेकिन दो-तीन कहानियाँ तो अद्भुत हैं। आमतौर पर इस संग्रह की ज़्यादातर कहानियाँ दो-ढाई पेज से ज़्यादा की नहीं हैं और सबका अपना प्रभाव है। कई कहानियाँ तो इतने नए अनुभव लिए हुए हैं कि हिन्दी कहानी में दुर्लभ हैं।

    आप ‘ढेढ़-मेढ़े रास्ते’ पढ़िए। आपको लगेगा कि आप एक नए महाभारत से जूझ रहे हैं जहाँ से स्त्री-स्वाभिमान की एक नई दुनिया खुलती है। पारम्परिक स्त्री-विमर्श से अलग यहाँ एक नए तरह का स्त्री-विमर्श है। चौसर पर यहाँ भी स्त्री है लेकिन अबकी स्त्री अपनी देह का फ़ैसला ख़ुद करती है। इसी के उलट ‘कॉल सेंटर’ स्त्री-स्वाधीनता के दुरुपयोग की अनोखी कथा है जो बहुत सीधे-सपाट लहज़े में लिखी गई है। इस संग्रह की विशेषता यह है कि यहाँ कहानियों में विविधता बहुत है। यहाँ आप अल्ट्रा मॉड समाज की विसंगतियों की कथा पाएँगे तो बिलकुल निचले तबक़े के अनोखे अनुभव भी, जो बिना यथार्थ अनुभव के सम्भव नहीं हैं। जैसे एक कहानी है—‘कच्चे-पक्के आशियाने’। यह कहानी ग़रीबी रेखा से नीचे जीनेवाले बच्चों की कहानी है जहाँ एक लड़की सिर्फ़ जीने के लिए अपनी देह का सौदा करती है। इसका अन्त तो अद्भुत है जब देह बेचनेवाली लड़की उस पर आरोप लगानेवाले सम्भ्रान्त मेहता से उनकी पत्नी के सामने कहती है कि मेहता साहब, आपके पाँच सौ रुपए मुझ पर बाक़ी हैं, आपकी बीवी को दे दूँगी। कहानी यहाँ सम्भ्रान्त समाज के पाखंड पर एक करारा तमाचा बन जाती है।

    कुल मिलाकर दिलीप पाण्डेय और चंचल शर्मा की ये कहानियाँ इसलिए भी पढ़ी जानी चाहिए

    कि इन्होंने हिन्दी कथा को कुछ नए और अनूठे अनुभव दिए हैं।

    —शशिभूषण द्विवेदी

     

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Chanchal Sharma

150

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