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Jugnu Shardey

Ration Card Ka Dukh

  • Author Name:

    Jugnu Shardey

  • Book Type:
  • Description: "एक युग से आँसुओं, नारों, माँगों और फोटू कमेटी की बरसात हो रही थी। कल गरमी के बावजूद संसद् के एयरकंडीशन से कलेजे में ठंडक लिये वैसे ही मुसकराई देश की संसदीय महिलाएँ, जैसे कभी मुसकराती थीं टूथपेस्ट बेचनेवाली महिलाएँ। आखिर पेश हो गया राज्यसभा में संविधान संशोधन 108वाँ विधेयक। इसमें संसद् और विधानसभा में आबादी के 50 प्रतिशत को 33 प्रतिशत रिजर्वेशन मिल सकेगा। चाणक्य कहते हैं, कहते हैं या नहीं पता नहीं, क्योंकि स्तंभकार ने चाणक्य का अर्थशास्त्र नहीं पढ़ा है, लेकिन छोटी बात को बड़ी बनाने के लिए बड़े लोगों का नाम लेना चाहिए। इसीलिए चाणक्य कहते हैं कि कुछ भी लिखने के पहले सोचसमझ लेना चाहिए। सोचसमझ के लेखन का मतलब होता है कि लिखने के पहले सोचा ही न जाए। जन्म बीत जाए सोचतेसोचते। लेखन तो बस साप्ताहिक मुद्रास्फीति लेखन है कि बस प्रतिशत बढ़ाते या घटाते जाना लिखना भर होता है। फिर भी इस स्तंभकार ने बाकायदा खोजबीन की। ब्रेकिंगन्यूज के बकवासी खतरों और टीवीयाना बहसों की सिरदर्द के बावजूद खबरिया चैनलों को देख गया। रंगीन विज्ञापनों से भरे अगरमगरलेकिनपरंतु वाले प्रिंट मीडिया को पढ़कर चश्मे का नंबर बढ़ गया। इंटरनेटीय सर्च इंजनों को झाँक गया, जहाँ एक विषय पर लाखों भड़ासी जानकारियाँ होती हैं। तब जाकर समझ में आया कि शोधअनुसंधान के लिए विषय का होना जरूरी होता है। अब तक सारी खोजबीन बिना विषय के हो रही थी। विषय भी तय कर लिया गया—देश और गांधीजी के तीन बंदर का व्यावहारिक संबंध।"
Ration Card Ka Dukh

Ration Card Ka Dukh

Jugnu Shardey

400

₹ 320

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