Vandana Rag
Sarakfanda
- Author Name:
Vandana Rag
-
Book Type:

- Description: बिट्टो अपनी माँ लाजो के जीवन और समय को समझने की यात्रा पर निकली है, जिनकी पत्थर मारकर हत्या कर दी गई है। बिट्टो के स्कूली दोस्तों का एक समूह है जहाँ भिन्न धार्मिक पहचान रखनेवाले ‘दोस्त’ समूह से बाहर खदेड़ दिए गए हैं; और बिट्टो जो इस बँटवारे के ख़िलाफ़ है, उससे पूछा जा रहा है कि “सू, हमेशा गुस्से में क्यों रहती है आजकल तू?” यह रोमान के ख़त्म होने और उसके कॉम्प्लिकेटेड होते जाने का भी आख्यान है। ‘सरकफंदा’ विभाजन की डरावनी निरन्तरता के बारे में है, जहाँ लोग देश से प्यार का दम तो भरते हैं लेकिन आपसी बन्धुत्व की भावना को ख़त्म करने में लगे हैं। ‘सरकफंदा’ का एक सिरा गुलाम भारत में खुलता है दूसरा निपट वर्तमान में। दोनों के बीच वह भविष्य है जिस पर यह कसता ही जा रहा है। इस उपन्यास में बिल्ला उर्फ़ लाइब्रेरियन एक अद्भुत रूपक और रिलीफ़ की तरह उपस्थित है जो अतीत और वर्तमान, भ्रम और ज्ञान के सरकफंदे के बीच निर्लिप्त आवाजाही रखता है और वर्तमान पर क़ाबिज़ घातक परछाइयों के बीच अपने खेल से जीवन की स्वाभाविकता को राह दिखलाता चलता है। लाजो और बिट्टो का सिनेमची होना भी वह दूरी सम्भव करता है कि घट रहे को उसके घटाटोप से ज़रा दूर होकर देखा जा सके। हमारे समय के यथार्थ की सघन, आवेग-भरी, कलात्मक दुनिया।
Sarakfanda
Vandana Rag
Yutopiya
- Author Name:
Vandana Rag
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Book Type:

- Description:
वन्दना राग अपने समय की ऐसी कथाकार हैं, जिन्हें किसी पूर्वग्रह समाहित ढाँचे में नहीं बाँधा जा सकता है। वे अपनी कथा-रचना की प्रक्रिया के दौरान ही सारे स्थापित ढाँचों का अतिक्रमण कर अपने लिए सर्वाधिक नया स्पेस बनाती चलती हैं। एक बिन्दास, खुले, यायावर समान। यही नयापन उनके विविध आयामी कृतित्व में उद्भासित होता है। उनके यहाँ थीम्स और पात्रों का सीमा-बन्धन नहीं है। वहाँ स्त्री, पुरुष, दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक और वंचित सभी हैं और वे सभी अपने संश्लिष्ट और मनुष्यगत स्वरूपों में हैं। वे अपनी अच्छाइयों और बुराइयों समेत अपने समय से मुठभेड़ करते हैं। उनकी चिन्ताओं में अतीत के शेष प्रश्न और भविष्य के विज़न शामिल हैं। इस तरह वन्दना राग लगातार अपने समय का क्रिटीक रचती हैं। उनकी सर्वाधिक चर्चित कहानी ‘यूटोपिया’ साम्प्रदायिकता जैसे नाज़ुक विषय को एक नए अन्दाज़ में उठाती है। रोमान से हटकर यह कहानी साम्प्रदायिकता बोध और साम्प्रदायिक अस्मिताओं के संघर्ष की उस कठोर स्थापना को रेखांकित करती है, जिसके आगे प्रेम, मनुष्यता अथवा अन्य कोमल भावनाओं के लिए कोई स्थान बचा नहीं रह जाता। यह हमारे समय की सबसे बड़ी त्रासदी है।
इसी प्रकार कहानी ‘कबिरा खड़ा बज़ार में’ और ‘शहादत और अतिक्रमण’ स्त्री की पहचान तथा स्त्री की शारीरिक, मानसिक तथा आत्मिक स्वाधीनता के मार्ग को तलाशनेवाले संघर्षों की कहानियाँ हैं। अपनी कहानियों में वन्दना अनेक बार उन विषयों को भी उठाती हैं, जिन्हें समाज चुप कर देता है। उन चुप, कुंठित, वैचारिक, सामाजिक तथा अवश मानसिक स्थितियों को वे शब्द देती हैं। ‘नमक’, ‘छाया युद्ध’, ‘टोली’ तथा ‘नक़्शा और इबारत’ इस तरह की प्रामाणिक कहानियाँ हैं।
वन्दना का नज़रिया सूक्ष्म अन्तर्दृष्टि वाला है। उनमें हाज़िर-जवाबी और व्यंग्य वाला हास्यबोध है और भावनाओं की अतल गहराई को छूनेवाला कौशल भी। मगर सबसे बड़ी बात यह है कि वे एक धुनी क़िस्सागो हैं। उनकी भाषा चुस्त और सधी हुई है और उसमें विचारों का प्रवाह रवानगी भरा है।
आज के इस हाय-तौबा वाले युग में उनकी कहानियाँ समय की विडम्बनाओं का साहसी प्रतिमान रचती हैं। इसीलिए हमें उन्हें और भी गम्भीरता से देखने की ज़रूरत है।
Yutopiya
Vandana Rag
Hijarat Se Pahale
- Author Name:
Vandana Rag
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Book Type:

- Description:
सूक्ष्म अन्तर्दृष्टि और गहरे भावनात्मक प्रवाह की धनी कथाकार वंदना राग का यह नया कहानी-संग्रह उनके कथाकार की क्षमताओं के नए क्षितिजों से परिचित कराता है। परिपक्व भाषा-संस्कार और अपने पात्रों के माध्यम से अपने समय-समाज के स्याह-सफ़ेद पर वयस्क दृष्टि डालते हुए वंदना राग अपनी कहानियों में जीवन की जिन विडम्बनाओं और छवियों को चिह्नित करती हैं, उनसे हम अपने समय के ख़ाली स्थानों को समझ और पकड़ सकते हैं।
वंदना राग के पात्र अपनी संश्लिष्टता और वैविध्य में अपने समकालीन सच्चाइयों को इतने विश्वसनीय ढंग से उजागर करते हैं कि उनकी कहानियाँ अपने समय की समीक्षा करती नज़र आती हैं। जिए हुए और जिए जा रहे अपने वक़्त का साक्ष्य उनकी भाषा में भी दिखाई देता है जो सिर्फ़ कहानी को बयान नहीं करती, उसकी अन्तर्ध्वनियों को चिह्नित भी करती जाती हैं।
इस संग्रह में शामिल दसों कहानियाँ इस तथ्य की साक्षी हैं कि हिन्दी की युवा कहानी अपने कथ्य के ज़रिए अपने वक़्त को जितनी गम्भीरता से पकड़ने की कोशिश कर रही है, वह उल्लेखनीय है, और वंदना राग ने इस परिदृश्य में अपनी सतत और रचनात्मक उपस्थिति से बार-बार भरोसा जगाया है। संग्रह में शामिल ‘विरासत’, ‘क्रिसमस कैरोल’, ‘मोनिका फिर याद आई’ और ‘हिजरत से पहले’ जैसी कहानियाँ पाठकों को लम्बे समय तक याद रहेंगी।
Hijarat Se Pahale
Vandana Rag
Bisat Par Jugnu
- Author Name:
Vandana Rag
-
Book Type:

- Description:
‘बिसात पर जुगनू’ सदियों और सरहदों के आर-पार की कहानी है। हिन्दुस्तान की पहली जंगे-आज़ादी के लगभग डेढ़ दशक पहले के पटना से शुरू होकर यह 2001 की दिल्ली में ख़त्म होती है। बीच में उत्तर बिहार की एक छोटी रियासत से लेकर कलकत्ता और चीन के केंटन प्रान्त तक का विस्तार समाया हुआ है। गहरे शोध और एतिहासिक अन्तर्दृष्टि से सम्पन्न इस कथा में इतिहास के कई विलुप्त अध्याय और उनके वाहक चरित्र जीवन्त हुए हैं। यहाँ 1857 के भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम की त्रासदी है तो पहले और दूसरे अफीम युद्ध के बाद के चीनी जनजीवन का कठिन संघर्ष भी। इनके साथ-साथ चलती है, समय के मलबे में दबी पटना कलम चित्र-शैली की कहानी, जिसे ढूँढ़ती हुई ली-ना, एक चीनी लड़की, भारत आई है। यहाँ फिरंगियों के अत्याचार से लड़ते दोनों मुल्कों के दु:खों की दास्तान एक-सी है और दोनों ज़मीनों पर संघर्ष में कूद पड़नेवाली स्त्रियों की गुमनामी भी एक-सी है। ऐसी कई गुमनाम स्त्रियाँ इस उपन्यास का मेरुदंड हैं। ‘बिसात पर जुगनू’ कालक्रम से घटना-दर-घटना बयान करनेवाला सीधा (और सादा) उपन्यास नहीं है। यहाँ आख्यान समय में आगे-पीछे पेंगें भरता है और पाठक से, अक्सर ओझल होते किंवा प्रतीत होते कथा-सूत्र के प्रति अतिरिक्त सजगता की माँग करता है।
—संजीव कुमार
Bisat Par Jugnu
Vandana Rag
Katha Saptak - Vandana Raag
- Author Name:
Vandana Rag
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Book Type:

- Description: Description Awaited