Amritlal Nagar
Sudhiyan Kuchh Apni, Kuchh Apanon Ki
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Sudhiyan Kuchh Apni, Kuchh Apanon Ki
Amritlal Nagar
Sampoorna Balrachanayen
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Sampoorna Balrachanayen
Amritlal Nagar
Panchvan Dasta Aur Saat Kahaniyan
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Panchvan Dasta Aur Saat Kahaniyan
Amritlal Nagar
Chakrateerth
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Amritlal Nagar
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प्रस्तुत उपन्यास ‘चक्रतीर्थ’ में कुषाणों और यूनानियों की दासता से ट्रस्ट और विखंडित भारत के पुनर्संगठित होकर एक सशक्त और समृद्ध देश बनने की यह प्रेरणादायक रंगारंग भारतीय छवियों से भरपूर, यह रोचक राष्ट्र-कथा पढ़कर आपको आज के भारत की समस्याओं पर गहराई से विचार करने की स्फूर्ति मिलेगी।
यह इतिहास कथा उस भावनात्मक आन्दोलन से जुड़ी है जिसने पहली बार भारत की सभी जातियों के उत्तम विचार और संस्कार लेकर तथा ब्राह्मण और श्रमण धर्म का उचित समन्वय करके समूचे भारत को वह एकता प्रदान की जिसके सही और ग़लत प्रभावों से यह देश आज तक बँधा हुआ है।
पुरानी दुनिया में भारत के महत्त्वपूर्ण स्थान और विश्वव्यापी मानव संस्कृति की रसभीनी छटा फहराने वाला, भारतीय साहित्य में अपने रंग का अकेला, यह उपन्यास आपके हाथों में है।
उपन्यास का पहला पृष्ठ पढ़ना आरम्भ कीजिए और फिर अन्तिम पृष्ठ पूरा पढ़े बिना आप इसे छोड़ नहीं सकेंगे।
Chakrateerth
Amritlal Nagar
Ekda Naimisharanye
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एक पुण्य-स्थान के रूप में नैमिषारण्य का उल्लेख बहुत सारे पुराणों में प्राप्त होता है। यही वह स्थान है जहाँ ऋषि-मुनि, कोई समस्या उपस्थित होने पर सभा करते थे। यहीं अधिक यज्ञ-यजन हुए।
यह नागर जी की एकमात्र पौराणिक, पर श्रेष्ठ कृति है। सारे पात्र पौराणिक हैं, कल्पित और अकल्पित भी। पौराणिक गाथाओं का ही इसमें उद्घाटन हुआ है। पौराणिक और सर्वख्यात नारद तो इसके मुख्य पात्रों में हैं। नारद इसमें वेद-वेदान्तों, ज्योतिष, व्याकरण, छन्द-शास्त्र स्मृति-ग्रन्थों यहाँ तक कि गान और नृत्य के अद् भुत ज्ञाता के रूप में प्रस्तुत हुए हैं।
नारद का ज्ञान नागर का ही ज्ञान है, और यह तथ्य इस प्रसिद्ध उपन्यासकार के असामान्य स्वाध्याय और ज्ञान-गरिमा को प्रकाश में लाता है।
उपन्यास पुनर्जागरण का सन्देशवाहक है। मुख्य पात्र हैं भार्गव सोमाहुति।
Ekda Naimisharanye
Amritlal Nagar
Chaitanya Mahaprabhu
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चैतन्य महाप्रभु का आविर्भाव वैष्णव धर्म के विकास में एक चमत्कारी घटना है। एक गहरे आवेश और भावनात्मकता के साथ सारे जनसामान्य तक वैष्णव धर्म को पहुँचाने का काम पहले बंगाल में और बाद में सम्पूर्ण देश में, चैतन्य महाप्रभु ने किया। मधुर भाव की नाम–संकीर्तन पद्धति चैतन्य की देन है। इसी के साथ वैष्णव धर्म ने एक नए युग में प्रवेश किया। प्रस्तुत पुस्तक में पहली बार चैतन्य के व्यक्तित्व के इस योगदान को सम्पूर्णता के साथ उजागर किया गया है।
लेकिन इस पुस्तक का उद्देश्य मात्र इतना ही नहीं है। विद्वान लेखक ने चैतन्य के व्यक्तित्व को तत्कालीन राजनैतिक परिस्थितियों में भी रखकर देखा है। अपने समय के इतिहास में चैतन्य का व्यक्तित्व एक चुनौती की तरह उभरा और पराजित हिन्दू जाति को एक नई आस्था और नए आलोक से संयुक्त करने का काम भी चैतन्य ने किया।
उपन्यासकार नागर जी की लेखनी से प्रस्तुत चैतन्य की यह जीवनी पढ़ने पर एक उपन्यास का मज़ा तो देती है, साथ ही वैष्णव धर्म के उदार पथ के विकास में उनका महत्त्वपूर्ण और अद्वितीय योगदान भी सामने लाती है।
Chaitanya Mahaprabhu
Amritlal Nagar
Amrit Aur Vish
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- Description: शिकरमों और ऊँट-गाड़ियों के एक सदी पुराने ज़माने से लेकर आज तक के तेज़ी से बदलते हुए रोचक मार्मिक और सहज जन-जीवन के अन्तरंग जीवन्त चित्रों का वर्णन पढ़ते-पढ़ते आप यह भूल जाएँगे कि उपन्यास पढ़ रहे हैं, बल्कि यह अनुभव करेंगे कि आप स्वयं भी इस वातावरण के ही एक अभिन्न अंग हैं। इसकी रचना-शैली का अनूठापन औसत और प्रबुद्ध दोनों प्रकार के पाठकों को अपने-अपने ढंग से किन्तु समान रूप से प्रभावित करने की क्षमता रखता है। लेखक ने सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक, समाजशास्त्रीय और दार्शनिक दृष्टि से जिस तन्मयता और गहराई से व्यक्ति और समाज का मनोरूप दर्शन यहाँ प्रस्तुत किया है, वह पाठकों के लिए आमतौर से अन्यत्र दुर्लभ है। पुस्तक एक बार हाथ में उठा लेने पर पूरा पढ़े बिना आप रह नहीं सकते। यही नहीं, आप इसे बार-बार पढेंगे और हर बार एक नई दृष्टि और नए रस-बोध की ताज़गी पाएँगे।
Amrit Aur Vish
Amritlal Nagar
Yeh Kothewaliya
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Amritlal Nagar
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- Description: आज के भारतीय समाज में वेश्याओं के जीवन का हिन्दी या किसी भी अन्य भारतीय भाषा में, यह पहला विश्लेषणात्मक अध्ययन है। श्री अमृतलाल नागर ने बहुत समीप से और बहुत ही सहानुभूति से इस जीवन को देखा है, जिसे आम तौर पर रंगीन और ऐयाशी से पूर्ण समझा जाता है, लेकिन जो संघर्ष और निराशाओं से वैसे ही भरा है, जैसे कि अन्य सामान्य जीवन। इस अध्ययन में किसी उपन्यास से भी अधिक रोचकता है और सत्य पर आधारित होने के करण इसकी प्रमाणिकता अद्धितीय है। भारतीय समाज के अध्येताओं के लिए एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पुस्तक।
Yeh Kothewaliya
Amritlal Nagar
Suhag Ke Nupur
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Amritlal Nagar
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- Description: ईसा की प्रथम शताब्दी में महाकवि इलंगोवन रचित तमिल महाकाव्य ‘शिलप्पदिकारम्’ भारतीय साहित्य की एक अनमोल रचना है। प्रस्तुत उपन्यास उक्त महाकाव्य की कथावस्तु पर आधारित पहली हिन्दी कृति है, जिसमें दक्षिण भारत के ऐतिहासिक जीवन का विस्तृत और विश्वसनीय चित्रण हुआ है। तत्कालीन पृष्ठभूमि को सँजोने में लेखक ने इतिहास-ग्रन्थों का अवगाहन करके अपने चित्रणों को यथासम्भव प्रामाणिक बनाने की चेष्टा की है और इस प्रकार उक्त महाकाव्य पर आधारित होते हुए भी यह प्रायः एक स्वतंत्र रचना बन गई है। स्वयं लेखक के शब्दों में : ‘‘घिसी-पिटी थीम होने पर भी पापुलर उपन्यास के लिए मुझे वह अच्छी लगी; मैं अपने दृष्टिकोण से उसमें नवीनता देख रहा था।’’ मिली-जुली सरल भाषा में लिखे गए इस उपन्यास का यह छठा संस्करण पाठकों के सामने है, जो इसकी लोकप्रियता का अकाट्य प्रमाण है।
Suhag Ke Nupur
Amritlal Nagar
Boond Aur Samudra
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- Description: पठनीयता के बल पर हिन्दी उपन्यास को ख्याति और प्रतिष्ठा दिलानेवालों में अमृतलाल नागर का नाम अग्रणी है। कई पीढ़ियों ने उनकी क़लम से निकले हृदयग्राही कथा-रस का आस्वाद लिया है। कथा-साहित्य के कई अविस्मरणीय चरित्रों की सृष्टि का सेहरा भी नागरजी के ही सर बँधा है। डॉ रामविलास शर्मा ने लिखा, “हिन्दी के कुछ लेखक मार्क्सवाद पर पुस्तकें भी लिख चुके हैं लेकिन उनके पात्र वैसे सजीव नहीं होते, जैसे गाँधीवादी लेखक अमृतलाल नागर के ‘सेठ बाँकेमल’ या ‘बूँद और समुद्र’ की ताई। इसका कारण यह है की मार्क्सवाद या गांधीवाद ही किसी लेखक को कलाकार नहीं बना देता। कथाकार बनाने के लिए मार्मिक अनुभूति आवश्यक है जो जीवन के हर पहलू को देख सके। सामाजिक जीवन की जानकारी ही न होगी तो दृष्टिकोण बेचारा क्या करेगा?” लखनऊ के नागर, मध्यवर्गीय सामाजिक जीवन का अन्तरंग और सजीव चित्रण करनेवाला यह उपन्यास हिन्दी उपन्यास-परम्परा में एक कालजयी कृति माना जाता है।
Boond Aur Samudra
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