M.A. Sameer
Bhagwan Mahavir Swami
- Author Name:
M.A. Sameer
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Book Type:

- Description: विश्व का कल्याण करने वाले महापुरुषों में भगवान् महावीर का नाम बड़े सम्मान एवं श्रद्धा के साथ लिया जाता है। उनका संपूर्ण जीवन मानव-समाज के लिए आदर्श है। राजवंशी होकर भी उन्होंने समस्त सांसारिक यश-वैभव का परित्याग कर अत्यंत साधारण जीवन व्यतीत करने का संकल्प लिया। भगवान् महावीर ने कठिन साधना व तप के बल पर समस्त इंद्रियों को विजित कर लिया था। इसी कारण उन्हें 'जितेंद्रिय' कहा गया। वे धैर्य, क्षमा, संयम और सहनशीलता की साक्षात् प्रतिमूर्ति थे। भगवान् महावीर आजीवन लोगों को सत्य, अहिंसा और सदाचरण का उपदेश देते रहे। उनके जीवन का प्रमुख उद्देश्य ही 'अहिंसा परमो धर्मः' था। आज भी उनका जीवन-दर्शन संपूर्ण विश्व-समाज के कल्याण हेतु अनुकरणीय है। भगवान् महावीर स्वामी की प्रेरक व पठनीय जीवनी।
Bhagwan Mahavir Swami
M.A. Sameer
KRANTIDRISHTA SHYAMJI KRISHNAVARMA
- Author Name:
M.A. Sameer
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Book Type:

- Description: "भारत को आजाद कराने में अनेक देशभक्तों ने आत्मबलिदान किया। उनमें श्यामजी कृष्ण वर्मा भी एक थे, जो लंबे समय तक गुमनाम बने रहे। उन्होंने अपनी मृत्यु के समय कहा था, ‘मेरी अस्थियाँ भारत में तभी ले जाई जाएँ, जब वह अंग्रेजों का गुलाम भारत न होकर हमारा आजाद भारत हो चुका हो।’ उनकी यह अभिलाषा भारत की आजादी के 55 वर्ष बाद श्री नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद पूरी हुई। श्यामजी कृष्ण वर्मा का जन्म 4 अक्तूबर, 1857 को गुजरात में कच्छ के मांडली गाँव में हुआ। वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान् तथा ऑक्सफोर्ड से एम.ए. और बैरिस्टर की उपाधियाँ प्राप्त करनेवाले पहले भारतीय थे। वे कुछ समय तक ऑक्सफोर्ड में संस्कृत के प्रोफेसर भी रहे। सन् 1905 में लॉर्ड कर्जन की ज्यादतियों के विरुद्ध उन्होंने क्रांतिकारी छात्रों को लेकर ‘इंडियन होम रूल सोसाइटी’ की स्थापना की। भारत की आजादी के समग्र संघर्ष हेतु सन् 1905 में ही उन्होंने इंग्लैंड में ‘इंडिया हाउस’ की स्थापना की। जब अंग्रेज सरकार ने वहाँ पहरा बिठा दिया तो वे स्विट्जरलैंड चले गए और वहाँ से ‘दि इंडियन सोशिओलॉजिस्ट’ मासिक में अपनी लेखनी से आजादी के आंदोलन को धार देने लगे। 31 मार्च, 1933 को जेनेवा के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया। 73 साल तक उनकी अस्थियाँ स्विट्जरलैंड के एक संग्रहालय में मुक्ति के इंतजार में छटपटाती रह्वहीं।"