Geetesh Sharma
Viet Nam 1982-2017
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Geetesh Sharma
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Viet Nam 1982-2017
Geetesh Sharma
Traces Of Indian Culture In Vietnam
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Geetesh Sharma
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Traces Of Indian Culture In Vietnam
Geetesh Sharma
Da Nang : The City Of Wonders
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Geetesh Sharma
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Da Nang : The City Of Wonders
Geetesh Sharma
Jannayak Ho Chi Minh Aur Bharat
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Geetesh Sharma
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मानवता के इतिहास में ऐसे व्यक्ति विरल हैं जिन्होंने देशकाल की सीमाओं का अतिक्रमण कर समूचे विश्व को प्रेरित-प्रभावित किया है। ‘वियतनाम जनतांत्रिक गणतंत्र’ का महास्वप्न साकार करनेवाले जननायक हो चि मिन्ह ऐसे ही महान व्यक्ति थे। हो चि मिन्ह का नाम आज पूरे विश्व में समता-न्याय-स्वतंत्रता के लिए अनथक संघर्ष करनेवाले जनयोद्धा के रूप में आदर के साथ लिया जाता है। वस्तुतः हो के विषय में जानना व उनके व्यक्तित्व और विचारों का विश्लेषण करना प्रत्येक सचेत व्यक्ति के लिए अनिवार्य है। ‘जननायक हो चि मिन्ह और भारत’ पुस्तक में प्रबुद्ध लेखक गीतेश शर्मा ने हो के जीवन का प्रामाणिक परिचय देते हुए उनके अविस्मरणीय योगदान को रेखांकित किया है! लेखक के अनुसार, ‘भारत में हो चि मिन्ह की प्रशस्ति तो बहुत की गई, उनकी याद में कसीदे पढ़े गए, पर हो के दर्शन, उनकी जीवन-शैली, सिद्धन्तों-आदर्शों पर न तो कोई गम्भीर पुस्तक आई, न ही उन्हें सही परिप्रेक्ष्य में समझने की गम्भीर चेष्टा की गई।’
प्रस्तुत पुस्तक हो को समझने का एक गम्भीर उपक्रम है। हो का भारत के साथ भी एक अद्भुत सम्बन्ध रहा है। जनोन्मुख राजनीति करनेवालों, बुद्धिजीवियों व ज़िम्मेदार पाठकों के मन में हो की स्मृतियाँ जीवन्त हैं। गीतेश शर्मा ने हो और भारत के वैचारिक रिश्तों का प्रभावपूर्ण वर्णन किया है। हो के व्यक्तित्व और कृतित्व का यह लेखा-जोखा समस्त पाठकों को नई ऊर्जा से सम्पन्न करेगा। प्रतिबद्ध राजनीति से जुड़े व्यक्तियों को हो के विचार आज भी सकारात्मक दिशा दिखा सकते हैं।
सहज व पारदर्शी भाषा-शैली में लिखी गई यह पुस्तक आज के वैश्विक परिदृश्य में एक आलोक स्तम्भ की तरह है।
Jannayak Ho Chi Minh Aur Bharat
Geetesh Sharma
Bhartiya Sanskriti Aur Hindutva
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Geetesh Sharma
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गीतेश शर्मा जिन्हें हम उनकी अत्यन्त लोकप्रिय पुस्तक ‘धर्म के नाम पर’ के लिए जानते हैं, देश के उन कुछेक चिन्तकों में थे जिन्हें धर्म और ईश्वर की समाज तथा मनुष्य-विरोधी अवधारणाओं पर ख़ामोश रहना कभी स्वीकार नहीं हुआ। आज जब मुख्यधारा के प्रगतिशील चिन्तन ने सर्वधर्म समभाव के नाम पर हर तरह के धार्मिक अनाचार से आँखें फेर ली हैं, और यही प्रगतिशील का प्रमुख लक्षण हो गया है। गीतेश जी का लेखन हमारे लिए मार्गदर्शन की तरह है।
उन्हें यह देखकर अफ़सोस होता था कि हिन्दू कट्टरपन्थ का खुला विरोध करनेवाले लोग भी इस्लाम तथा अन्य धर्मों की धार्मिक-सामाजिक जड़ता पर एकदम चुप हो जाते हैं, और इस घातक तुष्टीकरण को धर्मनिरपेक्षता कहते हैं; लेकिन वह हिन्दुत्ववादियों के इस प्रचार से भी सहमत नहीं कि भारत के मुसलमानों ने अपने देश और समाज के लिए कुछ नहीं किया, कि वे भारतीयता को स्वीकार नहीं करते। तमाम तरह के सुधारवादी आन्दोलनों से गुज़रते हुए हिन्दू धर्म ने एक उदार स्थिति हासिल की है, यह वे मानते थे; लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों के चलते हिन्दू धर्म जिस कट्टरता की ओर बढ़ रहा है, वह ख़तरा भी उनकी निगाह में था। भारतीय संस्कृति की विराट धारा की आन्तरिक जिजीविषा की पहचान उन्हें थी; लेकिन बाज़ार, धर्म, अन्धविश्वास और आर्थिक पिछड़ेपन के घालमेल से बनी गन्दी नाली की मौज़ूदगी भी उन्हें साफ़ दिखाई देती थी।
वे दरअसल तर्क की प्रतिष्ठा चाहते थे, वे चाहते थे कि कोई भी धर्म, कोई भी ईश्वर, कोई भी सम्प्रदाय सवाल करने की उस मूल मानवीय शक्ति ऊपर न हो जिसके बल पर मनुष्य जाति वहाँ पहुँची है जहाँ आज वह है।
इस पुस्तक में उनके समय-समय पर लिखे आलेख संकलित हैं। गीतेश जी बहुत ज़्यादा और लगातार लिखनेवाले लेखकों में नहीं थे। जो भी उन्होंने लिखा वह भीतर के गहरे दबाव पर लिखा। इसलिए भी ये आलेख और ज़्यादा पठनीय हो जाते हैं और इसलिए भी कि इनमें जो चिन्ताएँ ज़ाहिर हुई हैं, वे आज की राजनैतिक-सामाजिक स्थितियों में निर्णायक अहमियत रखती हैं।
Bhartiya Sanskriti Aur Hindutva
Geetesh Sharma
Dharam Ke Naam Par
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Geetesh Sharma
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धर्म के सही चरित्र एवं स्वरूप से परिचित हुए बिना विवेकहीनता, अन्धविश्वासों एवं भ्रान्तियों से मुक़ाबला नहीं किया जा सकता। इस दिशा में यह पुस्तक एक सार्थक प्रयास है। लेखक ने निष्पक्ष दृष्टि से बिना किसी पूर्वग्रह के तीन धर्मों—हिन्दू, ईसाई और इस्लाम की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए हिंसा, नारी और दासत्व के सन्दर्भ में संक्षिप्त पर तथ्यपरक व वस्तुगत विश्लेषण प्रस्तुत किया है।
धर्म का बीभत्स और बर्बर रूप आज हम देख रहे हैं। पूरे भारतीय उपमहाद्वीप और अफ़ग़ानिस्तान में धर्म के रक्तरंजित इतिहास को दोहराया जा रहा है। धार्मिक-स्थल अपराधियों के शरण-स्थल बने हुए हैं। धर्म का अपराध के साथ गठजोड़ चिन्तित करता है। भजन-कीर्तन-प्रवचन के आयोजनों और धार्मिक-स्थलों के निर्माण में बेशुमार वृद्धि हुई है, वहीं हत्या, बलात्कार, उत्पीड़न और भ्रष्टाचार बढ़े हैं। स्वयं मनुष्य अपनी नियति तथा भाग्य का निर्माता है। समता, स्वतंत्रता और न्याय प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है। कोई भी ऐसी व्यवस्था जो मनुष्य को इन अधिकारों से वंचित करती है, वह मानव-विरोधी है, चाहे वह धर्म हो या साम्राज्यवाद या फासीवाद या निजी स्वार्थों पर आधारित विकृत तथा जनविरोधी जनतंत्र। मनुष्य सर्वोपरि है, उसके ऊपर कोई नहीं, न धर्म न ईश्वर।
Dharam Ke Naam Par
Geetesh Sharma
Bhartiya Sanskriti Aur Sex
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Geetesh Sharma
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- Description: जहाँ तक 'हिन्दू संस्कृति' का प्रश्न है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुरोधाओं ने जिस रूप में इसकी व्याख्या की, पहले भी लिखा जा चुका है कि वह बहुत ही संकुचित और विकृत व्याख्या है, जो लोगों में इस संस्कृति के प्रति एक भ्रम पैदा करती है। जिन विद्वानों ने वास्तविकता पर आधारित तथ्यपरक व्याख्या की, उनको यह कहकर सिरे से ख़ारिज कर दिया गया कि उन पर पश्चिम के विद्वानों का प्रभाव है और वे एकांगी दृष्टि से संस्कृति को देखते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि वेदों से प्रारम्भ कर भारतीय संस्कृति का समग्र रूप मनुष्य की समस्त जीवन-शैली के अच्छे-बुरे पक्ष को ज़ाहिर करता है, जो समय के अनुसार बदलती रही है। हमारे देश में एक प्रचलन यह भी रहा है कि हम प्राचीन धार्मिक ग्रन्थों पर तिलक-चंदन चढ़ाते हैं, उनकी पूजा करते हैं, पर उन्हें पढ़ते नहीं हैं। पढ़ते तो संस्कृति के नाम पर जो दुष्प्रचार किया जाता रहा है, वह सम्भव नहीं था।
Bhartiya Sanskriti Aur Sex
Geetesh Sharma
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