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Trilok Nath Pandey

Mahabrahman

  • Author Name:

    Trilok Nath Pandey

  • Book Type:
  • Description: भारत के जाति-संजाल की अनूठी विवेचना करता है ‘महाब्राह्मण’। समाज के अब तक अनछुए रहे कई पहलुओं को बड़ी बेबाकी से उभारकर उनकी विडम्बनाओं और त्रासदियों पर प्रकाश डालती है इसकी कहानी।

    भारतीय समाज सदियों से जातियों-उपजातियों की चक्की में लोगों को पीसता रहा है। जाति हमारे यहाँ ऊपरी आभासी समरसता के अन्तस्तल में अनिवार्य तत्त्व के रूप में सदैव सक्रिय रहती है और लोगों के निर्णयों और प्राथमिकताओं के निर्धारण में एक बड़ी भूमिका निभाती है। यही कारण है कि लोग मजबूरी में भी अपनी जाति-पहचान से चिपके रहते हैं।

    इस उपन्यास का नायक मानवीयता की उदात्त डोर पकड़कर आगे बढ़ने की कोशिश करता है, किन्तु कदम-कदम पर उसे अपमान और प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति के शुभत्व में गहरी आस्था के सहारे नायक अपने संघर्ष की निरन्तरता बनाए रखता है, किन्तु प्राय: हर तरफ से बार-बार मिलती निराशा इसे आत्मघात की ओर धकेल देती है। उपन्यास के अन्य चरित्र मानव-जीवन की विभिन्न विचित्रताओं को चित्रित करते हैं जिससे इसका कथानक बहुआयामी और रोचक बन गया है।

    उपन्यास के लेखक ने वर्षों तक निरन्तर शोध और फील्ड वर्क किया है। महाब्राह्मण समाज की गहराई में जाकर लेखक ने अनगिनत इंटरव्यू लिए और अनेक ऐसी विसंगतियों को देखा-समझा जिनके बारे में आमतौर पर हम बिलकुल नहीं जानते। यह पहली कृति है, जो जाति-संरचना  के इस पक्ष को इतने अच्छे ढंग से न सिर्फ, चित्रित करती है बल्कि विश्लेषित भी करती है।

Mahabrahman

Mahabrahman

Trilok Nath Pandey

299

₹ 239.2

Chanakya Ke Jasoos

  • Author Name:

    Trilok Nath Pandey

  • Book Type:
  • Description: ‘चाणक्य के जासूस’ अनेक अर्थों में एक महत्त्वपूर्ण कृति है। यह न केवल इतिहास को एक नई दृष्टि से देखती है बल्कि जासूसी की तमाम पुरातन-ऐतिहासिक तकनीकों का विशद विवेचन भी करती है। चाणक्य के बारे में प्रचलित अनगिनत मिथकों से इतर इसमें हमें उनका वह रूप दिखलाई पड़ता है, जो जासूसी का शास्त्र विकसित करता है और उसे राजनीतिशास्त्र का अपरिहार्य अंग बनाकर मगध साम्राज्य के शक्तिशाली किंतु अहंकारी शासक धननन्द का अन्त सम्भव करता है। बेशक धननन्द का महामात्य कात्यायन जो इतिहास में राक्षस के रूप में प्रसिद्ध है, भी जासूसी में कम प्रवीण न था, लेकिन उसके पास केवल सत्ता-बल था। उसकी जासूसी विद्या नैतिकता की बजाय निजी स्वार्थपरता से संचालित थी। लेकिन चाणक्य ने अपनी जासूसी में व्यावहारिकता और नैतिकता का सामंजस्य हमेशा बनाए रखा और मगध साम्राज्य की जनता के कल्याण के उद्देश्य को कभी नहीं भूला। यह उपन्यास दिखलाता है कि चाणक्य ने सम्राट धननन्द को खून की एक भी बूँद बहाए बिना अपने बुद्धिबल से मगध साम्राज्य के सिंहासन से अपदस्थ किया और चंद्रगुप्त को उस पर बिठाकर राष्ट्र के सुदृढ़ भविष्य का मार्ग प्रशस्त किया। इसमें इतिहास का निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला वह जासूसी तंत्र अपने पूरे विस्तार में दिखलाई पड़ता है, जो हमेशा से नेपथ्य में रहकर ही अपना काम करता है। इतिहास का एक महत्वपूर्ण कालखंड इस उपन्यास का आधार है। लेकिन यह एक साहित्यिक कृति है। इसलिए इतिहास को दुहराने की बजाय इसमें उस कालखंड के ऐतिहासिक मर्म को तथ्यसंगत ढंग से प्रस्तुत किया गया है, जिसकी प्रासंगिकता आज भी क़ायम है। उपन्यास में लेखक ने जासूसी की आधुनिक विधियों का भी पर्याप्त उल्लेख किया है और  तमाम ऐतिहासिक और आधुनिक सन्दर्भों से उसे विश्सनीय बनाया है। इस लिहाज से यह खासा शोधपूर्ण उपन्यास है, ख़ासकर इसलिए भी कि ख़ुद लेखक भी लम्बे समय तक जासूसी सेवा में रहा है। बेहद पठनीय और रोमांचक कृति! —शशिभूषण द्विवेदी
Chanakya Ke Jasoos

Chanakya Ke Jasoos

Trilok Nath Pandey

399

₹ 319.2

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