Kanta Pant
Pant Ki Kavya Bhasha : Shaili-Vaigyanik Vishleshan
- Author Name:
Kanta Pant
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Book Type:

- Description: आठ अध्यायों में विभाजित तथा शैली विज्ञान पर आधारित कान्ता पंत की महत्त्वपूर्ण आलोचना पुस्तक है : ‘पंत की काव्य-भाषा’। पहला अध्याय कृतियों का परिचय तथा उनके शैलीगत वर्गीकरण का है। इस अध्याय के अध्ययन के उपसंहारस्वरूप यह कहा जा सकता है कि पन्त जी की शैली के तीन रूप मिलते हैं : छायावादी, प्रगतिवादी, अरविन्द-दर्शन और वेदान्तवादी। इनमें सबसे अधिक रचनाएँ तीसरी शैली में हैं, किन्तु उनकी सर्वोत्तम कृतियाँ पहली शैली में हैं। दूसरे अध्याय में पंत जी की शैली के ध्वनि पक्ष पर विचार किया गया है, तो तीसरा अध्याय है—शब्दीय अध्ययन का। ये दोनों अध्याय एक-दूसरे से सम्बद्ध हैं, क्योंकि शैली में शब्द-चयन महत्त्वपूर्ण होता है, और चौथा अध्याय है—रूपीय विश्लेषण का। पाँचवाँ अध्याय वाक्यीय विश्लेषण का है। इसके उपसंहार-स्वरूप पंत जी की शैली को मुख्यतः सरल वाक्यों तथा कुछ-कुछ मिश्रित वाक्यों की शैली कहा जा सकता है। वाक्य स्तर पर उनकी शैली की सबसे बड़ी विशेषता अनावश्यक शब्दों का लोप है। छठा अध्याय ‘अर्थ’ का है। अर्थ के प्रसंग में एक उल्लेखनीय बात यह है कि पंत जी शब्द का नए अर्थों में भी प्रयोग करते हैं। उदाहरणार्थ—‘दो शब्द’, ‘भूमिका’ या ‘प्रस्तावना’ के अर्थ में ‘विज्ञापन’ शब्द का प्रयोग उन्होंने अपनी अधिकांश पुस्तकों में किया है।
Pant Ki Kavya Bhasha : Shaili-Vaigyanik Vishleshan
Kanta Pant
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