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Dr. Bholanath Tiwari

Amir Khusro

  • Author Name:

    Dr. Bholanath Tiwari

  • Book Type:
  • Description: अमीर खुसरो फरसी, अरबी, तुर्की, संस्कृत तथा हिंदी के विद्वान् थे। उनका मूल नाम अबुल हसन था। 'खुसरो' उनका उपनाम था, जो आगे चलकर इतना चर्चित हुआ कि लोग उनका असली नाम ही भूल गए |जलालुद्दीन खिलजी ने उनकी कविता से प्रसन्न होकर उन्हें 'अमीर' का खिताब दिया, तब से वे 'अमीर खुसरो' कहे जाने लगे । खुसरो ने दस वर्ष की उम्र में ही काव्य-रचना शुरू कर दी थी। उन्होंने दर्शन, धर्मशास्त्र, इतिहास, युद्धविद्या, व्याकरण, ज्योतिष, संगीत आदि का गहन अध्ययन किया। उनकी पुस्तक 'लैला मजनू' से पता चलता है कि उनकी एक पुत्री तथा तीन पुत्र थे। खुसरो में देशप्रेम कूट-कूटकर भरा था। उन्हें अपनी मातृभूति भारत पर बड़ा गर्व था। उन्होंने एक स्थान पर कहा है-'मैं हिंदुस्तान की तूती हूँ। अगर तुम वास्तव में मुझसे जानना चाहते हो तो हिंदवी में पूछो, मैं तुम्हें अनुपम बातें बता सकूँगा।' खुसरो ने कई लाख शेर लिखे । इनकी कृतियों की संख्या ९९ बताई जाती है, परंतु अभी तक ४५ कृतियों का ही पता चला है। अमीर खुसरो एक बहुत अच्छे गायक और संगीतशास्त्री भी थे। संगीत के वाद्य और गेय दोनों ही क्षेत्रों में इनका योगदान रहा है। कई भाषाओं के प्रकांड विद्वान् और आपसी सद्भाव के प्रतीक अमीर खुसरो के जीवन-प्रसंग और उनके रचनासंसार से परिचित करानेवाली अनुपम पुस्तक।
Amir Khusro

Amir Khusro

Dr. Bholanath Tiwari

250

₹ 200

Chitramaya Bal Kosh

  • Author Name:

    Dr. Mukul Priyadarshini +1

  • Book Type:
  • Description: यह शब्दकोश प्राथमिक और पूर्व-माध्यामिक कक्षाओं के छात्रों के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (NCERT) द्वारा प्रकाशित पुस्तकों के आधार पर संपादित किया है। इस कोश में साधारण, प्रचलित और सरल शब्दों को नहीं रखा गया है— सिवा उनके जो अनेकार्थी हों। इसमें शब्दों के सभी सामान्य अर्थ नहीं दिए गए है।
Chitramaya Bal Kosh

Chitramaya Bal Kosh

Dr. Mukul Priyadarshini

700

₹ 560

Rajbhasha Hindi

  • Author Name:

    Dr. Bholanath Tiwari

  • Book Type:
  • Description: "भारतीय संवि‍धान में ‘राजभाषा’ के रूप में हिंदी को स्वीकृति मिले काफी समय हो गया है; किंतु अभी तक इससे संबद्ध सारी बातें पुसतक रूप में नहीं आ सकी हैं। प्रसिद्ध भाषा-शास्‍त्री डॉ. भोलानाथ तिवारी ने इस पुस्तक में पहली बार राजभाषा के रूप में हिंदी के उद‍्भव, विकास, उसकी वर्तमान स्थिति तथा उसके मानकीकरण, आधुनिकीकरण एवं अन्य समस्याओं को विस्‍तार से लिया है; साथ ही उन समस्याओं के समाधान के लिए यथास्‍थान सुझाव भी दिए हैं। राजभाषा से राष्‍ट्रलिपि की समस्या भी जुड़ी है। अत: यहाँ नागरी लिपि के ऐसे रूप पर भी विस्‍तार से विचार किया गया है, जो सभी भारतीय भाषाओं के लेखन में प्रयुक्‍त हो सके। इसमें परिवर्द्ध‌ित देवनागरी के अनेक चार्ट दिए हैं, जिनसे भारत की सभी लिपियों के साथ इसका तुलनात्मक अध्ययन सुगम हो गया है। पुस्तक का यह दूसरा संस्करण है — पूरी तरह संशोधित और परिवर्द्ध‌ित। इसमें अनेक नई चीजें जुड़ने से पहले संस्करण की तुलना में इसकी उपयोगिता और भी बढ़ गई है। "
Rajbhasha Hindi

Rajbhasha Hindi

Dr. Bholanath Tiwari

400

₹ 320

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