Rajendra Tiwari

Rajendra Tiwari

2 Books

Mrityu Kaise Hoti Hai? Phir Kya Hota Hai?

  • Author Name:

    Rajendra Tiwari

  • Book Type:
  • Description: मृत्यु जीवन का अटल सत्य है; यह अवश्यंभावी है। काल को जीतना लगभग दुर्लभ एवं असंभव है। इसलिए जीव मृत्यु के भय में रहता है। अनगिनत-अनजाने प्रश्न और शंकाएँ उसके मन-मस्तिष्क को जकड़े रहती हैं। विज्ञान लेखक श्री राजेंद्र तिवारी ने गहन शोध और अध्ययन करके जटिल व दुरूह ‘मृत्यु’ के बारे में विवेचना की है। प्रस्तुत पुस्तक उनकी अब तक के प्रयासों से प्राप्त तथ्यों और उनसे निसृत निष्कर्षों की अभिव्यक्ति है। शरीर के अंदर कुछ रहता अवश्य है, जिसके बाहर जाते ही शरीर मृत हो जाता है। वह कुछ क्या है? प्राणों के निष्क्रमण की प्रकिया कष्टदायी है अथवा वस्त्र बदलने की भाँति एक सहज क्रिया? मृत्यु के उपरांत नया परिवेश प्राप्त होने तक आत्मा कहाँ विचरण करती है? क्या पुनर्जन्म होता है? क्या लोक और परलोक हैं? कर्म का सिद्धांत क्या है? क्या सद्कर्म-दुष्कर्म अर्थात् कर्म के रूप भाग्य और भविष्य की रचना करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं? क्या स्वर्ग और नरक हैं? यदि हैं तो कहीं और हैं अथवा इसी पृथ्वी पर? पुस्तक में मृत्यु के समय एवं मृत्युपर्यंत के अनुभव प्रमाण सहित प्रस्तुत किए गए हैं। संदेश यह है कि ‘सुधर जाओ अन्यथा मृत्यु के समय व पश्चात् कष्ट-ही-कष्ट हैं।’ मृत्यु से भयभीत नहीं होना है, बल्कि जिसने भी मृत्यु के रहस्य को जान लिया, अज्ञात व अंधकारमय प्रश्नों से परदा हटकर ज्ञान के प्रकाश से अवगत हो गया, उसे मृत्यु से कभी भी भय नहीं लगेगा|
Mrityu Kaise Hoti Hai? Phir Kya Hota Hai?

Mrityu Kaise Hoti Hai? Phir Kya Hota Hai?

Rajendra Tiwari

250

₹ 200

Aanand Ki Raah (Hindi)

  • Author Name:

    Rajendra Tiwari

  • Book Type:
  • Description: विश्व में अशांति, कलह, संघर्ष, युद्ध, नकारात्मकता, ईर्ष्या, अहम् की प्रतिस्पर्धा में शांतिविहीन समाज का स्वरूप बन रहा है, जिस कारण अभाव, अपूर्णता, असंतुष्टता पनप रही है। व्यक्ति का आंतरिक सुख व आनंद विलुप्त हो रहा है। प्रश्न यह है कि हमारा मन शांत और संतुष्ट कैसे हो व हम आनंद कैसे प्राप्त करें? प्रस्तुत पुस्तक में विद्वान् लेखक ने स्पष्ट किया है कि अध्यात्म का तात्पर्य किसी धर्म-विशेष से नहीं है, बल्कि इससे व्यक्ति को सही व गलत के भेद को स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का रास्ता मिलता है, विवेकशीलता जाग्रत् होती है। आध्यात्मिक चिंतन में द्वंद्व और भेदभाव नहीं है। यह विषय सिर्फ संत-महात्माओं और भक्ति के क्षेत्र से जुडे़ व्यक्तियों के लिए ही नहीं है, बल्कि इसकेमाध्यम से मनन करके हम आनंद की राह खोज सकते हैं। हमें हमारे शिक्षणकाल में उस ज्ञान को परोसा ही नहीं जा रहा है जो आनंद के आभास की राह बताता हो। जीवन का उद्देश्य आनंद में रहने का है। मनुष्य के नैसर्गिक गुणों में द्वंद्व, भ्रम, अवसाद, चिंता, व्यग्रता, असंतोष, असंतुलन, क्लेश आदि ग्राह्य नहीं हैं। प्रसन्न रहना एक स्वाभाविक गुण है। अतः जीवन में संतोष और उल्लास प्राप्त करने के लिए मानवीय गुण तथा आध्यात्मिक-सांस्कृतिक चिंतन प्राप्त करने के लिए प्रसन्न रहिए, आनंदित रहिए। इसी से जीवन में आनंद की राह प्रशस्त होगी। व्यावहारिक जीवन में आनंद का एकमात्र साधन आध्यात्मिक चिंतन है। पुस्तक की प्रस्तावना मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति माननीय श्री जस्टिस आनंद पाठक ने प्रस्तुत की है।
Aanand Ki Raah (Hindi)

Aanand Ki Raah (Hindi)

Rajendra Tiwari

300

₹ 240

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