Surinder Singh Jodhka

Surinder Singh Jodhka

1 Books

Jati : Badalte Pariprekshya

  • Author Name:

    Surinder Singh Jodhka

  • Book Type:
  • Description: आज के दौर में जाति की बात करने का क्या औचित्य है? क्या चुनावी राजनीति के अलावा जाति का कोई मतलब रह गया है? इसमें क्या बदला है और क्या बचा हुआ है? क्या जाति आधारित कोटा और आरक्षण से समाज में दरारें चौड़ी हुई हैं या इससे दरार को पाटने में मदद मिली है? आधुनिक समय में श्रम बाजारों में, सामाजिक जिन्दगी में, और लोकप्रिय संस्कृति में जाति कैसे काम करती है?

    यह छोटी सी किताब जाति की समकालीन अभिव्यक्तियों के साथ-साथ सामाजिक विज्ञान लेखन और लोकप्रिय चर्चा में जाति पर बदलते दृष्टिकोण का एक आकर्षक विवरण पेश करती है। यह भारत में जाति की वास्तविकता से सम्बन्धित कई विषयों और मुद्दों को शामिल करती है- पारंपरिक धारणाएँ, सत्ता की राजनीति में एक संवैधानिक तत्व, रोजमर्रा की जिन्दगी में अवमानना और तिरस्कार, जाति की अभिव्यक्ति और ‘नीचे से’ आन्दोलनों द्वारा और ‘ऊपर से’ नीतियों द्वारा इसका विरोध। भारतीय सामाजिक जीवन के इस सर्वव्यापी पहलू में रुचि रखनेवाले विद्वानों, छात्रों, कार्यकर्ताओं, नीति निर्माताओं और सामान्य पाठकों के लिए यह सुगम और विचारोत्तेजक पुस्तक काफी पठनीय है। 

Jati : Badalte Pariprekshya

Jati : Badalte Pariprekshya

Surinder Singh Jodhka

250

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