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Prithvi Nath Pandey

Nibandh Sagar

  • Author Name:

    Prithvi Nath Pandey

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  • Description: Awating description for this book
Nibandh Sagar

Nibandh Sagar

Prithvi Nath Pandey

250

₹ 200

Chhatropayogi Nibandh

  • Author Name:

    Prithvi Nath Pandey

  • Book Type:
  • Description: Awating description for this book
Chhatropayogi Nibandh

Chhatropayogi Nibandh

Prithvi Nath Pandey

200

₹ 160

Patrakarita : Parivesh Aur Pravrittiyan

  • Author Name:

    Prithvi Nath Pandey

  • Book Type:
  • Description: आज के समाचार-पत्र साध्य और साधन दोनों हैं। वे करुणा भी हैं और चेतना भी; दृष्टि भी हैं और ज्ञान भी; बोध भी हैं और व्याप्ति भी; इतिहास की तिथि भी हैं और भूगोल की परिधि भी; सन्तुलन भी हैं और मर्यादा भी। इसीलिए जनतंत्र की जितनी बड़ी जवाबदेही पत्रों और पत्रकारों का है, कदाचित् किसी और की नहीं।

    हर किसी को आज भारतीय पत्रकारिता से बहुत बड़ी आशा है और अपेक्षा भी। संयुक्त राज्य अमेरिका में ‘पेंटागन-पत्रों का प्रकाशन’ और ‘वाटरगेट कांड’ का रहस्योद्घाटन भारतीय पत्रकारिता के लिए भी चुनौती है। हमारे यहाँ भी कई रहस्य ज्यों के त्यों पड़े हैं और उन पर समय का मलबा पड़ता जा रहा है, जिसका कोई वस्तुत: निर्भीक पत्रकार ही रहस्योद्घाटन कर सकता है। ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं, जब भारतीय पत्रकारों ने मामले उठाए हैं। आज भी हवा के बवंडर के समान कई प्रश्न आन्दोलित हो रहे हैं। उनके उत्तर प्रतीक्षा में हैं कि ‘कार्लबर्न स्टोन’ और ‘बुडवर्ड’ के समान कोई पत्रकार आगे बढ़कर रहस्यों का उद्घाटन कर दे।

    आज आर्थिक और राजनीतिक समस्याएँ, फिर भले ही वे राष्ट्रीय हों अथवा अन्तरराष्ट्रीय, इतनी क्लिष्ट और संश्लिष्ट हो गई हैं कि उनकी पृष्ठभूमि और पेचीदगियों को सही-सही जानना-समझना अतीव आवश्यक हो गया है। इन्हें विशेषज्ञ ही समझा सकते हैं और वे विशेषज्ञ हैं, सुलझे हुए और अनुभवी पत्रकार।

    पत्रकार को आज विषम स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में यदि उसका ध्यान दायित्व की अपेक्षा अपने ‘बचाव’ पर अधिक रहता है तो इसमें आश्चर्य की कौन-सी बात है; फिर दायित्व की मर्यादा को आज की राजनैतिक और आर्थिक व्यवस्था जीवित रहने की इजाज़त कहाँ देती है? राजनीति को पेशा बनानेवालों ने ही क्या पत्रकारों को भी प्रथमत: पेशा मानने के लिए बाध्य नहीं किया है। समाचार-पत्र-जगत पर छाए व्यवसायीकरण के लिए कौन ज़िम्मेदार है? सुविधाएँ देने का प्रलोभन देकर पत्रकारों को अपने पक्ष में बनाए रखने का दुराचार कौन करता है? कौन यह नहीं समझने का भूल दोहराता रहता है कि पत्रकार भी मानव-समाज का एक अंग है और वह भी मानवीय दुर्बलताओं से परे नहीं है। कौन इस सत्य को स्वीकार करने से कतराता है—व्यक्ति-विशेष ही तपस्वी हो सकता है, पूरा समुदाय नहीं?

    पत्रकारिता-जगत के लब्ध-प्रतिष्ठ पत्रकार डॉ. पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने अपनी इस कृति में पत्रकारिता की परिवेश-प्रवृत्तियों पर सांगोपांग और समीचीन प्रकाश डालते हुए अपनी वस्तुपरक दृष्टि का सम्यक् परिचय दिया है।

Patrakarita : Parivesh Aur Pravrittiyan

Patrakarita : Parivesh Aur Pravrittiyan

Prithvi Nath Pandey

450

₹ 360

Achchhe -Achchhe Nibandh

  • Author Name:

    Prithvi Nath Pandey

  • Book Type:
  • Description: यह पुस्तक विद्यार्थियों की क्षमता और उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है । ' अच्छे- अच्छे निबंध ' विद्यार्थियों के लिए एक सरल, रोचक और आकर्षक पुस्तक है । इसके साथ ही इसमें विषय, रुचि तथा ज्ञान—इन तीनों का विशेष ध्यान रखा गया है । प्रश्‍नपत्रों में जिस तरह के निबंध लिखने के लिए आते हैं, उन सबको इस पुस्तक में सम्मिलित किया गया है ।इस पुस्तक की विशेषता यह है कि इसमें दिए गए निबंधों के अध्ययन से विद्यार्थी अपने विचार प्रकट कर सकता है और साथ ही अन्य किसी भी विषय पर निबंध लिखने में समर्थ हो सकता है ।निबंध लेखन में निबंध के चारों भागों -शीर्षक, प्रस्तावना ( भूमिका), विस्तार तथा उपसंहार ( निष्कर्ष) में बाँटकर निबंध के भाव को पूरी तरह प्रकट करने का प्रयास किया गया है ।अच्छी भाषा के लिए अच्छे- अच्छे निबंध ।
Achchhe -Achchhe Nibandh

Achchhe -Achchhe Nibandh

Prithvi Nath Pandey

400

₹ 320

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