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Ravindranath Prasad Singh

Shiksha Ka Arth Evam Auchitya

  • Author Name:

    Ravindranath Prasad Singh

  • Book Type:
  • Description: शिक्षा अपने व्यापक अर्थ में नियत समय तक चलने वाली प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि व्यक्ति शैशवावस्था से मरणासन्न तक जो कुछ सीखता और अनुभव प्राप्त करता है। प्राप्त सीख एवं अनुभव का उपयोग खुद और जग कल्याणार्थ करता है। खुद और दूसरों का मूल्य समझता है तथा इन मूल्यों की महत्ता समझते हुए जीवन का औचित्य साकार करता है। वही वास्तविक शिक्षा है।
Shiksha Ka Arth Evam Auchitya

Shiksha Ka Arth Evam Auchitya

Ravindranath Prasad Singh

250

₹ 200

Jeevan-Darshan

  • Author Name:

    Ravindranath Prasad Singh

  • Book Type:
  • Description: दुनिया का हर व्यक्ति इस जीवन को अनमोल मानता है, लेकिन सिर्फ वे ही जीवन की अनमोलता साकार कर पाते हैं, जिन्हें खुद पर विश्वास होता है। जो निहित शक्तियों का सदुपयोग सकारात्मक दिशा एवं रचनात्मक कार्यो में करते हैं। ठीक इसके विपरीत जो व्यक्ति खुद पर विश्वास नहीं करते और निहित शक्तियों को नहीं जानते, वे भाग्य को अनमोल मानते हैं। उनकी नजर में विविध सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण, ऊँचे पदों पर सुशोभित व्यक्ति तथा अमीर घराने में जन्म लेने वाले व्यक्ति अनमोल हैं। यही कारण है कि वे खुद की अनमोलता साबित नहीं कर पाते हैं। आप खुद सोचें—अनमोल जीवन है, धन और पद नहीं।
Jeevan-Darshan

Jeevan-Darshan

Ravindranath Prasad Singh

350

₹ 280

Jeevan Anmol Hai

  • Author Name:

    Ravindranath Prasad Singh

  • Book Type:
  • Description: हमारे महापुरुषों, संतों, महात्माओं ने कहा है कि मनुष्य समस्त प्राणियों में श्रेष्ठ है। हमारे धर्मशास्त्रों में भी इस बात का उल्लेख है कि मनुष्य समस्त प्राणियों में श्रेष्ठ है। दुनिया को नई राह दिखानेवाले महानुभावों ने भी कहा है कि यह हमारा सौभाग्य है कि ईश्वर ने हमें यह अनमोल जीवन दिया है। यह जीवन प्रकृति प्रदत्त अनमोल उपहार है। हमारे महापुरुषों ने मानव जीवन की श्रेष्ठता की अभिव्यक्ति केवल शब्दों में ही नहीं की है, बल्कि अपने कर्मों से भी सिद्ध किया है कि यह अनमोल है। इस जीवन से अनमोल दुनिया में दूसरा कुछ भी नहीं है। जिन लोगों ने माना कि जीवन अनमोल है, अमृत है और प्रकृति प्रदत्त बहुमूल्य उपहार है, इसके अन्दर असीम शक्ति है, उन्होंने खुद के और दुनिया के लिए नई राह बनाई, दुनिया को एक नई दिशा दी और असम्भव को सम्भव कर दिखाया। विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं और नित्य खोज एवं आविष्कार कर अचम्भित कर दिया। यही कारण है कि दुनिया उन्हें आज भी याद करती है। ऐसा नहीं है कि इन लोगों को ईश्वर ने अलग हटकर बनाया या उन्हें किसी विशिष्ट शक्ति से परिपूर्ण कर पृथ्वी लोक पर भेजा। वे भी हमारे आपके जैसे ही थे। ईश्वर ने हममें और उनमें कोई अन्तर नहीं किया, फिर भी वे अनमोल सितारे बन गए और हम जहाँ थे, वहीं रह गए। इसका कारण यह है कि उन्होंने इस अनमोल जीवन का मूल्य समझा। अपने अन्दर छुपी शक्ति को पहचाना और उसका सदुपयोग जग के कल्याणार्थ किया। नतीजतन वे जीवन की अनमोलता को साकार करने में सफल रहे।
    निस्सन्देह दृष्टि और मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में हमारे होने को एक बड़े फलक पर परिभाषित करती पठनीय एवं महत्त्वपूर्ण कृति है ‘जीवन अनमोल है’
Jeevan Anmol Hai

Jeevan Anmol Hai

Ravindranath Prasad Singh

175

₹ 140

Vyaktitva Nirman

  • Author Name:

    Ravindranath Prasad Singh

  • Book Type:
  • Description: Awating description for this book
Vyaktitva Nirman

Vyaktitva Nirman

Ravindranath Prasad Singh

299

₹ 239.2

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