Braj Kishore Kuthiala

Braj Kishore Kuthiala

4 Books

Bharat 2047

  • Author Name:

    Braj Kishore Kuthiala

  • Book Type:
  • Description: दीर्घकाल तक भारतवर्ष का विश्व के श्रेष्ठ राष्ट्रों में सम्मानित स्थान था। कालांतर में आक्रांताओं के कारण भारत की प्रतिष्ठा धूमिल हुई। स्वाधीनता के पश्चात्‌ देश का पुनरुत्थान एवं विकास तीक्रगति से हुआ है। स्वाधीनता के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आगामी 25 वर्षों के पश्चात्‌ अर्थात्‌ स्वाधीनता के 100वें वर्ष में भारत कैसा होगा? कैसा होना चाहिए? हमारे संकल्प कया हैं ? ये सब संवाद एवं विमर्श इस पुस्तक का मुख्य विषय है, जिसमें राष्ट्र जीवन के विभिन्‍न आयामों पर बुद्धिशील वर्ग के 16 प्रतिनिधियों ने सपनों के भारत और संभावित वास्तविकता पर लेखन के माध्यम से संवाद किया है। ग्रामीण जीवन से लेकर वैश्विक भारत, धर्म-संस्कृति के साथ-साथ टेक्नोलॉजी, वित्तीय व्यवस्थाओं व राष्ट्रीय सुरक्षा आदि से संबंधित 100 वर्ष की आयु के भारत के स्वरूप की कल्पना शब्दों के माध्यम से प्रस्तुत की गई है। कुल मिलाकर भारतीय समाज का सामूहिक सपना इन प्रकाशनों में प्रस्तुत है। पंचनद शोध संस्थान द्वारा आयोजित इस संवाद में राष्ट्र के बौद्धिक योद्धाओं ने मन की बात की है। संस्थान मानता है कि आलेखों में केवल सपना या कल्पना नहीं है, इसे कार्ययोजना भी माना जा सकता है।
Bharat 2047

Bharat 2047

Braj Kishore Kuthiala

450

₹ 360

Bharat 2047 (English-PB)

  • Author Name:

    Braj Kishore Kuthiala

  • Book Type:
  • Description: Awating description for this book
Bharat 2047 (English-PB)

Bharat 2047 (English-PB)

Braj Kishore Kuthiala

500

₹ 400

SAMVAD KA SWARAJ

  • Author Name:

    Braj Kishore Kuthiala

  • Book Type:
  • Description: वर्तमान में भारतीय संस्कृति, सभ्यता एवं दर्शन की उपयोगिता को समस्त संसार स्वीकार कर रहा है और भारतीय मनीषा को आधुनिक संदर्भों में सरलता से प्रस्तुत करने का महत्त्वपूर्ण कार्य विद्वानों से अपेक्षित है। संचार विज्ञान एवं मीडिया के संदर्भ में भारतीय सोच एवं दृष्टि पर गिने-चुने विद्वानों ने ही लिखा है। संचारविज्ञानी प्रो. बृज किशोर कुठियाला किसी भी समाज में संचार को आधारभूत एवं सहज गतिविधि मानते हैं और वे समाज-केंद्रित व समाज हितैषी मीडिया के पक्षधर हैं। उनके लेख भारतीय पौराणिक ग्रंथों का संदर्भ लेकर आधुनिक संचार माध्यमों को न केवल नई दृष्टि प्रदान करते हैं बल्कि मीडिया और समाज के बीच के संबंधों को नए संदर्भों में पुनर्भाषित करते हैं। मीडिया के लिए नूतन आदर्शों की रूपरेखा तैयार करते हुए ये लेख मानव उत्थान एवं सनातन सरोकारों की बात करते हैं। पुस्तक में रामायण, महाभारत, भगवद्गीता, उपनिषद, पुराण, स्मृतियों एवं लोक जीवन के विभिन्न चरित्रों, श्लोकों, घटनाओं इत्यादि की आधुनिक संदर्भों में सरल व्याख्या की गई है। विस्तृत साक्षात्कार समकालीन विषयों पर उनके प्रेरक विचारों को जानने का अवसर प्रदान करता है। इस संग्रह के सारगर्भित लेख मीडिया शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों एवं उन सभी पाठकों के लिये उपयोगी व रोचक साबित होंगे जिनकी भारतीय सोच में रुचि है। —प्रो. देवव्रत सिंह
SAMVAD KA SWARAJ

SAMVAD KA SWARAJ

Braj Kishore Kuthiala

340

₹ 272

Bharatiya Jeevan Drishti

  • Author Name:

    Braj Kishore Kuthiala

  • Book Type:
  • Description: भारतीय जीवन दृष्टि प्रो. बृज किशोर कुठियाला का जीवन और दर्शन उनके लेखों में व्यापक रूप से दृश्यमान है, जो भारतीय संस्कृति का प्रतिमान है। जीवन पंचतत्त्व से उत्पन्न और पंचतत्त्व में समा जाने की यात्रा का वृत्तांत है। तत्त्वों के पारस्परिक उपयुक्त साहचर्य ही संतुलन कारक हैं। आत्मा और परमात्मा का संबंध देह से देहावसान तक और फिर मुक्ति की बैकुंठी भारतीय पुराणों में पढ़ने को मिलती है। जीवन एक सतत प्रवाह है, हमारे बाद भी चलेगा। ‘ब्रह्मसत्यम जगद् मिथ्या’ या ‘अहम् ब्रह्मास्मि तत्त्वमसि’ सूत्र वाक्य बहुत कुछ कह जाते हैं। संवाद जोड़ने का काम करता है, विवाद तोड़ने का। भारतीय संस्कृति समग्रता की दृष्टि से अस्तित्व में है। प्रो. कुठियाला के लेख वेदांत दर्शन अथवा एकात्म मानवदर्शन की भावना को व्यक्त करते हैं। भारतीय चिंतन में देवऋण, ऋषिऋण और पितृऋण से मुक्ति की बातें हैं। व्यक्ति पर समाज का ऋण भी है। मनुष्य राष्ट्रकल्याण, समाज-कल्याण, और लोक-कल्याण से इस ऋण से मुक्त हो सकता है। इसके लिए आवश्यक है हम लोक के साथ संवाद बनाए रखें। वादे वादे जायते तत्त्व बोधः। बात करते रहने से तत्त्व मिलता है। नारद और ब्रह्माजी, शौनकादि ऋषि और सूतजी, कृष्ण और अर्जुन, काकभुशुण्डि और गरुड़जी, आचार्य मंडन मिश्र और आदि-शंकराचार्य से जो ज्ञान मिला वह केवल मानव कल्याण के लिए नहीं है, बल्कि समस्त ब्रह्मांड के लिए है। प्रो. कुठियाला के लेखों में यह मंतव्य पढ़ने के बाद एहसास होगा। सभी लेख चिंतन, मनन और ज्ञानवर्धन के लिए उपयोगी हैं। —पार्थसारथि थपलियाल
Bharatiya Jeevan Drishti

Bharatiya Jeevan Drishti

Braj Kishore Kuthiala

500

₹ 400

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