Satya Narayan Sabat

Satya Narayan Sabat

1 Books

Bharat Mein Manavaadhikar

  • Author Name:

    Satya Narayan Sabat

  • Book Type:
  • Description: मानवाधिकारों की अवधारणा वर्तमान सामाजिक विमर्शों में एक महत्त्वपूर्ण तथा सार्वदेशिक मूल्य का स्थान रखती है। 1215 ई. में पारित मैग्नाकार्टा के आरम्भिक स्वरूप से चलकर आज यह अवधारणा मौजूदा विश्व-सभ्यता का ठोस घटक बन चुकी है।
    इस पुस्तक का उद्देश्य भारतीय संस्कृति में इस घटक की पहचान करना और यह देखना है कि हमारे इतिहास के विभिन्न चरणों में मानवाधिकारों की स्थिति क्या थी! मूलतः अध्यात्म-प्रमुख भारतीय संस्कृति के अनुसार मनुष्य प्रकृति का ही एक अंग है, जिसके साहचर्य में ही वह अपने अधिकारों तथा कर्तव्यों का निर्वाह करता है। ऋग्वेद में भी यह वर्णन आया है कि हम अपना सम्पूर्ण विकास सबके कल्याण को ध्यान में रखते हुए ही कर सकते हैं, और यही मानवाधिकार की अवधारणा की केन्द्रीय निष्ठा है।
    प्राचीन समाज में हालाँकि मानव-अधिकारों की स्थिति इतनी स्पष्टता के साथ परिभाषित नहीं है, लेकिन यह सर्वमान्य है कि भारतीय समाज-व्यवस्था ने अपने समाज में व्यक्ति तथा समष्टि के परस्पर सन्तुलन के लिए कुछ नियमों या सिद्धान्तों का निर्धारण अवश्य किया था।
    ‘भारत में मानवाधिकार’ पुस्तक में प्राचीन हिन्दू धर्म-दर्शन में मानवाधिकारों की अभिकल्पना, जैन तथा बौद्ध धर्म व कौटिल्य के समय में मानवाधिकारों की अवस्थिति, मध्यकालीन युग और पुनर्जागरण के दौरान और उसके बाद के समय में मानवाधिकारों की दशा-दिशा का आकलन किया गया है। इसके साथ ही स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद मानवाधिकारों को लेकर हमारी चेतना तथा उनके संरक्षण के लिए किए गए प्रयासों की तथ्यपरक जानकारी भी दी गई है।
    परिशिष्ट खंड में मानव अधिकार अधिनियम 1993, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (प्रक्रिया) विनियम-1994 तथा सूचना के अधिकार पर भी सामग्री दी गई है जो इस पुस्तक को और मूल्यवान बनाती है।
Bharat Mein Manavaadhikar

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Satya Narayan Sabat

795

₹ 636

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