Saradindu Bandyopadhyay
Byomkesh Bakshi ki Jasoosi Kahaniyan
- Author Name:
Saradindu Bandyopadhyay
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Book Type:

- Description: सारदेंदु बंद्योपाध्याय के कालजयी डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी की लोकप्रियता कई दशकों से बरकरार है। 1930 के दशक में ‘किरदार’ की रचना के साथ वह कलकत्ता के घर-घर में लोकप्रिय हुए और फिर 1990 के दशक में टी.वी. पर जाना-माना चेहरा बने। अपने दोस्त और हमजोली अजीत के साथ ब्योमकेश शायद भारत के सबसे चहेते साहित्यिक डिटेक्टिव में से एक हैं। इस संग्रह में तीन ऐसी पहेलियाँ हैं, जिन्हें उन्होंने सुलझाया। अनेक संदिग्धों वाले बोर्डिंग हाउस में हुए एक मर्डर से लेकर उस पहेली तक, जिसमें एक अलौकिक मोड़ भी है, और फिर ग्रामीण बंगाल में कालाबाजारी के गिरोह का भंडाफोड़ करने तक, इन कहानियों के जरिए सच की तलाश में यह लोकप्रिय डिटेक्टिव तमाम इलाकों में जाता है। इस दौरान उसकी प्रतिभा व चतुराई देखने को मिलती है। ‘क्विल्स ऑफ द पॉरक्यूपाइन’ में चतुर डिटेक्टिव कमाल के फॉर्म में है, जब वह बड़ी दक्षता से एक क्रूर अवसरवादी की साजिश का भंडाफोड़ करता है।
Byomkesh Bakshi ki Jasoosi Kahaniyan
Saradindu Bandyopadhyay
Byomkesh Bakshi ki Romanchkari Kahaniyan
- Author Name:
Saradindu Bandyopadhyay
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Book Type:

- Description: "वर्ष 1932 में जब सारदेंदु बंद्योपाध्याय ने डिटेक्टिव फिक्शन में अपना हाथ आजमाने का फैसला किया, जिसे बंगाल की साहित्यिक दुनिया में उस समय तुच्छ समझकर हेय दृष्टि से देखा गया, तब उन्होंने सोचा नहीं था कि एक दिन ब्योमकेश बख्शी बांग्ला साहित्य के सबसे लोकप्रिय और लंबे समय तक मशहूर रहनेवाले किरदारों में से एक बना जाएगा। भले ही इसे कॉनन डॉयल के होम्स और चेस्टरटन के फादर ब्राउन की तर्ज पर गढ़ा गया है, ब्योमकेश के छानबीन का अपना ही अंदाज है, जो पेशे से नहीं बल्कि अपने शौक से डिटेक्टिव हैं, और कई पीढि़याँ उसके पाठकों में शामिल हैं। सभी कहानियाँ पचास और साठ के दशक के कलकत्ता की पृष्ठभूमि की हैं। प्रस्तुत संग्रह चार अनसुलझी गुत्थियों को सामने लाता है, जो इस डिटेक्टिव की बौद्धिक चुस्ती की जबरदस्त परीक्षा लेती हैं। ‘द मेनाजरी’ (दिग्गज फिल्म निर्माता सत्यजीत रे ने 1967 में इस कहानी पर ‘चिडि़याखाना’ फिल्म बनाई थी) में ब्योमकेशजी ने एक विचित्र केस सुलझाया था, जिसमें मोटर के टूटे हुए पुरजे थे, स्वाभाविक सी लगने वाली मौत थी, और गोलाप कॉलोनी के विचित्र निवासी थे, जो अपने दागदार अतीत को छिपाने के लिए कुछ भी करने की क्षमता रखते थे।"
Byomkesh Bakshi ki Romanchkari Kahaniyan
Saradindu Bandyopadhyay
Byomkesh Bakshi ki Rahasyamayi Kahaniyan
- Author Name:
Saradindu Bandyopadhyay
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Book Type:

- Description: सारदेंदु बंद्योपाध्याय की विशिष्टता उनके जासूसी लेखन के अतिरिक्त उनकी अद्वितीय लेखन-शैली के साथ-साथ उनके चरित्रों का सूक्ष्म जीवंत चित्रण है। बीसवीं सदी के प्रारंभ के बंगाल में लेखक और पाठक समान रूप से अपराध और जासूसी साहित्य को नीची निगाहों से देखते थे। सारदेंदु बंद्योपाध्याय ने पहली बार उस लेखन को सम्मानीय स्थान दिलाया। इसका एक बड़ा कारण यह था कि उनके पूर्व के लेखक पंचकोरी दे और दिनेंद्र कुमार अंग्रेजी के जासूसी लेखक आर्थर कोनान, डोएल, एडगर एलन पो, जी.के. चेस्टरसन तथा अगाथा क्रिस्टी से प्रभावित होकर लिखते थे, जबकि सारदेंदु के चरित्र और स्थान अन्य जासूसी उपन्यासों के विपरीत, भारतीय मूल और स्थल के परिवेश में जीते हैं। उनके लेखन का विनोदी स्वभाव पाठक को अनायास कथा के दौरान गुदगुदाता रहता है। ब्योमकेश का साहित्य न केवल अभूतपूर्व जासूसी साहित्य है बल्कि सभी समय और काल में, समाज के सभी वर्गों के युवाओं और वृद्धों में समान रूप से सदैव लोकप्रिय बना रहा है। पाठक इन रहस्य भरी कहानियों को उनके जीवंत लेखन के लिए, अंत जानने के बावजूद, बार-बार पढ़ने के लिए लालायित रहता है। किसी भी लोकप्रिय साहित्य में यह एक अद्वितीय उपलब्धि मानी जाती है और यही उपलब्धि सारदेंदु के ब्योमकेश बक्शी साहित्य को सत्यजीत राय के प्रसिद्ध उपन्यास ‘फेलूदा के कारनामे’ के समान हमारे समय के ‘क्लासिक’ का स्थान दिलाती है।