Lalit Aditya
Deshaj Buddha
- Author Name:
Lalit Aditya
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- Description: बौद्ध धर्म का आदिवासी संस्कृति और झारखंड से क्या रिश्ता है? क्या बौद्ध सिद्धान्तों के निर्माण में आदिवासी संस्कृति का भी योग रहा है? क्या अतीत ने हमारे लिए ऐसे साक्ष्य छोड़े हैं जो बौद्ध धर्म और आदिवासी संस्कृति के संयोग का संकेत करते हैं? ‘देशज बुद्ध’ ऐसे कई प्रश्नों का तथ्याधारित उत्तर प्रस्तुत करते हुए भारत के प्राचीन इतिहास और संस्कृति की लगभग अज्ञात एक कड़ी को बखूबी हमारे संज्ञान में लाती है। यह एक तथ्य है कि श्रमण-संस्कृतियाँ व्रात्यक्षेत्र में ही पुष्पित-पल्लवित हुई थीं। बौद्ध धर्म भी इसका अपवाद नहीं है। राजकुमार सिद्धार्थ ने इसी वन-प्रान्तर में स्वयं को प्रकृति के प्रति समर्पित किया था और प्रकृति के सन्देश–मध्यम मार्ग–को ज्ञान के रूप में ग्रहण कर सम्बुद्ध हुए। अकारण नहीं कि झारखंड के इटखोरी (चतरा) में राजकुमार सिद्धार्थ के आने की किंवदन्ती के साथ-साथ सन्ताल परगना से लेकर उत्तरी छोटानागपुर, पलामू और कोल्हान तक हर प्रमंडल में बौद्ध धर्म से जुड़े पुरातात्विक स्थल और अवशेष मिलते हैं। इन सब का उल्लेख करने वाले पहले के कतिपय अध्ययनों के विपरीत इस पुस्तक में झारखंड के बौद्ध स्थलों और अवशेषों का व्यापक सर्वेक्षण और दस्तावेजीकरण किया गया है, जिससे प्रदेश में बौद्ध धर्म के मार्ग और प्रभावों की व्यवस्थित जानकारी मिलती है। पुस्तक का एक महत्वपूर्ण पक्ष है—बौद्ध धर्म पर आदिवासी संस्कृति-परम्पराओं के आरम्भिक प्रभावों का विश्लेषण। इसमें कहा गया है कि बौद्ध धर्म की दीक्षा-प्रक्रिया से लेकर प्रव्रज्या और उपसम्पदा तक पर आदिवासी परम्परा का प्रभाव है। इसी तरह बौद्ध संघ की आचार-संहिता स्पष्टतः आदिवासी जीवनशैली से अभिप्रेरित है। बौद्ध धर्म के सन्दर्भ में आदिवासी संस्कृति के एक महत्तर योगदान को रेखांकित करने वाली एक विचारोत्तेजक कृति!