Major (Dr.) Parshuram Gupt
Bharatvarsh Ke Aakrantaon Ki Kalank Kathayen
- Author Name:
Major (Dr.) Parshuram Gupt
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Book Type:

- Description: प्रस्तुत पुस्तक भारतीय इतिहास के कुछ ऐसे दुर्दांत आक्रांताओं के कुत्सित कुकृत्यों पर प्रकाश डालती है | महमूद गजनवी के आक्रमण से पहले भारत में सूफियों को छोड़कर इसलाम का शायद ही कोई अनुयायी रहा हो | लेकिन सैयद सालार मसूद गाजी के आक्रमण के समय, सलल््तनत काल तथा मुगल काल में धर्म-परिवर्तन का नंगा नाच किया गया | धर्म-परिवर्तन न करने पर जजिया कर लादा गया, जो कि मुगल काल तक चलता रहा | इस कालखंड में भारतीय संस्कृति को पददलित करने का हरसंभव प्रयास किया गया। इसमें नालंदा विश्वविद्यालय का पुस्तकालय जलाने से लेकर अनेक मह्त्त्वपूर्ण मंदिरों व श्रद्धाकेंद्रों को ध्वस्त करना प्रमुख था। इन्हें न केवल ध्वस्त किया गया, बल्कि इन पर उन्होंने अपने उपासना-स्थलों का निर्माण भी किया | सिकंदर और उसके बाद 712 ई. से लेकर 1947 तक भारतवर्ष के लुठेरों की काली करतूतों के कारण भारत आअँधेरे के गिरफ्त में छटठपटाता रहा, लुठता रहा। इन्होंने भरतीय संस्कृति, परंपराओं और मान्यताओं को नष्ट किया, हमारी शिक्षा व्यवस्था, उद्योग, व्यापार, कलाओं और जीवनमूल्यों पर निरंतर प्रहार करके भारतवर्ष की समृद्धि और सामर्थ्य को खंडित किया | यह पुस्तक इन क्रूरों और आततायियों की नृशंसता और पाशविकता की झलक मात्र देती है, जो हर भारतीय को भीतर तक उद्वेलित कर देगी कि हमारे पूर्वजों ने इन नरपिशाचों के हाथों कितने दुःख और कष्ट सहे.
Bharatvarsh Ke Aakrantaon Ki Kalank Kathayen
Major (Dr.) Parshuram Gupt
Vivekanand Aur Rashtravad
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Major (Dr.) Parshuram Gupt
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- Description: "स्वामी विवेकानंद के जन्म को डेढ़ सदी बीत चुकी है। लेकिन आज भी उनके संदेश युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं। संपूर्ण राष्ट्र के भविष्य की दिशा तय करने में भी उनके विचार निर्णायक भूमिका का निर्वहण करने की क्षमता रखते हैं। आज वेदांत-दर्शन को विज्ञान की मान्यता मिलने लगी है, जिससे स्वामीजी के विचार और भी प्रासंगिक हो गए हैं। स्वामीजी ने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा था कि निराशा, कमजोरी, भय, आलस्य तथा ईर्ष्या युवाओं के सबसे बड़े शत्रु हैं। उन्होंने युवाओं को जीवन में लक्ष्य निर्धारण करने के लिए स्पष्ट संदेश दिया और कहा कि तुम सदैव सत्य का पालन करो, विजय तुम्हारी होगी। आनेवाली शताब्दियाँ तुम्हारी बाट जोह रही हैं। उन्होंने कहा था कि हमें कुछ ऐसे युवा चाहिए, जो देश की खातिर अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार हों। ऐसे युवाओं के माध्यम से वे देश ही नहीं, विश्व को भी संस्कारित करना चाह रहे थे। स्वामीजी प्रखर राष्ट्रवाद के प्रबल समर्थक थे। उनका मानना था कि राष्ट्र के प्रति गौरवबोध से ही राष्ट्र का कल्याण होगा। हिंदू संस्कृति, समाजसेवा, चरित्र-निर्माण, देशभक्ति, शिक्षा, व्यक्तित्व तथा नेतृत्व इत्यादि के विषय में स्वामीजी के विचार आज अधिक प्रासंगिक हैं। स्वामीजी के संपूर्ण मानवता और राष्ट्र को समर्पित प्रेरणाप्रद जीवन का अनुपम वर्णन है—राष्ट्ररक्षा, राष्ट्रगौरव एवं राष्ट्राभिमान का पाठ पढ़ानेवाली, राष्ट्रवाद का अलख जगानेवाली इस अत्यंत जानकारीपरक पुस्तक में। "