Girija Pande

Girija Pande

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Aupniveshik Aabkari

  • Author Name:

    Girija Pande

  • Book Type:
  • Description: नशे का इतिहास चाहे आदमी के इतिहास से कुछ कम पुराना हो पर इसे सुव्यवस्थित आर्थिक स्रोत का रूप औपनिवेशिक काल में मिला। इतिहास में अपने धर्म और समाज के लिए मरने वालों की अपेक्षा बहुत अधिक अपने पीने की आदत और अफीम से मरे हैं। एल्डस हक्सले ने इस उत्कंठा को मुक्ति या मृत्यु के लिए नहीं, दासता को अंगीकार कर मृत्यु की ओर बढ़ना बताया है। नशे के इस तंत्र ने औपनिवेशिक व्यवस्था को अर्थाधार दिया और नशे से अपरिचित समाजों में भी इसका रोपण किया। औपनिवेशिक आबकारी के जन्म से पूर्व उत्तराखंड में शराबखोरी और इससे उत्पन्न सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक विकृतियों व बिखराव की समस्या नहीं जन्मी थीं। जिन स्थानीय लघु समाजों में शराब का प्रचलन था उसे भोजन पद्धति का सदियों से विकसित रूप माना जा सकता है, पर जिन बड़े सामाजिक हिस्सों में इसका फैलाव पिछली एक सदी में हुआ, वह औपनिवेशिक विकास से सम्बद्ध है। औपनिवेशिक सत्ता के विस्तार के साथ नशीले पदार्थों का असाधारण प्रचलन हुआ और औपनिवेशिक सत्ता के अस्त होने के बाद इसे देशी त्वरा मिली जिसने पहाड़ी सामाजिक, आर्थिक ढाँचे को ही विकृत और ध्वस्त कर दिया। वन, खनन, बड़े बाँधों, विकृत पर्यटन की तरह नशा सिर्फ एक विषय नहीं, पहाड़ी जनजीवन को नष्ट करने का एक नियोजित षड्यंत्र है। नशे के विरुद्ध, आज़ादी से पूर्व और बाद में उठे प्रतिरोधों की पृष्ठभूमि का पहली बार इतनी गहनता और तत्परता से अध्ययन किया गया है ताकि आज की समस्या की जड़ों तक जाया जा सके। यह अध्ययन न सिर्फ अतीत के बारे में हमारी आँखें खोलता है बल्कि वह आज के नशा-परिदृश्य समझने की पृष्ठभूमि भी प्रस्तुत करता है।
Aupniveshik Aabkari

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Girija Pande

695

₹ 556

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