Prince Peter Alexeyevich Kropotkin
Aapsi Madad - Hard Back
- Author Name:
Prince Peter Alexeyevich Kropotkin
-
Book Type:

- Description: पशु-जगत में हमने देखा है कि अधिकांश प्रजातियाँ सामाजिक जीवन जीती हैं तथा साहचर्य उनके लिए संघर्ष का सर्वोत्तम हथियार है तथा यह संघर्ष डारविन के भावानुरूप केवल अस्तित्व-रक्षा के लिए नहीं, बल्कि प्रतिकूल प्राकृतिक परिस्थितियों के विरुद्ध होता है। इस प्रकार उन्हें जो पारस्परिक सुरक्षा उपलब्ध होती है, उससे उनकी दीर्घायु तथा संचित अनुभव की सम्भावना तो बढ़ती ही है, उनका उच्चतर बौद्धिक विकास भी होता है तथा प्रजाति का और अधिक विस्तार भी होता है। इसके विपरीत अलग-थलग रहनेवाली प्रजातियों का क्षय अवश्यम्भावी होता है। जहाँ तक मनुष्य का सवाल है, पाषाण-युग से ही हम देखते हैं कि मनुष्य कुनबों और कबीलों में रहता है; कुल-गोत्रों और जनजातियों में देखा जा सकता है कि किस प्रकार उनमें सामाजिक संस्थानों की एक व्यापक शृंखला पहले से ही विकसित है; और हमने देखा कि प्रारम्भिक जनजातीय रीति-रिवाजों तथा व्यवहार ने मनुष्य को उन संस्थानों का आधार दिया जिन्होंने प्रगति की प्रमुख अवस्थिति का निर्माण किया। विश्वविख्यात लेखक प्रिंस पीटर एलेक्सेयेविच क्रोपोत्किन की इस अत्यन्त चर्चित कृति में यह दर्शाया गया है कि आपसी सहयोग की प्रवृत्ति जो मनुष्य को सुदीर्घ विकास-क्रम के दौरान उत्तराधिकार स्वरूप प्राप्त हुई, उसका हमारे आधुनिक व्यक्तिवादी समाज में भी अत्यन्त महत्त्व है। विश्व की महानतम कृतियों में शुमार यह कृति हमेशा ही समाजवैज्ञानिकों और विचारकों की दिलचस्पी का विषय रही है। आज भी इस पुस्तक की लोकप्रियता उतनी ही है जितनी लगभग एक सदी पहले थी, जब यह पहली बार पाठकों के सामने आई थी।
Aapsi Madad - Hard Back
Prince Peter Alexeyevich Kropotkin
Aapsi Madad - Paper Back
- Author Name:
Prince Peter Alexeyevich Kropotkin
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Book Type:

- Description: पशु-जगत में हमने देखा है कि अधिकांश प्रजातियाँ सामाजिक जीवन जीती हैं तथा साहचर्य उनके लिए संघर्ष का सर्वोत्तम हथियार है तथा यह संघर्ष डारविन के भावानुरूप केवल अस्तित्व-रक्षा के लिए नहीं, बल्कि प्रतिकूल प्राकृतिक परिस्थितियों के विरुद्ध होता है। इस प्रकार उन्हें जो पारस्परिक सुरक्षा उपलब्ध होती है, उससे उनकी दीर्घायु तथा संचित अनुभव की सम्भावना तो बढ़ती ही है, उनका उच्चतर बौद्धिक विकास भी होता है तथा प्रजाति का और अधिक विस्तार भी होता है। इसके विपरीत अलग-थलग रहनेवाली प्रजातियों का क्षय अवश्यम्भावी होता है। जहाँ तक मनुष्य का सवाल है, पाषाण-युग से ही हम देखते हैं कि मनुष्य कुनबों और कबीलों में रहता है; कुल-गोत्रों और जनजातियों में देखा जा सकता है कि किस प्रकार उनमें सामाजिक संस्थानों की एक व्यापक शृंखला पहले से ही विकसित है; और हमने देखा कि प्रारम्भिक जनजातीय रीति-रिवाजों तथा व्यवहार ने मनुष्य को उन संस्थानों का आधार दिया जिन्होंने प्रगति की प्रमुख अवस्थिति का निर्माण किया। विश्वविख्यात लेखक प्रिंस पीटर एलेक्सेयेविच क्रोपोत्किन की इस अत्यन्त चर्चित कृति में यह दर्शाया गया है कि आपसी सहयोग की प्रवृत्ति जो मनुष्य को सुदीर्घ विकास-क्रम के दौरान उत्तराधिकार स्वरूप प्राप्त हुई, उसका हमारे आधुनिक व्यक्तिवादी समाज में भी अत्यन्त महत्त्व है। विश्व की महानतम कृतियों में शुमार यह कृति हमेशा ही समाजवैज्ञानिकों और विचारकों की दिलचस्पी का विषय रही है। आज भी इस पुस्तक की लोकप्रियता उतनी ही है जितनी लगभग एक सदी पहले थी, जब यह पहली बार पाठकों के सामने आई थी।