Rohini Agrawal

Rohini Agrawal

2 Books

Hindi Upanyas Ka Stree-Path

  • Author Name:

    Rohini Agrawal

  • Book Type:
  • Description: कहा जाता है कि आज की ज़मीन पर खड़े होकर पुरानी कृतियों का पाठ नहीं किया जाना चाहिए, ख़ासकर स्त्री एवं दलित दृष्टि से क्योंकि उस समय समाज स्त्री एवं दलित प्रश्नों को लेकर न इतना संवेदनशील था, न सजग। यह भी तर्क दिया जाता है कि लेखक अपने युग की वैचारिक हदबन्दियों के बीच रहकर ही अभिव्यक्ति की राह चुनता है। मुझे इस मान्यता पर आपत्ति है। एक, यदि युगीन वैचारिक हदबन्दियाँ ही रचना की घेरेबन्दी करती हैं, तब वह कालजयी कृति कैसे हुई? दूसरे, यदि साहित्यकार रचयिता/स्रष्टा है तो उसे अपनी गहन अन्तर्दृष्टि, उन्नत भावबोध और प्रखर कल्पना द्वारा वह सब साक्षात् करना है जो उसके अन्य समकालीनों की कर्मेन्द्रियों और ज्ञानेन्द्रियों की पहुँच से बाहर छूट रहा है। सृजन के समय अन्तर्दृष्टि के पंखों पर सवार लेखक जब कल्पनाशीलता के आकाश में विचरण करता है तो सोलहों आने लेखक होता है। मुक्ति की आकांक्षा से दिपदिपाती उसकी चेतना जड़ता और पराधीनता, बन्धन और व्यवस्थागत दबावों का निषेध कर व्यक्ति को ‘मनुष्य’ रूप में देखने लगती है।

    मनुष्य को केन्द्र में रखनेवाला, मनुष्य-संसार की गति, ऊर्जा और सपनों से स्पन्दित होनेवाला साहित्य निर्वैयक्तिक हो ही नहीं सकता। एक ठोस सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान मनुष्य और समाज की तरह साहित्य और साहित्यकार की भी है। लाख छुपाने की कोशिश करे इंसान, बड़े-बड़े दावों और डींगों के बीच अपनी क्षुद्रताओं और शातिरबाज़ियों को रंचमात्र भी नहीं छुपा पाता। लेखक भी इसका अपवाद नहीं।

    पात्रों-स्थितियों-घटनाओं के ज़रिए बेशक वह नए वक़्त की आहटें लेने में सजग भाव से सन्नद्ध रहे, लेकिन इन्हें पाटती दरारों के बीच वह अभिव्यक्त हो ही जाता है। प्रेमचन्द से बहुत पहले पहली स्त्री शिक्षिका सावित्रीबाई फुले पर सड़े अंडे-टमाटर फेंककर स्त्रीद्वेषी दृष्टिकोण को अभिव्यक्त करता रहा है पुरुष-समाज।

    यह पुस्तक प्रतिष्ठित रचनाकारों के दायित्वपूर्ण योगदान को धुँधलाने की धृष्टता नहीं, आलोचना के पुंसवादी स्वर के बरअक्स स्त्री-स्वर को धार देने की कोशिश है। यों भी साहित्य शब्दों-पंक्तियों-पन्नों-जिल्द में बँधी हदबन्दियों का मोहताज नहीं कि लाइब्रेरियों में पड़ा सड़ता रहे। जब वह एक नई समाज-संस्कृति, विचार या चरित्र बनकर लौकिक जगत के बीचोबीच आ बैठता है, तब उसे नई चुनौतियों और नए बदलावों के बीच निरन्तर अपने को प्रमाणित भी करते रहना पड़ता है।

Hindi Upanyas Ka Stree-Path

Hindi Upanyas Ka Stree-Path

Rohini Agrawal

895

₹ 716

Stree Lekhan : Swapn Aur Sankalp

  • Author Name:

    Rohini Agrawal

  • Book Type:
  • Description: स्त्री-लेखन स्त्री की आकांक्षाओं का दर्पण है। यह स्त्री की मानवीय इयत्ता को पाने और जीने का स्वप्न है; मुक्ति की राहों के अन्वेषण का संघर्ष है; और उन राहों पर अविराम चलने की संकल्पदृढ़ता भी। स्त्री-लेखन स्त्री मानस के तलघर को बिना किसी छेड़छाड़ के सामने रखता है जहाँ व्यवस्था के विरोध में उफनते हुंकारों के साथ व्यवस्था में परित्राण पाने की बेचारगियाँ भी हैं और भेड़ की तरह जिबह होने की यंत्रणा के साथ भेड़िया बनकर दूसरों को लील जाने की कुटिलताएँ भी। इसे मानवीय दुर्बलताओं की नैसर्गिक अभिव्यक्ति कहिए या अन्तर्विरोधों का स्वीकार—स्त्री-लेखन पारम्परिक ‘माइंड सेट’ से लड़ने की कोशिश में परम्परा और ‘माइंड सेट’ दोनों की ताक़त को एक ठोस सामाजिक-मानसिक सच्चाई और चुनौती के रूप में सतह पर लाता है। लेकिन क्या वास्तव में स्त्री-लेखन इतनी निःसंग विश्लेषणपरकता के साथ अपने स्व को और समाज के शास्त्र को जाँच सका है?

    यह पुस्तक स्त्री के नज़रिए से स्त्री-लेखन का पाठ है; उसकी क्षमताओं, सीमाओं और अन्तर्विरोधों का आकलन करते हुए युग की नब्ज़ को टटोलने का जतन भी। यह पुस्तक उन दरारों-दरकनों में झाँकने का प्रयास भी है जहाँ स्त्री को ‘स्त्री’ बनाए रखने की ‘प्रगतिशील साज़िशों’ में स्त्री-मुक्ति के एजेंडे को गुमराह करने और स्त्री-विमर्श को देह-विमर्श में रिड्यूस करने की कोशिशें निहित हैं। दुर्भाग्यवश हिन्दी आलोचना ‘आरोप’ लगाकर स्त्री-लेखन के महत्त्व को ख़ारिज करती आई है या उसे घर-सम्बन्धों के संकुचित दायरे से बाहर निकलकर बृहत्तर मुद्दों से जुड़ने की ‘सीख’ देती रही है। प्रकारान्तर से दोनों ही स्थितियाँ स्त्री-लेखन के बुनियादी सरोकारों से मुँह चुराने की कोशिशें हैं। यह पुस्तक पहली बार इस तथ्य को रेखांकित करती है कि स्त्री-विमर्श का लक्ष्य पाठक में अब तक के ‘अनदेखे’ को देखने और गुनने की संवेदनशीलता विकसित करना है ताकि लैंगिक विभाजन से मुक्त मनुष्य और समाज की रचना के स्वप्न को साकार किया जा सके।

Stree Lekhan : Swapn Aur Sankalp

Stree Lekhan : Swapn Aur Sankalp

Rohini Agrawal

995

₹ 796

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