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Ganpatichandra Gupt

Mahadevi : Naya Mulyankan

  • Author Name:

    Ganpatichandra Gupt

  • Book Type:
  • Description: प्रस्तुत पुस्तक में कवयित्री महादेवी के व्यक्तित्व, दर्शन, जीवन-दर्शन, काव्य-दर्शन, युग-बोध आदि का पहली बार गम्भीरता से विवेचन-विश्लेषण हुआ है। साथ ही महादेवी के काव्य के विभिन्न पक्षों पर भी गम्भीरता से विचार किया गया है। कवयित्री महादेवी के जीवनवृत्त एवं व्यक्तित्व, काव्य-दर्शन, दार्शनिक मान्यताएँ, जीवन-दर्शन, युग- बोध, छायावाद और महादेवी, रहस्यवाद और महादेवी काव्य में वेदना (दुःखवाद), काव्य में प्रकृति, काव्य का शैली पक्ष, काव्य रूप : गीति काव्य का मूल्यांकन, सौन्दर्यशास्त्रीय दृष्टि से, काव्यशास्त्रीय दृष्टि से, वैज्ञानिक दृष्टि से आदि कतिपय महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं का संकेत पुस्तक में मिलता है। वस्तुत: महादेवी काव्य पर लिखा गया एक सर्वश्रेष्ठ आलोचनात्मक एवं गवेशणात्मक ग्रन्थ है जिसमें महादेवी काव्य के सभी पक्षों पर पूरी गम्भीरता से विचार किया गया है।
Mahadevi : Naya Mulyankan

Mahadevi : Naya Mulyankan

Ganpatichandra Gupt

350

₹ 280

Bhartiya Evam Paschatya Kavya Siddant

  • Author Name:

    Ganpatichandra Gupt

  • Book Type:
  • Description: डॉ. गणपतिचन्द्र गुप्त के भारतीय एवं पाश्चात्य काव्य-सिद्धान्तों से सम्बन्धित मौलिक एवं विचारपूर्ण निबन्ध इस पुस्तक में संकलित हैं। पुस्तक को सर्वांगीण बनाने के लिए कुछ नए निबन्ध इसमें जोड़ दिए गए हैं। डॉ. गुप्त की पुस्तकें छात्रों और अध्यापकों में सर्वाधिक प्रचलित हैं और शैक्षिक जगत् में उन्हें प्रचुर सम्मान प्राप्त है। इसका स्पष्ट कारण उनकी भाषा-शैली और विषय पर गहरी पकड़ है। गम्भीर विषयों के मूल सिद्धान्तों की स्पष्ट समझ के अभाव में अभिव्यक्त उलझावपूर्ण और अस्पष्ट हो जाना सहज है। भारतीय और पाश्चात्य सिद्धान्तों की स्पष्ट समझ के लिए डॉ. गुप्त की प्रस्तुत पुस्तक बेजोड़ है, क्योंकि काव्य-सिद्धान्तों की मूल पुस्तकों के गहन अध्ययन-मनन के बाद लेखक ने उन्हें आत्मसात् कर इन निबन्धों की रचना की है। यही कारण है कि जिन युक्तियों का आश्रय लेखक ने ग्रहण किया है, वे उनकी अपनी हैं। निश्चय ही काव्य-सिद्धान्तों में रुचि रखनेवालों के लिए यह एक अन्यतम ग्रन्थ है।
Bhartiya Evam Paschatya Kavya Siddant

Bhartiya Evam Paschatya Kavya Siddant

Ganpatichandra Gupt

695

₹ 556

Sahityik Nibandh

  • Author Name:

    Ganpatichandra Gupt

  • Book Type:
  • Description: साहित्य का आकर्षण शक्ति सिद्धान्त, साहित्य की विकास प्रक्रिया का सिद्धान्त, बौद्धिक रस, शृंगार रस सम्बन्धी नई स्थापनाएँ, रस-निष्पत्ति, साधारणीकरण एवं साहित्य की आस्वादन प्रक्रिया सम्बन्धी नए निष्कर्ष, हिन्दी साहित्य के इतिहास का काल विभाजन एवं काव्य-परम्पराओं का नया वर्गीकरण व नामकरण, हिन्दी साहित्य की विभिन्न काव्यधाराओं का उद्दाम स्रोत एवं प्रेरणा स्रोत के सम्बन्ध में नई स्थापनाएँ, हिन्दी साहित्य के विभिन्न युगों एवं परम्पराओं की विभिन्न प्रवृत्तियों के सम्बन्ध में नए निष्कर्ष, विभिन्न कवियों, लेखकों एवं रचनाओं के विवेचन विश्लेषण एवं मूल्यांकन से उपलब्ध नूतन निष्कर्ष इत्यादि कतिपय नए विचारों, नूतन स्थापनाओं एवं मौलिक सिद्धान्तों का उल्लेख प्रस्तुत पुस्तक में किया गया है।

    यह भी एक कटु सत्य है कि अभी तक हिन्दी जगत में पूर्व परम्परा से प्राप्त या विदेशों से आयातित विचारों एवं सिद्धान्तों को ही अधिक महत्त्व दिया जाता है—स्वयं हिन्दी के आचार्यों द्वारा प्रतिपादित मौलिक सिद्धान्तों की प्राय: उपेक्षा की जाती है। विदेशी शासन की दासता के कारण हम लोगों में जिस आत्महीनता एवं लघुता का भाव विकसित हुआ था, उससे अभी तक हम पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाए हैं। विश्वास है नई पीढ़ी के अध्ययन से इस आत्महीनता की भावना से मुक्त होकर स्वतंत्र एवं मौलिक चिन्तन का सम्यक् मूल्यांकन कर सकने में समर्थ होंगे।

    प्रस्तुत संस्करण में नाटक, उपन्यास, कहानी आदि के विकास से सम्बन्धित निबन्धों में नव प्रकाशित रचनाओं का भी विवेचन करते हुए उन्हें अद्यतन रूप देने की चेष्टा की गई है।
Sahityik Nibandh

Sahityik Nibandh

Ganpatichandra Gupt

800

₹ 640

Shri Satya Sai Baba : Vyaktitva Evam Sandesh

  • Author Name:

    Ganpatichandra Gupt

  • Book Type:
  • Description: आन्ध्र प्रदेश के एक गाँव पुट्टापर्ती में 23 नवम्बर, 1926 को श्रीसत्य साईं ने जन्म लिया। इसके कुछ घंटों के बाद ही अगले दिन महर्षि अरविन्द ने अपनी दिव्य चेतना के बल पर घोषित किया कि दिव्य शक्ति धरती पर अवतरित हो गई है, वह समस्त मानवता का नेतृत्व करती हुई उसे विकास की उच्चतर मंज़िल तक ले जाएगी। अस्तु, 24 नवम्बर को अरविन्द आश्रम में ‘सिद्धि दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

    क्या दिव्य सत्ता का यह अवतरण सत्य साईं के अवतरण की घटना का पर्याय है या और कुछ?
    20 अक्टूबर, 1940 को सत्य ने विद्यालय से लौटकर अपना बस्ता फेंकते हुए घर वालों से कहा—‘मैं जा रहा हूँ। मेरे भक्त मुझे पुकार रहे हैं...अब मुझे समझाने-बुझाने का प्रयास छोड़ दो। माया हट गई है...याद रखो, मैं अब ‘साईं बाबा’ हूँ।’ 21 वर्ष की आयु में सत्य साईं ने अपने बड़े भाई के पत्र के उत्तर में लिखा—‘मेरे सामने एक महान कार्य है। मानव जाति को आनन्द प्रदान करके उसे विकसित करना। मेरा यह संकल्प है कि जो भी पथ-भ्रष्ट हैं, उन्हें सच्चाई के पथ पर लाकर उनका उद्धार कराना।...’

    ‘भगवान सत्य साईं बाबा हमारी पीढ़ी के वरदान हैं। जहाँ वे चरण रखते हैं, वही भूमि पवित्र हो जाती है। जहाँ वे बैठते हैं, वहाँ दिव्य मन्दिर बन जाते हैं।...वस्तुतः ईश्वर की परम शक्ति का ही एक रूप मानवीय अवतार के रूप में प्रकट है।’

    —वी.आर. कृष्ण अय्यर, भूतपूर्व न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट

    ‘मैं उनसे मिला, उन्हें देखा और नतमस्तक हो गया।’

    —कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी; भूतपूर्व राज्यपाल, उत्तर प्रदेश

Shri Satya Sai Baba : Vyaktitva Evam Sandesh

Shri Satya Sai Baba : Vyaktitva Evam Sandesh

Ganpatichandra Gupt

125

₹ 100

Shirdi Sai Baba : Divya Mahima

  • Author Name:

    Ganpatichandra Gupt

  • Book Type:
  • Description: ‘शिरडी साईं बाबा दिव्य महिमा’ प्रस्तुत पुस्तक की रचना भगवान श्रीशिरडी साईं बाबा की प्रेरणा से हुई है। इसमें लेखक ने शिरडी साईं बाबा के व्यक्तित्व की दिव्यता का बोध विभिन्न संस्मरणों एवं अनुभवों के माध्यम से प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है। इसका लक्ष्य शिरडी साईं के व्यक्तित्व, चरित एवं दर्शन का बौद्धिक विश्लेषण करने का नहीं था, अपितु उनसे सम्बन्धित भक्तों के अनुभवों को यथार्थ रूप में प्रस्तुत करके पाठकों को भक्ति-रस का आस्वाद प्रदान करने का रहा है। शुरू में लेखक ने अपने उन अनुभवों को प्रस्तुत किया है, जिनसे उनका शिरडी साईं बाबा के प्रति विश्वास दृढ़ हुआ। बाबा के जीवन-चरित की एक रूपरेखा संक्षेप में प्रस्तुत की गई है।

    कई भक्तों के संस्मरण प्रस्तुत किए गए हैं जो कि शिरडी साईं बाबा के समकालीन थे और जिन्हें बाबा के निकट सम्पर्क में आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। ऐसे भक्तों के भी अनुभव प्रस्तुत किए गए हैं जिन्होंने बाबा के देह-त्याग के अनन्तर भी उनकी कृपा से विभिन्न कष्टों से मुक्ति या अपने किसी लक्ष्य में सफलता प्राप्त की। इन अनुभवों से स्पष्ट है कि बाबा आज भी पूर्ण शक्ति से कार्यरत हैं तथा वे भक्तों की प्रार्थनाओं का उत्तर देते हैं।

    पुस्तक के अन्त में बाबा की एक शिष्या शिवम्माताई के द्वारा वर्णित अनुभव प्रस्तुत किए गए हैं। शिवम्माताई ने अपनी युवावस्था में ही बाबा से दीक्षा ग्रहण करके उनकी आराधना में लग गई थीं। उन्होंने उस समय की घटनाओं का आँखों-देखा हाल वर्णित किया है जिससे बाबा के सम्बन्ध में नई जानकारी मिलती है। बाबा की शिक्षाओं और उनके दिव्यत्व पर भी प्रकाश डाला गया है।

Shirdi Sai Baba : Divya Mahima

Shirdi Sai Baba : Divya Mahima

Ganpatichandra Gupt

90

₹ 72

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