Arvind Kumar
Julius Caesar
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Arvind Kumar +1
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- Description: महाकवि विलियम शैक्सपीयर कृत जूलियस सीज़र मूल अँगरेजी टैक्स्ट और हिंदी काव्यानुवाद शैक्सपीयर की भाषा ऐलिज़ाबेथ कालीन अँगरेज़ी है। वह आज के अँगरेज़ों के लिए भी सहज नहीं है। जब मैंने पहली बार उसे पढ़ा था, तो पूरी तरह उस का मज़ा नहीं ले पाता था। बार-बार कोश देखने से और अँगरेज़ी के नोट पढ़ने से तो मज़ा और भी किरकिरा हो जाता था। जो हिंदीभाषी इस नाटक का अँगरेज़ी पाठ ही पढ़ना चाहते हैं, उनके लिए उसके सामने दिया गया हिंदी पाठ सहायक ग्रंथ का काम करेगा। कई विश्वविद्यालयों में जूलियस सीजर अँगरेज़ी कोर्स में भी है। उस के छात्रों के लिए तो यह वरदान सिद्ध हो सकता है। शैक्सपीयर के नाटक अभिनय कला के प्रदर्शन का पूरा अवसर देते हैं। जूलियस सीज़र में हमारे भारतीय उपमहाद्वीप में पिछले अनेक दशकों से जो राजनीतिक घटनाक्रम चलता आ रहा है, उस की झलक भी दिखाई देती है। अनेक विद्यालयों के छात्रों के नाट्य मंडल और शहर-शहर की उत्साही नाट्य मंडलियाँ अँगरेज़ी में जूलियस सीज़र का मंचन करते हैं। लेकिन उनके दर्शक शैक्सपीयर के भावों का पूरा आस्वादन नहीं कर पाते। इस अनुवाद के मंचन से ऐसे नाट्य मंडल शैक्सपीयर की भावभूमि को जन साधारण तक पहुँचा पाएँगे।
Julius Caesar
Arvind Kumar
Sahaj Gita
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Arvind Kumar
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- Description: गीता के अनगिनत अनुवादों और भाष्यों के बावजूद आज ऐसे संस्करण उपलब्ध नहीं हैं जो आम आदमी को गीता पढ़ने में और उसके उपदेशों के बारे में निजी राय क़ायम करने में बहुत सहायता दे सकें—हालत यह है कि आम आदमी न तो गीता का मूल संस्कृत पाठ पढ़ पाता है, न अधिकतर अनुवादों की उलझी भाषा के कारण श्लोकों के अर्थ समझ पाता है—पाठकों की कठिनाइयाँ दूर करने के लिए यह सहज संस्करण एक साथ दो काम करता है—इसमें गीता के मूल संस्कृत पाठ को आम आदमी की सुविधा मात्र के लिए एक बिलकुल नई और सहज शैली में लिखा गया है—इस शैली के कारण संस्कृत के श्लोकों को पढ़ना काफ़ी हद तक सहज हो गया है। कहीं भी गीता के प्रवाह में व्यवधान नहीं आया है और न कहीं किसी प्रकार संस्कृत व्याकरण की हानि हुई है—वहीं इसमें गीता के श्लोकों का हिन्दी गद्य अनुवाद सीधे-सादे और छोटे-छोटे वाक्यों में किया गया है—भाषा आसान, आधुनिक और गैर–पंडिताऊ है, जिसे आज का आम पाठक बड़ी सहजता से समझ सकता है।
Sahaj Gita
Arvind Kumar
Shabdeshwari
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Arvind Kumar +1
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दर्शन और चिंतन के क्षेत्र में भारत ने, विशेषकर सनातन धर्म ने, विश्व को एक विशद शब्दावली दी है। अमूर्त धारणाओं के मनन के लिए मूर्त प्रतीक और शब्द दिए है। उस दार्शनिक शब्दावली और बिंब विधान की बराबरी संसार की कोई अन्य संस्कृति शायद ही कर पाए...देवीदेवताओं के अनेक नाम अमूर्त धारणाओं के प्रतीक हैं। कई बार इन नामों में छिपा होता है एक पूरा दार्शनिक, सांस्कृतिक और सामाजिक, राजनीतिक इतिहास। कई बार इन में आयुर्वेद, ज्योतिष, गणित, व्याकरण और पिंगल शास्त्रों के प्रतिबिंब मिलते हैं। इन में होती हैं जन साधारण की आकांक्षाएँ, भावनाएँ, मान्यताएँ, विश्वज्ञान की उन की समझ...सूर्य, कुंती, कर्ण और व्यास के नामों में कोई ज्यामितीय संदर्भ है या धूपघड़ी का प्रतीक? अनजुती भूमि की प्रतीक अहल्या का उद्धार और जुती भूमि की प्रतीक सीता का स्वयंवर एक ही सिक्के के दो पहलू हैं क्या?
पौराणिक नामों के आग्रहहीन भाषाशास्त्रीय अध्ययन से हम बहुत कुछ जान सकते हैं।
हमारे सांस्कृतिक इतिहास के अध्ययन में नामों के भाषाशास्त्रीय अध्ययन को नणण्य स्थान मिलता रहा है। इस का एक कारण है ऐसे नामों के आधुनिक संकलनों का अभाव। शब्देश्वरी के द्वारा अरविंद कुमार दंपती ने इस कमी को दूर करने का प्रयास किया है।
एक ओर यह संकलन साधारण विश्वासी जन, पंडितों और पुजारियों के लिए रोचक होगा, तो दूसरी ओर सांस्कृतिक शोध में लगे विद्वान भी इसे उपयोगी पाएँगे...
Shabdeshwari
Arvind Kumar
Arvind : Sahaj Samantar Kosh
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Arvind Kumar +1
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- Description: ‘अरविंद सहज समान्तर कोश’ शब्दकोश भी है और थिसारस भी! किसी भी समर्थ भाषा की समृद्धि का सूचक उसका शब्दकोश होता है। जहाँ भाषा की शब्द-सम्पदा को वैज्ञानिक विधि से व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इस दृष्टि से यह कोश अपनी तरह का पहला ऐसा शब्द-भंडार है जो प्रकृति से तो थिसारस है किन्तु जिसका विन्यास कोशों की तरह हुआ है—अकारादि क्रम में। शब्दों के अर्थ बताने के साथ-साथ अर्थों के शब्द खोजने में भी सक्षम इस कोश में शब्दों के पर्याय, सपर्याय और विपर्याय भी सम्मिलित हैं जिसके कारण दावे के साथ कहा जा सकता है कि यह कोश अपने आपमें आवश्यक शब्द-सूचनाओं से भरपूर एक सम्पूर्ण ज्ञान-विज्ञान कोश की विशेषताएँ समेटे हुए है। अपने स्वरूप में यह शब्दार्थ कोश, समान्तर कोश और ‘इंडेक्स’ की विशेषताओं से सम्बद्ध और विपरीत शब्दों के क्रौस रेफरेंस तलाशे जा सकते हैं और इस कोश में मुहावरों और प्रचलित वाक्यांशों का भी खजाना है। इस कोश में भारतीय एवं अन्तरराष्ट्रीय शब्दमालिका को उतना ही महत्त्व दिया गया है जितना कि बदलते परिवेश में अधुनातन प्रामाणिक शब्दावली को। इस कोश में अठहत्तर हज़ार नौ सौ पंचानबे चुनी हुई अभिव्यक्तियों सहित पौने पाँच लाख से भी अधिक शब्द हैं, पर्याय और सम्बद्ध शब्दों के संकेतकों के साथ, अर्थात् यह कोश भाषा को वास्तविक ढंग से परिपुष्ट करनेवाले हर तरह के तत्त्वों को समेटे हुए है। सटीक शब्द के चुनाव, किस सन्दर्भ के लिए कौन-सा शब्द उचित रहेगा या किसी अवधारणा को किस पारिभाषिक शब्द में अभिव्यक्त किया जा सकता है, आदि के लिए यह कोश समर्थ सहायक सिद्ध होगा।
Arvind : Sahaj Samantar Kosh
Arvind Kumar
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