Shivkumar Tiwari
Charitani Rajgondanaam
- Author Name:
Shivkumar Tiwari
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Book Type:

- Description: इस पुस्तक में गोंड राजाओं के प्रेरणादायी जीवन-प्रसंगों को रेखांकित किया गया है जिन्होंने अपने समय की तमाम धार्मिक, राजनैतिक और सामाजिक व्यवस्थाओं को आत्मसात् करके, इतिहास के हाशिए से उठकर अपना एक अनूठा साम्राज्य क़ायम किया। यह पुस्तक हमें राजगोंडों की अद्वितीय जिजीविषा के बारे में विस्तार से बताती है। एक तरफ़ यहाँ अगर गढ़ा-कटंगा के राजा संग्रामशाह की दूरदृष्टि व कूटनीतिज्ञता की झलक मिलती है तो दूसरी तरफ़ शक्तिशाली मुग़ल साम्राज्य से लोहा लेनेवाली रानी दुर्गावती की धर्मपरायणता व साहसिकता भी हमें प्रेरित करती है। राजगोंड राजाओं के जीवट से देदीप्यमान कहानियों के साथ-साथ यह पुस्तक हमें उनकी मानवीय संवेदना, ज्ञानपिपासा, चारित्रिक दृढ़ता, धर्मनिरपेक्षता, विश्वास, रूढ़ियों और रुचियों के बारे में भी क्रमबद्ध ढंग से बताती है, कुछ इस तरह कि पाँच शताब्दी पूर्व के गोंडों का इतिहास हमारे सामने साकार हो उठता है। रोचक उतार-चढ़ावों से लबालब और सरल भाषा में सँजोयी गई यह पुस्तक ज्ञानपिपासुओं और इतिहास के गर्त में कुछ ढूँढ़ने का प्रयत्न करनेवाले शोधकर्ताओं के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
Charitani Rajgondanaam
Shivkumar Tiwari
Bhartiya Vanya Praniyon ke Sanrakshit Kshetro ka Vishvkosh
- Author Name:
Shivkumar Tiwari
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Book Type:

- Description:
अधोलिखित 9 प्रमुख विशेषताओं से युक्त प्रस्तुत विश्वकोश भारतीय संरक्षित क्षेत्रों के पर्यावरण एवं प्राणिजात के सम्बन्ध में सम्पूर्ण जानकारी देनेवाला न केवल हिन्दी वरन् अन्य देशी भाषाओं में भी प्रकाशित अब तक का सबसे अधिक वैज्ञानिक सन्दर्भ-ग्रन्थ है। विश्वकोश की नौ प्रमुख विशेषताएँ : 1. संरक्षित क्षेत्रों के माध्यम से भारतीय पर्यावरण एवं प्राणिजात की सर्वांगीण प्रस्तुति करनेवाला भारतीय परम्परा एवं हिन्दी भाषा में लिखा गया भारतीय भाषाओं का अनूठा ग्रन्थ। 2. विश्वकोश की वैश्विक अवधारणा के अनुकूल ग्रन्थ का संयोजन एवं विषयवस्तु की प्रस्तुति। 3. विश्वकोश में अपेक्षित ‘जानकारी की सम्पूर्णता’ का पूरा प्रयास, सभी वर्गों के संरक्षित (क्षेत्रों अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यान, टाइगर रिजर्व, बायोस्फियर रिजर्व, रामसर साइट्स इत्यादि) में से प्रतिनिधि संरक्षित क्षेत्रों का न केवल उल्लेख अपितु उनकी विशिष्टताओं का विवेचन भी। 4. संरक्षित क्षेत्रों के सभी वैज्ञानिक पक्षों का सरल सुबोध भाषा में विवेचन। विश्वकोश में विज्ञानों के ये तथ्य संकलित हैं (i) इकोलॉजी पारिस्थितिकी, (ii) इथोलॉजी (व्यवहार विज्ञान), (iii) वर्गिकी (टैक्सानामी),
(iv) लताजी (जीवविज्ञान), (v). आर्निथोलॉजी (पक्षीविज्ञान), (vi) ज्योग्राफ़ी (भूगोल), (vii) जियोलॉजी (भूगर्भ विज्ञान), (viii) पेलिअन्टोलॉजी (पूरा विज्ञान-जीवाश्म विज्ञान तथा) (ix) बाटनी (वनस्पति विज्ञान)।
5. संरक्षित क्षेत्रों को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में समझने के लिए आवश्यक मानचित्र दिए गए हैं। 6. संरक्षित क्षेत्रों के इतिहास और वर्तमान की विस्तृत जानकारियाँ विश्वकोश में संकलित हैं। आवश्यक स्थलों पर सन्दर्भ-ग्रन्थों का भी उल्लेख है। 7. विश्वकोश में संरक्षित क्षेत्रों की समकालीन घटनाओं और स्थिति को निरपेक्षता से प्रस्तुत किया गया है। तथ्यों की पुष्टि के लिए स्रोत को उद्धृत किया गया है। अंग्रेज़ी भाषा के स्रोतों को उद्धृत किया गया है। 8. विश्वकोश में पूरी तरह से हिन्दी भाषा का प्रयोग किया गया है अन्य भाषाएँ प्रमुख पाठ से अलग हाशिये पर या परिशिष्ट में ही देखी जा सकती हैं। परिशिष्ट में आधारभूत अध्ययन सामग्री की क्रमबद्ध सूचियाँ हैं। 9. विश्वकोश में प्रारम्भ से अन्त तक पठनीयता को बनाए रखा गया है। विश्वकोश की अनेक टिप्पणियाँ एवं आलेख स्वतंत्र रूप से पठनीय हैं।
Bhartiya Vanya Praniyon ke Sanrakshit Kshetro ka Vishvkosh
Shivkumar Tiwari
Rajgondon Ki Vanshgatha
- Author Name:
Shivkumar Tiwari
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Book Type:

- Description:
गोंड राजवंश का उदय कल्चुरियों या हैहयवंशी राजवंश के अस्त होने पर हुआ। गोंड राजवंश के प्रारम्भिक राजा स्वतंत्र राजा थे। इनके राजकाल के ऐतिहासिक साक्ष्य तब से मिलने प्रारम्भ होते हैं जब भारत में लोदीवंश का शासन था। इन प्रारम्भिक स्वतंत्र गोंड राजाओं का जीवन चरित लेखक ने राजकमल प्रकाशन द्वारा वर्ष 2008 में प्रकाशित ग्रन्थ ‘चरितानि राजगोंडानाम्’ में लिपिबद्ध किया था। करद राजाओं का जीवन चरित ‘राजगोंडों की वंशगाथा’ ग्रन्थ के रूप में प्रस्तुत
है।
इस वृत्तान्त में गढ़ा कटंगा राज्य की उन सभी पीढ़ियों के राजाओं की जिजीविषा की कहानियाँ हैं, जिन्होंने मुग़लकाल के पश्चात् मराठा काल तक राज्य किया। ये गाथाएँ मानवीय विश्वास, संवेदना और कर्मठता के अतिरिक्त चार से अधिक शताब्दियों की कालावधि में हुए मानवीय विकास की कथाएँ हैं। ये जनजातीय राजे अपने विकासक्रम में निरक्षर, अपढ़ या गँवार नहीं रहे, न ही ये सर्वथा ऐकान्तिक रहे वरन् इनमें से अनेक साहित्यानुरागी, कलाप्रेमी और समकालीन राजनीति के खिलाड़ी भी रहे। ऐसे राजाओं में हृदयशाह का नाम उल्लेखनीय है। ग्रन्थ के पूर्वार्द्ध में राजगोंड कुलभूषण हृदयशाह की दो आगे की और दो पीछे की पीढ़ियों का वर्णन है। इन सभी पीढ़ियों में उनका व्यक्तित्व बेजोड़ है।यह पुस्तक निश्चित ही न तो इतिहास विषय का ग्रन्थ है और न ही सामाजिक शोध-प्रबन्ध, अतः इसकी अकादमिक उपयोगिता को बढ़ाने से सम्बन्धित किसी प्रयास की चर्चा बेमानी है। प्रयास यह रहा है कि कहानियों में ऐतिहासिकता अक्षुण्ण रहे, कल्पना प्रसूत पात्र एवं घटनाएँ यथासम्भव कम से कम हों। प्रत्येक ऐतिहासिक घटना को अलग-अलग इतिहासकार अपने नज़रिए से देखते हैं, परन्तु कहानी में घटना को किसी एक ही नज़रिए से देखा जा सकता है, यह उसकी सीमा है और आवश्यकता भी। सामान्य तौर पर कथाओं में वे घटनाएँ चुनी गई हैं जिनसे सर्गों की सूत्रबद्धता क़ायम रहे, परन्तु साथ ही वे सम्बन्धित राजाओं के जीवन की मुख्य घटनाएँ हों।
Rajgondon Ki Vanshgatha
Shivkumar Tiwari
Nagvansh Ki Purakathayein
- Author Name:
Shivkumar Tiwari
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Book Type:

- Description:
‘नागवंश की पुराकथाएँ’ ऐतिहासिक भारत के उस आदि समाज की कथाएँ हैं जिनके सूत्र संस्कृत, पालि एवं प्राकृत भाषाओँ में लिखे प्राचीन ग्रन्थों में मिलते हैं। वस्तुतः नाग संस्कृति मानव समाज की उन गिनी-चुनी विश्व-संस्कृतियों में से एक है, जिसका अविच्छिन्न प्रवाह विगत चार या पाँच सहस्राब्दियों से अब तक गतिमान है। भारत में नागों के नाम पर नदियाँ हैं, क्षेत्र हैं, नगर हैं तथा व्यक्तियों के उपनाम हैं, ये नाग संस्कृति की जीवन्तता के प्रमाण हैं।
‘नागवंश की पुराकथाएँ’ भारत की एक अति प्राचीन किन्तु दीर्घजीवी विस्मृत-से पुरातन नाग संस्कृति के कुछ तिनकों को साथ रखकर रूपायित करने का प्रयास है। ग्रन्थ में संकलित कथाओं को सर्गों में विभाजित किया गया है। स्थापित कथाओं की चर्चा न करते हुए यह ग्रन्थ अल्पज्ञात पौराणिक संकेतों और लोककथाओं में प्रचलित आख्यानों के आधार पर नाग समाज की संस्कृति और सामाजिक विशेषताओं को कथाओं के माध्यम से प्रस्तुत करने का यत्न करता है। यह प्रयास अपने आप ही इस ग्रन्थ को दूसरे ग्रन्थों के मुक़ाबले अग्रिम भूमिका में लाकर खड़ा कर देता है। नागों की संस्कृति के अध्ययन में निश्चय ही यह एक उल्लेखनीय ग्रन्थ है।