Manoj Kumar Sharma
Janakpriya Evam Anya Kahaniya
- Author Name:
Manoj Kumar Sharma
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Book Type:

- Description: कवि-हृदय मनोज कुमार शर्मा का कहानी-संग्रह ‘जनकप्रिया एवं अन्य कहानियाँ’ जीवन के विविध अनुभवों को प्रांजल भाषा में अभिव्यक्त करता है। लेखक के पास संवेदनाओं की सशक्त पूँजी है। यह संवेदना आधुनिक महानगरीय मन और परम्परागत लोकचित्त की साझा निर्मिति है। यही कारण है कि मनोज कुमार शर्मा की कई कहानियाँ लोक-स्वभाव का अनुगमन करते हुए लोकलय में लिखी गई हैं। इसे परम्परा को संरक्षित करने की ‘कथात्मक कोशिश’ भी कह सकते हैं। मनोज कुमार शर्मा समकालीन ज़िन्दगी की विसंगतियों को बहुत सलीके से छू लेते हैं। उन्हें इस बड़बोले समय में शब्द संयम के प्रति सचेत कहानीकार कहा जा सकता है। उन्होंने कुछ नए मुहावरों को रूपायित भी किया है, जैसे ‘मैं वैसे क्रोध तो राजस्थान की वर्षा की तरह कम ही करता हूँ परन्तु उस दिन तो बस चेरापूँजी...।’ ऐसे प्रयोगों से पठनीयता में वृद्धि होने के साथ शैली में एक सुखद चमक भी आ जाती है। समग्रतः प्रस्तुत कहानी-संग्रह भावों और विचारों में उल्लेखनीय और महत्त्वपूर्ण है।
Janakpriya Evam Anya Kahaniya
Manoj Kumar Sharma
Ye Galat Baat Hai
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Manoj Kumar Sharma
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‘ये ग़लत बात है’ कवि-कहानीकार मनोज कुमार शर्मा का पठनीय कविता-संग्रह है। समकालीन हिन्दी कविता सहसा इतनी सजग और त्वरित हो उठी है कि परिवेश की प्रत्येक गतिविधि उसकी ज़द में है। इसके परिणाम अनेक रूपों में प्राप्त हो रहे हैं। कुछ रूप मनोज कुमार शर्मा की इन कविताओं में देखे जा सकते हैं।
सामाजिक विसंगतियाँ, आत्मीय प्रसंग, प्रगतिशील चिन्तन, निजता के निमिष और मानवीय प्रयत्न— इन बिन्दुओं पर मनोज ने अपनी कविताएँ केन्द्रित की हैं। कुछ कविताओं में प्रकारान्तर से समय, नियति और नियन्ता से संवाद है। कवि जीवन की ‘म्रियमाण वास्तविकता’ को भी रेखांकित करता है। ऐसी कविताओं से व्यंग्यमिश्रित पीड़ा का यह भाव भी मुखर होता है—‘ऐ लीलाधर!/क्यों बनाया मनुष्य को भस्मासुर/क्यों बनाया मनुष्य/क्यों?’
जब मनोज ‘पानी’ कविता लिखते हैं तब वे जल के साथ ‘सजल संवेदना’ पर मँडराते संकटों का संकेत भी करते हैं। ऐसे प्रयत्नों से वे अपने निहितार्थों को व्यापक बनाते हैं। यह पढ़कर अच्छा लगता है कि उनका दृढ़ भरोसा प्रेम में है—चाहे वह प्रेम व्यक्ति केन्द्रित हो या मूल्य सन्दर्भित। और इसकी प्रतीक्षा कवि अनन्त तक कर सकता है—‘जब मिल जाएँगी दसों दिशाएँ आकाश से/ क्या तुम तब मिलोगे?’
ये कविताएँ पाठक को उकसाती हैं कि वह नई सुबह की अगवानी कर सके। विश्वास है, यह संग्रह पाठकों की प्रीति अर्जित करेगा।
Ye Galat Baat Hai
Manoj Kumar Sharma
Kya-Kya Toot Gaya Bheetar
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Manoj Kumar Sharma
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जीवन की छोटी-छोटी घटनाओं, विचारों, अपनी विवशता और व्यवस्था की अच्छी-बुरी चीज़ों को आधार बनाकर लिखी गई कविताओं का संग्रह है—‘क्या-क्या टूट गया भीतर’। कवि मनोज कुमार शर्मा ने सामाजिक टूटन की अन्तर्व्यथा को बड़ी सादगी से दर्ज किया है इन कविताओं में।
इनकी प्रतिभा इनके ‘अढ़ाये’ में परिलक्षित होती है जिसमें दो-टूक शब्दों में इन्होंने सामाजिक विद्रूपताओं और विडम्बनाओं पर व्यंग्य किया है। पाठक स्वयं पढ़कर इस बात का अन्दाज़ा लगा सकते हैं। निश्चय ही यह कविता-संग्रह पठनीय और संग्रहणीय कृति है।
Kya-Kya Toot Gaya Bheetar
Manoj Kumar Sharma
Uska To Koi Gaon Hoga Hi Nahi
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Manoj Kumar Sharma
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‘‘मनोज कुमार शर्मा की कविताएँ आगामी कविता की ऐसी दस्तकें हैं जिनकी नादमयता में हम लोकभाषा की महीन किन्तु अविच्छिन्न उपस्थिति देख सकते हैं। शायद अच्छी कविता का लक्ष्य भी यही है। इनके पास जो भाषा है, वह आकस्मिक-सी नहीं है बल्कि वह धीरे-धीरे किसी उफनती हुई बाढ़ग्रस्त नदी की वास्तविकता की तरह है।’’
—गंगाप्रसाद विमल
‘‘प्रीत और सौन्दर्य की जो छवियाँ कवि श्री मनोज ने उकेरी हैं, वे हार्दिक हैं।’’
—ताराप्रकाश जोशी
‘‘अभिव्यक्ति का माध्यम शब्द, भाव और शिल्प है। मनोज कुमार शर्मा की कविताएँ अधिक लम्बी नहीं हैं। कहा जा सकता है कि छोटी-छोटी कविताओं में बहुत बड़ी बातों को सहज में कहने का ही नहीं अपितु ध्यान आकर्षित करने का सफल प्रयास है।’’
—मधुमती
(राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर)