Pushpita Awasthi
SAMVEDNA KI AADRATA
- Author Name:
Pushpita Awasthi
-
Book Type:

- Description: Article
SAMVEDNA KI AADRATA
Pushpita Awasthi
Garbh ki utaran
- Author Name:
Pushpita Awasthi
-
Book Type:

- Description: A Collections of Hindi Poems by Pushpita Awasthi
Garbh ki utaran
Pushpita Awasthi
KETI-KOTI
- Author Name:
Pushpita Awasthi
-
Book Type:

- Description: Collection Of Short stories
KETI-KOTI
Pushpita Awasthi
KANTRAKI BAGAN AUR ANY KAHANIYAN
- Author Name:
Pushpita Awasthi
-
Book Type:

- Description: Short stories in hindi
KANTRAKI BAGAN AUR ANY KAHANIYAN
Pushpita Awasthi
Chhinnmool
- Author Name:
Pushpita Awasthi
-
Book Type:

- Description: Novel
Chhinnmool
Pushpita Awasthi
Carabiaee Deshon Mein Hindi-Shiksha Aur Suriname Hindi Parishad Ka Itihas
- Author Name:
Pushpita Awasthi
-
Book Type:

- Description:
विश्व के समुद्रतटीय देशों और द्वीपों में विदेशी सत्ताधारियों के द्वारा गिरमिटिया मज़दूरों के रूप में ले जाए गए भारतीय पुरखों ने जीविका और जीवन का संघर्ष करते हुए भारतीयता और भारत की संस्कृति बनाए रखी। इसी के ज़रिए उन्होंने विदेश में स्वदेश रचाए रखा। भारतवंशियों के घरों के आँगन और अहातों में गड़ी हुई झंडियाँ, मन्दिरों में फहराती हुई पताकाएँ और अन्य जाति, धर्म के समुदायों के साथ आनन्ददायी मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध सूरीनामी आप्रवासी भारतवंशियों की आत्मीयता की गाथा का गान करते हैं। संस्कृति भाषा से जन्म लेती है और भाषा संस्कृति से अपनी पहचान बनाती है। विश्व के आप्रवासी भारतवंशियों की मातृभाषा आज भी किसी-न-किसी रूप में हिन्दी है, जिनके रक्त में संस्कृति की शक्ति है, वे अपनी भावी पीढ़ियों को येन-केन-प्रकारेण हिन्दी सिखाना चाहते हैं।
विश्व के दक्षिणी-पश्चिमी गोलार्द्ध के कैरेबियाई देशों के भारतवंशियों की बोली-बानी सरनामी हिन्दी है जिसे सूरीनाम गयानी देशों के आप्रवासी भारतीयों ने तुलसी, कबीर और लोकगीतों के साहित्य के सहारे हिन्दुस्तानी अवधी हिन्दी के आधार पर रचा।
विदेशों में हिन्दी की बोलियों के रूप में पुरखों की स्मृतियाँ बची और बसी हुई हैं। सूरीनाम में बसे पुरखों की हिन्दीतर पीढ़ियों ने सरनामी हिन्दी द्वारा हिन्दी भाषा को बचाए रखने का संघर्ष किया। गत पच्चीस वर्षों में सूरीनाम हिन्दी परिषद की अहम भूमिका है जिसने नीदरलैंड में बस रहे सूरीनामी भारतवंशियों के भीतर भी हिन्दी भाषा और हिन्दुस्तानी संस्कृति के संस्कार बसाए। भाषा के ऐसे ऐतिहासिक कार्यकर्ताओं का इतिहास प्रस्तुत है, क्योंकि इतिहास बनानेवाले इतिहास नहीं लिखा करते हैं।
Carabiaee Deshon Mein Hindi-Shiksha Aur Suriname Hindi Parishad Ka Itihas
Pushpita Awasthi
Hriday Ki Hatheli
- Author Name:
Pushpita Awasthi
-
Book Type:

- Description:
‘शब्द बनकर रहती हैं ऋतुएँ’, ‘अक्षत’ और ‘ईश्वराशीष’ के बाद ‘हृदय की हथेली’ से पुष्पिता अवस्थी ने प्रणय, प्रतीक्षा, विरह, आतुरता, समर्पण और आराधना की लौकिक अनुभूतियों को लोकैषणा के सँकरे दायरे से बाहर निकालकर जैसे एक आध्यात्मिक सिहरन में बदल दिया है। ‘आँसू दुनिया के लिए आँख का पानी है/लेकिन तुम्हारे लिए दु:ख की आग है’ कहते हुए कवयित्री ने प्रबन्धन-पटु समय में प्रेम की एक सरल रेखा खींचनी चाही है। उसके यहाँ ‘प्रेम के रूपक’ नहीं हैं, प्रणय का पिघलता ताप है, आँखों की चौखट में विश्वास की अल्पना है, अन-जी आकांक्षाओं की प्यास है, प्रेम का धन-धान्य है, स्मृति के कुठले में सँजोए अन्न की तरह अतीत का वैभव है। अचरज नहीं कि कवयित्री ख़ुद यह कहती है—‘इन कविताओं की व्यंजना आकाश की तरह निस्सीम है और आकाश गंगा की तरह अछोर भी। इनके अन्दर की यात्रा मन के रंगों-रचावों की यात्रा है, रस-कलश की छलकन है। सृजन के राग का आरोहण और कृत्रिमता के तिमिर का तिरोहण है।’
प्रेम के उद्दाम आदिम संगीत से होती—प्रेम का गान करने और उसका मान रखनेवाले कवियों—कालिदास, जयदेव, विद्यापति, घनानन्द की परम्परा की ही धात्री पुष्पिता फिर एक बार पुण्य के पारावार में संतरण करना चाहती हैं, अपनी गंगा में प्रिय की यमुना को जीते हुए कृष्ण को राधा-भाव और राधा को कृष्ण-भाव में जीते हुए देखना चाहती हैं। उनकी पदावलियों में अनुरक्त और विदग्ध अनुभवों—दोनों की उमगती कसक भरी है, रचनेवाले के भीतर जैसे अकेलेपन की पिघलती मोमबत्ती। शब्दों के ताप में प्रणय की तपश्चर्या है, प्रेम को पृथ्वी की पहली और अन्तिम चाहत की तरह महसूस करने की उत्कंठा है। प्यार की पवित्र जाह्नवी को दिनोंदिन मैला कर रहे समय के बावजूद देह की आकाश गंगा में तैरकर आँखें पार उतर जाना चाहती हैं ठहरे हुए समय से मोक्ष के लिए। इन कविताओं का सलीक़ेदार अपनत्व मन पर एक ऐसी छाप छोड़ता है जैसे इन अनुभूतियों के साथ, पढ़नेवाला भी सह-यात्रा कर रहा हो।
Hriday Ki Hatheli
Pushpita Awasthi
Ishwarashish
- Author Name:
Pushpita Awasthi
-
Book Type:

- Description:
प्रकृति एक न्यायपूर्ण और समानता–आधारित समाज की स्थापना के लिए प्रेरणा और आधार प्रदान करती है। सभ्यता के तक़ाज़े जहाँ विभाजन और असमानता को बढ़ावा देते हैं, प्रकृति का मूल स्वर साहचर्य और जोड़ने का होता है। विश्व के जिन हिस्सों में प्रकृति अपने अक्षत रूप में आज भी हमें आश्वस्ति देती है, उनमें एक कैरेबियाई क्षेत्र भी है। हज़ारों किलोमीटर के क्षेत्र में फैली अनछुई, अक्षत प्रकृति समुद्र तट, पर्वत, झरने, नदियाँ, जंगली वृक्ष और पशु–पक्षी।
सूरीनाम में प्रवास के दौरान कवयित्री पुष्पिता की रची गई ये रचनाएँ इसी छवि का अन्वेषण करती हैं। साथ ही कैरेबियाई देशों का वह मानवी पक्ष भी इनमें ध्वनित होता है जिसके कारण इस क्षेत्र की
विश्व में अलग पहचान है। दुनिया के लगभग हर क्षेत्र के लोग यहाँ आकर बसे हैं एशियाई, अफ्रीकी, यूरोपीय और लैटिन अमेरिकी। विश्व की मानवशास्त्रीय विविधता का एक लघु संस्करण आप यहाँ पा सकते हैं।
कैरेबियाई देशों के लम्बे प्रवास के दौरान रची गई ये कविताएँ इस क्षेत्र के समूचे प्राकृतिक, सामाजिक और मानवीय वैशिष्ट्य के प्रति प्रेमोद्गार के रूप में प्रकट हुई हैं। कवयित्री ने इन पंक्तियों में उस वरदान की पुनर्रचना की है जो प्रकृति ने इस क्षेत्र को दिया है।
Ishwarashish
Pushpita Awasthi
Gokharoo
- Author Name:
Pushpita Awasthi
-
Book Type:

- Description:
पुष्पिता की ये कहानियाँ बौद्धिक आडम्बर के बग़ैर एक मानवीय संसार का अन्वेषण करती हैं और बहुत सफलतापूर्वक अपने कथ्य और सहज गद्य के माध्यम से पढ़नेवाले के भीतर तक उतर जाती हैं। यह इनकी काव्यात्मकता ही है जो उन घटनाओं, परिस्थितियों से सवाल करती है जिन्हें ज़रूरी नहीं समझा जाता पर जिनके मानी बहुत बड़े होते हैं।
‘ठंडे बस्ते में पिघलता लावा’ में सुधा के कर्मठ जीवन के बावजूद उसकी हत्या, प्रशासनिक उदासीनता और सुधा के पी.एफ़. से अपनी जेबें भरने के बाद उसके पति की चुप्पी। प्रेम-विवाह की यह परिणति और व्याप्त भ्रष्टाचार का तांडव यदि इस कहानी में दिखता है तो दूसरी ओर ‘दो शब्द’ में अंकिता का प्रेम के अभाव में ठूँठ-सा व्यक्तित्व।
इस संग्रह की कहानियाँ उन चीज़ों की ज़रूरत की कहानियाँ हैं जो हवा, पानी, रोटी, कपड़े की तरह और उससे भी ज़्यादा ज़रूरी लगती हैं।
Gokharoo
Pushpita Awasthi
Tum Ho Mujh Mein
- Author Name:
Pushpita Awasthi
-
Book Type:

- Description:
‘तुम हो मुझमें’ संवेदनशील कवयित्री पुष्पिता का महत्त्वपूर्ण कविता–संग्रह है। महत्त्वपूर्ण इस अर्थ में कि इन कविताओं में आकुल आत्मीयता और राग–विराग के जो उदात्त आशय हैं वे पाठक के शब्दबोध में प्रीतिकर विस्मय उपजाते हैं। प्रेम समस्त कविताओं का बीज शब्द है। प्रेम के अगणित अर्थों का अनुभावन करते हुए पुष्पिता ने अनुभवों, भावों व संवादों का सान्द्र आस्वाद सिरजा है। संग्रह की एक कविता में वे कहती हैं—
‘प्रेम शब्दों से परे है
शब्दकोशों से बहिष्कृत
मन के अन्त:पुर का पाहुन है वह
केवल हृदय से—
हार्दिकता से काम्य।’
इन कविताओं का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष है समकालीन चिन्तन व चेतना से सुगठित सम्पृक्ति। प्रचलित विमर्शों के सूत्र उनके आन्तरिक सत्यों के साथ सहेजे गए हैं। सतह पर तिरते मूल्यों व निष्कर्षों से कवयित्री की सहमति नहीं है। ‘जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ’ को चरितार्थ करके शब्दार्थ के अगम को सुगम बनाया गया है।
यह कविता–संग्रह प्रेम, मैत्री, साहचर्य, प्रकृति, गोचर–अगोचर, शब्द–शब्दातीत को उनकी मौलिकता में आलोकित करता है। पुष्पिता के पास भाषा और शिल्प की समृद्धि है। ‘तुम्हें देखने के बाद/छूट जाता है तुम्हारा देखना, मुझमें’—के स्वर में कहें तो ये कविताएँ पढ़कर पाठकों के मन में इनका बहुत कुछ छूट जाएगा।
जीवन को समग्रता में सँजोती रचनाएँ ‘तुम हो मुझमें’ की उपलब्धि हैं।
Tum Ho Mujh Mein
Pushpita Awasthi
Akshat
- Author Name:
Pushpita Awasthi
-
Book Type:

- Description:
style="line-height: 10px;">तुम
मेरी एकमात्र पुस्तक हो
मेरे मन का धर्मग्रन्थ तुम
मेरी एकमात्र कविता हो
मेरे सृजन के सच्चे दस्तावेज़
तुम मेरा एकमात्र विश्वास हो
मेरी आत्मा के वास्तविक सहचर
प्रेम का यही अकुंठ भाव इन कविताओं का मूल स्वर है। यह प्रेम-कविताओं का संग्रह है जिनकी कमी इधर आकर बहुत खलने लगी है। कविता के केन्द्र से प्रेम का हटना बेशक जीवन का अनुगमन ही है, क्योंकि जीवन का केन्द्र भी आज प्रेम नहीं है, लेकिन इसीलिए प्रेम अपनी तमाम पारदर्शिताओं, स्वच्छताओं और उदात्तताओं के साथ और भी ज़रूरी हो जाता है। वह एक अमूर्त भाव है लेकिन दुनिया में उसका अभाव हमें किसी चीज़ की तरह कचोटता है, जिसे इतनी तमाम चीज़ों की उपस्थिति भी पूर नहीं पाती।
ये कविताएँ हमें प्रेम की याद दिलाती हैं, उसकी उस ताक़त की याद दिलाती हैं जो हमें देह में देह को और आत्मा में आत्मा को अनुभव करने की क्षमता देता है, हमें ज़्यादा सहनशील, सहिष्णु और संसार को ज़्यादा रहने लायक़ बनाता है।
तुम
मेरे पास
सुख की तरह हो
जैसे जड़ों के पास ज़मीन
तुम्हारा स्पर्श मुझे छूता है
जैसे सूरज छूता है पृथ्वी।
Akshat
Pushpita Awasthi
Aadhunik Hindi Kavyalochna Ke Sau Varsh
- Author Name:
Pushpita Awasthi
-
Book Type:

- Description:
काव्यालोचना के सौन्दर्यशास्त्र और भाषा के वर्तमान परिदृश्य को उर्वर बनाने में एक साथ कम से कम तीन पीढ़ियाँ सक्रिय दिखाई देती हैं जिनमें विभिन्न तरह की प्रेरणाएँ, प्रक्रियाएँ देखी जा सकती हैं। काव्य-आलोचना का अद्यतन परिदृश्य विभिन्न-दृष्टियों के ताने-बाने से निर्मित है।
कविता अपनी रचना में ही कैसे अपना नया काव्यशास्त्र रचती-रचती है? कविता और काव्यालोचना का सौन्दर्य कैसे बनता है? जीवनानुभवों और मनस्तत्वों की भाषा में कैसी बुनावट है? क्या कारण है कि तुलसी-जायसी के व्याख्याता आचार्य शुक्ल कबीर से सहानुभूति-सह-अनुभूति नहीं महसूस करते? लेखिका इस पुस्तक में आधुनिक हिन्दी कविता और काव्यालोचना का नया सौन्दर्यशास्त्र सृजन करने के क्रम में समीक्षा की भाषा के अलावा ऐसे कई सवालों से भी दो-चार हुई हैं।
हिन्दी काव्यालोचना के सौ वर्ष की गहन पड़ताल करनेवाली यह पुस्तक कविता के अध्येताओं, शोधार्थियों व काव्य-प्रेमियों के लिए उपयोगी है।
Aadhunik Hindi Kavyalochna Ke Sau Varsh
Pushpita Awasthi
Offers
Best Deal
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.